भारतीय समुदाय ने भारत-ओमान संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है: प्रधानमंत्री मोदी 
मुझे वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में उद्घाटन संबोधन के लिए बुलाया गया, इससे विश्व में भारत के बढ़ते कद का पता चलता है: पीएम मोदी 
His Majesty Sultan का भी भारत से अभिन्न नाता है, आज इतनी बड़ी संख्या में आप सब से मुखातिब होने के लिए His Majesty Sultan के नाम पर स्टेडियम में मेरी मौजूदगी एक विशेष महत्व रखती है: प्रधानमंत्री 
एक राष्ट्र के रूप में हम परिवर्तन में विश्वास रखते हैं, देश के अलग-अलग कोनों से आए हुए भारतीय, अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय एक भाव तस्वीर का निर्माण कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी 
हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’ में विश्वास करने वाले लोग हैं: पीएम मोदी 
सरकार कानूनें बनाती हैं, हमने 1400-1450 कानून खत्म कर दिया है, जिन कानूनों की जरूरत नहीं है उसे हमने खत्म कर दिया है: प्रधानमंत्री 
देश में अब 21वीं सदी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

इतनी विशाल संख्‍या में आए हुए यहां पधारे हुए मेरे प्‍यारे देशवासियों आप सबको बहुत-बहुत नमस्‍कार। 

ये हमारे देश की कितनी बड़ी शक्ति है कि अगर मैं सिर्फ नमस्‍कार अपने यहां की अलग-अलग भाषाओं और बोलियों में करने लगूं तो घंटे निकल जाएंगे। यह विविधता पूरी दुनिया में और किसी देश में नहीं मिलेगी।

आज मैं मेरे सामने भारत के बाहर ओमान की धरती पर एक मिनी इंडिया देख रहा हूं। देश के अलग-अलग कोनों से आए हुए भारतीय,  अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय, एक भव्‍य तस्‍वीर का निर्माण आज मैं हमारी आखों के सामने देख रहा हूं।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए भारत माता की ...जय, भारत माता की ....जय, भारत माता की.... जय। वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।

भाइयों और बहनों यह मेरी ओमान की पहली यात्रा है। दो घंटे पहले मैं यहां दुबई से आपके बीच आया हूं। आपने शायद टीवी में देखा होगा वहां मुझे World Government Summit में UAE के राष्‍ट्रपति के निमंत्रण पर Main Guest के रूप में Technology or Development के विषय पर Inaugural address देने का सौभाग्‍य मिला। यह सिर्फ किसी एक कार्यक्रम में भाषण देने तक का सीमित विषय नहीं है। ये घटना अपने आप में भारत की प्रगति का सम्‍मान है। जो आज दुनिया सम्‍मान दे रही है। अधिकृत दौरा मेरा आज हो रहा है लेकिन दस साल पहले जब मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री था तो मुख्‍यमंत्री के तौर पर मेरी अफ्रीका की यात्रा थी और इसी दौरान मैं Salalah से होकर गुजरा था। कुछ समय वहां रूका था और उस समय जो लोग मुझे वहां मिले थे उन सबसे आज फिर मुझे मिलने का सौभागय मिला। एक लंबे अरसे से ओमान आने का, आपके बीच आने का, आपसे मिलने का मेरा मन करता था लेकिन वो अवसर आज आया है।

ओमान सरकार को ओमान प्रशासन को उन व्‍यवस्‍थाओं के लिए मैं अंत:करण पूर्वक धन्‍यवाद देता हूं। साथियों भारत और ओमान के बीच संबंध सैंकड़ों हजारों वर्ष पुराने हैं। पांच हजार साल पहले भी गुजरात के लोथल पोर्ट से लकड़ी के जहाज ओमान तक आते थे...और लौटते समय ये जहाज लोथल से भी आगे दक्षिण की तरफ भारत के समुद्री तटों से होते हुए श्रीलंका तक जाते थे। इन हजारों वर्षों में व्यवस्थाएं बदल गई। भारत में गुलामी का एक लंबा कालखंड आया लेकिन हमारे सदियों पुराने व्‍यापारिक और आत्मीय संबंध वैसे ही बने रहे। भारत की आजादी के बाद दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक और आर्थिक और सामाजिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए institution विकसित हुए। भारत के हमारे हिन्‍दुस्‍तान में जो मध्‍य देश प्रांत हैं वहां जो बीना refinery है वो बीना  refinery ओमान के सहयोग से चल रही है। वहीं भारतीय कंपनियों के डेढ़ हजार से ज्‍यादा Joint ventures यहां ओमान में काम कर रहे हैं। ओमान की प्रगति और विकास में भारत और भारत के सभी होनहार हमारे एक प्रकार से राष्‍ट्रदूत। यह आप सबकी भागीदरी रही है। सरकार की तरफ से तो एक राजदूत होता है लेकिन देश की तरफ से यहां पर लाखों राष्‍ट्रदूत ओमान में बैठे हुए हैं। आपने देखा होगा कि पिछले तीन साल से हम किस प्रकार एक नीति बनाकर खाड़ी के देशों के साथ भारत के पुराने और दोस्‍ती भरे रिश्‍तों को आज के समय के मुताबिक एक नया जामा पहना रहे हैं। एक नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। अनेक आयामों के साथ जोड़ रहे हैं। आपने ये भी गौर किया होगा कि भारत की बढ़ती हुई प्रगति और साथ के साथ-साथ खाड़ी देशों की भारत में रूचि दिन-ब-दिन बढ़ती चली जा रही है। ये आप लोग अनुभव करते हैं कि नहीं करते। आप लोग अनुभव करते हैं। चारों तरफ इसकी गूंज सुनाई दे रही है। Energy हो व्‍यापार हो, Investment हो, हर क्षेत्र में खाड़ी देशों और भारत के बीच संबंध अपने आप में और भी महत्‍वपूर्ण होते जा रहे हैं। जाहिर सी बात है कि ओमान के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों में भी एक नई Momentum आ आई है, एक नई गति आई है, एक नई ऊर्जा आई है। औमान भौगोलिक रूप से भारत का खाड़ी क्षेत्र में सबसे निकटतम हमारा पड़ोसी  है। और ये हमारा सौभाग्‍य है कि राज परिवार के भारत के साथ बहुत ही आत्मीय  और पुराना संबंध रहा है। His Majesty Sultan का भी भारत से अभिन्‍न नाता रहा है।

आज इतनी बड़ी संख्‍या में आप सबसे मुखातिब होने के लिए His Majesty Sultan  के नाम पर Stadium में मेरी मौजूदगी एक विशेष महत्‍व की घटना है। ये इस बात का भी प्रतीक है कि स्‍वयं His Majesty Sultan  और ओमान भारत और भारतीयों के साथ कितनी आत्मीयता रखते हैं। इस निहायत Special Gesture के लिए हम उनके बहुत-बहुत, बहुत कृतज्ञ है।

आपसे बातचीत के बाद मैं His Majesty से मिलने जा रहा हूं। और मैं उन्‍हें उनके स्‍वास्‍थ्‍य और लंबी आयु के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से, मेरी तरफ से, आप सबकी तरफ से शुभकामनाएं दूंगा। और मैं उनसे कहूंगा कि मेरे आने का मकसद हमारे दोनों देशों के बीच मित्रता को और भी मजबूत बनाना है। आप सबको ओमान में आज घर जैसा माहौल मिलता है। और वो ऐसे ही नहीं मिल रहा है। आपको यहां घर जैसा जो माहौल मिलता है वह यहां के लोगों, और यहां के नेतृत्‍व के उन मूल्‍यों के निशान हैं जिनको हम भारत में विविधता और सहअस्तिव के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण मानते हैं।

ओमान में रहने वाले मेरे करीब 8 लाख भाई बहन ये भारत के Goodwill Ambassador है। आपने ओमान के विकास के लिए अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है, अपना पसीना बहाया है, अपनी जवानी यहां खपा दी है। और मुझे खुशी है कि ओमान की सरकार भी आपके अथाह परिश्रम का पूरा सम्‍मान करती है।

भाइयों और बहनों हम भारतीयों का सामाजिक संस्‍कार ऐसा है कि हम हर समाज में आसानी से जगह बना लेते हैं। यही होता है न? जैसे दूध में शक्‍कर मिले तो मिल जाते हैं न? और दूध मीठा कर देते हैं। ये हमारे संस्‍कार है, ये हमारा स्‍वभाव है और ये हमें विरासत में मिला है। क्‍योंकि हम वसुधैव-कटुम्‍बकम यानि जो पूरे विश्‍व को एक परिवार मानकर के चलने वाले लोग है। समय और समाज के अनुकूल ढल जाना हमारे आचरण, हमारी परंपराओं, हमारे रीति-रिवाज इन सबको संभालते हुए हर किसी का आदर करना, हर परंपरा का सम्‍मान करना, यही तो भारत की विशेषता है र्और आप यहां भारत से दूर उन संस्‍कारों से उनको जीकर के यहां के सामान्‍य जीवन के दिलों को जीतने का एक अभूतपूर्व काम कर रहे हैं और इसलिए आप बधाई के पात्र हैं।

यही वजह है कि दुनिया का नक्‍शा भले बदल गया हो। बड़े-बड़े देश खत्‍म गए हों लेकिन भारत आज भी पूरी बुलंदी के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है। रास्‍ता कितना ही कठिन हो, हालात कितने ही मुश्किल हों, हम वो लोग हैं जिन्‍हें संकटों से निकलना आता है। परिर्वतन के लिए बदलाव के लिए हमारे भीतर की जो छटपटाहट है हर निराशा से हमें आशा और उमंग के साथ बाहर निकलना ये हमारी रगों में है, ये हमार जज्‍बा है।

भाईयों और बहनों आज हर भारतीय न्‍यू इंडिया, न्‍यू इंडिया के संकल्‍प को पूरा करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ है। दिन-रात काम कर रहा है। और ओमान में बैठे हुए आप लोग, हिन्‍दुस्‍तान में कोई अच्‍छी घटना घटे तो यहां आप लोगों की खुशियों को कोई पार नहीं होता है। आप खुशी से समाये नहीं रहते हैं। और एक-आध बुरी घटना पता चले तो आप लोग कितने बैचेन हो जाते हैं यही हम लोगों की विशेषता है- अपनापन।

हम एक ऐसे भारत के निर्माण की तरफ बढ़ रहे हैं जहां गरीब से गरीब व्‍यक्ति को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिले। जहां गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी सपने देख सके। उन सपनों को पूरा करने की आशा जगे। उन सपनों को पूरा करने के लिए पुरूषार्थ का उसको रास्‍ता मिले। जरूरत पड़े वहां कोई उंगुली पकड़ कर चलाने वाला मिले। और इसी भूमिका से सवा सौ करोड़ देशावासियों को साथ लेकर के आज देश प्रगति के पथ पर पहले से कहीं अधिक गुना ताकत से, गति से न्यू इंडिया के सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहा है।

Minimum Government, Maximum Governance इस मंत्र के साथ हम देश के आम नागरिक की जिंदगी को आसान बनाने के लिए Ease of living के लिए अनेक काम कर रहे हैं। प्रकियाओं को सरल बनाना, अनावश्‍यक कानूनों को खत्‍म करना, सरकारी दफ्तर में 40-50 पेज के फार्म को 4-5 पेज के फार्म पर ले आना, उन्‍हें Online भरने की व्‍यवस्‍था बनाना, लोगों की शिकायतों को गंभीरता से सुना जाना, उन पर Action लेना इन सारे कार्यों को हमनें सरकार के Culture में शामिल करने के लिए भरपूर प्रयास किया है।

सरकार तो वही है, लोग वही हैं, वही Bureaucracy है, वही साधन है, वहीं संसाधन है, वही फाइल है, वही बाबू है, सबकुछ वही है लेकिन नतीजे कुछ और आ रहे हैं। बदलाव महसूस होने लगा है। बदले हुए भारत में आज गरीब से गरीब भी उसको बैंकों से दुत्कार कर नहीं भगाया जा सकता है। बदले हुए भारत में अब सरकार घर पर जाकर के, सामने से जाकर के, गरीब विधवा के घर तक जाकर के उसको गैस का कनेक्‍शन दे रही है। जिसके घर में आज भी अंधेरा है। उन घरों को ढूंढकर के मुफ्त में बिजली कनेक्‍शन देने का अभियान आज सरकार चला रही है।

आज देश में... और आप ओमान वालों को थोड़ा, मोदी जी ऐसा कैसे हो सकता है। आप विश्‍वास नहीं करेंगे। Insurance शब्‍द सुनते ही ऐसा लगता था कि ये तो अमीरों का काम है ये तो बड़े-बड़े लोगों के साथ जुड़ा हुआ विषय है। आज दिल्‍ली में ऐसी सरकार आपने काम करने का अवसर दिया है कि गरीबों को सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और दूसरी योजना है। कि 1 रूपया महीना के प्रीमियम पर जीवन और सुरक्षा बीमा दिया जा रहा है। 90 पैसे, मैं चाय वाला हूं। इसलिए मुझे मालूम है कि चाय भी नहीं आती 90 पैसे में। इन बीमा योजनाओं के तहत जिन परिवारों का बीमा था और उनके परिवार में कोई आपत्ति आई तो आपको जानकर के संतोष होगा कि गरीबों के प्रति संवेदनशील सरकार जब होती है और योजना ऐसी बनाती है तो उसका परिणाम क्‍या होता है कि गरीब के परिवार में कोई संकट आया, कोई मुसीबत आई तो Insurance वाले थे। ऐसे परिवारों को ज्‍यादा समय नहीं हुआ है। मुश्किल से एक साल हुआ है। करीब-करीब दो हजार करोड़ रूपये उसके Claim राशि ऐसे गरीब परिवारों को दी जा चुकी है। आप में से कईयों को अनुभव आया होगा। आपके परिवार रिश्‍तेदारों को आना होगा तो पता चला होगा।  

साथियों, आप लोगों को नया पासपोर्ट बनवाने के लिए, पासपोर्ट renew करवाने के लिए भटकना नहीं पड़ता है। हमने पोस्‍ट आफिस में भी पासपोर्ट की व्‍यवस्‍थाओं को विस्तृत किया है ताकि सामान्‍य मानवी को, जो पासपोर्ट पहले हफ्ता, 15 दिन के बाद भी मिलेगा या नहीं मिलेगा वो आशंका थी आज Efficiency के कारण decentralize व्‍यवस्‍था के कारण पोस्‍ट आफिस में उस काम को जोड़ने के  कारण एक या दो दिन में आज पासपोर्ट आ जाता है।

हमारे देश में कोई उद्योग करना चाहता है। नई कंपनी बनाना चाहता है। पूँजी लगाना चाहता है तो एक जमाना था कि नई कंपनी रजिस्‍टर करवाने में पहले कई-कई दिन लग जाते थे। मैं संतोष के साथ कहता हूं कि आज वो काम सिर्फ और सिर्फ 24 घंटे में हो जाता है। आपने पहले सुना होगा कि सरकारें घोषणाएं करती रहती थी कि हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया, हमने ठिगना कानून बनाया, हमने फलाना बनाया। यही सुना था न आप लोगों ने, यही सुनते थे। मैं उससे उल्‍टी खबर देना चाहता हूं। जहां जरूरत हो वहां कानून बनाना पड़ता है बनाते भी हैं लेकिन हमारी सरकार बनने के बाद हमने अब तक करीब-करीब 1400-1500 जितने कानून, जिनकी अब आवश्‍यकता नहीं है वो सारे कानून खत्‍म कर देने का हमने काम कर दिया। 1400- 1450 कानून खत्‍म कर देना यानि एक प्रकार से मेरे कार्यकाल में हर दिन एक कानून खत्‍म होता है। सामान्‍य नागरिक पर इन कानूनों का जमाव एक बोझ बन जाता है। उसे मुक्ति की सांस मिले इसलिए बदलाव लाने की दिशा में, पुराने बोझ से मुक्ति के लिए इन कानूनों को हम बदल दें।

आपने इस बार का बजट भी अगर ध्‍यान से देखा होगा तो, इस बजट में ऐसी योजना का ऐलान किया है जिस योजना ने पूरी दुनिया का ध्‍यान खींचा है। आपके भी ध्‍यान में आया होगा, हो सकता है मैं जो नाम कहूं वो शायद आपने न सुना हो लेकिन कुछ और नाम सुना हो। अभी जो हम बजट के अंदर लाए हैं। आयुष्‍मान भारत योजना। इस आयुष्‍मान भारत योजना के माध्‍यम से हमनें देश के दस करोड़ गरीब परिवारों यानि करीब-करीब 40-50 करोड़ नागरिक, हिन्‍दुस्‍तान के 40-50 करोड़ नागरिक, इन लोगों के लिए, Health Insurance, इसके लिए आयुष्‍मान भारत योजना घोषित की है। और ये योजना ऐसी है यानि 40-50 करोड़ लोगों को जिसका लाभ रहेगा एक परिवार, एक साल में 5 लाख रूपये तक उसका मुफ्त में इलाज होगा, उसकी बीमारी का 5 लाख तक का खर्चा इस Insurance व्‍यवस्‍था के माध्‍यम से सरकार भरपाई करेगी।

अब आयुष्‍मान भारत कहा तो शायद आप लोगों को भी लगा होगा कि ये तो यार सुना नहीं है लेकिन पिछले दिनों आपने देखा होगा। हिन्‍दुस्‍तान के अखबारों ने उसको नया नाम दिया है। वाह.. किसी ने सुना है। हिन्‍दुस्‍तान के अखबारों ने उसको मोदी केयर के रूप में और हमारे विरोध करने वाले भी इस योजना का विरोध नहीं कर रहे हैं वो ये कहते है कि भई योजना तो अच्‍छी है पर करोगे कैसे?

भाइयों और बहनों हिन्‍दुस्‍तान ऐसा देश कि अगर एक बार जो वो ठान ले फिर वो करके ही रहता है। Ease of living के लिए ऐसी अनेक योजनाएं भारत के सवा सौ करोड़ लोगों की जिंदगी को आसान बना रही है।

भाइयों और बहनों सरकारें आती हैं, जाती हैं, लोग आते हैं, जाते है। महत्‍वपूर्ण ये है कि सरकार किस quality की गवर्नेंस दे रही है। Style of गवर्नेंस पहले भी था जिसमें योजनाएं 30-30, 40-40 साल तक पूरी नहीं होती थी। मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था। वहां एक सरदार सरोवर बाँध , नर्मदा योजना पंडित नेहरू जी ने शिलान्‍यास किया था। और अभी, अभी पिछले साल वो काम पूरा हुआ है। कभी-कभी तो ऐसा नजर आता था। बाँध बन जाता था लेकिन नहरों का अता-पता नहीं था। पुल बन जाते थे लेकिन कनेक्‍टिंग सड़के नहीं बन पाती थीं। खम्भे गढ़ जाते थे लेकिन उन पर कभी तार नहीं लगते थे और अगर तार लग भी गया तो लोग कपड़े सुखाते थे। बिजली नहीं आती थी। नई-नई ट्रेनों की घोषणा हो जाती थी लेकिन न तो कोई पटरियों के बारे में सोचता था, न ट्रेनों के बारे में सोचता था। अरे कागज पर भी कभी पटरियों को कभी पेंट नहीं किया जाता था। Style of misgovernance के साथ देश 21वीं सदी में आगे नहीं बढ़ सकता उसको बदलना पड़ता है। और बदलाना अनिवार्य होता है। और ऊपर से घोटालों की लंबी लिस्‍ट से देश के और दुनिया भर में देश की साख को नुकसान भी पहुंचा था। इस स्थिति से हम देश को अब बाहर निकाल करके लाएं है।

आज चार साल होने को आए हैं कोई ये नहीं कहता है। मोदी कितना ले गया। और मेरे देश के प्‍यारे भाइयों और बहनों आज मैं सर झुकाकर के नम्रता पूर्वक बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि देश ने जिन मुझे आशा और अपेक्षाओं से बैठाया है उस पर मैं कभी खरोंच नहीं आने दूंगा। आज लेकिन उल्‍टा है। जहां भी जाऊं, जिसको भी मिलूं, even हमारे विरोधी भी मुझ पर आरोप नहीं लगाते हैं, लेकिन क्‍या करते हैं। जरा, मोदी जी बताओ कितना आया।  पहले लोग पूछते थे कितना गया अब मोदी को पूछते हैं कितना आया। मैं समझता हूं देश के अंदर जो ये विश्‍वास पैदा हुआ है। उसी विश्‍वास ने देश में नई आशा को जन्‍म दिया है। और वो नई आशा ही नए भारत के निर्माण के संकल्‍प को एक नया संबल दे रही है।

आज citizen friendly, development friendly, accountable administration पर फोकस करते हुए हम देश को आगे बढ़ाने के लिए काम रहे हैं। और उसका परिणाम आज मैंने जैसे पहले कहा महसूस हो रहा है।

आज देश में सड़क बनने की रफ्तार, रेल की पटरियां बिछाने की रफ्तार, रेल लाइन के बिजलीकरण की रफ्तार, नए एयर-पोर्ट बनाने की रफ्तार, सरकार द्वारा गरीबों के लिए घर बनाए जाने की रफ्तार, बैंक खाते खोलने की रफ्तार, गैस कनेक्‍शन देने की रफ्तार सभी कुछ पहले के मुकाबले कोई काम दो गुना ज्‍यादा, तीन गुना ज्‍यादा की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

आप हैरान होंगे, हमारे देश में हम 21वीं सदी के पहले दो दशक अब पूर्णता पर पहुंचे है। कितनी सरकारें आई, गई दुनिया बदल चुकी है लेकिन भारत की अपनी Aviation Policy नहीं थी, aviation policy नहीं थी। हमने आकर के Aviation Policy बनाई। और देश के जो छोटे-छोटे शहर है District Headquarter जैसे tier-2, tier-3 city वहां पुरानी हवाई पट्टियां पड़ी थीं उनको जिंदा किया, उनको active किया। नए-नए एयर-पोर्ट बनाने की दिशा में अभियान चलाया। और प्‍यारे मेरे साथियों आपको जानकर के खुशी होगी, आज हमारे देश में करीब-करीब साढे चार सौ हवाई जहाज- private हो corporate हो public हो। साढे चार सौ हवाई जहाज अभी कार्यरत है। इस एक वर्ष में यानि 70 साल के कार्यकाल में हम पहुंचे हैं करीब-करीब साढे चार सौ हवाई जहाज, पूरे देश में कार्यरत हैं। इस एक वर्ष हमारे देश के अलग-अलग कंपनियों ने private कंपनियों ने, private लोगों ने करीब-करीब नए नौ सौ हवाई जहाज खरीदने का आर्डर दिया है। 70 साल की यात्रा में साढे चार सौ और इस एक वर्ष में करीब-करीब नौ सौ हवाई जहाज के आर्डर बुक हो चुके हैं। क्‍यों? क्‍योंकि हमारी नीति में हमने कहा है। कि हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में सफर करे। ये हम चाहते हैं।

साथियों, अगर बिल्‍कुल जमीनी स्‍तर पर जाकर चीजों को ठीक नहीं किया होता तो ये जो आप प्रगति देख रहे हैं, ये गति देख रहे हैं ये कभी संभव नहीं था। बड़े और स्थाई परिवर्तन ऐसे नहीं आते हैं। उसके लिए पूरे सिस्‍टम में बदलाव करना पड़ता है और जब ये बदलाव होते हैं तभी देश सिर्फ तीन साल के अंदर-अंदर Ease Of Doing Business की, World Bank की ranking में एक साथ 42 पायदान कूदकर के 142 से उठकर के आज 100 पर आकर के पहुंच गया है और पूरी दुनिया को आश्‍चर्य हो गया है।

भाइयों और बहनों देश में अब 21वीं सदी की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए Next Generation Infrastructure का निर्माण किया जा रहा है। विशेषकर Transport Sector को हम ऐसे तैयार कर रहे है कि वो एक-दूसरे को support करने वाले बने। Highway, Airway, Railway, Waterway सभी को एक-दूसरे की जरूरत के हिसाब integrate किया जा रहा है।

सरकार ने भारत माला project के तहत 53 हजार किलोमीटर National Highway बनाने का काम शुरू किया है। 53 thousand kilometer देश के अलग-अलग क्षेत्रों में रेलवे corridors  पर काम चल रहा है। 11 बड़ें शहरों में मेट्रो का विस्‍तार भी किया जा रहा है। पिछले वर्ष ही मुझे Kochi मेट्रो के लोकार्पण का अवसर मिला था। चेन्‍नई मेट्रो के विस्‍तार का काम चल रहा है।

इस बजट में बेंगलूरू में भी हमने उसके लिए एक बहुत बड़ा बजट का प्रावधान किया है। इस तरह देश की Coastal economy और उससे जुड़े, हमारे समुद्र तट से जुड़े उनके infrastructure को develop करने के लिए हम सागर-माला इस नाम से भी एक कार्यक्रम चलाया है।

हमारे मछुआरें भाई बहनों को Blue Revolution Scheme शुरू की है और उन्‍हें आधुनिक trawler खरीदने के लिए भारत सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दे रहे हैं। सरकार देश में 110 से ज्‍यादा waterways भी विकसित कर रही है। हमारे देश में उसकी उपेक्षा की गई। नदियों का उपयोग transportation के लिए किया जा सकता है। 110 ऐसे रास्‍ते हमनें identify किए है जो पर्यावरण की भी रक्षा करेंगे। ट्रांसपोटेशन का खर्चा कम करेंगे। consumer को उसके कारण चीजें सस्‍ते में मिलेगी।

भाईयों और बहनों आपमें से जो लोग 2022-23 में भारत आएंगे उन्‍हें देश एक और शानदार प्रगति देखने को मिलेगी। और वो होगी बुलेट ट्रेन।

मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन का काम पिछले साल शुरू कर दिया गया है। दो- सवा दो घंटों में आपको ये बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद पहुंचा देगी। बुलेट ट्रेन से भारत की वर्तमान व्‍यवस्‍था में सिर्फ एक incremental improvement ही नहीं लेकिन देश को एक आधुनिक technology और नया सर्विस डिलीवरी सिस्‍टम भी प्राप्‍त होने वाला है।

साथियों, अब भारत में फैसलों को टाला नहीं जाता। अब भारत ने एक नया स्‍वभाव बना लिया है। फैसलों को टालने का वक्‍त चला गया। अब हम फैसलों और चुनौतियों, हर चुनौतियों से हम टकराने की तैयारी करके आगे बढ़ रहे हैं। लक्ष्‍य तय करके योजनाओं को समय से पूरा किया जाता है। ये भारत में बदलते हुए work culture का उदाहरण है। ये न्‍यू इंडिया है, ये न्‍यू इंडिया का जीता-जागता सबूत है। यही वजह है कि पहले जहां देश में हर दिन ये हल्‍ला मचता था कि इतने करोड़ इस घोटाले में गए, उतने करोड़ उस घोटाले में गए। भाइयों और बहनों, जब साफ नियत, स्‍पष्‍ट नीति उसके साथ निर्णय लिए जाते हैं तो देश का पैसा बचता है। जब efficient तरीके से काम किया जाता है।, जब मौजूदा संसाधनों का अच्‍छे से अच्‍छा उपयोग किया जाता है तब देश का पैसा बचता है।

टेक्‍नोलॉजी की मदद से हमारी सरकार ने Direct Benefit Transfer Scheme के जरिए देश के 57 thousand cr से ज्‍यादा की लागत गलत हाथों में जा रही थी, उसे बचा लिया है। गरीब का पाई-पाई बचाने का काम किया है। Direct Benefit Scheme यानि subsidy का, pension का scholarship का, मजदूरी का जो पैसा लोगों के बैंक खाते में सीधे पैसा transfer किया जाता है। पहले ये राशि फर्जी नामों के सहारे बिचोलियों के पास चली जाती थी। अब ये सारा खेल हमारी सरकार ने बंद कर दिया है। इस तरह देश के लोगों का और विशेषकर मध्‍यम वर्ग का पैसा बच रहा है। हमारी उजाला योजना। भाइयों और बहनों वर्ष 2014 में पहले जो LED bulb हिन्‍दुस्‍तान में साढे तीन सौ रूपये से ज्‍यादा का था, वो अब 40-50 रूपये में मिलने लगा है। कहां तीन सौ-साढे तीन सौ रूपया और कहां 40-50 रूपया। सस्‍ते LED के अलावा जो लोग अपने घरों में इनका इस्‍तेमाल कर रहे हैं उन्‍हें हर साल 15 हजार करोड़ रूपये की अनुमानित बचत बिजली के बिल में हो रही है। ये मध्‍यम वर्ग के परिवार को लाभ हुआ है।

साथियों, आपको जानकर के आश्‍चर्य होगा कि जितनी बिजली एलईडी बल्‍बों से बच रही है। उतनी बिजली के उत्‍पादन में देश को 45 हजार करोड़ रूपये से ज्‍यादा खर्च हो जाते अगर लोगों की बचत और देश की बचत इन दोनों को जोड़ा जाए तो बचत का आंकड़ा बनता है- करीब-करीब 60 हजार करोड़ रूपये। एक और उदाहरण है fertilizer sector का भाइयों और बहनों हमारी नीतियों की वजह से एक भी नया fertilizer plant लगे बिना लगभग पुरानों की मैं बात कर रहा हूं। Efficiency बढ़ाई है और उसके कारण leakages को रोका। उसके कारण लगभग 18 से 20 लाख टन यूरिया ज्‍यादा उत्‍पादन होने लगा है। ये 20 लाख टन यूरिया अलग produce करने के लिए करीब-करीब 7 से 8 हजार करोड़ रूपये का सरकारी खर्च करना पड़ता जो बच गया और यूरिया मिलने लग गया। इतना ही नहीं साढे तीन से चार हजार करोड़ से विशेष मुद्रा की बचत हुई है जो बाहर से खरीदने में खर्च होता था। इसके अलावा सरकार को 800 से 900 करोड़ रूपये की subsidy की भी इसमें बचत हुई है। यानि अकेले Fertilizer Sector में Policy Intervention से, Efficiency बढ़ाने से, Monitoring करने से हमने देश के करीब-करीब 12 हजार करोड़ रूपये बचाए है। जो आपके हक का है, हिन्‍दुस्‍तानवासियों के हक का पैसा है।

भाइयों और बहनों हम पहले की सरकारों के समय हुए पेट्रोलियम समझौते, गैस समझौतों इसको जरा दोबारा देखने लगे, हम बारीकी से देखने लगे कि भई इतना सारा कैसा हुआ। अब 20-20, 25-25 साल के करार हुए हैं। 30 साल के करार हुए हैं। हमने जरा अध्‍ययन किया, अब भारत की साख भी बनी है। हमनें उन देशों के साथ चर्चा की और आपको ये जानकर के खुशी होगी। कतर और आस्‍ट्रेलिया से हम जो समझौते हुए थे उन समझौते को renegotiate किया और बदलाव हो चुका है और इस बदलाव के कारण पहले जो रूपये दिए जाते थे उसकी तुलना में 12 हजार करोड़ रूपये कम देना पड़ेगा। ये 12 हजार करोड़ रूपया देश का बचाया है।

भाइयों और बहनों ये सिर्फ चार योजनाएं मैंने आपको गिनाई और इनसे देश को होने वाली बचत करीब-करीब 1 लाख 40 हजार करोड़ रूपयों से भी ज्‍यादा है। आप बताइए। मेरे भाईयो-बहनों क्‍या 1 लाख 40 हजार करोड़ रूपया जो पहले जाता था। वो गरीब के हक का था या नहीं था। वो गरीब के हक का था या नहीं था, वो पैसा बचना चाहिए था कि नहीं बचना चाहिए था। वो पैसा गरीब के काम आना चाहिए था कि नहीं आना चाहिए था। इस सरकार ने एक ईमानदारी को लेकर इसी Approach, इसी commitment की वजह से देश में भ्रष्‍टाचार और कालेधन के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई भी हमनें साथ-साथ चला कर रखी है। करोड़ों कमा कर भी सरकार को टैक्‍स न देने वाले लोग बेनामी संपत्ति खड़ी करने वाले लोग, फर्जी कंपनियां बनाने वाले लोग, कालेधन का लेन-देन करने वाले लोग, बड़ी-बड़ी मछलियां इस समय सरकार के जांच के दायरे में है।

पिछले एक साल में आपको जानकर के आश्‍चर्य होगा। पिछले एक साल में करीब-करीब साढे तीन लाख, आप चौंक जाएंगे करीब-करीब साढे तीन लाख संदिग्‍ध कंपनियों का रजिस्‍ट्रेशन सरकार रद्द कर चुकी है, ताले लगा दिए हैं। साथियों, मेरे देशवासी इतना पैसा जो मेहनत करके भारत भेजते हैं वे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को योगदान करता है। अब मेहनत करके कुछ न कुछ घर भेजते हैं वो पैसा जब देश की व्‍यवस्‍थाओं को बनाने में खर्च होता है तो उसकी ताकत अनेक गुना बढ़ जाती है और यहां बैठने वाले आपको भी एक संतोष होता है। एक समाधान होता है।

ईमानदारी से की गई कमाई, ईमानदारी से अगर इस्‍तेमाल होती है तो उसका कितना बड़ा परिणाम आता है और हमनें इस ईमानदारी को आगे बढ़ाने का दायित्‍व उठाया है।

साथियों, आपको यहां कभी-कभी किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है उस बारे में भी हम सजग है। आपको होने वाली परेशानियों को लेकर हम ओमान सरकार के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि आपकी परेशानी जल्‍द से जल्‍द खत्‍म हो। e-migrate system और ‘मदद पोर्टल’ के माध्‍यम से भी आपकी दिक्‍कतों को कम करने का काम किया गया है।

सरकार के अनेक ऐसे प्रयासों का ही परिणाम है कि आज विदेश में रहने वाले हर भारतीय में एक विश्‍वास जगा है। उसमें ये विश्‍वास आया है कि अगर वो संकट में फंसा तो उसके देश की सरकार उसे वापस देश लेकर जाने के लिए हाजिर हो जाएगी। विदेश में उसके परिवार का एक honorary सदस्‍य ये भारत सरकार बन गई है।

साथियों, ‘सबका साथ सबका विकास’ हमारी ये approach पूरे विश्‍व की सोच में बदलाव ला रही है। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के द्वारा अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस का ऐलान भारत की पहल पर International Solar Alliance का गठन ऐसे उदाहरण हैं। जो भारत की बढ़ती साख और सार्मथ्‍य को परिभाषित कर रहे हैं।

आपके सर्मथन, आपके अनुभव से देश को लाभ हो रहा है पूरा राष्‍ट्र उसके लिए आप सभी का कर्जदार है। मैं आपको देश के विकास का, राष्‍ट्र निर्माण एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सेदार मानता हूं। मै पार्टनर मानता हूं। न्‍यू इंडिया के सपने को पूरा करने में आपके संकल्‍पों का प्रभाव भारत में भी दिखाई देगा। ये मुझे विश्‍वास है आप सब मेरे भाई बहन ये मेरा सौभाग्‍य है कि आज मुझे आपके दर्शन का अवसर मिला, आप स्‍वस्‍थ रहें, सकुशल रहे इसी कामना के साथ मैं अपनी बात को समाप्‍त करता हूं। मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।