अमर उजाला के साथ श्री नरेन्द्र मोदी के इंटरव्यू के कुछ अंश:

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में रेस से ही बाहर है।

अमर उजाला के आशुतोष चतुर्वेदी और संजय पांडेय को दिए ईमेल इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि नीयत साफ हो तो कठिन से कठिन काम को भी अंजाम दिया जा सकता है। उनका मानना है कि देश के विकास के लिए हर राज्य के हिसाब से अलग-अलग विकास मॉडल बनाए जाने की जरूरत है। प‌ढ़िए नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू विस्तार से-

सवाल: आप प्रधानमंत्री बने तो आपकी प्राथमिकता क्या होगी? संभावित सरकार में आडवाणी जी, जोशी जी जैसे वरिष्ठ नेताओं की क्या भूमिका होगी

जवाब: सरकार बनने पर हमारा पहला काम सरकार तथा सरकारी व्यवस्था में लोगों का भरोसा लौटाना होगा। दूसरा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए हम प्रभावी कदम उठाएंगे। महंगाई को काबू में करने के लिए भी तत्काल कदम उठाए जाएंगे। सरकारी व्यवस्था में जान फूंकना एवं निर्णय प्रक्रिया को कारगर बनाना होगा। इसके अलावा ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ से निजात पाना भी हमारी प्राथमिकता होगी। वरिष्ठ नेताओं की भूमिका का सवाल सरकार बनने के बाद का है। समय आने पर इस पर भी फैसला ले लिया जाएगा।

सवालः चीन भारत के लिए समस्याएं पैदा करता है उसको लेकर आपकी क्या नीति होगी?

जवाबः अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध रहेगी। परंतु जहां भी सीमा विवाद हो, परिपक्व तरीके से पड़ोसी देशों के साथ बैठकर शांतिपूर्ण रूप से समस्याओं का हल निकालने में हमारा विश्वास है। हम न किसी को आंख दिखाना चाहते हैं और न ही चाहते हैं कि कोई हमें आंख दिखाए। हम चाहते हैं कि आंख से आंख मिलाकर बात करें।

सवालः आपके और अमेरिका के संबंध सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनते रहे हैं। अमेरिका के साथ संबंध किस दिशा में जाएंगे

जवाबः जब दो देशों के संबंधों की बात की जाए तो व्यक्तिगत क्षति या व्यक्तिगत अनुभव गौण हो जाते हैं। इस बारे में मेरे विचार बहुत स्पष्ट हैं। अमेरिका हो या दुनिया का कोई अन्य देश एक परिपक्व राष्ट्र के रूप में भारत सभी के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है। अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में एक नए दौर की शुरूआत वाजपेयी जी की सरकार में हुई थी। हम उसे और आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

सवालः माना जा रहा है कि आपने सभी क्षेत्रीय दलों से बैर मोल ले लिया है। चाहे वह जयललिता हों या ममता या मायावती अगर सहयोग की जरूरत पड़ी तो बात कैसे बनेगी

जवाबः देखिए, चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर तो चलेगा ही। और यही हमारे लोकतंत्र की विशेषता भी है। मुझे पूरा भरोसा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार केंद्र में बनने जा रही है। भाजपा और साथी दल केंद्र में सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल अवश्य हासिल कर लेंगे। हमारा 25 दलों का बड़ा और ताकतवर गठबंधन है और शायद यह भारत के चुनावी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा प्री पोल अलायंस है।

सवालः गांधी परिवार के बारे में आप क्या सोचते हैं। आप राहुल और सोनिया को तो निशाना बनाते हैं, लेकिन प्रियंका पर कुछ भी नहीं बोलते। जबकि वह आपके खिलाफ बोलने का कोई अवसर नहीं छोड़तीं। आपका क्या कहना है

जवाबः मैं पहले ही कह चुका हूं कि एक बेटी होने के नाते उन्हें अपनी मां और भाई के लिए प्रचार करने का पूरा अधिकार है। यह स्वाभाविक है कि एक बेटी अपनी माता का बचाव करेगी और एक बहन अपने भाई का बचाव करेगी। मुझे इससे कोई समस्या नहीं है।

सवालः राबर्ट वाड्रा आप सभी के निशाने पर हैं। उमा भारती कहती रही हैं कि एनडीए सरकार आई तो वाड्रा जेल में होंगे। वाड्रा के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कोई जांच बिठाएंगे

जवाबः देखिए, हमारा देश कानून के मुताबिक चलता है। यह उच्च पदों पर बैठे लोगों की पसंद या नापसंद के आधार पर नहीं चलता। कानून के ऊपर कोई नहीं है चाहे वह स्वयं नरेंद्र मोदी की क्यों न हों। लिहाजा यह कोई बहस का मुद्दा नहीं है।

सवालः अहमद पटेल ने अमर उजाला से बातचीत में कहा है कि नरेंद्र मोदी किसी के दोस्त नहीं हो सकते। आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाबः मेरा यह बिल्कुल स्पष्ट मत है कि राजनीति में प्रतिस्पर्धा तो हो सकती है, परंतु दुश्मनी नहीं। शायद किसी राजनीतिक मजबूरी के चलते अहमद भाई को ऐसा बयान देने के लिए विवश होना पड़ा होगा। परंतु जो आप कह रहे हैं वैसा बयान उन्होंने यदि दिया है तो मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मुझे मेरी दोस्ती मुबारक और उन्हें उनकी दुश्मनी मुबारक।

सवालः महंगाई ने आम आदमी को तबाह कर दिया है आपने अपने भाषणों में जिक्र किया कि महंगाई पर रोक लगाएंगे। आखिर कैसे लगाम लगेगी महंगाई पर

जवाबः महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मांग और आपूर्ति के असंतुलन को दूर करने की जरूरत है। इसके लिए खाद्य कानून एवं अन्य पदार्थों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। यह तभी संभव होगा जब कृषि पर जोर दिया जाए और सिंचाई सुविधाओं का विकास किया जाए। हमें एक नई सोच के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। हमारी पार्टी के घोषणापत्र में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उल्लेख किया गया है। आश्चर्य की बात है कि आज हमारे देश में कृषि क्षेत्र का कोई रियल टाइम डाटा उपलब्ध नहीं है। लिहाजा कृषि विकास के लिए योजनाएं बनाने का कोई सटीक आधार नहीं होता। हम कृषि क्षेत्र का रियल टाइम डाटा हासिल कर उसके मुताबिक नीतियां और कार्यक्रम बनाएंगे। खाद्यान्न की कीमतों को सुव्यवस्थित रखने के लिए विशेषज्ञ फंड बनाया जाएगा। इसके अलावा हम गुजरात की श्वेत क्रांति का देश भर में प्रसार करना चाहेंगे।

सवालः एफडीआई के संबंध में आप क्या सोचते हैं। क्या यह भारत की आर्थिक प्रगति के लिए जरूरी है। रिटेल में एफडीआई को लेकर आप का क्या मानना है?

जवाबः अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए तेज विकास की जरूरत है। और विकास के लिए निवेश की आवश्यकता है। हमारे यहां निवेश तभी आएगा जब वातावरण अनुकूल होगा। निवेश तभी आएगा जब निवेशकों का भरोसा हम व्यवस्था में लौटा पाएंगे। ऐसे में नीतियों का महत्व तो है ही, परंतु विश्वसनीयता और ट्रैक रिकार्ड भी मायने रखता है। रिटेल एफडीआई में हमारा रुख पार्टी के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया गया है।

सवालः उत्तर प्रदेश और बिहार से इतनी बड़ी संख्या में इतने बड़े-बड़े नेता आए फिर भी ये राज्य पिछड़े हुए हैं। इन राज्यों की स्थिति कैसे सुधारी जा सकती है

जवाबः आम तौर पर हमारे देश के लोगों की समस्याएं समान हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता को पिछले कई सालों से जातिवाद का जहर फैलाने वाली पार्टियों का कुशासन झेलना पड़ा है। विकास की राजनीति के बजाय यह राज्य अगड़ों-पिछड़ों की राजनीति के चलते विकास की दौड़ से काफी पिछड़ गए हैं। यही वजह है कि देश को अनेक कद्दावर नेता देने वाले ये राज्य आज बेहाल स्थिति में हैं। हमारा मानाना है कि जब तक उत्तर प्रदेश और बिहार विकास की दौड़ में आगे न आएं तब तक भारत विकसित नहीं हो सकता है। उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोगों में और विशेषकर वहां के युवाओं में इस बार भाजपा को लेकर बहुत उत्साह है बहुत आशाएं भी हैं। यदि हम सत्ता में आए तो इन राज्यों के विकास के लिए खास रोडमैप तैयार किया जाएगा। अहम बात नीयत की है। यदि आपकी नीयत सही है तो इन राज्यों में भी विकास की अपार संभावनाएं हैं। भरपूर प्राकृतिक संसाधन से लैस ये राज्य भ्रष्टाचार और कुशासन के चलते ही विकास से महरूम हैं। दरअसल अब ये स्पष्ट हो रहा है कि बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लोग भी विकास एवं सुशासन के लिए उतने तत्पर हैं, जितने अन्य राज्यों के लोग। सो हमारी कोशिश होगी कि हम जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पुरजोर प्रयास करें।

सवालः यूपी में भाजपा कितनी सीटें जीतेगी? यूपी में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी आप किसे मानते हैं? जवाबः भाजपा उत्तर प्रदेश में भारी अंतर से जीत दर्ज करने जा रही है। कांग्रेस तो रेस में है ही नहीं। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की अवसरवादी राजनीति को भी जनता अब पहचान चुकी है। देश के सबसे बड़े राज्य की जनता में अब विकास की भूख जाग उठी है। भाजपा की रैलियों में उमड़ रहा अपार जन सैलाब इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मुकाबला भाजपा के पक्ष में एकतरफा जाने वाला है। संप्रदाय और जाति की घिसी पिटी राजनीति से ऊब चुकी जनता इस बार भाजपा की विकास की राजनीति पर अपनी मुहर लगाने जा रही है। हम उत्तर प्रदेश में इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। जैसा कि मैंने सार्वजनिक रूप में कहा है, ‘इस बार यूपी में ‘सबका’ सफाया होने वाला है। यानी सपा बसपा और कांग्रेस का।’

सवालः यदि आप वाराणसी और वडोदरा दोनों सीटें जीतते हैं तो कौन सी सीट छोड़ेंगे

जवाबः इस बात का निर्णय मेरी पार्टी करेगी कि किस सीट से मैं लोकसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करूंगा। पार्टी का अनुशासित कार्यकर्ता होने के नाते मैं अपनी पार्टी के निर्णय का पूरी निष्ठा से पालन करने को प्रतिबद्ध हूं।

सवालः बनारस की गली-मुहल्लों में चर्चा है कि मोदी के आते ही बनारस का कायाकल्प हो जाएगा। लोगों के बीच आपने भारी अपेक्षाएं जगा दी हैं, कैसे होगा यह सब

जवाबः देश की इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी को उसका पुराना गौरव दिलाने के लिए हम विशेष योजना कार्यान्वित करेंगे। हम वाराणसी को वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में देखते हैं। ज्ञान आध्यात्म चिंतन और संस्कृति की इस नगरी को वैश्विक पर्यटन केंद्र बनाने की हमारी मंशा है। गंगा बनारस की जीवन रेखा है। और इसे माता का दर्जा हासिल है। लेकिन सरकारों की उदासीनता के चलते गंगा आज सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में से एक मानी जा रही है। हालांकि इसके सफाई अभियान पर हजारों करोड़ खर्च करने का दावा किया जाता है। लेकिन हकीकत यह बताती है कि गंगा की सफाई के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार ही हुआ है सफाई नहीं। हमारी सरकार गंगा के शुद्धीकरण का कार्य पूरी ईमानदारी से करेगी और दुनिया भर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस न पहुंचे इसका ध्यान रखेगी। वाराणसी के बुनकर शहर के इतिहास का अभिन्न अंग हैं। बनारसी साड़ी न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में विख्यात है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही इस विरासत को दिल्ली और लखनऊ की सरकारों की असंवेदनशीलता का खामियाजा भुगतना पड़ा। वाराणसी के हथकरघा उद्योग को आधुनिक बनाने तथा इसका वैल्यू एडीशन करने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं। इसके विकास के लिए जरूरी बेहतरीन कच्चे माल से लेकर उत्पाद की मार्केटिंग का काम हम सुनिश्चित करेंगे। ताकि बनारसी साड़ी के अतीत का वैभव फिर से स्थापित हो सके। दुनिया भर के ज्ञान केंद्र के रूप में प्रसिद्ध और देश-विदेश के पर्यटकों को लुभाने वाले बनारस में ढांचागत सुविधाएं अपनी बदहाली स्वयं बयां कर रही हैं। यह हमारी सरकारों की लापरवाही या फिर अज्ञानता ही है कि जिस ऐतिहासिक स्थल पर देश दुनिया के लोगों की आवाजाही है वह शहर मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। हम इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे कि वाराणसी को ढांचागत सुविधाओं से लैस करें। सड़क बिजली पानी परिवहन और दुनिया भर के अतिथियों के सत्कार के लिए बेहतरीन होटलों की सर्वोत्तम सुविधाएं खड़ी करें। हम चाहते हैं कि पर्यटक जब यहां से वापस लौटे तो वह शहर की सुनहरी यादें अपनी स्मृति में लेकर जाए।

सवालः अपने नामांकन भरने के दौरान एक भावुक बयान दिया था, ‘ तो किसी ने मुझे भेजा है। और खुद आया हूं। मुझे मां गंगा ने बुलाया है।बनारस समेत समूचे यूपी में आप गंगा की स्थिति से भली भांति अवगत हैं कैसे करेंगे गंगा का उद्धार

जवाबः कोई भी काम आपके मनोबल से बड़ा नहीं होता। यदि मन में अटल विश्वास के साथ काम करने की नीयत हो तो हर काम को अंजाम दिया जा सकता है। जहां तक मां गंगा का सवाल है तो आज तक इस संबंध में सिर्फ कागजों पर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने के अलावा ठोस कुछ भी नहीं किया गया। केंद्र की सरकार ने गंगा सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपये फूंक डाले परंतु गंगा आज भी मैली की मैली ही है। मैं यहां गुजरात का एक दृष्टांत पेश करना चाहता हूं। एक वक्त था जब अहमदाबाद में साबरमती नदी एक गंदे नाले के रूप में तब्दील हो गई थी। नदी जैसा कुछ बचा नहीं था। विशालकाय सूखा मैदान बन चुकी साबरमती नदी में शहर भर की गंदगी का अंबार लगा रहता था। हमने शहर के मध्य से गुजरने वाली इस नदी में सफाई अभियान चलाया। नदियों को जोड़ने की योजना के तहत इसे नर्मदा के पानी से छलकाकर वास्तव में इठलाती नदी की सूरत प्रदान की। आज साबरमती नदी शहरवासियों की सैर का मुख्य ठिकाना बन गई है। इससे शहर में खूबसूरती तो बढ़ी ही है, साथ ही बारहों महीने पानी से लबालब होने के कारण शहर का जलस्तर भी ऊंचा हो गया है। कहना सिर्फ इतना है कि एक राज्य के रूप में सीमित संसाधनों के बल पर हमने ऐसी नदी का कायापलट किया जो अपना वास्तविक स्वरूप खो चुकी थी। जाहिर है कि गंगा की सफाई का काम भी कुछ इसी तरह करना होगा। हां इसका दायरा जरूर विशाल होगा। लेकिन बात नीयत और जज्बे की है। करोड़ों देशवासियों की आस्था से जुड़ी मां गंगा के उद्धार के लिए हम ठोस योजना के साथ कार्य को अमली जामा पहनाएंगे।

सवालः चुनाव अभियान के दौरान आप देश भर में घूमे, साथ ही यूपी के लगभग प्रमुख शहरों में आपकी रैलियां हुईं। लोगों की अपेक्षाएं चरम पर हैं। समूचे यूपी का पुनरुद्धार कैसे करेंगे? जवाबः पिछले बरसों के दौरान राजनीति के गिरते स्तर ने सरकारों के प्रति लोगों के मन में तिरस्कार और निराशा की भावना पैदा कर दी है। लंबे अरसे के बाद चुनावी राजनीति में जनता की दिलचस्पी उभरकर सामने आ रही है। समूचे देश में आशा का संचार हो रहा है। मैं इस बात से बखूबी वाकिफ हूं कि जनता को भाजपा से बहुत उम्मीदें हैं। मैं समझता हूं कि हमारी जनता को भी सपने संजोने एवं आशाओं के दीप प्रज्वलित करने का अधिकार है। अपेक्षाओं का चरम पर होना कोई बुरी बात नहीं है। हमें इन बातों का पूरी तरह से ध्यान है और उसी के मुताबिक कड़ी मेहनत करने की मानसिक तैयारी भी हम कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश का विकास हमारी प्राथमिकता में है। इस राज्य के विकास के साथ पश्चिम और पूर्वी भारत के बीच विकास के असंतुलन को साधने में काफी मदद मिलेगी।

सवालः बगैर राज्य सरकार के सहयोग के केंद्र सरकार अकेले कैसे किसी राज्य का स्तर उठा सकती है? जवाबः यह सही है कि केंद्र और राज्य के सहयोग से प्रगति की राह आसान हो जाती है। नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में दोनों पक्षों की सहभागिता विकास को एक नई ऊंचाई प्रदान करती है। हमारा पुरजोर प्रयास होगा कि हम केंद्र और राज्यों के बीच सद्भावनापूर्ण संबंध स्थापित करें। विवादास्पद मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश करें। देशहित का ध्यान रखते हुए हम एक श्रेष्ठ भारत के निर्माण की दिशा में कार्यरत रहेंगे।

सवालः उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के दौरान आपने कहा कि उत्तराखंड की त्रासदी ने आपको झकझोर दिया था, लेकिन मुझे आंसू पोंछने की इजाजत नहीं मिली। अब उत्तराखंड के विकास का आपके पास क्या मॉडल है

जवाबः हम सभी पर्वतीय और दूरदराज स्थित राज्यों की विशेष जरूरतों और समस्याओं को समझते हैं। इन राज्यों की सरकारों की सलाह से राज्य आधारित विकास प्राथमिकता मॉडल तैयार किए जाएंगे ताकि लोगों की आकांक्षाएं पूरी हो सकें। भाजपा वैश्विक स्तर पर हिमालय के संरक्षण के लिए चेतना जगाने को प्रतिबद्ध है। इसके तहत कई कदम उठाएं जाएंगे जैसे विभिन्न प्रदेशों और क्षेत्रों को समन्वित कर अंतर-सरकारी साझेदारी के अंतर्गत एक अद्भुत और अभूतपूर्व कार्यक्रम ‘नेशनल मिशन ऑन हिमालय’ शुरू करना। हिमालय संरक्षण फंड की स्थापना करना। हिमालय प्रौद्योगिकी को समर्पित एक केंद्रीय प्रौद्योगिकी की स्थापना करना। हिमालय के ग्लेशियर (जहां से उत्तर भारत की ज्यादातर नदियां निकलती हैं) को पिघलने से बचाने के लिए विशेष कार्यक्रम को महत्व के हिसाब से क्रियान्वित करना। भाजपा उत्तराखंड की खास समस्याओं तथा चुनौतियों का अध्ययन कर विकास की दिशा में उचित कदम उठाएगी।

सवालः पर्यटन उद्योग पर आपका फोकस रहा है। हिमाचल में आपने पर्यटन की अपार संभावनाएं बताईं हैं। आपने खुद को हिमाचल के साथ भावनात्मक रूप में जोड़ा है। हिमाचल की दुर्गम पहाड़ियों के बीच आप विकास का रास्ता कैसे निकालेंगे

जवाबः निश्चित तौर पर पर्यटन आज दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा कर रहा है। हमारे देश में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन अफसोस हम इसका फायदा नहीं उठा पाए। पहाड़ों की नैसर्गिक खूबसूरती के जरिए सैलानियों का मन मोह लेने वाले हिमाचल में पर्यटन उद्योग के लिए अनुकूल माहौल है। जरूरत है तो बस सरकार द्वारा इस दिशा में कार्य करने की। हम हिमाचल में पर्यटन विकास के लिए स्थानीय वस्तुस्थिति को ध्यान में रखते हुए योजना बनाएंगे। हमारे देश में आध्यात्म की बहुमूल्य विरासत है। हिमाचल में दुनिया भर के बौद्ध मतावलंबियों को आकर्षित करने का माद्दा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्यटन उद्योग के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर एक पूर्व शर्त मानी जाती है। सड़क बिजली पानी और परिवहन जैसी प्राथमिक सुविधाएं सैलानियों की राह आसान करती है। हमारा प्रयास होगा कि हिमाचल में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने पर विशेष ध्यान दें।

सवालः कश्मीर देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, इसे कैसे संभालेंगे

जवाबः कश्मीर भारत का अविभाज्य हिस्सा है। मेरा मानना है कि वहां के लोगों की देश के संविधान में उतनी ही आस्था है, जितनी अन्य राज्यों के लोगों की। इसी तरह भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार उन्हें भी उतने ही हासिल हैं, जितने देश के अन्य नागरिकों को। कश्मीर समस्या दशकों से देश के लिए बड़ी चुनौती रही है। मौजूदा हालात में दो चीजों पर काम करने की जरूरत है, पहली बात कश्मीरी जनता का दिल जीतना। शुरू से ही भ्रामक स्थिति में जी रहे कश्मीरियों को भरोसा दिलाना होगा कि समूचा देश उनके साथ खड़ा है। कश्मीर की तरक्की और अमनचैन के लिए हम नेक नीयत के साथ प्रयास करेंगे। दूसरी बात अविश्वास की खाई को पाटना। कश्मीरी जनता के मन में जो भी अविश्वास है उसे दूर करने के लिए सार्थक प्रयास किए जाएंगे। इसके तहत कश्मीरियों को सुशासन की छांव में सुरक्षा के अहसास के साथ विकास का साझीदार बनाया जाएगा। राज्य में व्याप्त बेरोजगारी से निपटने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। इसके अलाव कश्मीर में व्यवसाय और पर्यटन को नई ऊंचाई पर ले जाने की भी हमारी पार्टी की मंशा है। कुल मिलाकर कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत की नीति पर चलते हुए राज्य को सचमुच ही इस पृथ्वी का स्वर्ग बनाने का हर संभव प्रयास करेंगे।

सवालः पाकिस्तान भारत को लगातार चुनौती देता है, लेकिन यह भी सच है कि आप पड़ोसी नहीं बदल सकते। पाकिस्तान को कैसे साधेंगे

जवाबः मैं अपने विचार इस बारे में पहले ही व्यक्त कर चुका हूं कि हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। दोनों देशों का संबंध आपसी सम्मान और सहअस्तित्व पर आधारित होना चाहिए। भारत-पाकिस्तान का एक साझा इतिहास रहा है। दोनों देशों की साझी विरासत है। गरीबी से दोनों जूझ रहे हैं। समाज का एक बड़ा तबका गरीबी की वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। मैं समझता हूं कि आपस में लड़ने के बजाय दोनों मुल्कों का गरीबी के खिलाफ लड़ना ज्यादा जरूरी है।

Courtesy: Amar Ujala

 

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भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ट्रेड और कॉमर्स; कुवैत और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं तथा दोनों तरफ से व्यापार बढ़ रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री ने KUNA को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "ट्रेड और कॉमर्स हमारे द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ रहा है। हमारी एनर्जी पार्टनरशिप हमारे द्विपक्षीय व्यापार में यूनिक वैल्यू जोड़ती है।"

भारतीय प्रधानमंत्री शनिवार को कुवैत पहुंचे। यह चार दशक से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।

उन्होंने कहा, "हमें 'मेड इन इंडिया' उत्पादों, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी तथा टेलिकॉम क्षेत्रों में कुवैत में नई पैठ बनाते हुए देखकर खुशी हो रही है। भारत आज सबसे किफायती लागत पर विश्व स्तरीय उत्पादों का निर्माण कर रहा है। गैर-तेल व्यापार में विविधता लाना द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की कुंजी है।"

उन्होंने कहा कि फार्मास्यूटिकल, हेल्थ, टेक्नोलॉजी, डिजिटल, इनोवेशन और टेक्सटाइल क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने व्यापार मंडलों, उद्यमियों और इनोवेटर्स से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे के साथ अधिक से अधिक जुड़ें और बातचीत करें।

कुवैत की अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा: "मुझे कुवैत आकर बहुत खुशी हो रही है। मैं महामहिम कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा को उनके सम्मानजनक निमंत्रण के लिए धन्यवाद देता हूं। यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है।" उन्होंने कहा, "अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन में भाग लेने के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए मैं महामहिम को धन्यवाद देता हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं टूर्नामेंट की सफल मेजबानी के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और कुवैत के बीच गहरा और ऐतिहासिक संबंध है तथा दोनों देशों के बीच संबंध हमेशा गर्मजोशी से भरे और मैत्रीपूर्ण रहे हैं तथा इतिहास की धाराओं और विचारों एवं व्यापार के माध्यम से आदान-प्रदान ने लोगों को करीब और एक साथ लाया है।

मोदी ने कहा, "हम अनादि काल से एक-दूसरे के साथ व्यापार करते आ रहे हैं। फ़ैलाका द्वीप में हुई खोजें हमारे साझा अतीत की कहानी बयां करती हैं। भारतीय रुपया 1961 तक एक सदी से भी अधिक समय तक कुवैत में वैध मुद्रा था। यह दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्थाएं कितनी घनिष्ठ रूप से जुड़ी थीं।"

उन्होंने कहा कि भारत; कुवैत का स्वाभाविक व्यापारिक साझेदार रहा है और समकालीन समय में भी ऐसा ही बना हुआ है तथा सदियों से लोगों के बीच संबंधों ने दोनों देशों के बीच मित्रता के विशेष बंधन को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने कहा: "कुल मिलाकर, द्विपक्षीय संबंध अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं और अगर मैं कहूँ तो, नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। मैं रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को बढ़ाने के लिए महामहिम अमीर के साथ अपनी बातचीत के लिए उत्सुक हूँ।" "हमारे ऐतिहासिक संबंधों की मजबूत जड़ें हमारी 21वीं सदी की साझेदारी के परिणामों से मेल खानी चाहिए - गतिशील, मजबूत और बहुआयामी। हमने साथ मिलकर बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारी साझेदारी के लिए संभावनाएं असीम हैं। मुझे यकीन है कि यह यात्रा इसे नए पंख देगी," मोदी ने जोर दिया।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि कुवैत में भारतीय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिनकी संख्या दस लाख से अधिक है तथा भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है तथा कई भारतीय कंपनियां कुवैत में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं क्रियान्वित कर रही हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कुवैत इंवेस्टमेंट अथॉरिटी ने भारत में पर्याप्त निवेश किया है और अब भारत में निवेश करने में रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर एक दूसरे के हितों के प्रति अच्छी समझ विकसित हुई है।

मोदी ने दावा किया कि उनका देश वर्तमान में विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, क्योंकि एक दशक से भी कम समय में यह विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तथा शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

उनका मानना था कि यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए अपार अवसर पैदा करती है और भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की गति असाधारण है, चाहे वह एक्सप्रेसवे, रेलवे, एयरपोर्ट, पोर्ट, एनर्जी ग्रिड हो या डिजिटल कनेक्टिविटी हो।

उन्होंने कहा, "पिछले दशक में, हमने अपने एयरपोर्ट्स की संख्या 2014 के 70 से बढ़ाकर 2024 में 150 से अधिक कर दी है। अगले पांच वर्षों में, 31 भारतीय शहरों में मेट्रो ट्रांसपोर्ट सिस्टम की सुविधा होगी। एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट संस्थानों की संख्या भी 2014 से दोगुनी हो गई है, जो ह्यूमन कैपिटल डेवलपमेंट पर मजबूत ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है। यह एक फेवरेबल डेमोग्राफी और अत्यधिक स्किल्ड वर्कफोर्स द्वारा समर्थित है।"

उन्होंने कहा, "डिजिटल अर्थव्यवस्था और सेवाएं उत्पादकता बढ़ा रही हैं, दक्षता ला रही हैं और नई उपभोक्ता मांग पैदा कर रही हैं। वैश्विक डिजिटल भुगतानों में से लगभग पचास प्रतिशत भारत में हो रहे हैं। ड्रोन से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, टेक्नोलॉजी भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल रही है।"

उन्होंने कहा, "हमारी राजनीतिक स्थिरता, पॉलिसी प्रेडिक्टेबिलिटी और रिफॉर्म-ओरिएंटेड बिज़नेस अप्रोच ने भारत को वैश्विक निवेश, मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई-चेन के लिए एक आकर्षण बना दिया है। भारत की ग्रोथ स्टोरी; सेमीकंडक्टर, विमान, ड्रोन से लेकर ई-व्हीकल तक वैश्विक निर्माताओं को देश में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रही है।"

उन्होंने कहा कि भारत का डायनमिक इकोनॉमिक एनवायर्नमेंट; इनोवेशन और उद्यमशीलता पर आधारित है, जिसमें स्टार्ट-अप में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिससे घरेलू विकास और निर्यात विस्तार दोनों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग द्वारा प्रेरित बढ़ती उपभोक्ता मांग भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवंतता को और अधिक रेखांकित करती है।

उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अगर कोई ऐसा देश है जो तेजी से विकास कर रहा है, जहां कारोबार करना आसान हो रहा है, तथा जहां अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए स्थिरता और पारदर्शिता है, तो वह भारत है।"

परिणामस्वरूप, उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय निवेश के लिए सबसे आकर्षक स्थलों में से एक है और यह कुवैती निवेशकों के लिए कोई नया बाजार नहीं है। उन्होंने आगे कहा, "कई कुवैती कारोबार हैं जो भारतीय बिजनेस इकोसिस्टम में गहराई से जुड़े हुए हैं और अपने संबंधित उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति का आनंद ले रहे हैं। हमारी निवेशक-अनुकूल व्यवस्था और उच्च-विकास अर्थव्यवस्था कई और लोगों का स्वागत करने के लिए तत्पर है।" 2047 तक भारत को एक विकसित देश में बदलने के अपने सरकार के विजन के बारे में उन्होंने कहा: "हमारा और 140 करोड़ भारतीयों का विजन 2047 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखना है, जब हम अपनी आजादी के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होंगे। हम अपने लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सभी क्षेत्रों में विकास को गति देने का प्रयास कर रहे हैं।" हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां फिजिकल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर विश्व स्तर का हो और सभी नागरिकों को उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिले।" उन्होंने कहा, "हम हर भारतीय को तेज विकास की राह पर ले जाने के लिए अपने डेवलपमेंट साइकिल में छलांग लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके परिणाम सभी के सामने हैं। पिछले दस वर्षों में, हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे सभी नियम और कानून वैश्विक मानकों के अनुसार हों, ताकि निवेशकों को घर जैसा महसूस हो।"

मोदी ने आगे कहा: "इसी तरह, मुझे बताया गया है कि कुवैत विजन 2035 देश को इकोनॉमिक और कनेक्टिविटी हब बनाकर देश के परिवर्तन पर केंद्रित है। मैं यह भी समझता हूं कि एयरपोर्ट टर्मिनल से लेकर बंदरगाह, रेल लिंक, बिजली ट्रांसमिशन, रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाएं और विशेष आर्थिक क्षेत्र जैसी कई इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।" हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के विजन में बहुत तालमेल है जो कई मोर्चों पर संरेखित है क्योंकि दोनों देशों में आर्थिक गतिविधि की जबरदस्त गति दोनों सरकारों और कंपनियों के लिए सहयोग और सहभागिता के बड़े अवसर खोलती है।

उन्होंने बताया कि कुवैत और भारत के बीच पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र साझेदारी के अलावा एजुकेशन, स्किल, टेक्नोलॉजी और रक्षा सहयोग सहित कई क्षेत्रों में व्यापक साझेदारी है।

उन्होंने कहा, "कई भारतीय कंपनियां पहले से ही कुवैत में विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगी हुई हैं। इसी तरह, हम भारत में कुवैती कंपनियों से निवेश देख रहे हैं। यह सही मायनों में पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी है।"

भारत की सॉफ्ट पावर किस प्रकार उसके वैश्विक विस्तार को प्रभावित कर सकती है, इस बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के सभ्यतागत लोकाचार और विरासत इसकी सॉफ्ट पावर की नींव हैं, तथा इसकी सॉफ्ट पावर, विशेष रूप से पिछले दशक में, इसकी विस्तारित वैश्विक उपस्थिति के साथ-साथ काफी बढ़ी है।

उन्होंने कहा, "कुवैत और खाड़ी में भारतीय फिल्में इस सांस्कृतिक संबंध का एक प्रमुख उदाहरण हैं। हमने देखा है कि कुवैत के लोगों में भारतीय सिनेमा के प्रति विशेष लगाव है। मुझे बताया गया है कि कुवैत टेलीविजन पर भारतीय फिल्मों और अभिनेताओं पर तीन साप्ताहिक शो प्रसारित होते हैं।"

मोदी ने जोर देते हुए कहा, "इसी तरह, हम अपने भोजन और खान-पान परंपराओं में कई विशेषताएं साझा करते हैं। सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण भाषाई समानताएं और साझा शब्दावली भी विकसित हुई है। भारत की विविधता और शांति, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व पर जोर कुवैत के बहुसांस्कृतिक समाज के मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होता है। हाल ही में, एक कुवैती विद्वान ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है।"

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच जीवंत सेतु का काम करता है तथा भारतीय दर्शन, संगीत और प्रदर्शन कलाओं के प्रति गहरी सराहना को बढ़ावा देता है। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष कुवैत के नेशनल रेडियो द्वारा 'नमस्ते कुवैत' शीर्षक से साप्ताहिक हिंदी भाषा का कार्यक्रम शुरू किया गया है।

भारत का पर्यटन क्षेत्र सॉफ्ट पावर का एक और आयाम प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ आगंतुक सुविधाओं को बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों के साथ, भारत इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि कुवैत जैसे समाज के लिए, जिसके साथ भारत का समृद्ध ऐतिहासिक संबंध है, भारत के पर्यटन अवसर साझा सांस्कृतिक संबंधों को तलाशने और उन्हें गहरा करने का निमंत्रण हैं।

उन्होंने भारतीय समुदाय के संरक्षण और उनके कल्याण और भलाई का ध्यान रखने के लिए महामहिम अमीर और कुवैत सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि कुवैत में रहने वाले भारतीय, जो सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं, ने डॉक्टर, व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, इंजीनियर, नर्स और अन्य पेशेवरों के रूप में कुवैत के विकास में बहुत योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, "जैसे-जैसे हम कुवैत के साथ अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाएंगे, मेरा मानना है कि भारतीय समुदाय की भूमिका का महत्व और बढ़ेगा। मुझे विश्वास है कि कुवैती अधिकारी इस जीवंत समुदाय के अपार योगदान को पहचानेंगे और प्रोत्साहन तथा समर्थन प्रदान करना जारी रखेंगे।"

कुवैती-भारतीय ऊर्जा संबंधों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा द्विपक्षीय साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने अनुमान लगाया कि पिछले वर्ष व्यापार आदान-प्रदान 10 बिलियन डॉलर को पार कर गया, जो इस साझेदारी के गहरे विश्वास और पारस्परिक लाभ को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "दोनों देश लगातार ऊर्जा क्षेत्र में शीर्ष दस व्यापारिक साझेदारों में शुमार हैं। भारतीय कंपनियां कुवैत से कच्चे तेल, एलपीजी और पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जबकि कुवैत को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात भी करती हैं। वर्तमान में, कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा क्रूड ऑइल सप्लायर और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी सप्लायर है।"

उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तेल उपभोक्ता और एलपीजी उपभोक्ता बनकर उभर रहा है तथा कुवैत के पास वैश्विक तेल भंडार का लगभग 6.5 प्रतिशत है, इसलिए आगे सहयोग की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश संपूर्ण तेल और गैस वैल्यू चेन में अवसरों की खोज करके अपने पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक हाइड्रोकार्बन व्यापार के अलावा, सहयोग के लिए अनेक नए क्षेत्र मौजूद हैं, जिनमें तेल और गैस की संपूर्ण वैल्यू चेन, साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजीज जैसे लो-कार्बन सॉल्यूशंस में संयुक्त प्रयास शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि पेट्रोकेमिकल क्षेत्र सहयोग के लिए एक और आशाजनक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि भारत का तेजी से बढ़ता पेट्रोकेमिकल उद्योग 2025 तक 300 बिलियन डॉलर का हो जाएगा, जबकि कुवैत के पेट्रोकेमिकल विजन के तहत 2040 की रणनीति, सह-निवेश, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और म्युचुअल ग्रोथ के लिए द्वार खोल सकती है।

उन्होंने भारत और कुवैत के बीच ऊर्जा साझेदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह न केवल आर्थिक संबंधों का एक स्तंभ है, बल्कि डायवर्सिफायड और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक इंजन भी है, जो साझा समृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के भविष्य की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।

GCC-भारत संबंधों के संबंध में उन्होंने GCC की सराहना करते हुए कहा कि एक सामूहिक इकाई के रूप में भारत के लिए इसका विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों तथा साझा मूल्यों पर आधारित हैं तथा ये संबंध मजबूत हुए हैं एवं विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी के रूप में विकसित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि GCC क्षेत्र भारत के कुल व्यापार का लगभग छठा हिस्सा है तथा यहां लगभग एक तिहाई भारतीय रहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग 90 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रह रहे हैं, जो सभी छह GCC देशों में एक महत्वपूर्ण समुदाय का गठन करते हैं तथा उनके आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सितम्बर में विदेश मंत्रियों के स्तर पर सामरिक वार्ता के लिए पहली भारत-GCC जॉइंट मिनिस्टिरियल मीटिंग रियाद में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि बैठक में राजनीतिक वार्ता, सुरक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा, परिवहन तथा संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत-GCC जॉइंट एक्शन प्लान को अपनाया गया था।

भारत की वैश्विक भूमिका, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में, के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा: "भारत को ग्लोबल साउथ की ओर से बोलने का सौभाग्य प्राप्त है। हम अपने साथी विकासशील देशों के साथ बहुत कुछ साझा करते हैं - इतिहास से लेकर हमारे लोगों की आकांक्षाओं तक। इसलिए हम न केवल उनकी चिंताओं को समझते हैं, बल्कि उन्हें महसूस भी करते हैं। जारी संघर्षों और खाद्य, ईंधन और उर्वरक की परिणामी चुनौतियों ने ग्लोबल साउथ को बुरी तरह प्रभावित किया है। वे क्लाइमेट-चेंज का भी असमान रूप से खामियाजा भुगत रहे हैं।

उन्होंने अपने देश को ग्लोबल साउथ के लिए एक विश्वसनीय विकास साझेदार, उनके और अन्य लोगों के लिए संकट के समय फर्स्ट रिस्पोंडर, क्लाइमेट-एक्शन में अग्रणी तथा समावेशी ग्रोथ एवं डेवलपमेंट का समर्थक बताया।

उन्होंने आगे कहा: "जब हमने G20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने विकासशील देशों की चिंताओं को आवाज दी। हमने लोगों की जरूरतों को बढ़ाने और उन पर कार्रवाई करने के लिए 3 वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट्स की मेजबानी की। हमें गर्व है कि नई दिल्ली समिट में अफ्रीकन यूनियन G20 का स्थायी सदस्य बना। यह ग्लोबल साउथ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, और हमारे लिए गौरव का क्षण है।" क्षेत्रीय और वैश्विक संघर्षों, मुख्य रूप से गाजा और यूक्रेन के संबंध में, मोदी ने कहा कि युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है, उन्होंने मतभेदों को दूर करने और बातचीत के माध्यम से समाधान प्राप्त करने के लिए हितधारकों के बीच ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव के महत्व पर बल दिया।

इस संदर्भ में, उन्होंने उन गंभीर प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे शांति की शीघ्र बहाली हो सके, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन में।

मानवीय पक्ष पर, उन्होंने कहा कि उनके देश ने पिछले महीने गाजा को 70 टन मानवीय सहायता, लगभग 65 टन दवाइयाँ भेजीं, इसके अलावा पिछले दो वर्षों में UNRWA को 10 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई।

मोदी ने सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना की दिशा में बातचीत के माध्यम से टू-स्टेट सॉल्यूशन के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।

एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी पहल पर मोदी ने कहा: "हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन क्लाइमेट-चेंज से अधिक गंभीर कोई चुनौती नहीं है। हमारी पृथ्वी पर दबाव है। हमें तत्काल सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है और ऐसी कार्रवाई जिसमें संपूर्ण वैश्विक समुदाय शामिल हो। कोई भी इसे अकेले नहीं कर सकता। हमें एक साथ आना होगा।"

उन्होंने कहा, "भारत सभी देशों को साथ लाकर प्रो-प्लेनेट एक्शन को बढ़ावा देना चाहता है। तमाम ग्रीन ग्लोबल इनीशिएटिव्स को आगे बढ़ाने के पीछे यही विचार है।"

उन्होंने भारत के नेतृत्व वाले ग्रीन इनीशिएटिव्स को सभी देशों के लिए क्लाइमेट-चेंज से सामूहिक रूप से निपटने, एनवायर्नमेंटल सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने, आपदा प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और क्लीन एनर्जी की ओर ग्लोबल ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने के लिए मंच के रूप में माना।

स्रोत: KUNA