मानव सभ्यता का इतिहास नदियों और समुद्री व्यापार के दीर्घकालिक संबंधों को दर्शाता है: प्रधानमंत्री मोदी
रो-रो नौका सेवा हमारे गौरवशाली इतिहास को वापस लाएगी और सौराष्ट को दक्षिण गुजरात से जोड़ेगी: पीएम मोदी
पिछले तीन वर्षों में, गुजरात के विकास को काफी महत्व दिया गया है: प्रधानमंत्री मोदी
गुजरात में एक लंबा समुद्र तट है, तटीय बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कदम उठाए गए हैं: पीएम मोदी

यहां उपस्थित विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों, 

आप सबको दीपावली और नवीन वर्ष की शुभकामनाओं के साथ, अभी हम लोगों ने भाई दूज का त्‍यौहार मनाया नागपंचमी के त्‍यौहार का इंतजार कर रहे हैं और नये संकल्‍प के साथ, नये भारत, नये गुजरात के निर्माण की दिशा में आज एक अनमोल उपहार घोघा की धरती से पूरे हिन्‍दुस्‍तान को मिल रहा है। आज घोघा दहेज के बीच Ro-Ro ferry service का प्रथम चरण का शुभारंभ किया जा रहा है। ये भारत में अपनी तरह का पहला project है। यही दक्षिण पूर्वी एशिया का भी ये इतना बड़ा पहला project है। मैं गुजरात के लोगों को, यहां की सरकार को, 650 करोड़ रूपयों का ये project, अनेक आधुनिक तकनीक के साथ परिपूर्ण करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। इस project की शुरूआत के साथ साढ़े छ: करोड़ गुजरातियों का एक बहुत बड़ा सपना पूरा हुआ है। भाईयो बहनो 

अभी इस मंच से मुझे सर्वोत्‍तम डेयरी cattle feed plant के उद्घाटन का भी अवसर मिला है। 

मेरे प्‍यारे भाईयो बहनों, एक विवाद का विषय है। क्‍या? मनुष्‍य जात ने सबसे पहले तैरना सीखा था कि पहिया बनाना सीखा था। कोई तय नहीं कर पाता था कि पहले पहिया बना कि पहले इंसान तैरना सीखा। लेकिन ये सही है कि मानव जात सदियों से तैर कर नांव से नदी पार करना उसने हमेशा सरल माना, आसान माना। गुजरात के हजारों साल का सामुद्रिक यात्रा का इतिहास रहा है। नांव बनती यहां थी। नाव लेकर दुनिया में जाकर लोगों की परंपरा थी। लोथल 84 देशों के झंडे यहां पर फहरते थे। फलफी यूनिवर्सिटी 1700 साल पहले अनेक देशों के बच्‍चे हमारे यहां फलफी यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। लेकिन पता नहीं क्‍या हुआ सब कुछ इतिहस की तरह नीचे जमीन में दब गया। वो भी तो एक जमाना था। 

भाईयो बहनों, आज का ये programme, आज का ये प्रारंभ घोघा, भावनगर, गुजरात के समुद्र तक के वो पुराने भव्‍य दिवसों को वापिस लाने का अवसर है। घोघा-दहेज के बीच से फेरी सर्विस सवा सौ दक्षिण गुजरात के करोड़ो लोगों की जिंदगी को न सिर्फ आसान बनाएगी बल्कि उन्‍हें और निकट ले आएगी। जिस सफर में 7-8 घंटे लगते थे। वो सफर एक सवा घंटे में पूरा किया जा सकेगा। हमारे यहां कहा जाता है सबसे मुल्‍यवान चीज समय होता है। time is money ये कहा जाता है। आज दुनिया में कोई 24 घंटे के, 25 घंटे नहीं कर सकता है। लेकिन ये भारत सरकार और गुजरात सरकार है कि आपके 24 घंटों में से एक घंटे की सफर करके, सात घंटे की सौगात दे सकता है। एक study कहती है कि सामान को ले जाने में अगर सड़क के रास्‍ते डेढ़ रूपये का खर्च होता है, तो उतना ही सामान ले जाने के लिए रेल के जरिये एक रूपया लगता है, लेकिन वही सामान अगर हम जलमार्ग से ले जाएं तो सिर्फ 20-25 पैसे में ले जा सकते हैं। आप सोच सकते हैं कि आपका कितना समय बचने जा रहा है। देश का कितना पेट्रोल डीजल बचने वाला है। वरना लाखों लीटर इंधन तो जब ट्रेफिक जाम हो जाता है, वहीं पर बरबाद हो जाता है। 

भाईयो और बहनों, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के बीच हर रोज लगभग 12 हजार लोग यात्रा करते हैं। पांच हजार से ज्‍यादा गाड़ियाँ हर रोज इन दो क्षेत्रों को connect करने के लिए सड़कों पर दौड़ती हैं। जब यही connectivity सड़क के बजाय समुद्र से होगी, तो 307 किलोमीटर की दूरी 31 किलोमीटर में बदल जाएगी। एक फेरी अपने साथ 500 से ज्‍यादा लोग, 100 के लगभग कारें, 100 के करीब ट्रकें ये अपने साथ लेकर के जा सकती है। साथियों जब ट्रेफिक का बड़ा हिस्‍सा इस फेरी सर्विस पर निर्भर हो जाएगा। या जब अपनी-अपनी गाड़ियाँ इधर से उधर ले जाएंगे। तो इसका प्रभाव दिल्‍ली और मुंबई को connect करने वाले रास्‍तों पर भी पड़ने वाला है। गुजरात के सबसे ज्‍यादा औद्योगिकरण वाले क्षेत्र जैसे दहेज, बड़ोदरा और उसके आस-पास के मार्गों पर गाडि़यों की संख्‍या कम होगी, गाडि़यों की रफ्तार बढ़ेगी और तेजी यहां के पूरे economy system को top-gear में ले जाएगी। 

साथियों, हम पुरानी approach के साथ नए नतीजे प्राप्‍त नहीं कर सकते हैं। न ही पुरानी सोच के साथ नए प्रयोग किए जा सकते हैं। Ghogha-Dahej Ro-Ro ferry service इसका भी बहुत बड़ा उदाहरण है। 

मैं जब मुख्‍यमंत्री बना और खोज खबर ली इस पर चर्चा की, तो कई दशकों से होकर रहे थे। लेकिन ये योजना पता नहीं किस कोने में पड़ी थी। अब जब मैं इसमें जाने लगा आगे बढ़ने लगा। मेरे आने के बाद मैं चाहता था तुरंत शुरू हो, आप हैरान हो जाएंगे कि सरकार ने ऐसी structural गलतियां की थी कि कभी Ro-Ro ferry service हो ही नहीं सकता। पुराने जमाने में क्‍या काम किया था इन्‍होंने? समस्‍या ये थी कि जिसे ferry चलानी थी, उसी से आग्रह किया जाता था कि तुम भी टर्मिनल बनाओ। क्‍या मुझे बताइये, रोड के उपर कोई बस दौड़ाता है, तो बस वाले को हम कहते हैं कि रोड बनाओं, बस वाले को कहते हैं कि बस स्‍टेशन बनाओ! एयर पोर्ट पर विमान आता है क्‍या मैं विमान वाले को कहता हूं कि एयरपोर्ट बनाओ? एयरपोर्ट सरकार बनाती हैं, बस स्‍टेशन सरकार बनाती हैं, रोड सरकार बनाती हैं। उस पर दौड़ने के लिए private लोग व्‍यापार के लिए आते हैं। Ro-Ro ferry service में उन्‍होंने कह दिया एक Jetty बनानी है, उसका पोर्ट बनाना है, आपको करना है तो करो ये समुद्र का किनारा है, ये पानी है आगे बढ़ो। कौन बढ़ेगा भाई? आखिरकर हमनें नीतिया बदली, पुरानी सरकारों के इस approach को हमने बदल दिया। हमने तय किया कि ferry service के लिए टर्मिनल बनाने का काम सरकार करेगी। टर्मिनल बन जाने के बाद उसका संचालन और ferry चलाने का काम private agency को दिया जाएगा। यहां के ‘रब’ समुद्र क्षेत्र में तलहाटी में जमीन मिट्टी भी बड़ी समस्‍या होती है। इस वजह से ferry को किनारे तक आने में दिक्‍कत होती है। बदली हुई रणनीति के तहत सरकार ने भी तय किया कि मिट्टी निकालने के लिए पत्‍थर हटाने के लिए dredging का काम भी, सरकार उसका खर्चा उठाएगी। हमने ये भी व्‍यवस्‍था बनाई कि इस सर्विस के बाद private agency को जो लाभ होगा, उसमें सरकार की भी भागीदारी होगी। ये नई रणनीति सफल रही। और इसी का परिणाम है कि Ghogha-Dahej के बीच Ro-Ro ferry service प्रारंभ हो रही है।

2012 में मैं आया था। इसका शिलान्‍यास मैंने किया था। लेकिन तब समुद्र में कुछ काम करना है। तो हम जरा भारत सरकार पर dependent रहते थे। और भारत सरकार में ऐसे लोग बैठे थे उस समय, जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था। वापी लेकर के कच्‍छ के मांडवी तक गुजरात के समुद्री तट पर विकास पर पूरा प्रतिबंध लगा दिया गया। हमारी सारी industries को पर्यावरण के नाम पर ताले लगाने की धमकियां दी गईं थी। मैं जानता हूं कितनी कठिनाईयों से हमने गुजरात को आगे बढ़ाने में सफलता पाई थी। लेकिन जब दिल्‍ली में आप सबने मुझे सेवा करने का मौका दिया एक के बाद एक समस्‍याएं सुलझती गईं। और आज Ro-Ro ferry service 

का लोकार्पण करने का प्रथम चरण का और ये project कठिन था। वरूण देव जी हमारी परीक्षा लेते रहे। लेकिन इतिहास गवाह है जब सेतू के निर्माण में किसी तरह की बाधा आई तो समुद्र मंथन में से ही अमृत भी निकल कर आया। 

साथियों आज हमें वरूण देव की आर्शीवाद से ये अमृत मिला है। जो जलसेतू मिला है। मैं शीश झुकाकर के ये कामना करता हूं कि वरूण देव का आर्शीवाद हमेशा की तरह गुजरात के लोगों के साथ रहे। और आज जब हम आज ये Ro-Ro ferry service का प्रारंभ कर रहे हैं तब, मैं वीर मोखरा जी दादा को भी नमन करता हूं। और जैसे मेरे मछुवारे भाई बहन वीर मोखरा जी दादा को नरियल कराके करके आगे बढ़ते हैं। मैं भी उनकी परंपरा का आज पालन करूंगा। और वीर मोखरा जी के आर्शीवाद से हमारी यात्रियों की सुरक्षा बनी रहे। भावनगर और सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात के हिस्‍से की तरह आगे बढ़ जाएं, इतनी प्रगति हो और वीर मोखरा जी के आर्शीवाद हम पर बने रहेंगे, ये मुझे पूरा विश्‍वास है। 

ये project इंजीनियरों और गुजरात सरकार दोनों के लिए ही एक बहुत बड़ी चुनौती था। इसलिए जो भी लोग इस परियोजना से जुड़े हैं, वे सब के सब बधाई के पात्र हैं। 

भाईयो और बहनों, गुजरात में देश का सबसे बड़ा sea front उपलब्‍ध है। 1600 किलोमीटर से भी ज्‍यदा हमारा समुद्री तट है। सैंकड़ों वर्षों से गुजरात अपनी शक्ति और सामर्थ्‍य से पुरी दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचता रहा है। लोथल पोर्ट से निकली जानकारियां आज भी बड़े-बड़े marine experts को अचभिंत करती है। जिस जगह पर हम सभी उपस्थित हैं, वहां पर सैंकड़ों वर्षों से दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों से जहाज आते रहे हैं। इस समुद्र को विरासत समझते हुए, देखते हुए मैं उसी समय से गुजरात में port led development की बात कर रहा हूं। जब आपने मुझे मुख्‍यमंत्री के पद पर बिठाया। इसी को ध्‍यान में रखते हुए हमने गुजरात के coastal इलाके में Infrastructure और Development के दूसरे projects पर विशेष ध्‍यान दिया। हमने Ship-Building इसकी नई policy बनाई, Ship Building Park बनाए। Special Economic Zones में छोटे पोर्ट को बढ़ावा दिया जाए। Ship-breaking के नियमों में भी बढ़े बदलाव किए गए। सरकार ने Specialized Terminals के निर्माण पर भी विशेष जोर लगाया, जैसे दहेज में Solid Cargo, Chemical और LNG Terminal, मुंद्रा में Coal Terminal ऐसे Specialized Terminals से गुजरात के port-sector को एक नई दिशा, नई ऊर्जा और नई चेतना प्राप्‍त हुई है। 

इसके साथ ही सरकार ने Vessel Traffic Management System और Ground Breaking Connectivity Project को भी विशेष रूप से बढ़ावा दिया। सरकार आने वाले दिनों में Maritime University बनाने और लोथल में Maritime Museum बनाने पर भी बहुत विस्‍तार से काम इन दिनों चल रहा है। इन सारे कार्यों के साथ ही यहां रहने वाले मेरे मछुवारे भाई बंघु और स्‍थानिय लोगों का विकास हो, इसके लिए सागर-खेड़ू विकास कार्यक्रम जैसी योजनाएं भी हम लगातार चला रहे हैं। इसी बात पर भी जोर दिया कि Shipping Industry में स्‍थानिय युवाओं को प्रशिक्षित करके उन्‍हें ही रोजगार दिया जाएगा। 

उनकी शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, पीने के पानी, बिजली के साथ ही हमने Coastal Social Security का भी पूरा infrastructure तैयार किया। 

भाईयो और बहनों, अभी हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री आए थे। उस समय हमने जापान के साथ Shipping Sector को लेकर के एक महत्‍वपूर्ण समझौता किया। इस समझौते के तहत जापान सरकार और वहां की एक वित्‍तीय संस्‍था JAICA, Alang shipyard में up-gradation के लिए उसके modernization के लिए हमें वित्‍तीय सहयोग देंगे, हमें धन देंगे। इसके लिए वो तैयार हुए हैं। 

साथियों, सरकार भावनगर से Alang-Sosiya Ship Recycling Yard तक के लिए एक alternative road भी उस पर भी काम कर रही है। एशिया के सबसे बड़े Ship Recycling Yard में 15 से 25 हजार कर्मचारी काम करते हैं। Alang-Sosiya Ship Recycling Yard भावनगर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। अभी जो route उस पर काफी जाम की कितनी दिक्‍कत रहती है। मुझे लगता है वो मुझे बताने की जरूरत नहीं है। सरकर ने ये तय किया है Alang-Sosiya Ship Recycling Yard और मअुवा, पीपावाओ और जाफराबाद, वैरावल को जोड़ने वाला जो एक वैकिल्‍पक रूट है उसे चौड़ा किया जाएगा, upgrade किया जाएगा। भविष्‍य में Alang Yard की क्षमता भी बढ़ने जा रही है और उसे देखते हुए बीच सड़क का आधुनिकीकरण आवश्‍यक हो गया है। इस रूट से Ghogha-Dahej ferry service के लिए आ रही गाडि़यों को भी फायदा होने वाला है। 

साथियों, सरकार के लगातार प्रयास का नतीजा है कि गुजरात के coastal आज इतनी तेजी से विकस हो रहा है। आज गुजरात पूरे देश में छोटे पोर्ट के जरिए होने वाले कुल cargo की आवाजाही का 32 प्रतिशत अकेला गुजरात handle करता है। यानि एक तिहाई गुजरात में होता है। इतना ही नहीं इस काम में पिछले 15 वर्षों में गुना बढ़ोतरी हुई है। मुझे उम्‍मीद है कि जिस तरह पिछले 15 साल में गुजरात ने अपने ports की क्षमता को भी चार गुना बढ़ाया है, cargo handling की रफ्तार भी और तेज होगी।

भाईयो और बहनों, गुजरात मार्ग की दृष्टि से बहुत ही strategic location पर है। यहां से दुनियां के किसी भी भू-भाग तक समुद्री मार्ग से पहुंचना बहुत ही आसान, सस्‍ता और सरल रास्‍ता है। हमें गुजरात की शक्ति का भरपूर फायदा उठाना चाहिए। गुजरात का maritime development भी पूरे देश के लिए एक model है। मुझे उम्‍मीद है कि Ro-Ro ferry service का पूरा project भी दूसरे राज्‍यों के लिए भी एक model project की तरह काम करेगा। 

हमनें जिस तरह बरसों की मेहनत के बाद इस तरह के project में आने वाली दिक्‍कतों को समझा है, उन्‍हें दूर किया है। वो दिक्‍कतें कम से कम इसे दोहराने वालों राज्‍यों को कभी नहीं आएगी। इस ferry service से पूरे क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक विकास का एक नया दौर शुरू होगा। रोजगार के हजारों नये अवसर बनेगें। Coastal Shipping और Coastal Tourism का भी नया अध्‍याय आरंभ होगा। आने वाले दिनों में जब दिल्‍ली और मुबंई के बीच Dedicated Freight Corridor बन जाएगा और साथ ही दिल्‍ली-मुबंई Industrial Corridor का काम पूरा हो जाएगा तो इस सर्विस समेत गुजरात से जुड़े समुद्री मार्ग का महात्‍मय भी कई गुना बढ़ जाएगा। ये project अहमदाबाद और भावनगर के बीच के इलाकों में औद्योगिक विकास को एक करने के लिए बनाए गये Dholera special investment region (SIR) को भी एक नई मजबूती देने वाला है। Dholera SIR भारत ही नहीं विश्‍व के नक्‍शे पर विकसित होने वाला ये सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र होने वाला है। इससे लाखों लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर बनेगें। गुजरात सरकार के प्रयास से Dholera में infrastructure से जुड़े काम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। कुछ ही वर्षों में Dholera पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाएगा और उसमें एक ही भूमि का, Ghogha -Dahej ferry service का भी योगदान होगा। 

साथियों, भविष्‍य में हम इस ferry service को ये सिर्फ Ghogha-Dahej तक रूकने वाला नहीं है। भविष्‍य में हम इस ferry service को हम हजीरा, पीपावाओ, जाफराबाद, दमन-द्वीप इन सभी जगह पर जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ने वाले हैं मुझे बताया गया है। कि सरकार की तैयारी आने वाले वर्षों में इस ferry service को सूरत से आगे हजीरा और फिर मुंबई तक ले जाने के लिए भी चल रही है। कच्‍छ की खाड़ी में भी इसी तरह का project शुरू किए जाने की चर्चा अभी प्राथमिक स्‍तर पर चल रही है। मुझे बताया गया है। कि कच्‍छ के वायु और जामनगर के rozi बंदर के बीच ऐसी सेवा शुरू करने के लिए pre-feasibilty report already तैयार हो चुकी है। इतना ही नहीं जब ferry service का इस्‍तेमाल बढ़ेगा तो तमाम उद्योगों को नर्मदा नदी के माध्‍यम से भी connect किया जा सकता है। 

साथियों, भारत की विशाल समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है। निवेश की बड़ी संभावनाओं से भरी हुई है। मेरा मानना रहा है कि हमारे समुद्री तट देश की प्रगति के gateway हैं। भारत की समृद्धि के प्रवेश द्वार हमारे बंदर होते हैं। लेकिन बीते दशकों में केंद्रीय स्‍तर से इन पर कम ही ध्‍यान दिया गया। देश का shipping और port sector भी लंबे समय तक उपेक्षित रहा। इस sector को सुधारने के लिए उसे आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने सागरमाला कार्यक्रम भी शुरू किया है। 

सागरमाला परियोजना के तहत देश में मौजूदा ports उसका modernization और नये पोर्ट के development का काम किया जा रहा है। सड़क रेलमार्ग Interstate-Waterways और Coastal Transport को integrated किया जा रहा है। ये परियोजना Coastal Transport के जरिये माल ढुलाई को बढ़ाने में बहुत अहम भूमिका निभा रही है। 

साथियों, सरकार के प्रयासों का ये नतीजा है कि पिछले तीन वर्षों में Port Sector में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। और अभी तक का सबसे ज्‍यादा capacity addition पिछले दो या तीन वर्ष में हुआ है। जो port और सरकारी कंपनिया घाटे में चल रही थी, उनमें भी परिस्थिति बदल रही है। सरकार का ध्‍यान coastal service से जुड़ी skill development पर भी है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले सागरमाला project से आने वाले समय में एक करोड़ जितनी नई नौकरियों के हिन्‍दुस्‍तान में अवसर पैदा हो सकते हैं। हम इस approach के साथ काम कर रहे हैं कि transportation का पूरा framework आधुनिक और integrated हो। 

हमारे देश में transport नीतियों में जो असंतुलन था, उसे भी दूर किया जा रहा है। ये असंतुलन इतना ज्‍यादा था वो आप इसी से समझ सकते हैं कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे यहां सिर्फ पांच National Waterways थे। water transport में इतना सस्‍ता होना और देश की नदियों का जल होने का बावजूद इसे नजरअंदाज कर दिया गया। अब इस सरकार ने 106 National Waterways का गठन किया गया है। और इस पर तेजी से काम चल रहा है। इस National Waterways की कुल लंबाई 17000 किलोमीटर से भी ज्‍यादा है। ये Waterways देश के transport sector देश के असंतुलन को देर करने में बहुत मददगार साबित हुई है। 

हमारी सामुद्रिक संपदा हमारे ग्रामीण और समुद्री तट को एक नया आयाम दे सकती है। मछुआरे भाई इस संपदा का पूरा इस्‍तेमाल कर पाएं इसके लिए सरकार ने Blue Revolution Scheme को शुरू किया है। उन्‍हें आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए मछली पकड़ने और मछली पालन में value-addition के बारे में सिखाया जा रहा है। 

Blue Revolution Scheme के अंतर्गत आज मछुआरों को Longliner trollers के लिए आर्थिक मदद देने की भी योजना बनाई है। एक vessel पर केंद्र सरकार की तरफ से चालीस लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी। Longliner trollers का ने सिर्फ मछुआरों की जिंदगी आसान बनाएगें बल्कि वो उनके कारोबार को भी नई आर्थिक मजबूती देंगे। अभी जिस तरह ये trollers का इस्‍तेमाल किया जाता है, वो कम पानी में मछली पकड़ने के काम आते हैं। तकनीक के मामले में भी ये बहुत पुराने हैं risky हैं। इसलिए जब इन पुराने trollers को लेकर के वे समुद्र जाते हैं तो अक्‍सर रास्‍ता भटक जाते हैं। उन्‍हीं पता तक नहीं चलता कि भारत की समुद्री सीमा छोड़कर, दूसरे देश की समुद्र सीमा में पहुंच गये। इसके बाद मछुआरों को कई तरह की दिक्‍कत उठानी पड़ती है। तकनीक का ज्‍यादा से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करके हम इन दिक्‍कतों को कम कर सकते हैं और इसलिए हमने ये Longliner trollers की मदद से मछुआरे भाई समुद्र में सही दिशा में दूर तक गहरे पानी में मछली पकड़ने के लिए जा सके इसके सरकार मदद करने की योजना बनाई है। आधु‍निक Longliner trollers ईंधन के मामले में भी काफी किफायती होते हैं। यानि मछुआरों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ उनका व्‍यापार और मुनाफा दोनों बढ़ाएगें।

साथियों देश में infrastructure का विकास हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। पिछले तीन वर्षों में Highways, Railways, Waterways और Airways पर जितना निवेश किया गया है। उतना पहले इतने कम समय में कभी नहीं हुआ। इसके अलावा नई Aviation Policy बनाकर Regional Air Service को सुधारा जा रहा है। छोटे-छोटे हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। कुछ हफते पहले ही अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली देश की पहली बुलेट ट्रेन का भी काम शुरू किया जा चुका है। ये सारे प्रयास देश को इक्‍सवीं सदी के transport system देने का आधार बनेगें। एक ऐसा transport system जो New India की आवश्‍यकता हो New India की उम्‍मीदों के मुताबिक। साथियों आज यहां Ghogha से मैं ferry के माध्‍यम से ही दहेज़ तक जाऊंगा। मेरे साथ मेरे कुछ नन्‍हें साथी, दिव्‍यांग बच्‍चे भी होंगे। उनके चेहरे की खुशी ही मेरा पारिश्रमिक होगा। 

भाईयो-बहनों, से बचपन से जिस कार्य का सपना देखा था, वो पूरा होने के बाद मैंने ऐसा अनुभव किया इसकी कल्‍पना शायद कोई नहीं कर सकता है। बचपन में जिस बात को सुना था और हो नहीं रहा था, आज जब अपनी आंखों के सामने देख पर रहा हूं और खुद को उस काम को करने का मौका मिला, मैं समझता हूं कि मेरे जीवन का बहुत धन्य पल है। मैं इसे अपना सौभाग्‍य मानता हूं। दहेज मैं जाऊंगा अपने अनुभव वहां बाटूंगा। लेकिन मैं आज आपसे आग्रह करूंगा कि इस महत्‍वपूर्ण काम में आप हमारे साथ जुडि़ए और ये मानिए ये ferry service तो शुरूआत है, ये पहला चरण है। बाद में प्राइवेट कंपनिया आएंगी ढेर सारी फेरिया चलेंगी। रूट चलेंगे, tourism development होगा। और सूरत के हमारे धनी लोग इसको हम hire करके जन्‍म दिन मनाने के लिए भी समुद्र में जाएंगे। बहुत बड़ी विकास की संभावनाए हैं। और इसलिए मैंने कहा कि घोघा का भाग्‍य फिर एक बार बदलने वाला है। घोघा का भाग्‍य फिर एक बार बदल रहा है। और एक बार फिर आप सभी को Ghogha-Dahej Ro-Ro ferry service और सर्वोत्‍त्‍म डेयरी के cattle freed plant के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं। 

भारत माता की जय, 

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जय वीर मोखरा जी दादा 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।