प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि देश के युवाओं में ‘can do spirit’ होती है और वे देश की ‘can do generation’ हैं। अमृत पीढ़ी को देश का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है और इसे विकसित भारत का आधार बनाने वाले चार स्तंभों में से एक के रूप में पहचाना गया है। भारत में स्टार्टअप जोश हाई है क्योंकि भारत हर घंटे चार स्टार्टअप जोड़ता है, जो विश्व स्तर पर उच्चतम है।

कई सरकारी योजनाओं के प्रभाव के कारण देश आज उद्यमशीलता की भावना की लहर देख रहा है। हर घर में, स्टेटस और बैकग्राउंड की परवाह से परे, लोग बिजनेस शुरू करना चाहते हैं और अपनी कंपनियों की स्थापना करना चाहते हैं। यह तथ्य है कि समस्या के समाधान खोजने के जुनून के साथ इनोवेशन, एक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना सकता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है।

पहले फिल्मों में सिर्फ युवाओं को ही दिखाया जाता था जो या तो आरामदेह नौकरियां छोड़ देते थे या फिर बड़े पैमाने के ट्रस्ट फंड होने के कारण प्रतिष्ठित कोर्स बीच में छोड़कर अपना उद्यम शुरू कर लेते थे। अब फिल्मों में ऐसे आम लोगों को दिखाया जाता है जिनके पास ना तो कोई खास आर्थिक मदद होती है और ना ही ज्यादा पूंजी, लेकिन किसी समस्या का समाधान निकालने का जुनून होता है और वही उनके उद्यमशीलता के सफर की शुरुआत बनती है। सरकार के समर्थन से, युवा उद्यमी मानते हैं कि समस्याओं का समाधान अपने उद्यमशीलता के जज्बे और दृढ़ संकल्प के जरिए ही निकाला जा सकता है, और सरकार उन्हें सहयोग देगी। अतीत में, पीएम मोदी ने देश के दूर-दराज के कोनों तक पहुंचने वाली सरकारी योजनाओं के प्रभावों की सराहना की और 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में चिह्नित किया गया।

यूनिकॉर्न से लेकर डेकाकॉर्न और रोजगार सृजन तक

2014 के बाद से, जब उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त भारत में सिर्फ 350 स्टार्टअप थे, अब 1.15 लाख स्टार्टअप पंजीकृत हैं (नवंबर 2023 तक)। भारत के युवाओं ने भारत को वैश्विक स्तर पर 10 में से 1 यूनिकॉर्न का घर बनाकर दुनिया को अपनी 'कैन डू' स्पिरिट की शक्ति दिखाई है! स्टार्टअप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं के कारण, भारत की स्टार्टअप यात्रा ने उड़ान भरी है। देश 100 से अधिक यूनिकॉर्न का घर है, और इनमें से 52% स्टार्टअप टियर 2 और टियर 3 शहरों से हैं। अकेले 2022 में, इसने 29.2 बिलियन डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 22 यूनिकॉर्न की वृद्धि देखी। देश के स्टार्टअप्स के लिए भविष्य उज्ज्वल दिखता है क्योंकि अधिक से अधिक भारतीय यूनिकॉर्न डेकाकॉर्न बनने की राह पर हैं (10 बिलियन डॉलर का मूल्यांकन प्राप्त करना)।

स्टार्टअप भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करके देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अब तक, भारतीय स्टार्टअप ने 10.34 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न की हैं और ई-कॉमर्स, फिनटेक, एडटेक और हेल्थ टेक जैसे क्षेत्रों में रोजगार विस्तार कर रहे हैं। ये स्टार्टअप गिग इकॉनमी रोजगार के अवसरों के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा

युवा दिमागों के लिए पीएम मोदी की भावपूर्ण अपील को उनके बयान में समझाया जा सकता है, "अपने सपनों को केवल स्थानीय न रखें, उन्हें वैश्विक बनाएं। इस मंत्र को याद रखें- आइए भारत के लिए इनोवेशन करें, भारत से इनोवेशन करें।” भारत में इनोवेशन तीव्र गति से फल-फूल रहा है। नए बाजार उभरते हैं और अनंत अवसर लाते हैं, जिन्हें भारतीय युवा जल्दी से पकड़ लेते हैं और सफल होते हैं। नतीजतन, भारतीय स्टार्टअप 56 विविध औद्योगिक क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने के लिए जाने जाते हैं, जिसमें आईटी सेवाओं से 13%, स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान से 9%, शिक्षा से 7%, कृषि से 5% और खाद्य और पेय पदार्थों से 5% 2022 तक शामिल हैं।

स्कूलों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स जैसे इनक्यूबेशन प्लेटफॉर्म युवा इनोवेटर्स को नए विचारों पर काम करने में सक्षम बनाते हैं। ये लैब्स उज्ज्वल युवा दिमागों के लिए बाधाओं को दूर करने और उन्हें अपने विचारों का परीक्षण करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए एक संस्थागत तंत्र के रूप में काम करती हैं। 75 लाख छात्र सक्रिय रूप से इन लैब्स से जुड़े हुए हैं, रचनात्मकता और इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।

पीएम मोदी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 41,000 से अधिक पेटेंट प्रदान किए जाने के साथ एक इनोवेशन-संचालित नॉलेज इकोनॉमी की दिशा में हमारी प्रगति में एक उल्लेखनीय उपलब्धि की भी सराहना की है।

महिला उद्यमियों की संख्या में बढ़ोतरी

महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए, सिडबी द्वारा संचालित फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टार्टअप्स योजना ने अपने फंड का 10% आवंटित किया है, जो विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले उपक्रमों के लिए 1,000 करोड़ रुपये है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के नेतृत्व में स्टार्टअप में इक्विटी और ऋण दोनों के प्रवाह को प्रोत्साहित करना है। इस वित्तीय सहायता को पूरक बनाते हुए, महिला उद्यमियों के लिए एक वर्चुअल इनक्यूबेशन कार्यक्रम लागू किया गया है। यह कार्यक्रम 20 महिलाओं के नेतृत्व वाले तकनीकी स्टार्टअप को तीन महीने के लिए प्रो-बोनो एक्सीलेरेशन समर्थन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो प्रतिस्पर्धी स्टार्टअप परिदृश्य में उनके ग्रोथ और डेवलपमेंट को और बढ़ावा देता है।

भारत में 47% स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक है। WISER द्वारा वीमेन इन इंडियाज स्टार्टअप इकोसिस्टम रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप का प्रतिशत पिछले पांच वर्षों में 18% तक बढ़ गया है। 2017 में, कंपनी का 10% महिला संस्थापकों के नेतृत्व में था। 2022 में, महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप का अनुपात उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 18% हो गया। रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि 2022 में 105 यूनिकॉर्न में से 17% का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाता है।

भारत के भविष्य के लिए फंडिंग: स्टार्टअप्स को समर्थन

स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान जैसी कई पहलें मजबूत सरकारी समर्थन, योजनाओं और प्रोत्साहनों के लिए आधार तैयार करने में महत्वपूर्ण रही हैं। इसके अतिरिक्त, स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी योजना अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और वेंचर डेट फंड (VDFs) के माध्यम से उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को दिए गए ऋणों के लिए क्रेडिट गारंटी प्रदान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2016 के बाद से, सरकार ने 50 से अधिक नियामक सुधार किए हैं, जो व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने, पूंजी जुटाने की सुविधा और स्टार्टअप इकोसिस्टम के भीतर कंप्लायंस बोझ को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सरकारी ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, 3 साल की आयकर छूट, और स्टार्ट-अप बौद्धिक संपदा संरक्षण का कार्यान्वयन स्टार्टअप्स को पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क के लिए आवेदन दाखिल करने के लिए सशक्त बनाता है। आसान एग्जिट के लिए एक फास्ट-ट्रैक सिस्टम की शुरूआत और ग्लोबल प्लेयर्स के साथ भारतीय स्टार्टअप को जोड़ने की पहल सामूहिक रूप से स्टार्टअप परिदृश्य को पोषित करने के उद्देश्य से व्यापक उपायों का उदाहरण है। इन ठोस प्रयासों ने न केवल मौजूदा स्टार्टअप की काफी सहायता की है, बल्कि देश भर में नए स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्टार्टअप इकोसिस्टम के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए, ये उपाय एक ऐसे वातावरण में योगदान करते हैं जो इनोवेशन, उद्यमिता और ग्लोबल कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करता है, जिससे भारत स्टार्टअप्स के लिए एक समृद्ध केंद्र के रूप में खड़ा होता है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।