प्रिय मित्रों,

12 जनवरी कोई सामान्य दिन नहीं है। इतिहास के पन्नों में अंकित हो चुका यह एक ऐसा दिन है जब भारत की भूमि पर महान विचारक ने जन्म लिया था, जिन्होंने विश्वभर में भारत का सन्देश फैलाया था। आज से 150 वर्ष पूर्व महान स्वामी विवेकानन्द का जन्म हुआ था। स्वामीजी आज हमारे बीच शारीरिक तौर पर नहीं हैं मगर उनका जोश, मिशन और सन्देश आज भी देश की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहता है।

मुझे आपको बतलाते हुए आनन्द हो रहा है कि गुजरात सरकार ने गत वर्ष लोगों तक स्वामीजी का सन्देश पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। हमने वर्ष 2012 को युवाशक्ति वर्ष के रूप में मनाया और और स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जन्मजयंती पर उनके सम्मान में कई कार्यक्रम और योजनाएं शुरु की गई। हम वर्ष 2013 को भी युवाशक्ति वर्ष के रूप में मनाएंगे। समग्र विश्व का नेतृत्व करे ऐसे जगतगुरु भारत का सपना विवेकानन्द ने देखा था। उनके सपने के मुताबिक भारत का निर्माण करने के लिए उन्होंने देश के निर्माण में युवाओं को मुख्य राह दिखलाई थी। गुजरात में हमने स्वामी विवेकानन्द के इस सपने को साकार करने के लिए युवाओं को सशक्त बनाने का संकल्प किया है जिससे युवाओं को भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देने और नवीनता लाने के लिए खुद को सशक्त और तेजस्वी बनाने का अवसर प्राप्त हो सके।

गुजरात सरकार ने युवाओं में कौशल्य विकास के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया है। राज्य के युवाओं को टेक्नॉलॉजी के द्वारा संशोधन और नवीनीकरण करने के लिए हमने 20 स्वामी विवेकानन्द सुपिरियर टेक्नॉलॉजी इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्युट्स की स्थापना की है। इसके साथ ही राज्य  की आईटीआई में भी सुधार करने के लिए हम निरंतर काम कर रहे हैं। हालांकि हम सिर्फ कौशल्य विकास पर ही रुक नहीं गए ! हम एक कदम आगे बढ़े और सॉफ्ट स्कील्स पर ध्यान केन्द्रित किया। एक आईटीआई में काम करने वाला प्लम्बर अथवा प्रशिक्षणार्थी के तौर पर प्रशिक्षण पाने वाला विद्यार्थी क्यों सॉफ्ट स्कील आत्मसात ना करे जिससे वह उसके भविष्य में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए आत्मविश्वास हासिल कर सके ? रोजगार के अवसरों में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होती रहे इसके लिए क्यों ना सॉफ्ट स्कील आत्मसात ना करे। अप्रेल 2012 में में एक रिक़ोर्डतोड़ घटना ने आकार लिया था कि जब स्वामी विवेकानन्द रोजगार सप्ताह के दौरान राज्य के विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों से आए 65,000 जितने युवाओं को मैने नियुक्ति पत्र प्रदान किए थे।

इन युवाओं के जीवन में कैसा गुणवत्तापूर्ण बदलाव आ सकता है, इसकी कल्पना कीजिए। स्वामी विवेकानन्द कहा करते थे कि गीता के अभ्यास के बजाए आप जब फुटबॉल खेल रहे होंगे तब ईश्वर के ज्यादा करीब होंगे। मैने देखा है कि परीक्षा और पढ़ाई के दबाव की वजह से खेलकूद के मैदान हमेशा खाली नजर आते हैं। स्वामी विवेकानन्द के सपनों का युवा खेलकूद का आनन्द क्यों नहीं ले सकता ? हकीकत तो यह है कि खेल बगैर खेलदिली नहीं हो सकती ! किसी ने सच ही कहा है, जो खेलता है वही खिलता है !

गत वर्ष गुजरात के विभिन्न गांवों, तहसीलों और जिला स्तर पर करीब 16,000 जितने स्वामी विवेकानन्द मंडलों और केन्द्रों का गठन किया गया। जिसमें युवाओं को खेलकूद के साधनों का वितरण किया गया था। अगस्त 2012 में स्वामी विवेकानन्द वुमन चेस मीट के लिए एक ही छत के नीचे चार हजार महिलाओं ने चेस खेलकर एक विश्व रिकार्ड स्थापित किया।

स्वामी विवेकानंद का संदेश समग्र विश्व में फैलाने और विकासयात्रा में उनको संकलित करने के लिए मैने सितंबर, २०१२ में युवा विकास यात्रा की शुरुआत की थी और गुजरात की युवा शक्ति की ओर से हमें अद्भुत प्रतिसाद मिला था। मैं दृढ़ता से मानता हूं कि विश्व का सबसे युवा राष्ट्र छोटे सपने नहीं देख सकता। हमें सिर्फ युवाओं के विकास की ही जरूरत नहीं बल्कि युवाओं के नेतृत्व तले विकास की जरूरत है। स्वामी विवेकानंद ने यही सपना देखा था और हम गुजरात में भी इसी परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

जो लोग सोशल मीडिया में सक्रिय हैं वह पिछले ३६६ दिन से इस बात को रोज महसूस कर रहे होंगे। मैने स्वामी विवेकानंद का एक प्रेरणात्मक अवतरण ट्विटर पर लिखा था। इसी प्रकार गत वर्ष आयोजित गूगल प्लस हैंग आउट का कार्यक्रम भी स्वामी विवेकानंद के सपनों के युवा धन के निर्माण का एक भाग था। मुझे यह कहते हुए आनंद हो रहा है कि इन दोनों प्रयासों का व्यापक तौर पर स्वागत किया गया था।

मित्रों, यह एक आनंद की बात है कि योगानुयोग विवेकानंद की १५०वीं जन्म जयंती के दौरान छठी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-२०१३ का आयोजन संभव बना है। इस वर्ष १२० से ज्यादा देश के प्रतिनिधि समिट में उपस्थित रहे हैं। और हम ज्ञान, कौशल्य विकास और टेक्नोलॉजी पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इस समिट का आशय मात्र विकास को ही आगे बढ़ाना नहीं बल्कि हमारे युवाओं के भविष्य को भी सुरक्षित और सक्षम बनाना है।

व्यक्तिगत तौर पर स्वामी विवेकानंद मेरे लिए प्रेरणादायी व्यक्तित्व हैं, और इसलिए मैं मानता हूं कि ईश्वर की मुझ पर कृपा दृष्टि है क्योंकि मैं स्वामी जी के संदेश को मेरे राज्य में फैलाने में छोटा सा योगदान दे सकता हूं।

फिर एक बार, मैं स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देता हूं और उनके सपनों को साकार करने की दिशा में और गुजरात की विकासगाथा में संभव हो उतने युवाओं को शामिल करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं।

आपका,

नरेन्द्र मोदी

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।