भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और इस धरती के सपूत आदरणीय श्री राजनाथ सिंह जी, हम सबके मार्गदर्शक हमारे वरिष्‍ठ नेता आदरणीय डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमान लक्ष्‍मीकांत वाजपेयी जी, श्रीमान कलराज जी, आदरणीय श्री कल्‍याण सिंह जी, श्रीमान ओम प्रकाश सिंह जी, श्रीमान अमित भाई शाह, श्री रामेश्‍वर चौरसिया, श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, श्रीमान लाल जी टंडन जी, श्री केसरी नाथ त्रिपाठी जी, श्रीमान रमापति जी, श्रीमान सूर्यप्रताप जी, मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और काशी क्षेत्र के कोने-कोने से आए हुए इस विशाल जनसागर को मैं नमन करता हूं और आप सभी का अभिवादन करता हूं..!

मैं सोमनाथ की धरती से बाबा विश्‍वनाथ का आर्शीवाद लेने आया हूं। भाईयों-बहनों, हमारे देश में चुनाव आने से पहले चुनाव का ऐसा माहौल बना हो, यह शायद हिंदुस्‍तान के लोकतांत्रिक जीवन की पहली घटना है। राजनीतिक दल चुनाव आते समय सक्रिय हों, ज्‍यादा सक्रिय हों, आरोप-प्रत्‍यारोप हों, जनाधार बढ़ाने के प्रयास हों, ये तो होता ही है, लेकिन पहली बार हिंदुस्‍तान के कोने-कोने से जनता जनार्दन दिल्‍ली की सरकार को उखाड़ फेकनें के लिए उतावली हो रही है, एग्रेसिव हो रही है..! मैं देख रहा हूं कि 2014 का चुनाव कोई दल लड़ने वाला नहीं है, 2014 के चुनाव का नेतृत्‍व कोई व्‍यक्ति करने वाला नहीं है, 2014 का चुनाव इस देश की जनता लड़ने वाली है, इस देश का हर एक मतदाता लड़ने वाला है..!

भाईयों-बहनों, जब-जब हिंदुस्‍तान की चर्चा होगी या भूतकाल में हुई होगी, गंगा मईया की चर्चा के बिना हिंदुस्‍तान की चर्चा अधूरी है। औरों के लिए गंगा एक नदी हो सकती है, हमारे लिए गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी मां है..! गंगा सिर्फ एक पानी की धारा नहीं है, ये हमारी संस्‍कृति की धारा है..! भाईयों-बहनों, इस गंगा की सफाई के लिए न जाने कितनी योजनाएं बनी, न जाने कितने बजट खर्च किए गए, न जाने कितनी कमेटियां बनाई गई, लेकिन पता नहीं चल रहा है कि क्‍या गंगा के अंदर ये रूपए भी बह जा रहे हैं..? गंगा का शुद्धिकरण छोडिए, कम से कम इस धन से, इन योजनाओं से, गंगा में निरंतर जो गिरावट आ रही है, उसको तो रोक पाते..! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपीए सरकार ने बड़े उत्‍साह और उमंग के साथ गंगा शुद्धिकरण के लिए एक योजना बनाई, बहुत प्रचार किया, लोगों को भी लगने लगा कि अब कुछ होगा, भरोसा हुआ और उन लोगों को सत्ता पर भी बैठा दिया, लेकिन मेरे उत्तर प्रदेश के भाईयों-बहनों, इस गंगा मईया की पवित्र धरती से मैं आप देशवासियों को भी कहना चाहता हूं कि ये दिल्‍ली में बैठी सरकार ने पांच साल में तीन मीटिंग करने के सिवाय कोई काम नहीं किया है..! मैं दिल्‍ली की सरकार को आग्रह करता हूं, प्रधानमंत्री जी को आग्रह करता हूं कि जरा देश के सामने बारीकियों के साथ आप जनता को हिसाब दें, देश की जनता को जबाव दें कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्‍या किया..? राजीव गांधी के ज़माने से गंगा के नाम पर वोट मांगे गए हैं, गंगा शुद्धिकरण के नाम पर देश के सामने आपने अपनी एक नई पहचान बनाने का प्रयास किया है, गंगा के नाम पर हजारों करोड़ रूपए देश की तिजोरी से निकाले गए हैं, देश की जनता हिसाब मांगती है, जबाव मांगती है कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्‍या-क्‍या किया, कब किया, कैसे किया और देश यह भी जानना चाहता है कि किस-किस के लिए किया..!

भाईयों-बहनों, मैं आप सभी लोगों, सारे देशवासियों, खासकर यूपी के भाईयों से जानना चाहता हूं कि गंगा के नाम पर जिस प्रकार देश के नागरिकों को मूर्ख बनाया गया है, उन्‍हे अंधेरे में रखा गया है, उनके साथ चीटिंग हुई है, क्‍या ऐसे लोगों को फिर से सरकार बनाने देनी चाहिए या नहीं, जिन्‍होने गंगा जैसे पवित्र काम में भी इस प्रकार का पाप किया है..! मुझे पूरी ताकत से बताइए, जिन्‍होने गंगा के साथ खिलवाड़ किया, क्‍या उन्‍हे सरकार देनी चाहिए..? जिन्‍होने गंगा को अधिक बर्बाद किया, क्‍या उन्‍हे सरकार देनी चाहिए..? क्‍या ये देश उनको दे सकते हैं..? अरे जो गंगा नहीं संभाल सकते, वो देश क्‍या संभाल सकते हैं..! भाईयों-बहनों, आप ये समजने की गलती मत करना कि उत्तर प्रदेश जहां से गंगा बह रही है उस इलाके के लोग गंगा की अशुद्धि का कारण हैं। मित्रों, गंगा के शुद्धिकरण के लिए पहले दिल्‍ली को शुद्ध करना पड़ेगा, लखनऊ को शुद्ध करना पड़ेगा, तब जाकर गंगा शुद्ध होगी..! इन लोगों के रहते हुए, बैठते हुए गंगा के शुद्धिकरण की कोई संभावना नहीं है..!

आजकल लोग मुझे सवाल पूछते हैं, विशेषकर वह लोग जो कांग्रेस को बचाने में लगे हुए है कि किसी भी हालत में कांग्रेस बची रहे, ताकि उनकी दुकान चलती रहे, ऐसे कांग्रेस के रक्षक सवाल करते है कि मोदी जी ये तो बताओ, आप क्‍या करेंगे..? कांग्रेस ने तो तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया, लेकिन आप क्‍या करेंगे..? मैं सिर्फ कहता नहीं हूं, करके दिखाता हूं..! जिनके मन में यह सवाल है और जो मुझे ऐसा पूछते है कि आप क्‍या कर सकते हैं, उन सभी से मेरी प्रार्थना है कि एक दिन निकालिए, सिर्फ एक दिन, गुजरात आइए, अहमदाबाद की धरती पर आइए, साबरमती के किनारे पर जाकर खड़े रहिए। आज से दस साल पहले साबरमती एक गंदी नाली का रूप बन गई थी, महात्‍मा गांधी जी के नाम के साथ जिस साबरमती नदी का नाम जुड़ा था, कि साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, हर गली-मोहल्‍ले में साबरमती की बात होती थी, आजादी के आंदोलन के साथ साबरमती जुड़ी हुई थी, लेकिन वह साबरमती नदी, गंदी नाली के सिवाय कुछ नहीं बची थी..! आज जाकर देखिए, शहर के बीचों-बीच शुद्ध नर्मदा के जल से साबरमती लबालब़ भरी है और बह रही है। भाईयों-बहनों, क्‍या आपको भरोसा है कि अगर साबरमती शुद्ध हो सकती है तो गंगा भी शुद्ध हो सकती है..? साबरमती का कल्‍याण हो सकता है तो गंगा का भी कल्‍याण हो सकता है..? अगर साबरमती गुजरात का जीवन बदल सकती है तो क्‍या गंगा हिंदुस्‍तान का जीवन बदल सकती है..?

भाईयों-बहनों, हम खोखले वादे करने वालों में से नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के भाईयों-बहनों, मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं कि हम वादे नहीं इरादे लेकर आएं हैं..! देश वादों से ऊब चुका है, देश ने बातें बहुत सुनी हैं, उपदेश भी बहुत सुने हैं, अब देश का धरती पर सच्‍चाई उतारने का इरादा है, इसलिए आज मैं कहता हूं हम वादे नहीं इरादे लेकर आएं है और इरादों को पूरा करने की क्षमता रखते हैं..! भाईयों-बहनों, कुछ लोग सोचते हैं कि हिंदुस्‍तान की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्‍व इसलिए है क्‍योंकि उत्तर प्रदेश के बिना किसी दल की सरकार नहीं बन सकती। भाईयों-बहनों, ये सोच उत्तर प्रदेश का अपमान है..! क्‍या उत्तर प्रदेश का उपयोग सिर्फ सांसदों का नम्‍बर बढ़ाने के लिए है..? क्‍या उत्तर प्रदेश का उपयोग सरकारें बनाने के लिए है..? भाईयों-बहनों, मेरी सोच इतनी सीमित नहीं है..! सवाल सरकार का नहीं है, अगर हिंदुस्‍तान को स्थिरता चाहिए तो उत्तर प्रदेश के बिना नहीं आ सकती है। अगर हिंदुस्‍तान का विकास करना है तो उत्तर प्रदेश का विकास किए बिना हिंदुस्‍तान का विकास असंभव है। अगर हिंदुस्‍तान से बेरोजगारी मिटानी है तो उत्तर प्रदेश की बेराजगारी मिटाएं बिना हिंदुस्‍तान की बेरोजगारी मिट नहीं सकती है। अगर हिंदुस्‍तान भूखा है और उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना के पट्ट जब तक पेट नहीं भरते, तब तक हिंदुस्‍तान की भूख मिट नहीं सकती..! उत्तर प्रदेश को सिर्फ सांसदों की संख्‍या के साथ न जोड़ा जाए। उत्तर प्रदेश भारत का भाग्‍य विधाता बन सकता है, समृद्ध भारत की धरोहर बन सकता है, देश को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए एक ताकतवर इंजन के रूप में उभर सकता है..! इसीलिए, भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश राजनीतिक खेल का मैदान नहीं है, हमारे लिए उत्तर प्रदेश हिंदुस्तान की भलाई के लिए सबसे बड़ी उर्वरक भूमि है, ऐसी हमारी सोच है..!

भाईयों-बहनों, मुझे यहां के नागरिकों की शक्ति पर भरोसा है। इसी उत्तर प्रदेश के लोग, आप के ही पूर्वज-पुरखों ने इसी भूमि पर राम राज्‍य बनाने का कार्य किया था..! अगर जनता ठीक न होती, लोग बराबर न होते, लोग सामर्थ्‍यवान न होते तो इस धरती पर कभी रामराज्‍य नहीं होता। भाईयों-बहनों, रामराज्‍य बनने के लिए जिस प्रकार की जनसामान्‍य की शक्ति चाहिए, जनसामान्‍य के संस्कार चाहिए, जनसामान्‍य की परम्‍परा चाहिए, ये सब कुछ उत्तर प्रदेश के जन-जन में है। आप उस विरासत के धनी है फिर भी मुसीबत क्‍यों है..? मुसीबत इसलिए है क्‍योंकि आपने सही सरकारें नहीं चुनी, आपको सही नेता नहीं मिलें, जिस दिन आप सही सरकार चुनेगें, आप सही नेता चुनेगें, तो जनता की ये शक्ति राष्‍ट्र को ऊपर ले जाने का बहुत बड़ा कारण बन सकती है और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है..!

भाईयों-बहनों, लाल बहादुर शास्‍त्री के नेतृत्‍व में इस देश के किसान ने ठान लिया था, जब लाल बहादुर शास्‍त्री जी ने मंत्र दिया था - ‘जय जवान, जय किसान’, तो इसी देश के किसान ने हिंदुस्‍तान के अन्‍न के भंडार भर दिए थे। यही धरती, यही किसान, यही परम्‍परा, लेकिन सही नेतृत्‍व के आह्वान में इन्‍ही किसानों ने हिंदुस्‍तान के भंडार भर दिए थे। मित्रों, अकेला उत्तर प्रदेश पूरे यूरोप का पेट भर सकता है, इतनी ताकत है इसमें..! लेकिन सरकारें ऐसी बनी हैं, देश ऐसे चल रहा है कि आज यूरोप का पेट भरने का सामर्थ्‍य रखने वाला किसान, दुर्भाग्‍य से खुद का ही पेट नहीं भर पा रहा है, इससे बड़ी दुखद बात क्‍या हो सकती है..! जब किसान धान की पैदावार करता है, खेती करता है, दिन-रात मेहनत करता है तो उसके मन में भाव होता है कि इस मेहनत से पका हुआ धान किसी गरीब के पेट में जाएगा, किसी गरीब की जिन्‍दगी को बदलेगा, उसके आर्शीवाद मिलेंगे। सिर्फ पैसों की बात नहीं, उसके दिल में रहता है कि इंसान ही नहीं कोई पशु-पक्षी भी भूखा न रहें और इसीलिए किसान पसीना बहाता है, मेहनत करता है। लेकिन भाईयों-बहनों, इतनी मेहनत करके धान की खेती करने वाला किसान जब टीवी पर देखता है, अखबार में पढ़ता है कि रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर पका-पकाया धान पानी में भीग रहा है, सड़ रहा है तो सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं होता बल्कि किसान के दिल को चोट पहुंचती है। भाईयों-बहनों, किसान जब धान पैदा करता है तो उसको संतोष सिर्फ जेब भरने से नहीं मिलता। उसकी जेब में कितने रूपए आएंगे, इससे भी किसान को संतोष नहीं होता है, उसको संतोष तब मिलता है जब उसे पता चलता है कि उसकी मेहनत से पैदा धान किसी गरीब के काम आया..! किसान के मन की ये भावना, ये किसान के दिल की बात दिल्‍ली में बैठी सरकार समझ नहीं पाती है, कागज पर हिसाब-किताब करने वाले लोग किसान के मन की भावना समझ नहीं पा रहें और इसी कारण, धान के भंडार पानी में भीग रहे हैं, सड़ रहे हैं। भारत की सुप्रीम कोर्ट हुकुम करती है कि ये धान गरीबों में बांट दिया जाएं। दिल्‍ली की सरकार धान को सड़ने देती है लेकिन गरीबों को बांटने से इंकार कर देती है, सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी इंकार कर देती है और बाद में मेहनत से पैदा किए जाने वाले धान को 80 पैसे की दर से शराब बनाने वालों को बेच देती है..! क्‍या मेरे देश के किसान को ऐसे काम से पीड़ा होती होगी या नहीं, उसके दिल को चोट पहुंचती होगी या नहीं..? मैं हैरान हूं कि क्‍या किसी देश के शासक ऐसे हो सकते हैं जो किसानों की मेहनत को शराब बनाने के लिए बेच दें..! ये किसानों का अपमान है, धरती पुत्रों का अपमान है और साथ ही साथ हमारे देश के गरीबों का मज़ाक है..!

भाईयों-बहनों, चुनाव आते हैं तो ये लोग माला जपने लग जाते हैं। कुछ विद्यार्थी होते हैं जो एक्‍जाम आने पर चार बार भगवान को याद करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं कि आज पेपर है तो भगवान का आर्शीवाद मिल जाएं। एक्‍जामिनेशन हॉल में बैठते हैं तो वहां भी दस बार भगवान का स्‍मरण करते हैं और उसके बाद पेपर देखते हैं। इसी तरह, कांग्रेस पार्टी भी चुनाव आने पर माला फेरने लग जाती है - गरीब, गरीब, गरीब, गरीब... और मन में सोचती है कि एक बार इन लोगों का आर्शीवाद मिल जाएं तो नैय्या पार हो जाएगी..! भाईयों-बहनों, अगर इनके दिल में गरीबों के प्रति थोड़ा सा भी प्रेम या आदर होता, सीने में थोड़ा दर्द होता, तो आजादी के इतने सालों बाद, एक ही परिवार के पास 45 साल सरकार रहने के बाद गरीबों की ये हालत न होती। अगर गरीबी के लिए कोई एक दोषी है तो सिर्फ यह एक परिवार दोषी है। एक परिवार ने देश के गरीबों को तबाह करके रखा हुआ है और ये उनकी मानसिकता में झलकता है..!

भाईयों-बहनों, गरीबी क्‍या होती है ये देखने के लिए हमें कहीं जाना नहीं पड़ता है क्‍योंकि हमने बचपन गरीबी में बिताया है। मैं तो यह देखकर हैरान हूं कि गरीबों के प्रति इनके दिल में कितनी नफरत है..! यूपीए के एक नेता कहते हैं, मैं तो चाय बेचने वाला हूं..! आप लोग ही बताइए, क्‍या चाय बेचकर, मेहनत करके गुजारा करना गुनाह है..? पाप है..? क्‍या ईमानदारी से मेहनत करके खड़े होना कंलक है..? मुझे हैरानी होती है कि गरीबों की बात करने वाले ये लोग खुलेआम कह रहे है कि क्‍या चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है..? अगर देश की जनता आर्शीवाद दें तो खेत में काम करने वाला मजदूर भी प्रधानमंत्री बन सकता है, फुटपाथ पर बैठकर जूतों की पॉलिश करने वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। लेकिन मैं आपको अपने संस्‍कारों के आधार पर कहना चाहता हूं कि हमें चाय बेचना मंजूर है, देश बेचना मंजूर नहीं है..! वह लोग गरीबों का इस प्रकार मज़ाक उड़ाते हैं, और तो और उनके एक नेता बोलते हैं कि गरीबी कुछ नहीं होती, ये तो सिर्फ स्‍टेट ऑफ माइंड होता है, एक मन की अवस्‍था होती है..! शाम को जब घर में चूल्‍हा न जले, बच्‍चे रात-रात भर रोते रहें, तब पता चलता है कि गरीबी क्‍या होती है..! उन्‍हे क्‍या मालूम गरीबी क्‍या होती है। छोटे-छोटे बच्‍चे मां-बाप का पेट भरने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन ये गरीबों का मज़ाक उड़ा रहे हैं..!

भाईयों-बहनों, ये जो अंहकार है और जो लोग गरीबों को अपनी जेब में मानते हैं, ऐसे लोगों से गरीबों का भला नहीं हो सकता है। इसलिए, मैं गरीबों से कहना चाहता हूं कि जिन लोगों ने आज तक आपका शोषण किया है उन्‍हे उखाड़ फेंकने का काम सबसे पहले करना होगा..! अभी हमारे राजनाथ सिंह जी ने बड़ी पीड़ा व्‍यक्‍त करते थे कि कांग्रेस के नेता ने कहा कि भाजपा वाले चोर हैं..! ये लोग पता नहीं क्‍या-क्‍या बोलते हैं, अगर इन लोगों के द्वारा बोले गए सभी शब्दों को एक जगह इक्‍ट्ठा करके कहीं छाप दिया जाएं तो हम हैरान हो जाएंगे कि इन लोगों के ऐसे संस्‍कार हैं, इनकी ऐसी भाषा है..? कांग्रेस के नेताओं को मैं कहना चाहता हूं कि आप लोग कहते हैं हम चोर हैं, आपका आरोप हमें मंजूर है। हां, हम चोर हैं, हां, हमने चोरी की है, हमने कांग्रेस की नींद चुराई है, हमने कांग्रेस का चैन चुरा लिया है..! अब हम लोग आजादी के बाद से देश को लूटने वाली कांग्रेस को चैन से बैठने नहीं देगें, ऐसा फैसला करके हम मैदान में आएं हैं..!

भाईयों-बहनों, मैं यहां उपस्थित सभी बड़ी आयु के लोगों से पूछना चाहता हूं कि आप जिन मुसीबतों से गुजारा करते रहे हैं, क्‍या आप अपने बच्‍चों को ऐसा हिंदुस्‍तान देना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को गरीबी में जीने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को बेरोजगार रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को गांव का घर छोड़कर शहरों की झुग्‍गी-झोपडि़यों में रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? नहीं..!

भाईयों-बहनों, यहां से दो दिन पहले मुझे किसी मुस्लिम सज्‍ज़न ने चिट्ठी भेजी है, उसमें उन्‍होने लिखा है कि मोदी जी, आप बनारस आ रहे हैं, उसमें हमारी एक मुश्किल का जिक्र कर दीजिए कि हम लोग एक मुस्लिम बस्‍ती में रहते हैं, वहां छोटे-मोटे पावरलूम के साड़ी के कारखाने लगे हुए हैं जो रात-रात भर चलते हैं, नींद नहीं आती है और परेशान हो जाते हैं, उसका कोई रास्‍ता निकालिए, उस व्‍यक्ति ने अपनी वेदना प्रकट की है..! मित्रों, बनारस की साड़ी सिर्फ महिलाओं की इज्‍ज़त नहीं बचाती बल्कि हिंदुस्‍तान की आर्थिक लाज बचाने की ताकत भी रखती है..! इतना बड़ा उद्योग, लाखों लोगों को रोजगार देने वाला उद्योग बर्बाद करके रख दिया गया। जिस मित्र ने चिठ्ठी लिखकर यह परेशानी बताई है उन्‍हे मैं बताना चाहता हूं कि इसका उपाय है। देखिए, हमारे सूरत और काशी का नाता बहुत जुड़ा हुआ है। एक कहावत है कि ‘काशी का मरण और सूरत का जमण’, यानि काशी में मरना और सूरत के भोजन का अलग महत्‍व होता है। सूरत में भी पावरलूम का बहुत बड़ा काम है और काशी में भी पावरलूम का काम है। एक ज़माना था कि सूरत में आप सुबह जल्‍दी या शाम को निकलें तो पावरलूम का आवाज बहुत होती थी, आपके स्‍कूटर से भी ज्‍यादा तेज आवाज पावरलूम की सुनाई देती थी। लेकिन भाईयों-बहनों, दस साल के भीतर-भीतर हमने एक अभियान चलाया, सरकार और बैंकों की तरफ से आर्थिक मदद की व्‍यवस्‍था की और पूरे पावरलूम सेक्‍टर को टेक्‍नोलॉजिकली अपग्रेड किया, शहर के बाहर बहुत बड़े-बड़े इंडस्‍ट्रियल कॉम्‍पलेक्‍स खड़े किए। भाईयों-बहनों, मार्केट में बिल्‍कुल आवाज न करने वाली मशीनें आ चुकी हैं जिसके लिए सरकार ने मदद की और बैंकों से सहायता दिलाई, आज टेक्‍नोलॉजी अपग्रेडशन के कारण कपड़े की क्‍वालिटी, क्‍वांटिटी और शांति का जीवन हम सूरत में मुहैया करवा पाएं है और यह काम बनारस में भी हो सकता है। जो लोग मुझे पूछते हैं कि मोदी, विजन क्‍या है..? ये है हक़ीकत, जाइए और देखकर आइए..!

भाईयों-बहनों, अगर नेक इरादा होता और बनारस के साडियों के उद्योग को अपग्रेड किया गया होता, आधुनिक रूप से उसका महत्‍व बढ़ाया गया होता तो आज हिंदुस्‍तान में अकेले बनारस की साड़ी के उद्योग में लाखों नौजवानों को रोजगार मिलता, उनको कहीं बाहर जाने की नौबत नहीं आती..! लेकिन भारत सरकार की नीतियां ऐसी हैं कि वो चाइना से यान इम्‍पोर्ट कर लेते हैं लेकिन बनारस में साड़ी बनाने वाले की आजीविका की उन्‍हे परवाह नहीं होती है और ऐसी नीतियों के कारण ऐसी मुसीबत आती है..!

भाईयों-बहनों, इस पूर्वांचल का कोई गांव ऐसा नहीं होगा जिसका कोई न कोई नौजवान मेरे गुजरात में न रहता हो। आप ही बताइए, अपना गांव छोड़कर, अपने बूढ़े मां-बाप छोड़कर उसको गुजरात जाने की नौबत क्‍यूं आई..? अगर उत्तर प्रदेश का विकास हुआ होता, तो उसे अपना घर न छोड़ना पड़ता, अपना गांव न छोड़ना पड़ता, खेत-खलिहान न छोड़ने पड़ते, यार दोस्‍त न छोड़ने पड़ते, बूढ़े मां-बाप न छोड़ने पड़ते..! भाईयों-बहनों, आज बेराजगारी के कारण देश के नौजवान को अपने जीवन में अंधकार सा महसूस हो रहा है। वो परेशान है, जाएं तो जाएं कहां, किसका हाथ पकड़े, कौन उसे बचाएं..! मित्रों, आप लोग ही बताइए, जब भी किसी सरकारी नौकरी का विज्ञापन आता है तो सबसे पहले दिमाग में आता है कि किसी की सिफारिश की जरूरत पड़ेगी, ऐसा आपको लगता है ना..? नौकरी के लिए आप सबसे पहले सिफारिश खोजते हैं या नहीं..? क्‍या आपको लगता है कि बिना सिफारिश के नौकरी मिलने की कोई गांरटी है..? क्‍या बिना खर्चा किए नौकरी मिलने की गारंटी है..? क्‍या ये बेईमानी का धंधा चल रहा है कि नहीं..? क्‍या इसका कोई उपाय हो सकता है कि नहीं..? मेरे पास उपाय है। कांग्रेस के जो रक्षक मुझसे मेरा विजन पूछते है मैं उन्‍हे बताना चाहता हूं कि मेरा विजन क्या है..!

मित्रों, एक बार हमें गुजरात में 13,000 टीचरों को रिक्रुट करना था। अब टीचर्स के रिक्रुटमेंट में एक-दो लाख एप्‍लीकेशन आना सामान्‍य बात है, इसलिए हमने विज्ञापन दिया और सभी का रजिस्‍ट्रेशन ऑनलाइन करवा दिया। बाद में कम्‍प्‍यूटर से टॉप 13,000 लोगों को सेलेक्‍ट कर लिया, जिनके मार्क्‍स सबसे ज्‍यादा थे। हमने उन लोगों का कोई इंटरव्यू नहीं लिया, बुलाया नहीं और सीधे ऑर्डर देकर रिक्रुट कर लिया..! गरीब विधवा मां के घर बेटे का ऑर्डर आ गया की नौकरी लग गई..! सिफारिश इंटरव्‍यू में होती है, अगर मेरिट के आधार पर निर्णय हो और इंटरव्यू का झमेला खत्‍म कर दिया जाए तो ये भ्रष्‍टाचार, ये सिफारिश का सारा खेल बंद हो जाएगा और जो नौकरी का वास्तविक हकदार होगा उसे नौकरी मिल जाएगी..! मैनें गुजरात में पॉयलट प्रोजेक्‍ट करके देखा है और हमें इसमें सफलता मिली है, किसी ने उस पर उंगली नहीं उठाई, सभी कहते हैं कि हां ये सही रास्‍ता है। मैं मानता हूं कि कोई नौजवान कितना भी पढ़ा लिखा हो, सर्टिफिकेट के भरोसे वह जी नहीं सकता और इसलिए वह सिफारिश खोजता रहता है..!

भाईयों-बहनों, मेरे नौजवानों को डिग्‍निटी चाहिए, उनको हाथ फैलाकर जिन्‍दगी जीने से मुक्ति चाहिए। मेरे देश का नौजवान हिंदुस्‍तान का भाग्‍य बदल सकता है, देश की सरकार को नौजवान में भरोसा चाहिए और इसी भरोसे को लेकर हम आएं हैं। मैं देश के नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आज भी देश में अवसरों की कमी नहीं है, आज भी देश में मैन पॉवर की आवश्‍यकता है। कृषि का क्षेत्र हो, सेवा का क्षेत्र हो, मैनुफैक्‍चरिंग का क्षेत्र हो, देश के नौजवानों की ताकत से आर्थिक महासत्ता बनने का सामर्थ्‍य ये देश रखता है। नौजवानों, इसलिए मैं आपके भविष्‍य की गारंटी लेकर आया हूं..! अगर हिंदुस्‍तान के नौजवान के भविष्‍य की कोई गारंटी नहीं, तो हिंदुस्‍तान के भविष्‍य की भी कोई गारंटी नहीं है। भारत का भाग्‍य भारत के नौजवान के हाथ में है। आज नौजवान को अवसर चाहिए और भारतीय जनता पार्टी नौजवानों को अवसर देने का संकल्‍प लेकर आई है..

भाईयों-बहनों, लोग कांग्रेस की सरकारों को हटाने में लगे हैं और भाजपा की सरकार को दुबारा बिठाने में लगे हुए हैं, ये इस बात का सबूत है कि हम जनता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। मित्रों, मैं उत्तर प्रदेश के भिन्‍न-भिन्‍न क्षेत्रों में जा रहा हूं, हर जगह के जनसैलाब को देखकर मैं विश्‍वास से कहता हूं कि देश की जनता दिल्‍ली की सरकार उखाड़ फेंकने के लिए बहुत उतावली है। देश की जनता अब एक पल के लिए भी दिल्‍ली की सरकार को सहने के लिए तैयार नहीं है। भाईयों-बहनों, भारत का भाग्‍य बदलने के लिए कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण करना होगा..! कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण ही गरीबी मुक्‍त भारत की गांरटी है, कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण ही बेराजगारी मुक्‍त भारत के निर्माण की गांरटी है। गरीबी से मुक्ति के लिए, बेराजेगारी से मुक्ति के लिए, भुखमरी से मुक्ति के लिए, भ्रष्‍ट्राचार से मुक्ति के लिए कांग्रेस की मुट्ठी से भारत को मुक्‍त कराना होगा, इसी सपने को लेकर आगे बढ़ना होगा, इन सारी शुभकामनाओं के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं..!

दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए, पूरी ताकत से बोलिए कि आवाज दिल्‍ली तक पहुंच जाएं...

भारत माता की जय..!  भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!

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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |

साथियो,

अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!

साथियो,

महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

साथियो,

इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |

साथियो,

‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |

साथियो,

हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |

साथियो,

वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |

साथियो,

मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |

साथियो,

Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |

साथियो,

दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |

साथियो,

ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |

साथियो,

ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |

साथियो,

सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |

साथियो,

अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |

साथियो,

बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :

अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें

#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें

स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें

याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |

मेरे प्यारे देशवासियो,

भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I

साथियो,

अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I

Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |

साथियो,

कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-

अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |

याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |

साथियो,

आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |