हाशिए के लोगों का सामाजिक सशक्तिकरण किसी भी समाज के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होता है। हालांकि, यह एक ईमानदार सरकार द्वारा कमजोर लोगों को सशक्त करने की दिशा में उठाए गए कदमों से ही संभव है। इस दिशा में सरकार द्वारा प्रशासनिक उपायों के अलावा विधायी मार्ग के जरिए उठाए गए कदम परिलक्षित होते हैं। वास्तव में, विधायी मार्ग द्वारा किए गए प्रयासों का अर्थ यह भी है कि सरकार ने देश के शीर्ष सांसदों के बीच सापेक्ष सहमति बनाई है। पिछले 4-5 वर्षों में विधायी उपायों के साथ-साथ सरकार द्वारा प्रशासनिक उपायों की एक श्रृंखला बनाई गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों को उनका पूरा हक मिले।
एससी, एसटी और ओबीसी
मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को मजबूत किया और एससी/एसटी के लिए अधिक से अधिक सुरक्षा सुनिश्चित की। इसके अलावा, पहले की तुलना में अधिक अपराधों की पहचान कर और दंडनीय बनाया गया है, अत्याचारों के अपराधों की स्पीडी ट्रायल के लिए एक्सक्लूसिव स्पेशल अदालतें स्थापित की गई हैं। वास्तव में, "पीड़ितों और गवाहों के अधिकारों" से संबंधित एक नया अध्याय जोड़ा गया है।
इस दिशा में किए गए प्रयासों के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिया गया संवैधानिक स्टैट्स भी ओबीसी के लिए सरकार की चिंताओं को दर्शाता है। यह लंबे समय से लंबित मांग थी जिसे आखिरकार मोदी सरकार ने तेजी से लागू किया है।
एससी और एसटी के कल्याण के लिए सरकार की वित्तीय प्रतिबद्धता भी इस तथ्य को प्रमाणित करती है। 2013-14 के दौरान 66,159 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन की तुलना में 2019-20 अवधि के लिए यह राशि 1.26 लाख करोड़ रुपए कर दी गई।
वंचित छात्रों के लिए विस्तारित स्कॉलरशिप के संदर्भ में 2014-2018 के दौरान 5.7 करोड़ से अधिक छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ मिला। अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए इनकम इजिबिलिटी 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये और ओबीसी छात्रों के लिए 44,500 से 2.5 लाख रुपये कर दी गई है।
छात्रों को स्कॉलरशिप के अलावा, 'युवा वंचितों' को अपने स्वयं के बिजनेस वेंचर शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता भी दी गई है। 16 करोड़ से अधिक मुद्रा ऋणों में से आधे से अधिक लाभार्थी एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के हैं। स्टैंड-अप इंडिया के तहत एससी, एसटी या महिला उद्यमियों को कुल 15,112 करोड़ रुपये की राशि के साथ 68,930 लोन स्वीकृत किए गए हैं।
इसके अलावा अनुसूचित जातियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड के तहत, अनुसूचित जाति के उद्यमियों द्वारा संचालित 90 कंपनियों के लिए 322.8 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो दलित समुदायों के बीच स्वतंत्र कारोबार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आखिरकार, केवल शैक्षिक और वित्तीय सशक्तीकरण ही वास्तव में सामाजिक सशक्तीकरण को जन्म दे सकता है।
दिव्यांग
हमारे दिव्यांग भाइयों और बहनों के लिए अत्यंत करुणा प्रदर्शित करते हुए सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार विधेयक 2016 के पारित कर विधायी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं। पहले 7 की तुलना में 21 विकलांगता की पहचान कर, सरकार ने बड़ा सुधार करते हुए विकलांगता को समय के साथ गतिमान रखते हुए एक गतिशील अवधारणा के रूप में माना है। स्पीच और लैंग्वेज विकलांगता के अलावा जो पहले ध्यान नहीं दिया गया था, सरकार के कार्यक्रमों के दायरे में अधिक विकलांग लोगों को शामिल किया है।
महत्वपूर्ण रूप से दिव्यांग बच्चों (6-18 वर्ष) के लिए मुफ्त शिक्षा का अधिकार एक और महत्वपूर्ण विकास है। फिर उच्च शिक्षा संस्थानों में 4% सीटों का आरक्षण देने के अलावा, दिव्यांगों के खिलाफ अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है।
अल्पसंख्यक
क्या हम सभी ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा मनमाने तरीके से ट्रिपल तालक के दुरुपयोग के बारे में नहीं सुना है? बेबस और लाचार पत्नी को सालों तक इंसाफ नहीं मिलता था।
हालांकि, शासन की धर्मनिरपेक्ष भावना को प्रदर्शित करते हुए सरकार ने तालक-ए-बिद्दत की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पारित किया। हालांकि, राज्यसभा में पारित नहीं होने पर, सरकार ने तत्काल ट्रिपल तालक के खिलाफ अध्यादेश मार्ग के माध्यम से अपने संकल्प की फिर से पुष्टि की है।
गरीब
सभी के लिए इक्विटी और जस्टिस सुनिश्चित करने वाले एक ऐतिहासिक फैसले में, संविधान (103 वां संशोधन) अधिनियम 2019, ओबीसी, एससी और एसटी को मौजूदा आरक्षण को प्रभावित किए बिना मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया था। यह सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10% आरक्षण देता है, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है। प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए 10% आरक्षण को लागू करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में 25% अतिरिक्त सीटें उपलब्ध कराई गई।
इसलिए, उपरोक्त उपायों के माध्यम से सरकार ने खुद को एक सशक्त और दयालु साबित किया है। अन्य तरीकों के साथ विधायी उपायों को लागू करने से स्पष्ट संदेश जाता है कि सरकार समाज के सबसे कमजोर वर्गों को वास्तव में सशक्त बनाने के लिए अपनी ताकत से सब कुछ करेगी। कमजोरों का सशक्तिकरण समाज को संपूर्ण रूप से सशक्त बनाता है।