नमो बुद्धाय!

नेपाल के प्रधानमंत्री सम्माननीय श्री शेर बहादुर देउबा जी,
आदरणीय श्रीमती आरज़ू देउबा जी,
सभा में उपस्थित नेपाल सरकार के मंत्रीगण,
बड़ी संख्या में उपस्थित बौद्ध भिक्षु एवं बौद्ध धर्मावलंबी,
विभिन्न देशों से पधारे गणमान्य अतिथिगण,

देवियों और सज्जनों!

बुद्ध जयन्ती-को पावन अवसर-मा, यस सभा-मा उपस्थित, यहाँ-हरु सबै-लाई, सम्पूर्ण नेपालवासी-हरुलाई, र विश्वका सबै श्रद्धालु-जन-लाई, लुम्बिनीको पवित्र भूमिबाट, बुद्ध पूर्णिमाको धेरै धेरै शुभकामना !

मुझे पहले भी वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध से जुड़े दिव्य स्थलों पर, उनसे जुड़े आयोजनों में जाने का अवसर मिलता रहा है। और आज, भारत के मित्र नेपाल में भगवान बुद्ध की पवित्र जन्म-स्थली लुम्बिनी आने का ये सौभाग्य मिला है।

कुछ देर पहले मायादेवी मंदिर में दर्शन का जो अवसर मुझे मिला, वो भी मेरे लिए अविस्मरणीय है। वो जगह, जहां स्वयं भगवान बुद्ध ने जन्म लिया हो, वहाँ की ऊर्जा, वहाँ की चेतना, ये एक अलग ही अहसास है। मुझे ये देखकर भी खुशी हुई कि इस स्थान के लिए 2014 में मैंने महाबोधि वृक्ष की जो Sapling भेंट की थी, वो अब विकसित होकर एक वृक्ष बन रहा है।

साथियों,

चाहे पशुपतिनाथ जी हों, मुक्तिनाथ जी हों, चाहे जनकपुरधाम हो या फिर लुम्बिनी, मैं जब जब नेपाल आता हूँ, नेपाल अपने आध्यात्मिक आशीर्वाद से मुझे कृतार्थ करता है।

साथियों,

जनकपुर में मैंने कहा था कि "नेपाल के बिना हमारे राम भी अधूरे हैं”। मुझे पता है कि आज जब भारत में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है, तो नेपाल के लोग भी उतना ही ख़ुशी महसूस कर रहे हैं।

साथियों,

नेपाल यानी, दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत-सागरमाथा का देश!
नेपाल यानी, दुनिया के अनेक पवित्र तीर्थों, मंदिरों और मठों का देश!
नेपाल यानि, दुनिया की प्राचीन सभ्यता संस्कृति को सहेजकर रखने वाला देश!
नेपाल आउँदा, मलाई कुनै राजनीतिक भ्रमण भन्दा, अलग एउटा छुट्टै आध्यात्मिक अनुभूति हुन्छ ।

भारत और भारत के लोगों ने हजारों सालों से नेपाल को इसी दृष्टि और आस्था के साथ देखा है। मुझे विश्वास है, अभी कुछ समय पहले जब शेर बहादुर देउबा जी, श्रीमती आरज़ू देउबा जी, जब भारत गए थे, और जैसा अभी देउबा जी ने वर्णन किया बनारस का, काशी विश्वनाथ धाम की यात्रा की थी, तो उन्हें भी ऐसी ही अनुभूति भारत के लिए होना बहुत स्वाभाविक है ।

साथियों,

ये सांझी विरासत, ये सांझी संस्कृति, ये सांझी आस्था और ये सांझा प्रेम, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। और, ये पूंजी जितनी समृद्ध होगी, हम उतने ही प्रभावी ढंग से साथ मिलकर दुनिया तक भगवान बुद्ध का संदेश पहुंचा सकते हैं, दुनिया को दिशा दे सकते हैं। आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें भारत और नेपाल की निरंतर मजबूत होती मित्रता, हमारी घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी। और इसमें भगवान बुद्ध के प्रति हम दोनों ही देशों की आस्था, उनके प्रति असीम श्रद्धा, हमें एक सूत्र में जोड़ती है, एक परिवार का सदस्य बनाती है।

भाइयों और बहनों,

बुद्ध मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण हैं। बुद्ध बोध भी हैं, और बुद्ध शोध भी हैं। बुद्ध विचार भी हैं, और बुद्ध संस्कार भी हैं। बुद्ध इसलिए विशेष हैं क्योंकि उन्होंने केवल उपदेश नहीं दिये, बल्कि उन्होंने मानवता को ज्ञान की अनुभूति करवाई। उन्होंने महान वैभवशाली राज्य और चरम सुख सुविधाओं को त्यागने का साहस किया। निश्चित रूप से उनका जन्म किसी साधारण बालक के रूप में नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने हमें ये अहसास करवाया कि प्राप्ति से भी ज्यादा महत्व त्याग का होता है। त्याग से ही प्राप्ति पूर्ण होती है। इसीलिए, वो जंगलों में विचरे, उन्होंने तप किया, शोध किया। उस आत्मशोध के बाद जब वो ज्ञान के शिखर तक पहुंचे, तो भी उन्होंने किसी चमत्कार से लोगों का कल्याण करने का दावा कभी नहीं किया।बल्कि भगवान बुद्ध ने हमें वो रास्ता बताया, जो उन्होंने खुद जिया था। उन्होंने हमें मंत्र दिया था - "अप्प दीपो भव भिक्खवे”

"परीक्ष्य भिक्षवो, ग्राह्यम् मद्वचो, न तु गौरवात्।"

अर्थात्, अपना दीपक स्वयं बनो। मेरे वचनों को भी मेरे प्रति आदर के कारण ग्रहण मत करो। बल्कि उनका परीक्षण करके उन्हें आत्मसात करो।

साथियों,

भगवान बुद्ध से जुड़ा एक और विषय है, जिसका आज मैं ज़रूर जिक्र करना चाहता हूं। वैशाख पूर्णिमा का दिन लुम्बिनी में सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध का जन्म हुआ। इसी दिन बोधगया में वो बोध प्राप्त करके भगवान बुद्ध बने। और इसी दिन कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। एक ही तिथि, एक ही वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की जीवन यात्रा के ये पड़ाव केवल संयोग मात्र नहीं था। इसमें बुद्धत्व का वो दार्शनिक संदेश भी है, जिसमें जीवन, ज्ञान और निर्वाण, तीनों एक साथ हैं। तीनों एक साथ जुड़े हैं। यही मानवीय जीवन की पूर्णता है, और संभवत: इसीलिए भगवान बुद्ध ने पूर्णिमा की इस पवित्र तिथि को चुना होगा। जब हम मानवीय जीवन को इस पूर्णता में देखने लगते हैं, तो विभाजन और भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं बचती। तब हम खुद ही ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की उस भावना को जीने लगते हैं जो ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ से लेकर ‘भवतु सब्ब मंगलम्’ के बुद्ध उपदेश तक झलकती है। इसीलिए, भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर बुद्ध हर किसी के हैं, हर किसी के लिए हैं।

साथियों,

भगवान बुद्ध के साथ मेरा एक और संबंध भी है, जिसमें अद्भुत संयोग भी है और जो बहुत सुखद भी है। जिस स्थान पर मेरा जन्म हुआ, गुजरात का वडनगर, वहाँ सदियों पहले बौद्ध शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था। आज भी वहां प्राचीन अवशेष निकल रहे हैं जिनके संरक्षण का काम जारी है। और हम तो जानते हैं कि हिंदुस्तान में कई नगर ऐसे हैं, कई शहर, कई स्थान ऐसे हैं , जिसको लोग बड़े गर्व के साथ उस राज्य की काशी के रूप में जानते हैं। भारत की विशेषता रही है, और इसलिए काशी के समीप सारनाथ से मेरी आत्मीयता आप भी जानते हैं। भारत में सारनाथ, बोधगया और कुशीनगर से लेकर नेपाल में लुम्बिनी तक, ये पवित्र स्थान हमारी सांझी विरासत और सांझे मूल्यों का प्रतीक है। हमें इस विरासत को साथ मिलकर विकसित करना है, आगे समृद्ध भी करना है। अभी हम दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने यहां India International Centre for Buddhist Culture and Heritage का शिलान्यास भी किया है। इसका निर्माण International Buddhist Confederation of India द्वारा किया जाएगा। हमारे सहयोग के इस दशकों पुराने सपने को साकार करने में प्रधानमंत्री देउबा जी का अहम योगदान है। लुंबिनी डवलपमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन को इसके लिए ज़मीन देने का निर्णय लिया था। और अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में भी उनकी ओर से पूरा सहयोग किया जा रहा है। इसके लिए हम सभी हृदय से उनके आभारी हैं। मुझे खुशी है कि नेपाल सरकार, बुद्ध सर्किट और लुम्बिनी के विकास के सभी प्रयासों को सहयोग दे रही है, विकास की सभी संभावनाओं को भी साकार कर रही है। नेपाल में लुम्बिनी म्यूज़ियम का निर्माण भी दोनों देशों के साझा सहयोग का उदाहरण है। और आज हमने लुम्बिनी Buddhist University में डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर chair for Buddhist studies स्थापित करने का भी निर्णय लिया।

साथियों,

भारत और नेपाल के अनेक तीर्थों ने सदियों से सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान की विशाल परंपरा को गति दी है। आज भी इन तीर्थों में पूरी दुनिया से लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं। हमें भविष्य में अपने इन प्रयासों को और गति देनी होगी। हमारी सरकारों ने भैरहवा और सोनौली में Integrated check posts बनाने जैसे फैसले भी लिए हैं। इसका काम भी शुरू हो गया है। ये पोस्ट्स बनने के बाद बार्डर पर लोगों के आवागमन के लिए सुविधा बढ़ेगी। भारत आने वाले इंटरनेशनल tourists ज्यादा आसानी से नेपाल आ सकेंगे। साथ ही, इससे व्यापार और जरूरी चीजों के transportation को भी गति मिलेगी। भारत और नेपाल, दोनों ही देशों के बीच मिलकर काम करने के लिए ऐसी अपार संभावनाएं हैं। हमारे इन प्रयासों का लाभ दोनों देशों के नागरिकों को मिलेगा।

साथियों,

भारत र नेपाल-बीच-को सम्बन्ध, हिमाल जस्तैं अटल छ, र हिमाल जत्तिकै पुरानो छ।

हमें अपने इन स्वाभाविक और नैसर्गिक रिश्तों को हिमालय जितनी ही नई ऊंचाई भी देनी है। खान-पान, गीत-संगीत, पर्व-त्योहार, और रीति-रिवाजों से लेकर पारिवारिक सम्बन्धों तक जिन रिश्तों को हमने हजारों सालों तक जिया है, अब उन्हें साइन्स, टेक्नालजी और इनफ्रास्ट्रक्चर जैसे नए क्षेत्रों से भी जोड़ना है। मुझे संतोष है कि इस दिशा में भारत, नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है। लुम्बिनी बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी, काठमांडू यूनिवर्सिटी और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी में भारत का सहयोग और प्रयास इसके बड़े उदाहरण हैं। मैं इस क्षेत्र में अपने आपसी सहयोग के विस्तार के लिए और भी कई बड़ी संभावनाएं देखता हूँ। हम इन संभावनाओं को और भारत नेपाल के सपनों को साथ मिलकर साकार करेंगे। हमारे सक्षम युवा सफलता के शिखर पर बढ़ते हुये पूरी दुनिया में बुद्ध की शिक्षाओं के संदेशवाहक बनेंगे।

साथियों,

भगवान बुद्ध का कथन है-सुप्पबुद्धं पबुज्झन्ति, सदा गोतम-सावका। येसं दिवा च रत्तो च, भावनाये रतो मनो॥ अर्थात, जो हमेशा मैत्री भावना में, सद्भावना में लगे रहते हैं, गौतम के वो अनुयायी हमेशा जाग्रत रहते हैं। यानी, वही बुद्ध के वास्तविक अनुयायी हैं। इसी भाव को लेकर आज हमें पूरी मानवता के लिए काम करना है। इसी भाव को लेकर हमें संसार में मैत्री भाव को मजबूत करना है।

भारत र नेपाल-बीच-को मित्रताले, यस मानवीय संकल्प-लाई पुरा गर्न, यसै गरी मिलेर काम, गरिरहने कुरामा, मलाई पूर्ण विश्वास छ ।

इसी भावना के साथ, आप सभी को एक बार फिर से वैशाख पूर्णिमा की अनेक अनेक शुभकामनायें।

नमो बुद्धाय !
नमो बुद्धाय !
नमो बुद्धाय !

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।