गुणोत्सव : 2011, पहला दिन

समग्र गुजरात की ग्राम प्राथमिक शालाओं में तीन दिवसीय गुणोत्सव अभियान का शुभारंभ

कमजोर शालाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षक उदासीनता छोड़ें, अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें : मुख्यमंत्री

गांधीनगर, गुरुवार: मुख्मयंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुणोत्सव अभियान के आज पहले दिन बनासकांठा की दांता तहसील में स्थित जसवंतगढ़ भेमाळ प्राथमिक शाला का औचक निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की जानकारी दिए बगैर जसवंतगढ़ की प्राथमिक शाला की शैक्षणिक वातावरण, शिक्षा, परिवार की शिक्षा के लिए सजगता, बालकों की शिक्षा प्राप्ति के लिए रुचि, लिखना-पढऩा, गणित, कम्प्यूटर सहित अभ्यास की तमन्ना के साथ ही बालकों के भविष्य निर्माण की नींव में शिक्षा और संस्कार के लिए ग्रामीण समाज की जागृति का व्यक्तिगत निरीक्षण किया।

जसवंतगढ़ भेमाळ प्राथमिक शाला अंबाजी से करीब 30 किलोमीटर दूर सीमावर्ती क्षेत्र-दांता तहसील में स्थित है और ज्यादातर यहां पर मोमिन मुस्लिम समाज के बालक कक्षा 1 से 8 में पढ़ते हैं। मुख्यमंत्री आज अचानक दोपहर बाद जसवंतगढ़ पहुंचे थे और सीधे ही शाला में जाकर प्रत्येक कक्षा में बालकों के अभ्यास और बौद्घिक विकास की जानकारी व्यक्तिगत तौर पर बालकों से हासिल की। कक्षा में बालकों के अभ्यास की परीक्षा लेने के लिए श्री मोदी ने एक शिक्षक का दायित्व भी निभाया। प्राथमिक शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए अविरत परिश्रम कर रहे मुख्यमंत्री ने राज्य की 32,792 प्राथमिक शालाओं में गुणवत्ता का स्तर ऊपर लाने के लिए निरंतर तीसरे वर्ष गुणोत्सव अभियान का नेतृत्व संभाला है।

मुख्यमंत्री सहित तमाम मंत्रियों, वरिष्ठ सचिवों, प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस तथा उच्च अधिकारियों और पदाधिकारियों की 3000 सदस्यीय टीम गुजरात गुणोत्सव के शिक्षण यज्ञ में आज से जुट गई है। आरासुरी अंबाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा आज से दांता-अंबाजी सहित तीन तहसीलों की प्राथमिक शालाओं में पढऩे वाले बालकों को कुपोषण की पीड़ा से मुक्त करने के लिए पोषक आहार देने का प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री श्री मोदी ने शाला के बच्चों को पौष्टिक आहार वितरण करके किया।

मुख्यमंत्री ने गुणोत्सव के मकसद को स्पष्ट करते हुए शिक्षकों के साथ बैठक में कहा कि, शिक्षक के तौर पर दायित्व निभाने की उदासीनता किसी भी परिस्थिति में सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। कमजोर गुणवत्ता वाली शालाओं के शिक्षकों को उन्होंने विशेष तौर पर ताकीद करते हुए कहा कि, वर्ष में 225 दिन शिक्षा का कार्य करना है। हमारी कक्षा का बालक अगर कमजोर है तो शिक्षक को इसकी पीड़ा होनी ही चाहिए। संवेदनापूर्ण शिक्षक की निष्ठा जरूरी है। बालक शाला में शिक्षा के साथ ही सहगतिविधियों तथा खेलकूद में पसीना बहाए, मौज-मस्ती के बचपन के साथ उमंग से अभ्यास करे और बालक कुपोषण की पीड़ा से मुक्त रहकर पौष्टिक भोजन, कम्प्यूटर शिक्षा, योग, प्रार्थना और स्वच्छता की आदतों के साथ संस्कार पाएं, इसके लिए शाला के शिक्षक परिवार तथा समस्त गांव-अभिभावक समाज को अपनी उदासीनता का व्यवहार बदलने की अपील श्री मोदी ने ग्राम सभा में खास तौर पर की। श्री मोदी ने कहा कि, कक्षा 8 में अध्ययनरत 2 मोमिन कन्याओं ने उन्हें कागज की चीट में अपनी वेदना लिखकर कहा कि, हम बेटियों को आगे पढऩा है, लेकिन हमारे माता-पिता मना करते हैं। अब हमें क्या करना चाहिए? इस संवेदना को ग्रामीणों के समक्ष रखते हुए श्री मोदी ने कहा कि, बालकों को पढऩे से वंचित रखना माफ नहीं किया जा सकता। इस सरकार ने तो दस वर्ष में बेटी हो या बेटा सभी के अभ्यास के लिए हर सुविधा मुफ्त उपलब्ध करवाई है।

सरकारी प्राथमिक शाला कमजोर हो या ढांचागत सुविधाओं, प्रशिक्षित शिक्षकों के बगैर की हो ऐसा भ्रम कहीं रहने नहीं दिया है। इसके बावजूद अगर आपके गांव की संतान पढ़ेगी नहीं तो इसका दोष शिक्षकों और ग्रामीण समाज का है, अभिभावकों की उदासीनता है। गांव की शाला तो गांव का गौरव बनें, ऐसी होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि, 50 वर्ष से इस गांव की शाला चलती है, शिक्षक और ढांचागत सुविधाएं सभी उपलब्ध हैं, इसके बावजूद 50 वर्ष में इस शाला में से कोई भी विद्यार्थी उच्च अभ्यास करके डॉक्टर, इंजीनियर या वकील नहीं बना। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा का स्तर ऊपर ले जाने के लिए दस वर्षों से अभियान चलाया है। ऐसे में शिक्षक और अभिभावक-समाज अपने गांव की संतान का भविष्य बरबाद करने जैसी उदासीनता रखे तो विकास कहां से होगा? श्री मोदी ने शिक्षक परिवार और माताओं सहित समग्र ग्रामीण समाज को कहा कि, कोई मुख्यमंत्री चुनाव के बगैर और मत मांगने के सिवाय ऐेसे कामों के लिए गांव-गांव नहीं फिरता। लेकिन मैं गांधीनगर से गुणोत्सव का शिक्षण यज्ञ लेकर आया हूं। गुजरात इतने विकास से गतिशील हो, लेकिन गांव की शाला और शिक्षा में आपकी संतान पीछे रह जाए, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी की सुविधा होने के बावजूद प्रशिक्षण से महरूम रह जाए, ऐसा यह सरकार चला नहीं सकती। मुख्यमंत्री ने गांव में कुपोषण के खिलाफ सामाजिक जागृति पर विशेष बल दिया। विधायक वसंत भटोळ भी इस मौके पर मौजूद थे। साथ ही जसवंतगढ़ के ग्रामीणों की मोमिन मुस्लिम परिवारों की मातृशक्ति भारी संख्या में उपस्थित थी।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।