चांसलर मर्कल, 

मीडिया के सदस्य 

मैं चांसलर मर्कल का और जर्मनी का आभार व्यक्त करता हूँ मेरा और मेरी delegation का गरमजोशी और सम्मान की भावना से स्वागत के लिए। 

और विशेष करके इस लिए कि मेरी सरकार के पहले साल में उन्होंने भारत को विश्व के सबसे बड़े Trade Fair में Partner Country चुना। चांसलर मर्कल ने Hannover में मुझे, मेरे डेलीगेशन और भारत की कई कंपनीज के CEOs के साथ अपना बहुमूल्य समय दिया। और आज फिर से बर्लिन में मेरा और मेरे डेलीगेशन का हार्दिक स्वागत किया। 

मैं इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि बड़े खुले मन और गहराई से भारत और जर्मनी के संबंधों के बारे में उन्होंने बातचीत की है। यह उनके जर्मनी के हितों पर ध्यान और भारत और जर्मनी के संबंधों के लिए प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 

और उन्होंने कल Hannover में भारत के Lion के निमंत्रण को स्वीकार किया और आश्वस्त किया कि जर्मनी के ईगल द्वारा उसका ठोस उत्तर देंगी। मेरा विश्वास है कि धरती का राजा, Lion, और आकाश के राजा, eagle, की अच्छी जोड़ी बनेगी। 

जब मैं पिछली बार बर्लिन आया था तो उस शाम बर्लिन ने world cup final में सफलता प्राप्त की थी। मैं आज यह महसूस कर रहा हूँ कि भारत और जर्मनी की Strategic partnership को एक नयी उँचाई पर ले जाने में हम अवश्य सफल होंगे। 

भारत में जब कोई Technology, manufacturing या High Quality की बात करता है तो सबसे पहले जर्मनी का नाम ध्यान में आता है। तो यह स्वाभाविक है कि आज भारत जब आर्थिक विकास और रोजगार के लिए Make in India के नये रास्ते पर चला है तो उसे जर्मनी के साथ की अपेक्षा है। 

आर्थिक परिवर्तन या सामान्य व्यक्ति के जीवन में सुधार के किसी भी उद्देश्य के बारे में सोचें तो उसमें Technology, Skills, Innovation और Investment की बड़ी भूमिका होती है। मेरा जर्मनी आने का उद्देश्य यह था कि मैं जर्मन Industry को भारत में आने के लिए आमंत्रित करूँ और उन्हें आश्वस्त करूँ कि उन्हें एक खुले, आसान और स्थिर आर्थिक माहौल मिलेगा और जिसमें प्रवेश करने में और काम करने में मेरी तरफ से पूरी सहायता मिलेगी। 

चांसलर मर्कल और जर्मन Industry के उत्साह और रूचि को देखकर मैं बहुत प्रोत्साहित महसूस कर रहा हूँ। उनके फीडबैक से नीतियों को बनाने में मुझे बहुत लाभ होगा। 

मैंने यह निर्णय किया है कि जर्मन कंपनीस के लिए हम एक mechanism बनाएँगे ताकि उनको भारत में निवेश करने में, business करने में सुविधा हो। 

भारत का Make in India और हमारे युवाओं को रोजगार Skill Development पर आधारित है। जर्मनी विश्व में इस क्षेत्र में लीडर है। भारत में Skill Development हमें अपनी परिस्थितियों को देखते हुए करनी होगी। साथ ही साथ जर्मनी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और इस बारे में विस्तार से बातचीत हुई है। उसी प्रकार Science, Technology और Education में हम और घनिष्ठ संबंध और सहयोग बढ़ायेंगे। 

एक क्षेत्र, जो मेरे लिए निजी रूप से और देश के लिए बहुत बड़ी प्राथमिकता रखता है वह है Renewable energy और Energy Efficiency । जैसाकि मैंने पहले कहा कि हमने अगले 7 सालों में 175 गीगावाट का Renewable energy का बहुत बड़ा लक्ष्य रखा है। जर्मनी इस क्षेत्र में भारत का बड़े स्तर पर आर्थिक सहयोग कर रहा है। मैं चाहूंगा कि इसके साथ ही साथ जर्मनी, भारत में Clean Energy के उपकरण बनाने में भी आगे बढ़े। और साथ मिलकर climate change की चुनौती का सामना करें। 

भारत Manufacturing hub बनेगा और Infrastructure का विस्तार होगा तो trade के लिए भी लाभदायक होगा। आयात की जरूरत और बढ़ेगी। और स्वाभाविक है कि इससे जर्मनी की Industry को भी लाभ पहुंचेगा। 

इस संदर्भ में यह भी कहना चाहता हूं कि भारत और यूरोपीय यूनियन Broad Based Trade और Investment Agreement पर बातचीत दो साल से रूकी हुई है। मैंने चांसलर मर्कल से आग्रह किया है कि भारत और यूरोपीय यूनियन की बातचीत को जल्द से जल्द शुरू किया जाए तथा संतुलित और दोनों पक्षों के लिए लाभदायक FTA संपन्न किया जाए। 

भारत Advanced Technology और Defence Manufacturing के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाना चाहता है। आशा करता हूं कि जर्मन इंडस्ट्री इसमें गर्मजोशी से भाग लेंगी और आपकी सरकार से पूरा सहयोग मिलेगा। 

चांसलर मर्कल और मैंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बातचीत की है। भारत में हमारा यह मानना है कि यूरोप की आर्थिक गति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए और यूरोप में स्थिरता वैश्विक शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन दोनों चुनौतियों पर जर्मनी के नेतृत्व की विश्व की अपेक्षा है। 

मैं ईरान से सफल बातचीत के लिए भी आपकी सराहना करता हूं। इससे पूरे क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव होगा। पश्चिम एशिया में अस्थिरता हमारे नागरिकों की सुरक्षा पर असर करती है। अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विकास दोनों के लिए महत्व रखता है। इस शताब्दी में एशिया पैसिफिक क्या दिशा लेता है वह सबके लिए मायने रखता है। 

आतंक फैल रहा है और नये स्वरूप ले रहा है। इसका खतरा अब विश्व के सभी भूभाग में हम करीब से अनुभव कर रहे हैं। इस वैश्विक चुनौती के लिए व्यापक वैश्विक Strategy की आवश्यकता है। जिसमें भारत और जर्मनी मिलकर काम कर सकते हैं। आने वाले समय में समुद्री, साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा सभी के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं और हमें इसमें सहयोग बढ़ाना है। 

मेरा मानना है कि भारत और जर्मनी दोनों ऐसे देश हैं जिन्हें UN Security Council में स्थाई सदस्यता का अधिकार है और इससे विश्व भी लाभान्वित होगा। हम दोनों चाहते हैं कि 70वीं वर्षगांठ एक उत्तम अवसर बने जिसमें UN Security Council Reform को पूरा किया जा सके। हम दोनों पेरिस में एक सफल COP-21 की अपेक्षा करते हैं। 

अंत में, मैं एक बार फिर कहना चाहूंगा कि सफल और Productive यात्रा के लिए मैं आप सभी का, विशेष रूप से चांसलर मर्कल का आभार प्रकट करता हूँ। और मैं अक्टूबर में चांसलर मर्कल की भारत की यात्रा का उत्सुकता से इंतज़ार करूंगा। 

Thank you. 

बर्लिन में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री की जर्मनी यात्रा से संबंधित प्रश्न का उत्तरः

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी: आज पूरे विश्व का ध्यान भारत की तरफ जा रहा है। भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy के रूप में उसने अपनी जगह बनाई है। भारत के पास तीन प्रमुख ऐसी सुविधाएं हैं, जो विश्व में किसी के पास नहीं है। Demographic Dividend, Democracy and Demand. और इन तीनों बातों को देखें तो भारत में manufacturing hub बनने की पूरी संभावना है। जहां low cost manufacturing हो, “zero defect-zero effect” के साथ हो और दुनिया के सभी investors के लिए भारत एक ऐसी जगह है कि जहां पर विपुल मात्रा में work force है।

जहां बहुत बड़ी मात्रा में domestic मांग है और जहां की democratic values हैं। जो जर्मनी और भारत दोनों समान रूप से share करते हैं। तो एक ऐसा माहौल है कि जिसके कारण विश्व के अनेक देशों को और जर्मनी को विशेष रूप से भारत अनुकूल है। जर्मनी की ताकत है manufacturing, विश्व की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए German companies और भारत देश का माहौल, ये दोनों मिलकर के काम करे तो विश्व की अनेक आवश्यकताओं को हम बहुत अच्छे ढंग से पूरा कर सकते हैं।

भारत का work force जो कि इस manufacturing sector में तैयार होगा। वो आने वाले दिनों में एक world work force के रूप में convert हो सकता है। भारत में रोजगार, ये सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसलिए हमारा ध्यान manufacturing hub बनाने की दिशा में है।

Hannover fair में जितनी कंपनियां मिलीं बाद में चांसलर मर्केल ने एक शाम डिनर रखा था, यहां के industrial houses के साथ, उसमें भी विस्तार से चर्चा हुई है और मैं देख रहा हूं कि चाहे skill development का काम हो, चाहे vocational education की बात हो, चाहे railway में technology up-gradation हो, expansion हो, Defence manufacturing sector का काम हो, engineering sector की विकास की नई क्षितिज हो, सभी क्षेत्रों में आज German कंपनियां, भारत के साथ मिलकर के काम करने के लिए तैयार हैं। और मेरी और चांसलर मर्केल के बीच जो बातचीत हुई है, उसके कारण इन कंपनियों का भी विश्वास बढ़ा है और उन कंपनियों का भी विश्वास बढ़ा है।

मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में human resource development का काम हो, professional management का काम हो, manufacturing की दिशा में आगे बढ़ने की बात हो, सभी क्षेत्रों में जर्मनी और भारत सफलतापूर्वक आगे बढ़ेंगे, इस विश्वास के साथ मैं आज यहां से लौट रहा हूं।

वैश्विक आतंकवाद के मुद्दे से संबंधित प्रश्न का उत्तरः

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी: मैं मानता हूं कि terrorism ये मानवता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। जो भी मानवतवाद में विश्वास करते हैं। उनकी भाषा कोई भी हो, भू-भाग कोई भी हो, परंपराएं कोई भी हो लेकिन मानवतावादी शक्तियों का एक होना बहुत आवश्यक है और सभी मानवतावादी शक्तियों ने आतंकवाद के खिलाफ एक स्वर से, एक ही intensity के साथ बोलने की आवश्यकता है, collectively efforts करने की आवश्यकता है।

और हम देख रहे हैं आज से 25 साल पहले हम भारत के लोग दुनिया को आतंकवाद के खतरे की बात बताते थे तो कुछ लोग हमें कहते थे, ये आपका law and order problem है। आज दुनिया को समझ आया है कि कितना भयंकर रूप होता है और ये मानवता के खिलाफ एक लड़ाई है। जब तक हम मानवतावादी शक्तियों को एकत्र नहीं करते हैं और हम आतंकवाद के सामने समान रूप से व्यवहार नहीं करते हैं, उनको खुला मैदान मिल जाता है। उनको शस्त्र जहां से मिलते हो, उस पर से रोक कैसे लगे? आतंकवादियों को shelter देने वाली अगर सरकारें हैं तो उन सरकारों पर दबाव कैसे पैदा किया जाए? जितनी sensitivity nuclear weapon को लेकर के है, उतनी ही आतंकवाद को पनाह देने वालों देशों के प्रति भी होनी चाहिए। अगर ये ही एक मूड बनता है और हम आतंकवाद को और आतंकवाद को समर्थन करने वालों को isolate करना ये हमारी पहली strategy होनी चाहिए और दुनिया इस पर गंभीरता से सोचेगी।

दूसरा महत्वपूर्ण काम है United Nation में बहुत लंब अर्से से एक प्रस्ताव चर्चा पर pending पड़ा हुआ है। जिसमें आतंकवाद की definition होना बहुत आवश्यक है। मैं चाहूंगा कि जब United Nation अपने 70 साल पूर्ण करने जा रहा है। उस resolution को पारित करे, define करे और दुनिया के लोगों के लिए बंधनकर्ता चीजों का regulation तैयार करे। तब जाकर के एक platform पर से इस मानवता विरोधी पृवत्तियों के खिलाफ दुनिया को एकत्र किया जा सकता है। मैं चांसलर मर्केल के विचारों से परिचित हूं। वे आतंकवाद के खिलाफ उतने ही स्पष्ट विचार रखती हैं, जितना कि हम भारत के लोग पिछले 30 साल से आतंकवाद से परेशान हैं। हम अनुभव करते हैं और मैं मानता हूं कि अब पूरी दुनिया, जिस प्रकार से आतंकवाद फैल रहा है और अधिक सजग बनकर के और अधिक साथ मिलकर के इस मानवता की रक्षा के लिए काम करेंगी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में, भारत की स्थायी सदस्यता से संबधित प्रश्न का उत्तर:

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी: एक विषय जो आपने पूछा है permanent membership, security council में, मैं दुनिया का इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। आप जानते हैं कि ये वर्ष UN के 70 साल हो रहे हैं और पूरा विश्व ये वर्ष प्रथम विश्व युद्ध की शताब्दी के वर्ष से गुजर रहा है। विश्व को मालूम होना चाहिए कि भारत के सैनिक प्रथम विश्व युद्ध में 75 thousand से ज्यादा सैनिक शहीद हुए थे और प्रथम विश्व युद्ध में 14 लाख से ज्यादा भारत के सैनिकों को हिस्सा लेना पड़ा था। उसमें भारत का कोई हित नहीं था, भारत की कोई योजना नही थी। UN के बाद आप देखिए Peace Keeping Force, सबसे ज्यादा सैनिक Peace Keeping Force में जो राष्ट्र भेजे जाते हैं, उनमें एक नाम भारत का है। Peace Keeping Force में भी UN के मार्गदर्शन में उत्तम से उत्तम कार्य करने के लिए बार-बार भारत की सराहना होती है और भारत जिसका इतिहास और संस्कृति कभी भी ये वो देश जिसने युद्ध नहीं किया है, आक्रमण नहीं किया है।

वो देश जहां अहिंसा के दूत महात्मा गांधी पैदा हुए थे, वो देश जहां गौतम बुद्ध पैदा हुए थे, जहां की संस्कृति, परंपरा, शांति को समर्पित है, उस देश को अगर United Nation में permanent membership security council न मिले, उसके लिए 70 साल तक उसको इंतजार करना पड़े, तब सवाल उठता है कि शांति पर भरोसा करने वाले, शांति के लिए जीने वाले, शांति जिनके DNA में है, ऐसे देश के प्रति अब न्याय होना चाहिए, समय बहुत चला गया है।

Thank you

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भारत और कुवैत का रिश्ता; सभ्यताओं, सागर और कारोबार का है: पीएम मोदी
December 21, 2024
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की गर्मजोशी और स्नेह असाधारण है: प्रधानमंत्री
43 वर्षों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा कर रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत के बीच सभ्यता, समुद्र और वाणिज्य का रिश्ता है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत कुशल प्रतिभाओं की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है: प्रधानमंत्री
भारत में स्मार्ट डिजिटल प्रणाली अब विलासिता की वस्तु नहीं रह गयी है, बल्कि यह आम आदमी के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है: प्रधानमंत्री
भविष्य का भारत वैश्विक विकास का केंद्र होगा, दुनिया का विकास इंजन होगा: प्रधानमंत्री
भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।