शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर ‘बंगाल की खाड़ी क्षेत्र’ का लक्ष्‍य

हम सभी, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री, भूटान के मुख्‍य सलाहकार, भारत के प्रधानमंत्री, म्‍यांमार के राष्‍ट्रपति, नेपाल के प्रधानमंत्री, श्रीलंका के राष्‍ट्रपति और थाईलैंड के प्रधानमंत्री 30-31 अगस्‍त, 2018 को बिम्‍सटेक के चौथे शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए काठमांडू में मिले; और 1997 के बैंकांक घोषणा पत्र में शामिल किए गए बिम्‍सटेक के उद्देश्‍यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई; म्‍यांमा के ने पी तॉ में 4 मार्च, 2014 को आयोजित तीसरे बिम्‍सटेक शिखर सम्‍मेलन तथा 16 अक्‍टूबर, 2016 को गोवा में बिम्‍सटेक नेताओं द्वारा जारी दस्‍तावेज के अनुरूप अपने सामूहिक प्रयासों के जरिए एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के निर्माण के लिए भी अपनी वचनबद्धता फिर से व्‍यक्‍त की।

हम सभी इस बात से आश्‍वस्‍त हुए कि हमारे भौगोलिक संबंध,प्रचुर मात्रा में उपलब्‍ध प्राकृतिक और मानव संसाधन,समृद्ध ऐतिहासिक संबंध और सांस्‍कृतिक विरासत चिन्हित प्रमुख क्षेत्रों में परस्‍पर गहरे क्षेत्रीय सहयोग के लिए बड़ी संभावनाएं उपलब्‍ध कराती हैं;

हमने विकास के रास्‍ते में गरीबी उन्‍मूलन को सबसे बड़ी क्षेत्रीय चुनौती स्‍वीकार करते हुए 2030 के सतत विकास एजेंडे की दिशा में मिलकर काम करने के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। हमने यह भी माना कि बिम्‍सटेक के सदस्‍य देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाओं और समाजों में अंतर-संबंध और अंतर-निर्भरता क्षेत्रीय सहयोग के लिए अपार संभावनाएं उपलब्‍ध कराएंगी;

हमने अपने क्षेत्र में संपर्क फ्रेमवर्क में सामंजस्‍य को प्रोत्‍साहित करने में बहुआयामी संपर्क के महत्‍व को साझा, स्‍मृद्धि और आर्थिक एकीकरण के लिए एक प्रमुख उत्‍साही घटक के रूप में स्‍वीकार किया;

क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए हमने व्‍यापार और निवेश को एक प्रमुख कारक के रूप में स्‍वीकार किया;

क्षेत्र के कम विकसित और बिना समुद्री सीमाओं वाले विकासशील देशों की विशेष आवश्‍यकताओं और परिस्थितियों को पहचानने तथा उनकी विकास प्रक्रिया को सार्थक समर्थन प्रदान करने की जरूरतों को रेखांकित किया;

हमने आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों को बिम्सटेक देशों सहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा मानते हुए इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधों का मुकाबला करने के लिए सदस्य देशों की सक्रिय भागीदारी तथा निरंतर प्रयास और सहयोग के साथ ही एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्‍यकता है; हमने सार्थक सहयोग और गहरे सामूहिक प्रयासों से एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के लिए बिम्‍सटेक को एक प्रभावी और परिणामोन्‍मुखी क्षेत्रीय संगठन बनाने के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई; एक निष्पक्ष, नियम-आधारित, न्यायसंगत और पारदर्शी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र के साथ बहुपक्षवाद तथा नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली पर फिर से विश्‍वास व्‍यक्‍त किया; बिम्‍सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए एक मजबूत संस्थागत व्यवस्था की आवश्‍यकता के महत्व को रेखांकित किया;

शिखर सम्मेलन के निर्णयों के बारे भूटान के अंतरिम सरकार के मुख्‍य सलाहार की भागीदारी और सहमति देश की अगली निवार्चित सरकार द्वारा अनुमोदित किए जाएंगे;

हम संकल्‍प लेते हैं कि:-

1. 1977 के घोषणा पत्र के सिद्धांतों के अनुरूप बिम्‍सटेक देशों के बीच सहयोग एक दूसरे की संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय, अखंण्‍डता और राजनीतिक स्‍वतंत्रता का सम्‍मान करने तथा आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेत्र नहीं करने, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व और परस्‍पर लाभ की नीति पर आधारित होगा।

2. बिम्‍सटेक के उद्देश्‍य और लक्ष्‍येां के प्रति हमारे प्रयास 1997 बैंकॉक घोषणा पत्र के अनुरूप होंगे और हम एक स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के लिए बिम्‍सटेक को एक शक्तिशाली, अधिक प्रभावी और परिणामोन्‍मुखी क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

3. क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया को जोड़ने वाले सेतु के रूप में बिम्‍सटेक की अनूठी स्थिति का लाभ उठाने तथा अपने संगठन को शांति, समृद्धि और स्थिरता को बढ़ावा देने के एक प्रभावी मंच के रूप में बदलने की दिशा में सदस्‍यों देशों के बीच सहयोग को मजबूत और गहरा बनाने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

4. बिम्‍सटेक सहित दुनिया के सभी हिस्‍सों में हुए आतंकवादी हमलों की भर्त्‍सना की जाए और आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा हो। इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी आतंकवादी कार्रवाई को न्‍यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। इस बात का संकल्‍प लिया गया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में केवल आतंकवादियों, आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क को ही नहीं बल्कि आतंकवाद को आर्थिक मदद, समर्थन और शह और संरक्षण देने वाले देशों और गैर सरकारी तत्‍वों को पहचानकर उन्‍हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हुए हम सभी देशों का आह्वान करते है कि वे इस बारे में एक ऐसा व्‍यापक नीति अपनाए जिससे आतंकवादियों और आतंकी संगठनों को वित्‍तीय मदद के साथ ही आतंकी संगठनों में भर्तियों पर भी रोक लगाई जा सके तथा सीमापार आतंकी गतिविधियों, कट्टरपंथी विचारधारा और आतंकवादी गतिविधियों के लिए इंटरनेट के गलत इस्‍तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जा सके और आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को नष्‍ट किया जा सके।

5. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और उद्देश्यों के प्रति अपने विश्वास को दोहराते हुए समकालीन वैश्विक चुनौतियों से निपटने लिए अपने नियमों, संस्थानों और उपकरणों को प्रासंगिक बनाकर बहुपक्षीय प्रणाली को मजबूत करने का प्रयास करेंगे तथा एक निष्पक्ष, नियम-आधारित, न्यायसंगत और पारदर्शी विश्व व्यवस्था के वास्‍ते अपने सामूहिक हितों की रक्षा के लिए मिलकर आवाज उठाएंगे।

संस्‍थागत सुधार

1. 1997 के बैंकॉक घोषणा पत्र के आधार पर बिम्सटेक सचिवालय को संगठन के लिए चार्टर का प्रारंभिक मसौदा तैयार करने तथा सहयोग के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को परिभाषित करने और संस्थागत संरचना और निर्णय के विभिन्न स्तरों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से चिन्हित करने का फैसला लिया जाना, ताकि बिम्सटेक स्थायी कार्यकारी समिति (बीपीडब्ल्यूसी) और अन्य उच्च निकायों द्वारा प्रक्रियाएं तय करने में इनका इस्‍तेमाल किया जा सके और इस प्रक्रिया को बिम्‍सटेक के पांचवें शिखर सम्मेलन द्वारा निमय बनाने के लिए अपनाया जा सके।

2. सचिवालय और बिम्सटेक केंद्रों और संस्थाओं के प्रशासनिक और वित्तीय मामलों से निपटने के साथ-साथ बैठकों के कार्यक्रम तैयार करने, संगठन की गतिविधियों को प्राथमिकता देने और तर्कसंगत बनाने के लिए बिम्सटेक स्थायी कार्यकारिणी स्थापित करने का फैसला लिया जाना।

3. अपनी सरकारों के संबंधित मंत्रालय/राष्ट्रीय संस्थाओं को सही समय पर सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान के जरिये एक बिम्सटेक विकास कोष (बीडीएफ) की स्थापना की संभावना का पता लगाने के लिये निर्देश देना जिससे कि बिम्सटेक के लिये शोध और योजना बनाने और बिम्सटेक केंद्रों और अन्य संस्थाओं की परियोजनाओं, कार्यक्रमों एवं ऐसी अन्य गतिविधियों के लिये वित्तीय मदद मुहैया करायी जा सकें जिस पर कि सदस्य देश सहमत हों।

4. बिम्सटेक सचिवालय की संस्थागत क्षमता बढ़ाने पर सहमति जिसमें वित्तीय एवं मानव संसाधन का उपयोग भी शामिल है ताकि यह बिम्सटेक गतिविधियों एवं कार्यक्रमों के बीच तालमेल, निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने के योग्य बन सके और ऐसे प्रस्तावों को आरंभ करना जिस पर सदस्य देश सहमत हों और साथ ही ऐसी अन्य जिम्मेदारियों को प्रभावी और कार्यकुशल तरीके से पूरा करना जो कि इसे सौंपी जायें और साथ ही क्रमबद्ध तरीके से निदेशकों की संख्या बढ़ाकर 7 करना ताकि प्रत्येक सदस्य देश से एक निदेशक हो।

5. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बिम्सटेक के स्तर और मान्यता को बढ़ाने के महत्व को स्वीकारना जिसमें साझा हित के मुद्दों पर समुचित और एक जैसी राय तैयार करना और विभिन्न बहुदेशीय संगठनों, संस्थाओं और प्रक्रियाओं में इस समूह को मान्यता दिलवाना।

6. सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में प्रगति को तेज करने की आवश्यकता पर जोर देना और बिम्सटेक के मौजूदा सहयोग के क्षेत्रों की समीक्षा, पुनर्गठन और उन्हें सुधारना और बिम्सटेक के तहत आने वाले कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं में ठोस परिणाम लाने के लिये गतिविधियों एवं कार्यों को और सुचारु बनाना। बिम्सटेक के सहयोग के स्तंभों की प्राथमिकताओं को पुन: निर्धारित करने के लिये थाइलैंड के संकल्पना पत्र जिसमें पांच स्तंभों को सुचारु बनाने का प्रस्ताव शामिल है और जिस पर बिम्सटेक की स्थायी कार्यकारी समिति में आगे और विचार होगा, इस पर सहमत होना।

7. उन वैधानिक दस्तावेजों और समझौतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने पर सहमत होना जो कि अंतिम स्वरूप दिये जाने और पुष्टि किये जाने के लिये आंतरिक मंजूरी प्रक्रियाओं के लंबित होने की वजह से रुके हुये हैं।

8. जैसा कि इस घोषणा पत्र में दिया गया है, संबंधित क्षेत्रों में की गयी प्रगति के लिये नेतृत्वकर्ता देशों की सराहना करना तथा उन्हें और अधिक प्रगति करने के लिये अपने प्रयासों को तीव्र बनाने के लिये प्रोत्साहित करना।

9. बिम्सटेक के पूर्व महासचिव श्री सुमित नकनडाला के कार्यकाल के दौरान संस्था के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये उनके अतुलनीय योगदान के प्रति अपनी सराहना को व्यक्त करना और बांग्लादेश के महासचिव श्री एम. शहीदुल इस्लाम की बिम्सटेक के महासचिव के तौर पर नियुक्ति का स्वागत करना।

10. मार्च 2014 से बिम्सटेक के कुशल नेतृत्व के लिये नेपाल के प्रति अपनी सराहना को व्यक्त करना और नये अध्यक्ष के रूप में श्री लंका का स्वागत करना।

11. क्षेत्रीय सहयोग को और तीव्र करने के लिये बिम्सटेक के शिखर सम्मेलन एवं बिम्सटेक की अन्य बैठकों को तय समय पर आयोजित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराना।

12. क्षेत्रवार समीक्षा के दौरान हमारे निर्देशों, प्रतिबद्धताओं और वक्तव्यों पर इस संलग्नक में व्यक्त हमारी नीति को इस घोषणापत्र का एक अंग मानना।

13. इस शिखर सम्मेलन की बेहतरीन व्यवस्था और गर्मजोशी से भरे स्वागत के लिये नेपाल सरकार के प्रति हमारी सराहना को व्यक्त करना।

चौथे बिम्सटेक शिखर घोषणापत्र का संलग्नक

क्षेत्रवार समीक्षा

निर्धनता उन्मूलन

1. 2030 तक बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से निर्धनता के उन्मूलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं जो कि स्थायी विकास के 2030 के एजेंडे के भी अनुरूप है और बिम्सटेक निर्धनता कार्ययोजना के प्रभावी अनुपालन का आह्वाहन करते हैं और साथ ही सभी क्षेत्रों में अपने प्रयासों को तेज करने के लिये भी ताकि वे निर्धनता उन्मूलन के वृहद लक्ष्य में योगदान दे सकें।

2. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों एवं सेवा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने जैसे ठोस कदम उठाकर अपने कामगारों को रोजगार के श्रेष्ठ अवसर उपलब्ध कराकर उनके संवर्धन करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हैं।

परिवहन एवं संचार (संपर्क)

3. इस क्षेत्र में राजमार्गों, रेलमार्गों, जलमार्गों और वायु सेवाओं के विकास, विस्तार और आधुनिकीकरण के जरिये आसान, सुसंगत और सरल यातायात सुविधाओं का विकास कर सीमारहित बहुविध परिवहन के संपर्कों की स्थापना के लिये अपने संकल्प को दोहराते हैं और अपने संबंधित प्राधिकृत अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वे सदस्य देशों की आवश्यकताओं एवं विशिष्ट परिस्थितियों को संज्ञान में लेते हुये बिम्सटेक तटीय जहाजरानी समझौते तथा बिम्सटेक मोटर गाड़ी समझौते को यथाशीघ्र अंतिम स्वरूप देने के अपने प्रयासों को तीव्र बनायें।

4. परिवहन के साधनों के संबंध में बिम्सटेक मास्टर प्लान के प्रारूप को बनाने में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हैं और इसको शीघ्र ही लागू किये जाने का आह्वाह्न भी और मास्टर प्लान को तैयार करने में दिये सहयोग के लिये एशियाई विकास बैंक का धन्यवाद अदा करते हैं तथा बिम्सटेक परिवहन संपर्क कार्यबल (बीटीसीडब्ल्यूजी) को सदस्य देशों की विशिष्ट परिस्थितियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुये इसे लागू करने की प्रक्रिया तैयार करने का उत्तरदायित्व देते हैं। हम इस बात पर सहमत हैं कि मास्टर प्लान एक ऐसे रणनीतिक दस्तावेज की तरह काम करेगा जो कि कार्यों की दिशा तय करेगा और संपर्क बढ़ाने की विभिन्न प्रणालियों जैसे आसियान मास्टर प्लान ऑन कनेक्टिविटी 2025 (एमपीएसी 2025), दि अयेवाडी - चाओ फ्राया - मेकॉंग आर्थिक सहयोग रणनीति (एसीएमईसीएस) के साथ सुसंगत हो ताकि हमारे क्षेत्र में संपर्क के बेहतरीन साधन हों और स्थायी विकास को हासिल किया जा सके।

5. सूचना तकनीक और संचार से संबंधित मामलों के लिये एक कार्यबल की स्थापना का निर्णय लेते हैं ताकि इस क्षेत्र के लोगों को ज्यादा सस्ता हाई-स्पीड इंटरनेट, मोबाइल संचार और व्यापक पहुंच मिल सके। इस संबंध में नयी दिल्ली में 25-27 अक्टूबर को 'न्यू डिजिटल होरॉइजन्स: कनेक्ट, क्रियेट, इन्नोवेट' विषय पर आयोजित हो रहे इंडिया मोबाइल कॉंग्रेस 2018 कार्यक्रम में बिम्सटेक की एक मंत्रि-स्तरीय बैठक आयोजित करने के भारत सरकार के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं और सभी सदस्य देशों को इसमें भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।

व्यापार एवं निवेश

6. बिम्सटेक मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीए) की बातचीत को शीघ्र पूरा किये जाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं और बिम्सटेक व्यापार एवं आर्थिक मंत्रि-स्तरीय बैठक (टीईएमएम) और इसके अनुषांगिक संगठनों जिसमें व्यापार बातचीत समिति (टीएनसी) भी शामिल हैं को निर्देश देते हैं कि वे बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित सभी समझौतों को जितना शीघ्र संभव हो सके अंतिम रूप देने का प्रयास करें; और वस्तुओं के व्यापार से संबंधित समझौते और कस्टम्स के क्षेत्र में सहयोग के समझौते की बातचीत में हुई प्रगति पर अपना संतोष व्यक्त करते हैं और अपने-अपने संबंधित मंत्रालय/संस्थाओं को व्यापार बातचीत समिति (टीएनसी) की बैठकों में नियमित तौर पर शामिल होने का निर्देश देते हैं।

7. व्यापार एवं निवेश को प्रोत्साहन देने के लिये सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को और बढ़ाने के लिये बिम्सटेक बिजनेस फोरम और बिम्सटेक इकॉनॉमिक फोरम की गतिविधियों को सशक्त बनाने पर सहमत होते हैं और बिम्सटेक आव्रजन मामलों से संबंधित विशेषज्ञों के समूह को निर्देश देते हैं कि बिम्सटेक आव्रजन सुविधाओं से संबंधित औपचारिकताओं को अंतिम रूप देने के लिये बातचीत को जारी रखे।

8. दिसंबर 2018 में बिम्सटेक स्टार्ट-अप सभा को आयोजित करने के भारत के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं और सभी सदस्य देशों को इसमें भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।

आतंकवाद का मुकाबला एवं पार-देशी अपराध

9. आतंकवाद हमारे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिये गंभीर खतरा बना हुआ है इस विषय पर अपनी राय को दोहराते हैं और किसी भी प्रकार और स्वरूप के आतंकवाद का सामना करने के प्रति अपने दृढ़ निश्चय को दोहराते हैं और इस संबंध में समुचित कदम उठाने पर सहमत होते हैं।


10. आपराधिक मामलों में परस्पर विधिक सहायता के विषय पर बिम्सटेक समझौते पर हस्ताक्षर होने की अपेक्षा करते हैं; सदस्य देशों से इसकी शीघ्र पुष्टि का आह्वाहन करते हैं और इस बात पर संतोष व्यक्त करते हैं कि कई सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, संगठित पार-देशी अपराध और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी का सामना करने में सहयोग के संबंध में बिम्सटेक समझौते की पुष्टि कर दी है और अन्य सदस्य देशों से आह्वाहन करते हैं कि वे भी इसकी पुष्टि करें।

11. कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने वाली संस्थाओं, गुप्तचर एवं सुरक्षा संस्थाओं के बीच सहयोग एवं समन्वय को सशक्त बनाने के अपने संकल्प को व्यक्त करते हैं और आतंकवाद और पार-देशीय अपराधों से मुकाबला करने के लिये सहयोग और तालमेल बढ़ाने के एक अंग के रूप में गृहमंत्री स्तर पर बिम्सटेक की बैठक आयोजित करने का निर्णय लेते हैं साथ ही बिम्सटेक देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की बैठकों को जारी रखने का निर्णय लेते हैं।

12. मार्च 2019 में बिम्सटेक के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की तीसरी बैठक आयोजित करने के थाइलैंड के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं।

पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन

13. सूचना के आदान-प्रदान के जरिये आपदा प्रबंधन में घनिष्ठ सहयोग को प्रोत्साहन देना जिसमें चेतावनी देने वाली प्रणालियां, बचाव के उपायों को अपनाना, पुनर्वास एवं क्षमता विकास भी शामिल हैं और क्षेत्र की मौजूदा क्षमताओं को और विकसित करने पर भी सहमत होते हैं साथ ही बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिये तैयारी और तालमेल बढ़ाने के लिये एक कार्ययोजना तैयार करने के लिये अंतर-सरकारी विशेषज्ञ समूह की स्थापना करने का निर्णय लेते हैं।

जलवायु परिवर्तन

14. संवेदनशील हिमालय और पर्वतीय पारिस्थिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान के प्रतिकूल प्रभाव और पर्यावरण के क्षरण और इसके बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं साथ ही हमारे लोगों के जीवन और आजीविका पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिये पर्यावरण की सुरक्षा और इसके संरक्षण के लिये सहयोग को सशक्त बनाने का संकल्प लेते हैं; साथ ही इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये एक सामूहिक प्रयास के लिये कार्ययोजना तैयार करने के लिये अंतर-सरकारी विशेषज्ञ समूह की स्थापना की संभावना तलाश करने पर सहमत होते हैं; और अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों, समानता और साझा परंतु अलग-अलग उत्तरदायित्वों और अपनी-अपनी क्षमता (सीबीडीआर एवं आरसी) के सिद्धान्त के आधार पर पेरिस समझौते को लागू करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।

ऊर्जा
15.  इस क्षेत्र में ऊर्जा के संसाधनों, विशेषकर के नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों, की उच्च संभावनाओं की पहचान करते हैं और इस क्षेत्र में एक दूसरे के साथ घनिष्ठता से काम कर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये एक व्यापक योजना तैयार करने के लिये अपने प्रयासों को तीव्र बनाने पर सहमत होते हैं और पन-बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों सहित ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये विशेषज्ञों के एक अंतर-सरकारी दल के गठन का निर्णय लेते हैं।

16. अपने लोगों के आर्थिक विकास के लिये अबाधित और सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये, जिसमें ऊर्जा के व्यापार के जरिये भी ऐसा करना शामिल है, प्रतिबद्ध बने हुये हैं; और बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन के लिये सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत करते हैं और संबंधित संस्थाओं को तकनीकी, योजनागत और संचालन से संबंधी मानकों को सुसंगत बनाने की शुरुआत करने के लिये ठोस कदम उठाने का निर्देश देते हैं और साथ ही एक बिम्सटेक ग्रिड की शीघ्र स्थापना का भी। और इस क्षेत्र में ऊर्जा सहयोग को मजबूत बनाने के लिये बिम्सटेक ऊर्जा केंद्र को शीघ्र आरंभ किये जाने का आह्वान करते हैं।

प्रौद्योगिकी

17. हमने विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टर) में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों सहित विभिन्न उपक्रमों के लिए किफायती प्रौद्योगिकियों के विकास, पहुंच एवं साझा करने हेतु आपस में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है और इसके साथ ही हम श्रीलंका में बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण इकाई की स्थापना से संबंधित संस्थापन प्रलेख पर हस्ताक्षर करने के लिए सदस्यों देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का स्वागत करते हैं।

18. हमने प्रौद्योगिकी के विघटनकारी असर को समाप्त करने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में मानव संसाधन के विकास और प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए शिक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर फोकस करने पर भी सहमति जताई है।

कृषि

19. हमने फसलों, पशुधन एवं बागवानी, कृषि मशीनरी और फसल कटाई प्रबंधन सहित कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि कृषि उपज की उत्पादकता एवं लाभप्रदता निरंतर बढ़ सके, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संबंधित प्राधिकरणों को सहयोग बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जा सके और पारंपरिक एवं आधुनिक खेती दोनों को आपस में समुचित ढंग से जोड़कर एवं लागत घटाकर, कृषि समुदायों की आय बढ़ाकर और उनके लिए जोखिमों में कमी करके पारंपरिक खेती से जुड़े ज्ञान का संरक्षण करने के साथ-साथ उसे बढ़ावा भी दिया जा सके। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच कृषि व्यापार को सुविधाजनक बनाना और सदस्य देशों में गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन तथा आम आदमी के जीवन स्तर को बेहतर करने में उल्लेखनीय योगदान करना है।

20. हम वर्ष 2019 तक कृषि पर प्रथम बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक की मेजबानी करने संबंधी म्यांमार की पेशकश और वर्ष 2019 में जलवायु स्मार्ट कृषि प्रणालियों पर बिम्सटेक संगोष्ठी आयोजित करने संबंधी भारत की पेशकश का भी स्वागत करते हैं।

मत्स्य पालन

21. हम इस क्षेत्र में समुद्री संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और सतत उपयोग में निरंतर सहयोग करने पर विशेष जोर दे रहे हैं, हमने इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं लोगों की आजीविका में बेहतरी लाने और सतत समुद्री मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सार्थक सहयोग की संभावनाएं ढूंढने का जिम्मा प्रासंगिक राष्ट्रीय एजेंसियों को सौंपने तथा बिना समुद्री सीमाओं वाले सदस्यों देशों के अंतर्देशीय मत्स्य पालन से लाभान्वित होने के तरीके तलाशने हेतु संबंधित प्राधिकरणों को निर्देश देने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य

22. हमने गैर-संचारी रोगों को फैलने से रोकने के साथ-साथ उन अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के मसलों को सुलझाने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है जो बिम्सटेक क्षेत्र के लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति में बाधक हैं। इनमें एचआईवी एवं एड्स, मलेरिया, तपेदिक, एवियन एवं स्वाइन इंफ्लूएंजा सहित वायरल इंफ्लूएंजा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उभरते अन्य खतरे भी शामिल हैं। हमने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में आपसी सहयोग की दिशा में हुई प्रगति को ध्यान में रखा है, हम इस क्षेत्र में सहयोगात्मक गतिविधियों को जारी रखने, सूचनाओं के आदान-प्रदान, अनुभवों को साझा करने, संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित करने एवं इन बीमारियों की रोकथाम तथा इन पर अंकुश रखने से जुड़े अन्य ठोस कार्यक्रमों के जरिए संबंधित एजेंसियों के बीच सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसमें पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग करना भी शामिल है। हम पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग हेतु किए गए अथक प्रयासों के लिए थाईलैंड की सराहना करते हैं।

सदस्यों देशों के लोगों के बीच संपर्क

हम सदस्यों देशों के बीच आपसी समझ एवं विश्वास को और ज्यादा बढ़ाने तथा सदस्य देशों के लोगों के बीच विभिन्न स्तरों पर संपर्क को बढ़ावा देने का संकल्प लेते हैं। हमने बिम्सटेक के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रबुद्ध मंडलों के बिम्सटेक नेटवर्क (बीएनपीटीटी) की गतिविधियों को पूरी संतुष्टि के साथ ध्यान में रखा है और हम संबंधित एजेंसियों को बीएनपीटीटी के विचारार्थ विषयों को अंतिम रूप देने का निर्देश देते हैं।
हमने सदस्य देशों के लोगों के बीच संपर्कों का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से सांसदों, विश्वविद्यालयों, शिक्षाविदों, अनुसंधान संस्थानों, सांस्कृतिक संगठनों और मीडिया समुदाय के लिए उपयुक्त बिम्सटेक फोरम की स्थापना करने की संभावनाएं तलाशने पर सहमति जताई है।
सांस्कृतिक सहयोग

23. हम सदस्य देशों के लोगों के बीच ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने तथा सांस्कृतिक विविधता हेतु पारस्परिक सम्मान एवं सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की जरूरत पर विशेष बल देते हैं, हम इस क्षेत्र में एक संपर्क सूत्र के रूप में बौद्ध धर्म के महत्व को रेखांकित करते हैं और एक बौद्ध सर्किट की स्थापना कर इसे स्पष्ट अभिव्यक्ति देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

24. हमने नियमित अंतराल पर बिम्सटेक के संस्कृति मंत्रियों की बैठकें और बिम्सटेक सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने पर सहमति जताई है। हम संस्कृति पर द्वितीय बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक और प्रथम बिम्सटेक सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित करने संबंधी बांग्लादेश की पेशकश का स्वागत करते हैं। हम सदस्य देशों के संस्कृति मंत्रियों को इन दो महत्वपूर्ण आयोजनों में भाग लेने के लिए पूरी दृढ़ता के साथ प्रोत्साहित करते हैं।

पर्यटन

27. हमने बिम्सटेक क्षेत्र के अंदर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने, उभरते अवसरों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त रणनीतियां विकसित करने का जिम्मा संबंधित प्राधिकरणों को सौंपने तथा विगत में की गई पहलों से लाभ उठाने पर सहमति जताई है, जिनमें वर्ष 2005 में कोलकाता में अनुमोदित और वर्ष 2006 में बिम्सटेक के पर्यटन मंत्रियों की द्वितीय गोलमेज बैठक और काठमांडू में आयोजित कार्यशाला में पुष्टि की गई ‘बिम्सटेक क्षेत्र हेतु पर्यटन विकास एवं संवर्धन के लिए कार्य योजना’ भी शामिल है। हमने पर्यटकों की सुरक्षा एवं हिफाजत के साथ-साथ सुगम परिवहन कनेक्टविटी सुनिश्चित कर पर्यटन को सुविधाजनक बनाने के लिए ठोस उपाय करने पर सहमति जताई है। हम बौद्ध पर्यटन सर्किट, मंदिर पर्यटन सर्किट, प्राचीन शहरों के चिन्हों, पारिस्थितिकी पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन को विकसित एवं प्रोत्साहित करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करते हैं। हम वर्ष 2020 में नेपाल में बिम्सटेक पर्यटन सम्मेलन की मेजबानी करने संबंधी नेपाल की पेशकश का स्वागत करते हैं जिसका आयोजन ‘विजिट नेपाल ईयर 2020’ के दौरान ही होगा।

पर्वतीय अर्थव्यवस्था

28. हम सतत विकास में सहयोग देने के लिए पर्वतों की जैव-विविधता सहित पर्वतीय पारस्थितिकी का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत को रेखांकित करते हैं। हम बिम्सटेक देशों में पर्वतीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने पर प्रस्तुत किए गए अवधारणा पत्र का स्वागत करते हैं जिसे नेपाल ने तैयार किया है और जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है। हमने एक कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक अंतर-सरकारी विशेषज्ञ समूह का गठन करने का निर्णय लिया है।

नीली अर्थव्यवस्था

29. हम नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) की अहमियत पर विशेष जोर देते हैं और हमने इस क्षेत्र में सतत विकास के लिए इस क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति जताई है। हमने बिना समुद्री सीमाओं वाले सदस्य देशों की विशिष्ट जरूरतों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीली अर्थव्यवस्था पर एक कार्य योजना तैयार करने के लिए एक अंतर-सरकारी विशेषज्ञ समूह का गठन करने का निर्णय लिया है।

30. हमने बिम्सटेक के सदस्य देशों के सरकारी प्रतिनिधियों की साझेदारी के साथ वर्ष 2017 में बांग्लादेश में अंतर्राष्ट्रीय नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन की मेज़बानी किए जाने को पूरी संतुष्टि के साथ ध्यान में रखा है।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।