The poor have the first right on resources: Narendra Modi

Published By : Admin | April 19, 2014 | 16:43 IST

Excerpts of Shri Narendra Modi’s interview to CNBC Awaaz

आइये देखते हैं कि CNBC आवाज़ संपादक संजय पुगलिया के सवालों का जवाब नरेंद्र मोदी ने किस तरह दिया है।

संजय पुगलियाः आपने देश की जनता से कहा है कि जो काम 60 साल में नहीं हुआ वो आप 60 महीनों में कर सकते हैं, क्या आप को नहीं लगता है कि आपने बहुत बड़े-बड़े कमिटमेंट कर दिए हैं और इन कामों को करने के लिए आपके सामने बहुत बड़ी चुनौती होगी?

नरेंद्र मोदी: देश की जनता की अपेक्षाएं बहुत हैं, मैं इससे सहमत हूं। अपेक्षाओं का मूल कारण ये है कि देश के सामान्य नागरिकों के सपने चूर चूर हो गए हैं। इन दिनों मैं सारे देश में भ्रमण करता हूं और मैं पहले भी करता था। शायद हिंदुस्तान के इतिहास में मैं अकेला राजनीतिज्ञ हूं जिसे देश के 400 जिलों में जाने और बातचीत करने का सौभाग्य मिला है। हालांकि पिछले 12-15 सालों में मैं गुजरात की राजनीति में उलझा हुआ था। अब जब मैं दोबारा उन जिलों में गया हूं तो कोई ऐसा जिला नहीं है जिसने मुझे पीने के पानी की समस्या को लेकर शिकायत नहीं की हो। इस बात से मैं काफी परेशान हुआ कि क्या आजादी के बाद हम लोगों को पीने का पानी नहीं दे पाए हैं। ये बातें हैं जिसने लोगों की अपेक्षाएं काफी बढ़ा दीं हैं और मैं मानता हूं कि जनता का दबाव बना रहना चाहिए। देश में अच्छा करने, अच्छा पाने के लिए जनता का दबाव बना रहना चाहिए। इसी के बाद बाकी सब नेता और सरकारें जनता की भलाई करने का कदम उठाएंगे।

संजय पुगलियाः देश की स्थिति इस वक्त बहुत खराब है आपको लगातार काम करना होगा, आपकी टीम या कैबिनेट बनाने का आधार क्या होगा, खासकर आर्थिक मोर्चे पर काफी काम करना होगा, वहीं गठबंधन की राजनीति में कुछ काम दबाव के चलते नहीं हो पाते हैं तो आपकी सरकार का आधार क्या होगा और देश की आर्थिक स्थिति के लिए आपकी क्या योजना है?

नरेंद्र मोदी: संजय बारू की किताब मैनें पूरी नहीं पढ़ी है लेकिन जितनी भी पढ़ी है उसके आधार पर यही लगता है कि प्रधानमंत्री को छोटे-छोटे दलों की बजाए एक परिवार का दबाव बहुत था। दूसरी बात है कि गठबंधन की सरकार हो या ना हो, या पूर्ण बहुमत वाली सरकार हो, सरकार को क्षेत्रीय परिस्थितियों को समझना ही होगा। देश की सरकार को एक जगह से चलाने की जो प्रवृति है उसे बदलना होगा। प्रशासनिक दृष्टि से देखें तो एक समय में कांग्रेस की केंद्र और राज्यों दोनों जगह सरकारें होती थी। लेकिन बाद में समय बदला और राज्यों में अलग पार्टियों की सरकारें आईं जिसे कांग्रेस ने ठीक नहीं समझा। इसके कारण राज्यों में माहौल बिगड़ गया। केंद्र में बैठने वाली सरकार की सोच होनी चाहिए-टीम इंडिया। पहली बार देश की राजनीति के केंद्र में ऐसा व्यक्ति आया है जिसे राज्य चलाने का लंबा अनुभव है और केंद्र से उसे क्या दिक्कतें होती हैं, राज्यों की क्या समस्याएं हैं उसे वो समझता है। टीम इंडिया का मतलब है राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री। इस टीम के काम करने के बाद आप देखिए देश कितनी जल्दी बदलना शुरू हो जाएगा।

संजय पुगलियाः ये एक बहुत नया सुझाव है और बहुत इस पर चर्चा कर रहे हैं कि ये कैसे होगा? क्या आप एक पॉलिटिकल बॉडी बनाएंगे जो इस टीम इंडिया का हिस्सा होगी? क्या इसके फैसले केंद्रीय मंत्रिमंडल लागू करेगा? क्या आप इसको एक राजनीतिक परामर्श दल बनाएंगे?

नरेंद्र मोदी: आजकल देश में संवाद और संचार ही नहीं हो रहा है, शासन में चिट्ठी-पत्री के जरिए काम हो रहा है। जो टीम इंडिया का मॉडल हम सोच रहे हैं ये एक पारिवारिक माहौल होगा जिसमें सब मिलकर अपने अपने सुझाव रखेंगे। सभी राज्य और केंद्र मिलकर हम एक परिवार हैं। केंद्र कोई आदेश दे दे और राज्य इसे मानें, सत्ता का केवल एक केंद्र बन जाए, इस तरह की संस्कृति अब नहीं चलेगी।

संजय पुगलियाः क्या आप गठबंधन की राजनीति के दबाव में आकर महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे आर्थिक मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय के ऊपर कोई समझौता करेंगे?

नरेंद्र मोदीः कौन सा मंत्रालय किस पार्टी के पास जाएगा, इस के विषय में अभी चर्चा करना बहुत जल्दबाजी होगी। अभी मंत्रालयों पर चर्चा करना ठीक नहीं। भाजपा के मेनिफेस्टो के मुताबिक क्या सोचा गया है, इसे जानना चाहिए। भारत के विकास में रेलवे विभाग बहुत महत्वपूर्ण पहलू है, हमने रेलवे को केवल पैसेंजर सेवा का माध्यम मान लिया है। हमें रेलवे को देश का ग्रोथ इंजन बनाना होगा। रेलवे की ऐसी व्यवस्था है जो राज्य और केंद्र के विकास को जोड़ने का बड़ा माध्यम बन सकता है। इस विभाग पर कई पार्टियों के दबाव रहते हैं। रेलवे में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। रेलवे को टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन की आवश्यकता है। अगर हम सुपर कंप्यूटर की मदद से रेलवे के नेटवर्क का इस्तेमाल कर पाएं तो हम विश्व को बहुत बड़ी ताकत दे सकते हैं।

संजय पुगलियाः इसी पर लोगों को संदेह है कि क्या बीजेपी के पास इस तरह के काम करने के लिए पर्याप्त अनुभवी लोगों की टीम है, बीजेपी को इस तरह के काम करने के लिए बाहर से भी लोग लेने होंगें?

नरेंद्र मोदीः भाजपा की जहां भी सरकार हैं वहां सर्वश्रेष्ठ काम किया गया है, एनडीए की सरकार ने शानदार काम किया है। वास्तव में काम करने का कमिटमेंट होना चाहिए, लोगों में काम करने की इच्छा होनी चाहिए, नया काम सीखना मुश्किल नहीं है।

संजय पुगलियाः  तो क्या आप प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए नए विभाग बनाएंगे और नए लोगों को सरकार में लाएंगे? नए मंत्रियों और नए विभाग की जरूरत पड़ेगी?

नरेंद्र मोदीः सरकार को वनडे की तर्ज पर काम करना होगा, गुजरात में हमने सिंगल विंडो क्लियरेंस के आधार पर काम किया है। गुजरात में वनडे गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग किया है, टेक्नोलॉजी से तैयार 225 सेंटर बनाए गए हैं जहां कोई भी व्यक्ति सुबह अपना काम लेकर आता है और शाम को उसका काम हो जाता है।

संजय पुगलियाः तुरंत सरकार बनने के बाद आप रुके हुए प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी देंगे, क्या बैंकों के एनपीए सुधारने का काम करेंगे, क्या नाकाबिल प्रमोटरों को बाहर करेंगे, फ्यूल लिंकेज के लिए कोल इंडिया के काम करने का तरीक बदल पाएंगे? क्या इस लिटमस टेस्ट को आपकी सरकार पास कर पाएगी?

नरेंद्र मोदीः देश के लिए जो काम करना होगा, उसमें कोई राजनीतिक दबाव बीच में नहीं आएगा और यही मेरी पहचान है। कोल इंडिया को क्या हम प्रोफेशनलाइज नहीं कर सकते हैं? आराम से कर सकते हैं। जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री बनकर आया तो गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड भारी घाटे में चल रहा था, लेकिन मैंनें इस तरह का प्रोफेशनल मैनेजमेंट बनाया और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन किया कि आज वो मुनाफे में है और 24 घंटे बिजली देता है। कंपनी की एफिशिएंसी भी बढ़ गई है। कोल इंडिया के मामले में भी ऐसा हो सकता है और मुझे इन मामलों का अच्छा अनुभव है।

संजय पुगलियाः भारत की राजनीति में क्रोनिलिज्म का शब्द सुनते हैं, यही सबसे बड़ा क्रोनिलिज्म पीएसयू कंपनियों के मामले में सुनते हैं, तो क्या आप कुछ बड़े संस्थानों का प्राइवेटाइजेशन करेंगे या नहीं?

नरेंद्र मोदीः इस तरह के फैसले भी राजनीतिक नहीं होने चाहिए बल्कि प्रोफेशनल होने चाहिए। इसके लिए प्रोफेशनल राय लेनी चाहिए। आज भी जो डूबे हुए पीएसयू हैं, अगर उनके कर्मचारियों को विश्वास में लेकर उन्हें ताकत दी जाए तो वो प्राइवेट संस्थानों से बेहतर काम करके दिखा सकते हैं। पीएसयू के कर्मचारियों की योग्यता पर संदेह नहीं करना चाहिए और उन पर भरोसा करना चाहिए।

संजय पुगलियाः आपके मेनिफेस्टो में एफडीआई रिटेल पर दोबारा विचार करने की बात करना और जीएसटी के लिए कोई तय तारीख नहीं देना सवाल पैदा करता है। इसके लिए भाजपा में विरोध रहा है इस बारे में आप क्या कहेंगे?

नरेंद्र मोदीः भाजपा हमेसा जीएसटी के पक्ष में रही है। जब प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री थे तो जीएसटी पर मेरी उनसे चर्चा हुई है।  जीएसटी की सफलता का आधार, संसद में इसपर क्या कानून लाते हैं इस पर निर्भर नहीं है। जीएसटी की सफलता आईटी नेटवर्क को मजबूत बनाने पर निर्भर करती है। जब तक आईटी नेटवर्क को सुदृढ़ नहीं बनाया जाएगा, जीएसटी कारगर नहीं होगा। भारत सरकार अब तक ऐसा नहीं कर पाई है। इसके अलावा भारत सरकार को जीएसटी के मुददे पर राज्यों को विश्वास में लेना होगा जो अभी तक नहीं हुआ है। राज्यों को जीएसटी से नुकसान नहीं होना चाहिए। राज्यों को नुकसान पहुंचाकर कोई भी कानून लाना फायदा नहीं करेगा। जीएसटी की जरूरत है हम ये मानते हैं लेकिन इसकी प्रकिया के बारे में चर्चा होनी चाहिए।

संजय पुगलियाः आपकी सरकार का पहले 100 दिन का एजेंडा क्या होगा?

नरेंद्र मोदीः ये शॉर्टकट वाली राजनीति का हिस्सा है और मीडिया ट्रेडर इस तरह की बात करते हैं। सरकार चलाना एक गंभीर काम है और इसी गंभारता से करना चाहिए। सरकार को मीडिया पब्लिसिटी वाले फैसले नहीं लेने चाहिए। सरकार की काम की समीक्षा 5 साल में होनी चाहिए। 100 दिन, 1 महीना, 1 साल के आधार पर सरकार के काम का हिसाब किताब नहीं करना चाहिए। ये बहुत बड़ा देश है और यहां काम करने में वक्त लगता है।

संजय पुगलियाः क्या पीएमओ का स्वरूप बदलेगा और इसे और मजबूत बनाया जाएगा या कैबिनेट की स्थित और मजबूत होगी?

नरेंद्र मोदीः भारत जैसे देश में केवल एक ऑफिस के बल पर काम नहीं किए जा सकते हैं। काम करने के लिए सत्ता का केवल एक केंद्र नहीं होना चाहिए और सबको मिलजुलकर काम करना चाहिए। जिम्मेदारियां बांटने से ही काम की गति बढ़ेगी। मेरे 14 साल के गुजरात के शासनकाल में मुझे कभी सेक्रेटरी को फोन करने की जरूरत नहीं पड़ी है। राज्य में सिस्टम है, विभाग हैं, मंत्री है और अधिकारी हैं जो अपना काम अपने आप कर लेते हैं।

संजय पुगलियाः पार्टी में बुजुर्ग लोग मार्गदर्शन करें ये तो ठीक हैं लेकिन सरकार में काम करने के लिए बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं की जरूरत है, आप क्या सोचते हैं?

नरेंद्र मोदीः देश के बुजर्ग लोग बेकार नहीं हैं और देश को चलाने के लिए अनुभव और ऊर्जा दोनों की जरूरत होती है। इन बातों को इस आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए। देश समाज की सबकी शक्तियों के जरिए चलता है। कहीं अनुभव लगता है और कहीं शक्ति लगती है।

संजय पुगलियाः क्या हम ये माने कि आप ज्यादा से ज्यादा पैसे राज्यों के हाथ में देंगे और राज्यों को ज्यादा मजबूत बनाएंगे?

नरेंद्र मोदीः सरकार राज्यों को विश्वास में लेगी तभी अच्छी तरह काम होगा, देश में अभी भी 4 फीसदी से ज्यादा कृषि ग्रोथ नहीं है, तो क्या भारत सरकार कृषि करने जा सकती है। जो राज्य जिस क्षेत्र में अच्छे हैं उन्हें उस क्षेत्र में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। राज्यों को पैसे देने में लचीलापन जरूरी है, राज्य के पास अगर सड़क अच्छी है और उसको पानी के लिए पूंजी चाहिए तो ये प्रावधान होना चाहिए कि उन्हें एक मद का पैसा दूसरे के लिए दिया जा सके। राज्य की खूबी देखकर उन्हें मदद मिलनी चाहिए।

संजय पुगलियाः अमेरिका के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं हैं, आप इसको किस तरह सुधार पाएंगें?

नरेंद्र मोदीः ग्लोबलाइजेशन के बाद विश्व के हालात बदल चुके हैं, कूटनीति के मायने बदल चुके हैं। आज मुख्य रूप से व्यापार, वाणिज्य और तकनीकी सपोर्ट के आसपास वैश्विक संबंध ज्यादातर बन रहे हैं। भारत के विषय में भी जो सबसे अच्छा होगा उसके लिए विश्व के अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित किए जाएंगे।

संजय पुगलियाः सब्सिडी को जारी रखने का मुद्दा चुनाव जीतने के लिए तो ठीक है, आपने भी फूड सिक्योरिटी की बात कही है, गरीबों के नाम पर भारी-भरकम खर्च करना ठीक है लेकिन क्या इस पैसे को देश के विकास में नहीं लगाना चाहिए?

नरेंद्र मोदीः देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का है, हिंदुस्तान की तिजोरी पर गरीबों का हक है और हमेशा रहेगा। भाजपा की सोच ये है कि गरीबों और देश को गरीबी से बाहर निकाला जाए। सरकार की एप्रोच गरीब को गरीब रखने पर नहीं बल्कि सशक्त बनाने पर होगी। सरकार की नीतियां प्रो-पीपुल रहेंगी।

संजय पुगलियाः आपने मु्स्लिमों को अपनी तरफ रखने के लिए कई बयान दिए हैं, क्या आप चुनावों के इस दौर में मुस्लिमों को अपने साथ में रखने में कामयाब हो पाएंगे?

नरेंद्र मोदीः मैनें कभी जात-पात, धर्म-पंथ की राजनीति नहीं की है और आगे भी कभी नहीं करूंगा। पहले भी मैनें गुजरात में 6 करोड़ गुजराती के एक ही मंत्र पर काम किया है और अब 125 करोड़ भारतीयों के लिए मंत्र है। देश हिंदू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई के नाम पर राजनीति से तंग आ चुका है। अब देश में ऐसा नहीं चलेगा। अब युवा, किसान, गरीब, नौजवान, आरोग्य, शिक्षा, गरीब, गांव, शहर इसी तरह की बातों पर देश चलना चाहिए।

संजय पुगलियाः सोनिया गांधी अगर बुखारी से मिलती है तो उसे आपकी पार्टी राजनीति कहती है लेकिन राजनाथ सिंह कल्बे जव्वाद से मिले तो उसे सही ठहराती है, इस पर क्या कहना है?

नरेंद्र मोदीः हमने कभी किसी के मिलने पर आपत्ति नहीं उठाई। लेकिन उन्होंने कहा कि किसी खास धर्म को मिलकर किसी एक पार्टी के खिलाफ वोट करनी चाहिए इस पर भाजपा को आपत्ति है। लोकतंत्र में मिलना-जुलना जिम्मेवारी का हिस्सा है, इस पर कोई आपत्ति नहीं है। आप किस तरह का संदेश दे रहे हैं, ये महत्वपूर्ण है।

संजय पुगलियाः आप बनारस के मुस्लिम मतदाताओं से क्या कहेंगे?

नरेंद्र मोदीः मैं कभी भी किसी एक धर्म के नाम पर राजनीति करने का पाप नहीं करूंगा। मैं तोड़ने वाली राजनीति का शिकार नहीं होना चाहता, मुझे हार मंजूर है लेकिन वोट बैंक की राजनीति करना नहीं। मैं किसी भी जाति विशेष के लिए कुछ नहीं कहूंगा, जो कहूंगा देश के 125 करोड़ भारतीयों से कहूंगा। मुझे गुजरात में इसी आधार पर सफलता मिली है और भरोसा है कि देश में भी सफलता मिलेगी। मैं, हम सब एक हैं का मंत्र लेकर चलूंगा। हम सब देशवासी एक हैं और मैं कभी सेक्युलरिज्म की राजनीति नहीं करूंगा। सिर्फ अच्छा काम करने में मन लगा रहना चाहिए।

संजय पुगलियाः पहली बार मुसलमान बीजेपी को हराने के लिए तैयार बैठा है, ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में इस तरह की सोच नहीं होनी चाहिए लेकिन इस सच्चाई पर आपका क्या कहना है?

नरेंद्र मोदीः जो लोग इस तरह की राजनीति करते हैं वो करते रहें, मैं जिस लाइन पर काम करता हूं उस पर करता रहूंगा।

संजय पुगलियाः इस वक्त बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप में आप, राजनाथ सिंह और मोहन भागवत केंद्र में हैं, इस वक्तव्य पर आपका क्या कहना है?

नरेंद्र मोदीः जब जब कांग्रेस के बुरे दिन आते हैं वो इस तरह की बयानबाजी करती है और आरएसएस को गाली देने के लिए मैदान में उतर आती है। आरएसएस एक सांस्कृतिक, देश के लिए समर्पित संगठन है। विदेशी प्रभाव में रहने वाली न्यूज ट्रेडर्स ने आरएसएस के खिलाफ दुष्प्रचार किया है और आरएसएस का बहुत नुकसान किया है। आरएसएस देश के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने वाला संगठन है। आरएसएस के लोग अपना घरबार छोड़कर देश के उत्तरी-पूर्वी, दक्षिणी राज्यों में जाकर काम करते हैं। इस संगठन को सम्मान देना चाहिए। आरएसएस एक गैर सरकारी संगठन है जो देश के लिए अच्छा काम कर रहा है।

संजय पुगलियाः आपके बारे में कहा जा सकता है कि आप बीजेपी को आरएसएस के पास ले गए हैं, हाल ही में मैनें आरएसएस के एक नेता का इंटरव्यू किया जिन्होंने कहा कि 1977 के बाद आरएसएस पहली बार चुनावों में अभूतपूर्व ढंग से सक्रिय है। इस पर आप क्या कहेंगे?

नरेंद्र मोदीः आरएसएस के साथ चुनावों को लेकर कभी चर्चा नहीं हुई है। चुनाव को लेकर संघ से कभी कोई निर्देश नहीं आते हैं। हालांकि मैं आरएसएस से जुड़ा रहा हूं। मेरे जीवन पर आरआसएस का बहुत प्रभाव है। जीवन में संस्कार, स्वभाव, अनुशासन मेहनत करने की सीख आरएसएस से मिली है।

संजय पुगलियाः मीडिया को आप न्यूज ट्रेडर कहते हैं, इससे आपका क्या मतलब है और इसको आप कैसे समझाएंगे?

नरेंद्र मोदीः मैनें मीडिया पर कभी भी किसी तरह की टिप्पणी नहीं की है। जिस तरह से कोर्ट के संबंध में कुछ भी बोलो तो कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट होता है लेकिन मीडिया में किसी नेता को कुछ भी गलत कहा जाता है और अगर उसके खिलाफ कुछ कहा जाए तो बहुत बड़ा बवाल हो जाता है। ये एक तरह का आतंकवाद चल रहा है जिसपर रोकथाम होनी चाहिए। हम राजनीति में है जिसे इसे भुगतना पड़ता है।

संजय पुगलियाः जितनी मीडिया स्क्रूटनी आपकी हुई है उतनी किसी भी नेता की नहीं हुई है और इसीलिए आपने एक ऐसी व्यवस्था बना ली है जिससे आपको मीडिया की जरूरत नहीं है। इस पर आपको क्या कहना है?

नरेंद्र मोदीः मैं मानता हूं कि मीडिया लोकतत्रं की बहुत बड़ी ताकत है और मीडिया की ताकत बढ़नी चाहिए। राजनीति ने मीडिया की इस धरोहर को बहुत नुकसान पहुंचाई है। जिस तरह राजनीति को सुधारने का काम राजनीतिज्ञों का है उसी तरह मीडिया को सुधारने का काम भी मीडिया वाले लोग ही कर सकते हैं। मीडिया की क्रेडिबिलिटी कैसे बढ़े, मीडिया को खुद इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।

Courtesy: CNBC Awaaz

 

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ट्रेड और कॉमर्स; कुवैत और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं तथा दोनों तरफ से व्यापार बढ़ रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने KUNA को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ट्रेड और कॉमर्स हमारे द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है। हमारी एनर्जी पार्टनरशिप हमारे द्विपक्षीय व्यापार में यूनिक वैल्यू जोड़ती है।"

भारतीय प्रधानमंत्री शनिवार को कुवैत पहुंचे। यह चार दशक से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।

उन्होंने कहा, "हमें 'मेड इन इंडिया' उत्पादों, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी तथा टेलिकॉम क्षेत्रों में कुवैत में नई पैठ बनाते हुए देखकर खुशी हो रही है। भारत आज सबसे किफायती लागत पर विश्व स्तरीय उत्पादों का निर्माण कर रहा है। गैर-तेल व्यापार में विविधता लाना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की कुंजी है।"

उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल, हेल्थ, टेक्नोलॉजी, डिजिटल, इनोवेशन और टेक्सटाइल क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने व्यापार मंडलों, उद्यमियों और इनोवेटर्स से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक जुड़ें और बातचीत करें।

कुवैत की अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा: "मुझे कुवैत आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं महामहिम कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा को उनके सम्मानजनक निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं। यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।" उन्होंने कहा, "अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन में भाग लेने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं महामहिम को धन्यवाद देता हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं टूर्नामेंट की सफल मेजबानी के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कुवैत के बीच गहरा और ऐतिहासिक संबंध है तथा दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा गर्मजोशी से भरे और मैत्रीपूर्ण रहे हैं तथा इतिहास की धाराओं और विचारों एवं व्यापार के माध्यम से आदान-प्रदान ने लोगों को करीब और एक साथ लाया है।

मोदी ने कहा, "हम अनादि काल से एक-दूसरे के साथ व्यापार करते आ रहे हैं। फ़ैलाका द्वीप में हुई खोजें हमारे साझा अतीत की कहानी बयां करती हैं। भारतीय रुपया 1961 तक एक सदी से भी अधिक समय तक कुवैत में वैध मुद्रा था। यह दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं कितनी घनिष्ठ रूप से जुड़ी थीं।"

उन्होंने कहा कि भारत; कुवैत का स्वाभाविक व्यापारिक साझेदार रहा है और समकालीन समय में भी ऐसा ही बना हुआ है तथा सदियों से लोगों के बीच संबंधों ने दोनों देशों के बीच मित्रता के विशेष बंधन को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने कहा: "कुल मिलाकर, द्विपक्षीय संबंध अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और अगर मैं कहूँ तो, नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। मैं रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को बढ़ाने के लिए महामहिम अमीर के साथ अपनी बातचीत के लिए उत्सुक हूँ।" "हमारे ऐतिहासिक संबंधों की मजबूत जड़ें हमारी 21वीं सदी की साझेदारी के परिणामों से मेल खानी चाहिए - गतिशील, मजबूत और बहुआयामी। हमने साथ मिलकर बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारी साझेदारी के लिए संभावनाएं असीम हैं। मुझे यकीन है कि यह यात्रा इसे नए पंख देगी," मोदी ने जोर दिया।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिनकी संख्या दस लाख से अधिक है तथा भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है तथा कई भारतीय कंपनियां कुवैत में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कुवैत इंवेस्टमेंट अथॉरिटी ने भारत में पर्याप्त निवेश किया है और अब भारत में निवेश करने में रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर एक दूसरे के हितों के प्रति अच्छी समझ विकसित हुई है।

मोदी ने दावा किया कि उनका देश वर्तमान में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, क्योंकि एक दशक से भी कम समय में यह विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तथा शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

उनका मानना था कि यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए अपार अवसर पैदा करती है और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की गति असाधारण है, चाहे वह एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, एनर्जी ग्रिड हो या डिजिटल कनेक्टिविटी हो।

उन्होंने कहा, "पिछले दशक में, हमने अपने एयरपोर्ट्स की संख्या 2014 के 70 से बढ़ाकर 2024 में 150 से अधिक कर दी है। अगले पांच वर्षों में, 31 भारतीय शहरों में मेट्रो ट्रांसपोर्ट सिस्टम की सुविधा होगी। एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट संस्थानों की संख्या भी 2014 से दोगुनी हो गई है, जो ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट पर मजबूत ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है। यह एक फेवरेबल डेमोग्राफी और अत्यधिक स्किल्ड वर्कफोर्स द्वारा समर्थित है।"

उन्होंने कहा, "डिजिटल अर्थव्यवस्था और सेवाएं उत्पादकता बढ़ा रही हैं, दक्षता ला रही हैं और नई उपभोक्ता मांग पैदा कर रही हैं। वैश्विक डिजिटल भुगतानों में से लगभग पचास प्रतिशत भारत में हो रहे हैं। ड्रोन से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, टेक्नोलॉजी भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल रही है।"

उन्होंने कहा, "हमारी राजनीतिक स्थिरता, पॉलिसी प्रेडिक्टेबिलिटी और रिफॉर्म-ओरिएंटेड बिज़नेस अप्रोच ने भारत को वैश्विक निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई-चेन के लिए एक आकर्षण बना दिया है। भारत की ग्रोथ स्टोरी; सेमीकंडक्टर, विमान, ड्रोन से लेकर ई-व्हीकल तक वैश्विक निर्माताओं को देश में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रही है।"

उन्होंने कहा कि भारत का डायनमिक इकोनॉमिक एनवायर्नमेंट; इनोवेशन और उद्यमशीलता पर आधारित है, जिसमें स्टार्ट-अप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिससे घरेलू विकास और निर्यात विस्तार दोनों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग द्वारा प्रेरित बढ़ती उपभोक्ता मांग भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता को और अधिक रेखांकित करती है।

उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अगर कोई ऐसा देश है जो तेजी से विकास कर रहा है, जहां कारोबार करना आसान हो रहा है, तथा जहां अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए स्थिरता और पारदर्शिता है, तो वह भारत है।"

परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है और यह कुवैती निवेशकों के लिए कोई नया बाजार नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "कई कुवैती कारोबार हैं जो भारतीय बिजनेस इकोसिस्टम में गहराई से जुड़े हुए हैं और अपने संबंधित उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति का आनंद ले रहे हैं। हमारी निवेशक-अनुकूल व्यवस्था और उच्च-विकास अर्थव्यवस्था कई और लोगों का स्वागत करने के लिए तत्पर है।" 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने के अपने सरकार के विजन के बारे में उन्होंने कहा: "हमारा और 140 करोड़ भारतीयों का विजन 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखना है, जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होंगे। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सभी क्षेत्रों में विकास को गति देने का प्रयास कर रहे हैं।" हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां फिजिकल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर विश्व स्तर का हो और सभी नागरिकों को उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिले।" उन्होंने कहा, "हम हर भारतीय को तेज विकास की राह पर ले जाने के लिए अपने डेवलपमेंट साइकिल में छलांग लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके परिणाम सभी के सामने हैं। पिछले दस वर्षों में, हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सभी नियम और कानून वैश्विक मानकों के अनुसार हों, ताकि निवेशकों को घर जैसा महसूस हो।"

मोदी ने आगे कहा: "इसी तरह, मुझे बताया गया है कि कुवैत विजन 2035 देश को इकोनॉमिक और कनेक्टिविटी हब बनाकर देश के परिवर्तन पर केंद्रित है। मैं यह भी समझता हूं कि एयरपोर्ट टर्मिनल से लेकर बंदरगाह, रेल लिंक, बिजली ट्रांसमिशन, रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।" हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के विजन में बहुत तालमेल है जो कई मोर्चों पर संरेखित है क्योंकि दोनों देशों में आर्थिक गतिविधि की जबरदस्त गति दोनों सरकारों और कंपनियों के लिए सहयोग और सहभागिता के बड़े अवसर खोलती है।

उन्होंने बताया कि कुवैत और भारत के बीच पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र साझेदारी के अलावा एजुकेशन, स्किल, टेक्नोलॉजी और रक्षा सहयोग सहित कई क्षेत्रों में व्यापक साझेदारी है।

उन्होंने कहा, "कई भारतीय कंपनियां पहले से ही कुवैत में विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगी हुई हैं। इसी तरह, हम भारत में कुवैती कंपनियों से निवेश देख रहे हैं। यह सही मायनों में पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी है।"

भारत की सॉफ्ट पावर किस प्रकार उसके वैश्विक विस्तार को प्रभावित कर सकती है, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के सभ्यतागत लोकाचार और विरासत इसकी सॉफ्ट पावर की नींव हैं, तथा इसकी सॉफ्ट पावर, विशेष रूप से पिछले दशक में, इसकी विस्तारित वैश्विक उपस्थिति के साथ-साथ काफी बढ़ी है।

उन्होंने कहा, "कुवैत और खाड़ी में भारतीय फिल्में इस सांस्कृतिक संबंध का एक प्रमुख उदाहरण हैं। हमने देखा है कि कुवैत के लोगों में भारतीय सिनेमा के प्रति विशेष लगाव है। मुझे बताया गया है कि कुवैत टेलीविजन पर भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं पर तीन साप्ताहिक शो प्रसारित होते हैं।"

मोदी ने जोर देते हुए कहा, "इसी तरह, हम अपने भोजन और खान-पान परंपराओं में कई विशेषताएं साझा करते हैं। सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण भाषाई समानताएं और साझा शब्दावली भी विकसित हुई है। भारत की विविधता और शांति, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व पर जोर कुवैत के बहुसांस्कृतिक समाज के मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। हाल ही में, एक कुवैती विद्वान ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच जीवंत सेतु का काम करता है तथा भारतीय दर्शन, संगीत और प्रदर्शन कलाओं के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देता है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष कुवैत के नेशनल रेडियो द्वारा 'नमस्ते कुवैत' शीर्षक से साप्ताहिक हिंदी भाषा का कार्यक्रम शुरू किया गया है।

भारत का पर्यटन क्षेत्र सॉफ्ट पावर का एक और आयाम प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ आगंतुक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों के साथ, भारत इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि कुवैत जैसे समाज के लिए, जिसके साथ भारत का समृद्ध ऐतिहासिक संबंध है, भारत के पर्यटन अवसर साझा सांस्कृतिक संबंधों को तलाशने और उन्हें गहरा करने का निमंत्रण हैं।

उन्होंने भारतीय समुदाय के संरक्षण और उनके कल्याण और भलाई का ध्यान रखने के लिए महामहिम अमीर और कुवैत सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि कुवैत में रहने वाले भारतीय, जो सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं, ने डॉक्टर, व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, इंजीनियर, नर्स और अन्य पेशेवरों के रूप में कुवैत के विकास में बहुत योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम कुवैत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाएंगे, मेरा मानना है कि भारतीय समुदाय की भूमिका का महत्व और बढ़ेगा। मुझे विश्वास है कि कुवैती अधिकारी इस जीवंत समुदाय के अपार योगदान को पहचानेंगे और प्रोत्साहन तथा समर्थन प्रदान करना जारी रखेंगे।"

कुवैती-भारतीय ऊर्जा संबंधों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा द्विपक्षीय साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने अनुमान लगाया कि पिछले वर्ष व्यापार आदान-प्रदान 10 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जो इस साझेदारी के गहरे विश्वास और पारस्परिक लाभ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "दोनों देश लगातार ऊर्जा क्षेत्र में शीर्ष दस व्यापारिक साझेदारों में शुमार हैं। भारतीय कंपनियां कुवैत से कच्चे तेल, एलपीजी और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जबकि कुवैत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करती हैं। वर्तमान में, कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा क्रूड ऑइल सप्लायर और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी सप्लायर है।"

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तेल उपभोक्ता और एलपीजी उपभोक्ता बनकर उभर रहा है तथा कुवैत के पास वैश्विक तेल भंडार का लगभग 6.5 प्रतिशत है, इसलिए आगे सहयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश संपूर्ण तेल और गैस वैल्यू चेन में अवसरों की खोज करके अपने पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक हाइड्रोकार्बन व्यापार के अलावा, सहयोग के लिए अनेक नए क्षेत्र मौजूद हैं, जिनमें तेल और गैस की संपूर्ण वैल्यू चेन, साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजीज जैसे लो-कार्बन सॉल्यूशंस में संयुक्त प्रयास शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि पेट्रोकेमिकल क्षेत्र सहयोग के लिए एक और आशाजनक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग 2025 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि कुवैत के पेट्रोकेमिकल विजन के तहत 2040 की रणनीति, सह-निवेश, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और म्युचुअल ग्रोथ के लिए द्वार खोल सकती है।

उन्होंने भारत और कुवैत के बीच ऊर्जा साझेदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल आर्थिक संबंधों का एक स्तंभ है, बल्कि डायवर्सिफायड और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक इंजन भी है, जो साझा समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।

GCC-भारत संबंधों के संबंध में उन्होंने GCC की सराहना करते हुए कहा कि एक सामूहिक इकाई के रूप में भारत के लिए इसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों तथा साझा मूल्यों पर आधारित हैं तथा ये संबंध मजबूत हुए हैं एवं विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि GCC क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का लगभग छठा हिस्सा है तथा यहां लगभग एक तिहाई भारतीय रहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 90 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रह रहे हैं, जो सभी छह GCC देशों में एक महत्वपूर्ण समुदाय का गठन करते हैं तथा उनके आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सितम्बर में विदेश मंत्रियों के स्तर पर सामरिक वार्ता के लिए पहली भारत-GCC जॉइंट मिनिस्टिरियल मीटिंग रियाद में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में राजनीतिक वार्ता, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा, परिवहन तथा संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-GCC जॉइंट एक्शन प्लान को अपनाया गया था।

भारत की वैश्विक भूमिका, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: "भारत को ग्लोबल साउथ की ओर से बोलने का सौभाग्य प्राप्त है। हम अपने साथी विकासशील देशों के साथ बहुत कुछ साझा करते हैं - इतिहास से लेकर हमारे लोगों की आकांक्षाओं तक। इसलिए हम न केवल उनकी चिंताओं को समझते हैं, बल्कि उन्हें महसूस भी करते हैं। जारी संघर्षों और खाद्य, ईंधन और उर्वरक की परिणामी चुनौतियों ने ग्लोबल साउथ को बुरी तरह प्रभावित किया है। वे क्लाइमेट-चेंज का भी असमान रूप से खामियाजा भुगत रहे हैं।

उन्होंने अपने देश को ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय विकास साझेदार, उनके और अन्य लोगों के लिए संकट के समय फर्स्ट रिस्पोंडर, क्लाइमेट-एक्शन में अग्रणी तथा समावेशी ग्रोथ एवं डेवलपमेंट का समर्थक बताया।

उन्होंने आगे कहा: "जब हमने G20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज दी। हमने लोगों की जरूरतों को बढ़ाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए 3 वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट्स की मेजबानी की। हमें गर्व है कि नई दिल्ली समिट में अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थायी सदस्य बना। यह ग्लोबल साउथ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, और हमारे लिए गौरव का क्षण है।" क्षेत्रीय और वैश्विक संघर्षों, मुख्य रूप से गाजा और यूक्रेन के संबंध में, मोदी ने कहा कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है, उन्होंने मतभेदों को दूर करने और बातचीत के माध्यम से समाधान प्राप्त करने के लिए हितधारकों के बीच ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव के महत्व पर बल दिया।

इस संदर्भ में, उन्होंने उन गंभीर प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे शांति की शीघ्र बहाली हो सके, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन में।

मानवीय पक्ष पर, उन्होंने कहा कि उनके देश ने पिछले महीने गाजा को 70 टन मानवीय सहायता, लगभग 65 टन दवाइयाँ भेजीं, इसके अलावा पिछले दो वर्षों में UNRWA को 10 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई।

मोदी ने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की दिशा में बातचीत के माध्यम से टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।

एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी पहल पर मोदी ने कहा: "हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट-चेंज से अधिक गंभीर कोई चुनौती नहीं है। हमारी पृथ्वी पर दबाव है। हमें तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है और ऐसी कार्रवाई जिसमें संपूर्ण वैश्विक समुदाय शामिल हो। कोई भी इसे अकेले नहीं कर सकता। हमें एक साथ आना होगा।"

उन्होंने कहा, "भारत सभी देशों को साथ लाकर प्रो-प्लेनेट एक्शन को बढ़ावा देना चाहता है। तमाम ग्रीन ग्लोबल इनीशिएटिव्स को आगे बढ़ाने के पीछे यही विचार है।"

उन्होंने भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन इनीशिएटिव्स को सभी देशों के लिए क्लाइमेट-चेंज से सामूहिक रूप से निपटने, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने, आपदा प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने के लिए मंच के रूप में माना।

स्रोत: KUNA