महात्मा गांधी का एक बेहद प्रसिद्ध कथन है - धरती के पास इतना है कि वह मनुष्य की जरूरत को पूरा कर सके, पर इतना नहीं कि मनुष्य के लालच को संतुष्ट कर सके।
आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। पूरी दुनिया पेरिस में नवंबर 2015 के दौरान ‘कॉप-21’ सम्मेलन के लिए साथ आई। ताकि आगे कोई रास्ता तलाशा जा सके।
श्री मोदी ने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर हमेशा एक स्वच्छ और हरी-भरी धरती बनाने की बात की, जहां धरती के संसाधनों का उपयोग मानवता के विकास के लिए हो।
उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए सीधे अपनी निगरानी में एक जलवायु परिवर्तन विभाग बनाया। रिन्यूएबल एनर्जी और ऊर्जा की बचत पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इन क्षेत्रों में फोकस जारी है। सभी को 24 घंटे बिजली देने के लिए केंद्र सरकार की योजना के तहत वैकल्पिक और रिन्यूएबल एनर्जी के साथ ही एलईडी बल्ब जैसी चीजों पर भी ध्यान दिया गया है।
‘कॉप21’ सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने ‘जलवायु न्याय’ के विचार का उल्लेख किया। इसमें दुनिया के सभी देशों से जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए योगदान करने का आह्वान किया गया। इस सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल सोलर एलायंस की घोषणा की। ये उन सभी देशों का एक विशाल गठजोड़ था, जिन्हें सौर ऊर्जा की अपार क्षमता का वरदान प्राप्त है। सम्मेलन के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद ने उनकी किताब ‘कन्वीनिएंट एक्शन’ का अनावरण भी किया।
भारत जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने और ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों का उपयोग करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे हमारी धरती की सेहत में सुधार होगा और हमारी वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा।