For me Youth is not just 'New Age Voters', they are "New Age power"

Published By : Admin | April 22, 2014 | 13:59 IST

दिन-रात के कमरतोड़ प्रचार के बाद भी चेहरे पर जरा सी थकान के निशान तक नहीं। पांच चरणों के मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पूरी तरह आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते हैं। भाजपा व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का दावा कर रहे मोदी को सबसे ज्यादा भरोसा देश के युवा मतदाताओं पर है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए वह कहते हैं कि लोगों का मिजाज बदला है और वे विकास चाहते हैं। वोटबैंक की राजनीति करने वाले दलों को सबक सिखाकर जनता ने इस दफा भाजपा को पूर्ण बहुमत देने का निर्णय ले लिया है। दो जगह से चुनाव लड़ने या पूरे चुनाव अभियान पर हावी होने या फिर नकारात्मक लाइन पर चुनाव प्रचार जैसे मसलों पर उन्होंने दैनिक जागरण के सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर प्रशांत मिश्र से लंबी बातचीत की।

चुनाव शुरू होने के पहले भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा कर रही थी। फिर 272 प्लस का लक्ष्य रखा गया। अब 300 सीटें जीतने की बात होने लगी है। यह आत्मविश्वास है या माहौल बनाने की रणनीति?

-यह तो वही बात हुई कि पहले मुर्गी आई या अंडा? हममें आत्मविश्वास है इसीलिए हम मेहनत कर रहे हैं। इसके कारण अपार समर्थन भी मिल रहा है और इस प्रकार माहौल तैयार हो रहा है। जैसा माहौल तैयार हुआ है, उससे हमारा आत्मविश्वास और भी बढ़ा है। 13 सितंबर को भाजपा ने मुझे पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया। उसके बाद से 380 से ज्यादा रैलियों को संबोधित कर चुका हूं। चुनाव की घोषणा के बाद से लगभग 185 रैलियों का आयोजन तय हुआ। इसके अलावा 3डी टेक्नोलॉजी के जरिये भी देश के कोने-कोने में जनता से मुखातिब होने का सिलसिला कायम है। कुल मिलाकर 1000 रैलियां 3डी द्वारा हो जाएंगी। जिस प्रकार का जनाक्रोश कांग्रेस के खिलाफ है, उसे देखते हुए दो बातें तय दिखती हैं- पहली, कांग्रेस आजाद भारत के अपने चुनावी इतिहास में सबसे निचली पायदान पर सिमट जाएगी। दूसरी यह कि राजग व भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तय है।

आप कहीं अतिआत्मविश्वास का शिकार तो नहीं..?

-(बीच में ही) पंडित जी.इस बार अब तक के चरणों में हुए भारी मतदान से एवं खासकर युवाओं ने जो अप्रत्याशित रुचि एवं भागीदारी मतदान प्रक्रिया में दिखाई है, उससे यह बिल्कुल साफ है कि इस बार का चुनाव अभूतपूर्व है। इस बार लोग न सिर्फ मतदान करने के लिए आगे आ रहे हैं, बल्कि लाखों लोग इंडिया272प्लस डाट कॉम वेबसाइट के जरिये वालिंटियर के रूप में भाजपा के साथ जुड़े हैं। यह एक बड़ा बदलाव है। जिस प्रकार का जनसैलाब रैलियों में उमड़ रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि शायद यह पहला चुनाव है जहां मतदान से पहले ही मानों पूरे देश के लोगों ने तय कर लिया है कि इस बार भाजपा को अवसर प्रदान करना है। पांच-छह महीने पहले भाजपा को जो व्यापक जनसमर्थन मिल रहा था, वह अब पूर्ण बहुमत से कहीं आगे तब्दील होता हुआ स्पष्ट नजर आ रहा है।

कहते हैं कि मोदी हर चीज पर हावी हो जाते हैं। इस बार चुनाव में जिस तरह व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला है, क्या उसका कारण भी यही है? आप इन आरोपों का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं?

-मैं यदि मिथ्या आरोपों का जवाब दूं तो फिर तू-तू, मैं-मैं की जो राजनीति है, वह और आगे चलती है। हां, यह सच है कि मेरे विरोधियों ने शालीनता की सीमा पार कर मुझ पर अनर्गल आरोप लगाए, व्यर्थ प्रलाप किया है। पर मैंने ये तय कर लिया है कि मैं हर अपमान सिर्फ इसलिए सहन कर लूंगा, सारा विष सिर्फ इसलिए पी लूंगा ताकि इस देश के युवाओं, किसानों, माता-बहनों के अहम मुद्दों से कहीं बात भटक न जाए। विरोधी दलों के राजनेता क्या बात करते हैं, उस पर न तो मैं ज्यादा ध्यान देता हूं और न ही टिप्पणी करना जरूरी समझता हूं। लेकिन दस वर्ष के शासन के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार के पास उनके द्वारा किए गए काम या उनकी उपलब्धियों की चर्चा करने के लिए कुछ न हो और वे भाजपा नेताओं पर टिप्पणी करें, इससे यह तो साफ है कि देश के दस बहुमूल्य साल कांग्रेस ने वाकई बर्बाद कर दिए। एक लंबे अरसे बाद राजनीति में लोगों की दिलचस्पी दिख रही है। राजनेताओं के प्रति जहां तिरस्कार और गुस्से की भावना थी, वहीं मैं पहली बार अपार समर्थन एवं स्नेह का भाव देख रहा हूं। यह जो आशा का संचार हुआ है, इस आशा को, इस विश्वास को बनाए रखने की जरूरत है।

आपने अभियान शुरू किया था तो मुद्दा था विकास। भय, भूख और भ्रष्टाचार, लेकिन आपको नहीं लगता कि पूरा चुनाव ध्रुवीकरण पर लड़ा जा रहा है?

-शुरुआत में हमने तय किया था कि इस पूरे चुनाव को विकास एवं सुशासन जैसे सकारात्मक मुद्दों पर लड़ा जाए। यदि अन्य दल भी ऐसा करते तो शायद हमारी चुनावी राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ जाता। अफसोस है कि विरोधी दलों ने चुनाव को उसी पुरानी जाति एवं संप्रदाय की राजनीति की तरफ धकेलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इसके बावजूद यह पहला चुनाव है जिसमें भाजपा जैसी बड़ी पार्टी विकास एवं सुशासन के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। पिछले छह महीने से मेरा यह पुरजोर प्रयास रहा है कि हम नागरिकों के असली मुद्दों को उठाएं। इस बार देश का मिजाज बदला है और लोगों ने तय किया है कि वे उनके जीवन को छूने वाले असली मुद्दों की बात करने वाली भाजपा को समर्थन देंगे। उन्होंने वोटबैंक की राजनीति करने वाली पार्टियों को सबक सिखाने का निर्णय कर लिया है।

फिर ध्रुवीकरण की सियासत के लिए जिम्मेदार कौन है?

-जिस प्रकार एक हारती हुई सेना अपना अस्तित्व बचाने के लिए बंकर में घुस जाती है उसी तरह कांग्रेस भी इस बार अपने अस्तित्व को बचाने की खातिर एक बार फिर छद्म धर्मनिरपेक्षता के बंकर में छिपकर चुनाव लड़ना चाह रही है। सेक्युलरिज्म की बातें करने वाले दलों को पता नहीं कि 21वीं सदी का भारत एक नया भारत है। आज के युवाओं को जाति-संप्रदाय के आधार पर की जाने वाली राजनीति बिल्कुल नापसंद है। युवाओं को चाहिए एक ऐसी सरकार जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सके, जो उनके सपनों को साकार कर सके, जो विकास पर ध्यान देकर उनके लिए रोजगार के अवसर दिला सके।

लेकिन. आरोप आपकी पार्टी के नेताओं पर भी लग रहा है। अमित शाह पर चुनाव आयोग ने पाबंदी भी लगाई..।

-आप मुझे मेरा एक भाषण बताएं, जहां मैंने जाति या संप्रदाय का उल्लेख किया हो। इसी तरह विपक्षी दलों के बड़े नेताओं का एक भाषण ऐसा बताएं, जहां उन्होंने जाति-संप्रदाय का उल्लेख न किया हो। कांग्रेस के कई नेताओं ने अत्यंत आपत्तिजनक बयान दिए हैं और दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अपने ऐसे नेताओं को नियंत्रित करने के बजाय उन्हें अपनी मौन स्वीकृति दी। अमित शाह ने जिस प्रकार चुनाव आयोग का आदर किया और उसके आधार पर उन पर लगी पाबंदी हटाई गई वह स्पष्ट रूप से आयोग के प्रति हमारे सम्मान एवं इस देश की कानून-व्यवस्था और संवैधानिक परंपराओं में हमारी प्रगाढ़ आस्था को परिलक्षित करता है। ध्रुवीकरण की बात करने वाले विश्लेषकों से मैं पूछना चाहूंगा कि क्या आज तक किसी पार्टी ने विकास एवं सुशासन की बात करने के लिए इतना गंभीर या सशक्त प्रयास किया है? भ्रामक प्रचार करने वालों की दाल नहीं गलने वाली। इस बार देश का मतदाता जागा है और उसने भाजपा को समर्थन करने का मन बना लिया है।

क्या भाजपा आश्वस्त करेगी कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं करेगी?

-हमारी राजनीति सबको साथ लेकर चलने की है। हमारा तो नारा ही है, सबका साथ और सबका विकास। मैं भले ही चुनाव हार जाऊं, लेकिन देश और समाज को तोड़ने वाली राजनीति नहीं करूंगा।

मोदी जी, चुनाव आयोग के आंकड़े दिखाते हैं कि इस चुनाव में 23 करोड़ से ज्यादा 'न्यू एज वोटर्स' ऐसे युवा मतदाता वोट डालेंगे, जिनमें बहुत सारे प्रथम बार मतदान करने वाले हैं। बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों के तुरंत हल ढूंढ़ने की जरूरत है, युवा केंद्रित इन मुद्दों को कैसे प्राथमिकता दी जाएगी?

-देखिये, यूथ मेरे लिए सिर्फ 'न्यू एज वोटर्स' नहीं है, बल्कि 'न्यू एज पावर' है। और इन युवाओं को 'राइट अपरचुनिटी' तथा 'राइट इनवायरर्मेट' देना हमारी प्राथमिकता होगी। इसके अंतर्गत स्किल डेवलपमेंट पर जोर देना हमारा सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि संप्रग सरकार ने इस मुद्दे पर सिर्फ समितियां ही बनाई। वास्तव में हमें कमेटी नहीं, कमिटमेंट चाहिए। बेरोजगारी इस समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले एक दशक की जॉबलेस ग्रोथ ने हमें ऐसी स्थिति में ला दिया है, जहां हमारे युवा बेरोजगार बैठे हैं। जहां राजग के छह वर्ष में छह करोड़ रोजगार प्रदान किए गए, वहीं संप्रग के दस वर्ष में डेढ़ करोड़ से भी कम रोजगार सृजित किए गए। युवाओं को नौकरियां चाहिए। उन्हें स्वरोजगार के अवसर चाहिए। अपने सपनों को साकार कर सकें, ऐसी जिंदगी चाहिए। युवाओं को शिक्षा देना, स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करके उन्हें रोजगार मुहैया कराना, यह मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी।

एक दौर था जब यह सवाल उठ रहे थे कि मोदी के केंद्रीय भूमिका में आने पर राजग का दायरा कम होगा। लेकिन वर्तमान में राजग के साथ 27-28 दलों का आंकड़ा है। ऐसा क्या हुआ जो एकबारगी कई दल आपके साथ जुड़ने लगे हैं?

-इस बार राजग या एनडीए का मतलब सिर्फ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस नहीं, परन्तु नेशनल डेवलपमेंट अलायंस भी बन गया है। सही मायने में यदि कोई ध्रुवीकरण हुआ है तो वह विकास के आधार पर हुआ है। एक तरफ भाजपा एवं राजग के हमारे साथी दल हैं, जो विकास एवं सुशासन की राजनीति करना चाहते हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस एवं उसके साथी दल हैं जो अभी भी धर्म एवं जाति आधारित विघटन की राजनीति करना चाहते हैं। 25 से अधिक राजनीतिक दलों ने राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए जो देश के हित में उचित है, वैसी विकास की राजनीति को अपनाया है एवं भाजपा का साथ देने का निर्णय किया है। शायद स्वतंत्र भारत की चुनावी राजनीति में ये सबसे बड़ा प्री-पोल अलायंस है। मैं उन सभी दलों का आभारी हूं, जिन्होंने इस देश की जनता की आवाज सुनकर उनके सपनों का साकार करने के लिए भाजपा का साथ देने का फैसला किया। उन सभी दलों ने झूठ के बादल छाए होने के बावजूद सच्चाई को समझ अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया है।

भाजपा नेताओं का दावा है कि देश में मोदी लहर चल रही है। क्या इस लहर का असर उन राज्यों पर भी दिखेगा, जहां अब तक पार्टी खाता नहीं खोल पाई है?

-अब ये कहना गलत होगा कि मोदी की लहर सिर्फ भाजपा नेताओं को दिख रही है। लगभग हर चुनावी समीक्षक, हर सर्वे में देश के लोगों की इच्छा साफ दिखाई पड़ रही है। मैं तो कहता हूं कि ये सिर्फ एक लहर या आंधी नहीं, सुनामी है और इस बार उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, पूरा भारत एक मन बना चुका है। दक्षिण भारत में भी इस बार भाजपा एवं साथी दलों को बड़ी विजय मिलती स्पष्ट दिख रही है। और तो और इस बार दक्षिण एवं पूर्व के कई राज्यों में कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुलेगा।

लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि ऐसा चुनाव उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। आप क्या कहेंगे?

-जिन्होंने भी पिछले 25-30 साल से देश की राजनीति को नजदीक से देखा है, वे सभी स्वीकार कर रहे हैं कि यह चुनाव हर मायने में अभूतपूर्व है। ये शायद पहला चुनाव है जहां वर्तमान सरकार के खिलाफ गुस्सा एवं वैकल्पिक सरकार प्रदान करने वाली पार्टी के प्रति आशा, ये दोनों चीजें एक साथ देखने को मिल रही है। ये पहला चुनाव है, जहां देश की जनता ने एकमत होकर एक भ्रष्ट एवं निकम्मी सरकार को उखाड़ फेंकने का फैसला किया है। ये आक्रोश एवं गुस्सा राजनीतिक व्यवस्था के प्रति नहीं, परन्तु केवल कांग्रेस पार्टी एवं उसके साथी दलों के प्रति है। अमूमन ऐसे में राजनीतिक व्यवस्था के प्रति आक्रोश एवं तिरस्कार की भावना देखने को मिलती है।

मतलब पूरा चुनाव निगेटिव लाइन पर जा रहा है?

-नहीं..इस बार न सिर्फ मजबूत सत्ता विरोधी लहर दिख रही है, परंतु 'निगेटिव वोट' के साथ-साथ एक स्पष्ट 'पोजिटिव वोट फार चेंज' भी दिखाई पड़ता है। दूसरी बात, शायद ये पहला चुनाव है, जिसने देश भर के युवाओं को राजनीति की तरफ खींचा है एवं राजनीति में उनकी दिलचस्पी जगाई है। मानों पहली बार इस देश के युवा अपने जीवन की सफलता की कुंजी अपने हाथों में लेना चाहता है। इस कारण मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि इस बार देशभर में अप्रत्याशित मतदान होगा एवं युवा मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी उसमें रहेगी। तीसरा बिंदु जिस कारण इस चुनाव को अभूतपूर्व कहा जा सकता है, वह यह है कि इस बार का मतदाता अकल्पनीय परिपक्वता प्रदर्शित कर रहा है। जिन राज्यों में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ हो रहे हैं, वहां का मतदाता इतनी परिपक्वता से पेश आ रहा है कि उसे इस बात का अंदाज है कि लोकसभा में किसे वोट देना है एवं विधानसभा में किसे।

आपसे अगर एक लाइन में पूछा जाए कि इस बार के चुनाव का मुख्य मुद्दा क्या है तो?

-इस बार का चुनाव कोई दल या व्यक्ति नहीं लड़ रहा, बल्कि पूरा देश लड़ रहा है। यह शायद पहला चुनाव है, जहां न संप्रदाय के आधार पर वोट पड़ेंगे और न ही जाति के आधार। पहली बार 'इंडिया फ‌र्स्ट' के नारे को जमीन पर सार्थक होते हुए देखा जा सकता है। सही मायने में यह पहला चुनाव है, जो विकास के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। जहां लोगों में सही मायने में आशा का संचार हुआ है। और लोग अपने सपनों के भारत को संजोने के लिए भाजपा को वोट दे रहे हैं।

आप दो स्थानों से चुनाव लड़ रहे हैं। इस पर कुछ सवाल उठ रहे हैं.?

-ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि कोई व्यक्ति दो जगह से चुनाव लड़ रहा है। कानून में भी इसकी इजाजत है और ये निर्णय पार्टी ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर सामूहिक तौर पर किया है।

अभी हाल में संजय बारू और पीसी परख ने किताबें लिखी हैं। पीएम और कांग्रेस दोनों घेरे में हैं। लेकिन सरकार का कहना है कि बारू झूठ बोल रहे हैं। आप क्या कहेंगे?

-इन किताबों में ऐसी कोई बात नहीं लिखी गई है, जो पहले से देश के लोगों को पता नहीं थी। इसीलिए किसी का ये कहना कि बारू झूठ बोल रहे हैं, गले नहीं उतरता। संजय बारू पर आक्रमण करने वाले लोगों ने ये तो कहा कि उन्होंने विश्वासघात किया है, इस पुस्तक के रिलीज होने के समय पर भी प्रश्नचिह्न लगाए एवं करीबी सलाहकार द्वारा इसे औचित्य भंग भी करार दिया गया। परन्तु कांग्रेस या सरकार में किसी ने भी पुस्तक में लिखी बातों एवं जानकारियों की सत्यता पर सवाल नहीं उठाए हैं। जो तथ्य एंव सच्चाई सामने आई है, वह बड़ी गंभीर है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण पद की गरिमा को जैसे ठेस पहुंचाई गई है। इससे कहीं न कहीं देश की साख भी कम हुई है। जो काम एक छोटे से राज्य में भी हो, उसकी निंदा की जाती है, वैसा दस साल तक प्रधानमंत्री पद के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने किया, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। परंतु इससे कहीं ज्यादा चिंता उन बुद्धिजीवियों की चुप्पी से होती है जो अब तक इस मामले को लेकर मौन साधे हुए हैं। बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के बारे में कहना चाहूंगा कि यह एक्सीडेंट देश को बहुत महंगा पड़ा है। इस एक्सीडेंट से देश का जो नुकसान पहुंचा है, उसे रिपेयर करने में बहुत मेहनत लगेगी। वैसे तो एक्सीडेंट कहना भी गलत होगा, क्योंकि एक्सीडेंट 'हो जाते हैं.. कराए नहीं जाते..'।

गुजरात में आपका लंबा अनुभव रहा है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों की राजनीति में आपको क्या अलग दिख रहा है?

-दरअसल मोटे तौर पर हमारे देश के लोगों की समस्याएं समान हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोगों को पिछले कई सालों से जातिवाद का जहर फैलाने वाली पार्टियों का कुशासन भी झेलना पड़ा। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश एवं बिहार की भूमिका बहुत बड़ी और अहम रहने वाली है। यह जायज भी है। क्योंकि जब तक उत्तरप्रदेश एवं बिहार विकास की दौड़ में आगे न आएं, तब तक भारत विकसित नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों में और विशेषकर वहां के युवाओं में इस बार भाजपा को लेकर बहुत उत्साह है, बहुत आशाएं भी हैं। दरअसल अब ये स्पष्ट हो रहा है कि बिहार एवं उत्तरप्रदेश के लोग भी विकास एवं सुशासन के लिए उतने ही तत्पर हैं, जितने अन्य राज्यों के लोग। वहां के लोगों ने इस बार भाजपा को भारी बहुमत से विजयी बनाने का निर्णय कर लिया है।

'पांच-छह महीने पहले भाजपा को जो व्यापक जनसमर्थन मिल रहा था वह अब पूर्ण बहुमत से कहीं आगे तब्दील होता हुआ स्पष्ट नजर आ रहा है।'

'हारती हुई सेना की तरह कांग्रेस भी इस बार अपने अस्तित्व को बचाने की खातिर एक बार फिर छद्म धर्मनिरपेक्षता के बंकर में छिपकर चुनाव लड़ना चाह रही है।'

'क्या आज तक किसी चुनाव में किसी बड़ी पार्टी ने जाति या संप्रदाय की राजनीति से ऊपर विकास एवं सुशासन की बात करने के लिए इतना गंभीर या सशक्त प्रयास किया है?'

Courtesy: Jagran

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ट्रेड और कॉमर्स; कुवैत और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं तथा दोनों तरफ से व्यापार बढ़ रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने KUNA को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ट्रेड और कॉमर्स हमारे द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है। हमारी एनर्जी पार्टनरशिप हमारे द्विपक्षीय व्यापार में यूनिक वैल्यू जोड़ती है।"

भारतीय प्रधानमंत्री शनिवार को कुवैत पहुंचे। यह चार दशक से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।

उन्होंने कहा, "हमें 'मेड इन इंडिया' उत्पादों, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी तथा टेलिकॉम क्षेत्रों में कुवैत में नई पैठ बनाते हुए देखकर खुशी हो रही है। भारत आज सबसे किफायती लागत पर विश्व स्तरीय उत्पादों का निर्माण कर रहा है। गैर-तेल व्यापार में विविधता लाना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की कुंजी है।"

उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल, हेल्थ, टेक्नोलॉजी, डिजिटल, इनोवेशन और टेक्सटाइल क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने व्यापार मंडलों, उद्यमियों और इनोवेटर्स से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक जुड़ें और बातचीत करें।

कुवैत की अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा: "मुझे कुवैत आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं महामहिम कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा को उनके सम्मानजनक निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं। यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।" उन्होंने कहा, "अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन में भाग लेने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं महामहिम को धन्यवाद देता हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं टूर्नामेंट की सफल मेजबानी के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कुवैत के बीच गहरा और ऐतिहासिक संबंध है तथा दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा गर्मजोशी से भरे और मैत्रीपूर्ण रहे हैं तथा इतिहास की धाराओं और विचारों एवं व्यापार के माध्यम से आदान-प्रदान ने लोगों को करीब और एक साथ लाया है।

मोदी ने कहा, "हम अनादि काल से एक-दूसरे के साथ व्यापार करते आ रहे हैं। फ़ैलाका द्वीप में हुई खोजें हमारे साझा अतीत की कहानी बयां करती हैं। भारतीय रुपया 1961 तक एक सदी से भी अधिक समय तक कुवैत में वैध मुद्रा था। यह दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं कितनी घनिष्ठ रूप से जुड़ी थीं।"

उन्होंने कहा कि भारत; कुवैत का स्वाभाविक व्यापारिक साझेदार रहा है और समकालीन समय में भी ऐसा ही बना हुआ है तथा सदियों से लोगों के बीच संबंधों ने दोनों देशों के बीच मित्रता के विशेष बंधन को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने कहा: "कुल मिलाकर, द्विपक्षीय संबंध अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और अगर मैं कहूँ तो, नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। मैं रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को बढ़ाने के लिए महामहिम अमीर के साथ अपनी बातचीत के लिए उत्सुक हूँ।" "हमारे ऐतिहासिक संबंधों की मजबूत जड़ें हमारी 21वीं सदी की साझेदारी के परिणामों से मेल खानी चाहिए - गतिशील, मजबूत और बहुआयामी। हमने साथ मिलकर बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारी साझेदारी के लिए संभावनाएं असीम हैं। मुझे यकीन है कि यह यात्रा इसे नए पंख देगी," मोदी ने जोर दिया।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिनकी संख्या दस लाख से अधिक है तथा भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है तथा कई भारतीय कंपनियां कुवैत में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कुवैत इंवेस्टमेंट अथॉरिटी ने भारत में पर्याप्त निवेश किया है और अब भारत में निवेश करने में रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर एक दूसरे के हितों के प्रति अच्छी समझ विकसित हुई है।

मोदी ने दावा किया कि उनका देश वर्तमान में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, क्योंकि एक दशक से भी कम समय में यह विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तथा शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

उनका मानना था कि यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए अपार अवसर पैदा करती है और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की गति असाधारण है, चाहे वह एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, एनर्जी ग्रिड हो या डिजिटल कनेक्टिविटी हो।

उन्होंने कहा, "पिछले दशक में, हमने अपने एयरपोर्ट्स की संख्या 2014 के 70 से बढ़ाकर 2024 में 150 से अधिक कर दी है। अगले पांच वर्षों में, 31 भारतीय शहरों में मेट्रो ट्रांसपोर्ट सिस्टम की सुविधा होगी। एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट संस्थानों की संख्या भी 2014 से दोगुनी हो गई है, जो ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट पर मजबूत ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है। यह एक फेवरेबल डेमोग्राफी और अत्यधिक स्किल्ड वर्कफोर्स द्वारा समर्थित है।"

उन्होंने कहा, "डिजिटल अर्थव्यवस्था और सेवाएं उत्पादकता बढ़ा रही हैं, दक्षता ला रही हैं और नई उपभोक्ता मांग पैदा कर रही हैं। वैश्विक डिजिटल भुगतानों में से लगभग पचास प्रतिशत भारत में हो रहे हैं। ड्रोन से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, टेक्नोलॉजी भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल रही है।"

उन्होंने कहा, "हमारी राजनीतिक स्थिरता, पॉलिसी प्रेडिक्टेबिलिटी और रिफॉर्म-ओरिएंटेड बिज़नेस अप्रोच ने भारत को वैश्विक निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई-चेन के लिए एक आकर्षण बना दिया है। भारत की ग्रोथ स्टोरी; सेमीकंडक्टर, विमान, ड्रोन से लेकर ई-व्हीकल तक वैश्विक निर्माताओं को देश में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रही है।"

उन्होंने कहा कि भारत का डायनमिक इकोनॉमिक एनवायर्नमेंट; इनोवेशन और उद्यमशीलता पर आधारित है, जिसमें स्टार्ट-अप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिससे घरेलू विकास और निर्यात विस्तार दोनों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग द्वारा प्रेरित बढ़ती उपभोक्ता मांग भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता को और अधिक रेखांकित करती है।

उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अगर कोई ऐसा देश है जो तेजी से विकास कर रहा है, जहां कारोबार करना आसान हो रहा है, तथा जहां अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए स्थिरता और पारदर्शिता है, तो वह भारत है।"

परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है और यह कुवैती निवेशकों के लिए कोई नया बाजार नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "कई कुवैती कारोबार हैं जो भारतीय बिजनेस इकोसिस्टम में गहराई से जुड़े हुए हैं और अपने संबंधित उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति का आनंद ले रहे हैं। हमारी निवेशक-अनुकूल व्यवस्था और उच्च-विकास अर्थव्यवस्था कई और लोगों का स्वागत करने के लिए तत्पर है।" 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने के अपने सरकार के विजन के बारे में उन्होंने कहा: "हमारा और 140 करोड़ भारतीयों का विजन 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखना है, जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होंगे। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सभी क्षेत्रों में विकास को गति देने का प्रयास कर रहे हैं।" हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां फिजिकल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर विश्व स्तर का हो और सभी नागरिकों को उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिले।" उन्होंने कहा, "हम हर भारतीय को तेज विकास की राह पर ले जाने के लिए अपने डेवलपमेंट साइकिल में छलांग लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके परिणाम सभी के सामने हैं। पिछले दस वर्षों में, हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सभी नियम और कानून वैश्विक मानकों के अनुसार हों, ताकि निवेशकों को घर जैसा महसूस हो।"

मोदी ने आगे कहा: "इसी तरह, मुझे बताया गया है कि कुवैत विजन 2035 देश को इकोनॉमिक और कनेक्टिविटी हब बनाकर देश के परिवर्तन पर केंद्रित है। मैं यह भी समझता हूं कि एयरपोर्ट टर्मिनल से लेकर बंदरगाह, रेल लिंक, बिजली ट्रांसमिशन, रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।" हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के विजन में बहुत तालमेल है जो कई मोर्चों पर संरेखित है क्योंकि दोनों देशों में आर्थिक गतिविधि की जबरदस्त गति दोनों सरकारों और कंपनियों के लिए सहयोग और सहभागिता के बड़े अवसर खोलती है।

उन्होंने बताया कि कुवैत और भारत के बीच पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र साझेदारी के अलावा एजुकेशन, स्किल, टेक्नोलॉजी और रक्षा सहयोग सहित कई क्षेत्रों में व्यापक साझेदारी है।

उन्होंने कहा, "कई भारतीय कंपनियां पहले से ही कुवैत में विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगी हुई हैं। इसी तरह, हम भारत में कुवैती कंपनियों से निवेश देख रहे हैं। यह सही मायनों में पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी है।"

भारत की सॉफ्ट पावर किस प्रकार उसके वैश्विक विस्तार को प्रभावित कर सकती है, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के सभ्यतागत लोकाचार और विरासत इसकी सॉफ्ट पावर की नींव हैं, तथा इसकी सॉफ्ट पावर, विशेष रूप से पिछले दशक में, इसकी विस्तारित वैश्विक उपस्थिति के साथ-साथ काफी बढ़ी है।

उन्होंने कहा, "कुवैत और खाड़ी में भारतीय फिल्में इस सांस्कृतिक संबंध का एक प्रमुख उदाहरण हैं। हमने देखा है कि कुवैत के लोगों में भारतीय सिनेमा के प्रति विशेष लगाव है। मुझे बताया गया है कि कुवैत टेलीविजन पर भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं पर तीन साप्ताहिक शो प्रसारित होते हैं।"

मोदी ने जोर देते हुए कहा, "इसी तरह, हम अपने भोजन और खान-पान परंपराओं में कई विशेषताएं साझा करते हैं। सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण भाषाई समानताएं और साझा शब्दावली भी विकसित हुई है। भारत की विविधता और शांति, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व पर जोर कुवैत के बहुसांस्कृतिक समाज के मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। हाल ही में, एक कुवैती विद्वान ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच जीवंत सेतु का काम करता है तथा भारतीय दर्शन, संगीत और प्रदर्शन कलाओं के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देता है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष कुवैत के नेशनल रेडियो द्वारा 'नमस्ते कुवैत' शीर्षक से साप्ताहिक हिंदी भाषा का कार्यक्रम शुरू किया गया है।

भारत का पर्यटन क्षेत्र सॉफ्ट पावर का एक और आयाम प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ आगंतुक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों के साथ, भारत इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि कुवैत जैसे समाज के लिए, जिसके साथ भारत का समृद्ध ऐतिहासिक संबंध है, भारत के पर्यटन अवसर साझा सांस्कृतिक संबंधों को तलाशने और उन्हें गहरा करने का निमंत्रण हैं।

उन्होंने भारतीय समुदाय के संरक्षण और उनके कल्याण और भलाई का ध्यान रखने के लिए महामहिम अमीर और कुवैत सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि कुवैत में रहने वाले भारतीय, जो सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं, ने डॉक्टर, व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, इंजीनियर, नर्स और अन्य पेशेवरों के रूप में कुवैत के विकास में बहुत योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम कुवैत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाएंगे, मेरा मानना है कि भारतीय समुदाय की भूमिका का महत्व और बढ़ेगा। मुझे विश्वास है कि कुवैती अधिकारी इस जीवंत समुदाय के अपार योगदान को पहचानेंगे और प्रोत्साहन तथा समर्थन प्रदान करना जारी रखेंगे।"

कुवैती-भारतीय ऊर्जा संबंधों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा द्विपक्षीय साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने अनुमान लगाया कि पिछले वर्ष व्यापार आदान-प्रदान 10 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जो इस साझेदारी के गहरे विश्वास और पारस्परिक लाभ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "दोनों देश लगातार ऊर्जा क्षेत्र में शीर्ष दस व्यापारिक साझेदारों में शुमार हैं। भारतीय कंपनियां कुवैत से कच्चे तेल, एलपीजी और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जबकि कुवैत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करती हैं। वर्तमान में, कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा क्रूड ऑइल सप्लायर और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी सप्लायर है।"

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तेल उपभोक्ता और एलपीजी उपभोक्ता बनकर उभर रहा है तथा कुवैत के पास वैश्विक तेल भंडार का लगभग 6.5 प्रतिशत है, इसलिए आगे सहयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश संपूर्ण तेल और गैस वैल्यू चेन में अवसरों की खोज करके अपने पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक हाइड्रोकार्बन व्यापार के अलावा, सहयोग के लिए अनेक नए क्षेत्र मौजूद हैं, जिनमें तेल और गैस की संपूर्ण वैल्यू चेन, साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजीज जैसे लो-कार्बन सॉल्यूशंस में संयुक्त प्रयास शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि पेट्रोकेमिकल क्षेत्र सहयोग के लिए एक और आशाजनक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग 2025 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि कुवैत के पेट्रोकेमिकल विजन के तहत 2040 की रणनीति, सह-निवेश, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और म्युचुअल ग्रोथ के लिए द्वार खोल सकती है।

उन्होंने भारत और कुवैत के बीच ऊर्जा साझेदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल आर्थिक संबंधों का एक स्तंभ है, बल्कि डायवर्सिफायड और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक इंजन भी है, जो साझा समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।

GCC-भारत संबंधों के संबंध में उन्होंने GCC की सराहना करते हुए कहा कि एक सामूहिक इकाई के रूप में भारत के लिए इसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों तथा साझा मूल्यों पर आधारित हैं तथा ये संबंध मजबूत हुए हैं एवं विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि GCC क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का लगभग छठा हिस्सा है तथा यहां लगभग एक तिहाई भारतीय रहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 90 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रह रहे हैं, जो सभी छह GCC देशों में एक महत्वपूर्ण समुदाय का गठन करते हैं तथा उनके आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सितम्बर में विदेश मंत्रियों के स्तर पर सामरिक वार्ता के लिए पहली भारत-GCC जॉइंट मिनिस्टिरियल मीटिंग रियाद में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में राजनीतिक वार्ता, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा, परिवहन तथा संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-GCC जॉइंट एक्शन प्लान को अपनाया गया था।

भारत की वैश्विक भूमिका, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: "भारत को ग्लोबल साउथ की ओर से बोलने का सौभाग्य प्राप्त है। हम अपने साथी विकासशील देशों के साथ बहुत कुछ साझा करते हैं - इतिहास से लेकर हमारे लोगों की आकांक्षाओं तक। इसलिए हम न केवल उनकी चिंताओं को समझते हैं, बल्कि उन्हें महसूस भी करते हैं। जारी संघर्षों और खाद्य, ईंधन और उर्वरक की परिणामी चुनौतियों ने ग्लोबल साउथ को बुरी तरह प्रभावित किया है। वे क्लाइमेट-चेंज का भी असमान रूप से खामियाजा भुगत रहे हैं।

उन्होंने अपने देश को ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय विकास साझेदार, उनके और अन्य लोगों के लिए संकट के समय फर्स्ट रिस्पोंडर, क्लाइमेट-एक्शन में अग्रणी तथा समावेशी ग्रोथ एवं डेवलपमेंट का समर्थक बताया।

उन्होंने आगे कहा: "जब हमने G20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज दी। हमने लोगों की जरूरतों को बढ़ाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए 3 वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट्स की मेजबानी की। हमें गर्व है कि नई दिल्ली समिट में अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थायी सदस्य बना। यह ग्लोबल साउथ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, और हमारे लिए गौरव का क्षण है।" क्षेत्रीय और वैश्विक संघर्षों, मुख्य रूप से गाजा और यूक्रेन के संबंध में, मोदी ने कहा कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है, उन्होंने मतभेदों को दूर करने और बातचीत के माध्यम से समाधान प्राप्त करने के लिए हितधारकों के बीच ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव के महत्व पर बल दिया।

इस संदर्भ में, उन्होंने उन गंभीर प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे शांति की शीघ्र बहाली हो सके, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन में।

मानवीय पक्ष पर, उन्होंने कहा कि उनके देश ने पिछले महीने गाजा को 70 टन मानवीय सहायता, लगभग 65 टन दवाइयाँ भेजीं, इसके अलावा पिछले दो वर्षों में UNRWA को 10 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई।

मोदी ने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की दिशा में बातचीत के माध्यम से टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।

एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी पहल पर मोदी ने कहा: "हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट-चेंज से अधिक गंभीर कोई चुनौती नहीं है। हमारी पृथ्वी पर दबाव है। हमें तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है और ऐसी कार्रवाई जिसमें संपूर्ण वैश्विक समुदाय शामिल हो। कोई भी इसे अकेले नहीं कर सकता। हमें एक साथ आना होगा।"

उन्होंने कहा, "भारत सभी देशों को साथ लाकर प्रो-प्लेनेट एक्शन को बढ़ावा देना चाहता है। तमाम ग्रीन ग्लोबल इनीशिएटिव्स को आगे बढ़ाने के पीछे यही विचार है।"

उन्होंने भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन इनीशिएटिव्स को सभी देशों के लिए क्लाइमेट-चेंज से सामूहिक रूप से निपटने, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने, आपदा प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने के लिए मंच के रूप में माना।

स्रोत: KUNA