सोशल मीडिया पर गुजरात के मुख्यमंत्री का ब्लॉग
2011 जनक्रांति के सामथ्र्य का वर्ष था जबकि 2012 विकास में जनशक्ति के साक्षात्कार का वर्ष होगा : श्री मोदी
मुख्यमंत्री ने दी नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
गांधीनगर, शनिवार: गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सन् 2012 के नए वर्ष की शुभकामनाओं के साथ सोशल मीडिया के जरिए ब्लॉग में लिखा है कि सन् 2011 का बीता वर्ष जनक्रांति के सामथ्र्य की प्रतीति कराने वाला था जबकि सन् 2012 का साल विकास में जनशक्ति के साक्षात्कार का वर्ष साबित होगा। यह ब्लॉग www.narendramodi.in. पर पढ़ा जा सकता है।श्री नरेन्द्र मोदी का ब्लॉग इस प्रकार है :
प्रिय मित्रों,
यह समय है बीते हुए वर्ष को अलविदा कहने का और आने वाले वर्ष के स्वागत का। वर्ष 2011 में खुशी और गम की अनेक घटनाएं घटित हुई जो 2012 के लिए आशा और आशंकाएं लेकर आई है। इस समय मुझे लगता है कि, बीते हुए वर्ष में घटित हुई घटनाओं की याद ताजा करना हमारे लिए उपयोगी होगा। वर्ष 2012 का वर्णन अगर एक शब्द में ही करना हो तो वह शब्द : जनक्रांति। टाइम मैगजीन प्रतिवर्ष च्पर्सन ऑफ दी ईयरज् का खिताब घोषित करता है।
वर्ष 2011 के लिए उसने दी प्रोटेस्टर अर्थात एक आम आदमी में पैदा हुए विद्रोह को च्पर्सन ऑफ दी ईयरज् का खिताब दिया। बीता हुआ वर्ष किसी एकाद व्यक्ति के सामथ्र्य का नहीं था, बल्कि जनता के सामूहिक सामथ्र्य का अंदाज हमें देखने को मिला। लोगों की, खास तौर पर युवाओं की अपेक्षा पर खरी न उतरी हो, ऐसी सरकारों के प्रति लोगों का विरोध नजर आया। जनसमूह की सामूहिक चेतना ने वर्षों से सत्ता पर कब्जा जमाए हुए जनविरोधी शासकों को चुनौती दी। अरब देशों में इजिप्ट से लेकर मिडिल ईस्ट और ग्रीस में भी आर्थिक मंदी को लेकर लोगों का विद्रोह देखने को मिला। मानवजाति की प्राचीनतम संस्कृतियों में हुए विद्रोह की आवाज हमको आत्ममंथन करने के लिए मजबूर करती है।
2011 में जनसामान्य में उठी विरोध की आंधी की बात हो तो हमारे देश में हुई घटनाओं को किस तरह भुलाया जा सकता है। विश्व भर में हुए आंदोलन की घटनाओं में किसी न किसी तरह हमारे देश का प्रतिनिधित्व रहा है। हमारे लिए गर्व की बात तो यह है कि दुनिया भर की जनक्रांतियों में ज्यादातर जनक्रांतियां अहिंसक थी। महात्मा गांधीजी को इससे बड़ी श्रद्घांजलि और क्या हो सकती है कि आज भी जब दुनिया भर की युवा शक्ति विद्रोह करती है तब गांधी के मार्ग पर चलने को प्रेरित होती है। फिर वह आजादी की लड़ाई हो या गुजरात में तत्कालीन सरकार के खिलाफ चुनौती देने वाला 1974 का नवनिर्माण आंदोलन हो। और या फिर 1975 का आपातकाल हो, जब लोकतांत्रिक मूल्यों के समक्ष खड़े हुए खतरे के खिलाफ विद्रोह हुआ था। भारत ने हमेशा अहिंसक विद्रोह की ताकत दुनिया के समक्ष साबित की है। विद्रोह हुआ था। भारत ने हमेशा अहिंसक विद्रोह की ताकत दुनिया के समक्ष साबित की है।
गत वर्ष भारत भर में लोगों की चेतना को प्रज्जवलित करने वाली विरोध की आंधी चली। बीमार अर्थव्यवस्था और कमजोर शासन जैसे परिबलों के साथ ही इस वर्ष के दौरान सत्ताधीशों द्वारा संवैधानिक ढांचे पर गंभीर प्रहार नजर आए, जिन्होंने देश के लोगों को निराश और अधीर कर दिया। देश की हर गली और कोनें में वर्तमान केन्द्र सरकार की कमियों और उसके अनिर्णयात्मक सरकारी प्रशासन और असमर्थता की बातें चलीं। देश भर में फूंके गए विरोध के बिगुल इस तथ्य का समर्थन करते हैं। लेकिन मुश्किल के इस समय में भी ऐसी कई बातें हैं जो हमारे लिए आशा की किरण के समान हैं। अति निराशा में चले जाने के बजाय अतिशय आलोचनात्मक बनने के बजाय हमें इन मामलों को अवसर के रूप में देखना चाहिए। मेरे चीन दौरे के दौरान वर्तमान वैश्विक मंदी के काल में एशिया किस तरह दुनिया का ग्रोथ इंजन बन सकता है, इस पर मैने चर्चा की। पश्चिम के देशों में पंूजीवाद का पतन भारत के लिए एक अवसर के समान है। यह अवसर है विकास का, दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने का और देश के लाखों लोगों को गरीबी के गर्त में से बाहर लाने का।
मित्रों, तमाम जनआंदोलन मात्र विद्रोह के रूप में ही आकार लेते हैं, ऐसा नहीं कह सकते। मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं कि जनआंदोलन के एक सकारात्मक स्वरूप को निहारने का अवसर मुझे मिला- च्सबका साथ सबका विकासज् मंत्र के साथ ऐसे ही एक आंदोलन ने गुजरात में आकार लिया, जिसमें सामूहिक पुरुषार्थ से विकास का लाभ प्रत्येक नागरिक को पहुंचाने की भावना नजर आई। गुजरात में हमारा विकास का मॉडल तीन स् पर आधारित था - स्श्चद्गद्गस्र, स्ष्ड्डद्यद्ग और स्द्मद्बद्यद्य, जिसमें इस वर्ष हमने चौथा स् सद्भावना का शामिल किया। गुजरात के विकास का परिचय दुनिया को करवाने के लिए एकत्रित जनशक्ति को देखकर मैं भावविभोर हो उठा। राज्य सरकार के मंत्रियों सहित समग्र प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने गांव-गांव में जाकर लोगों को उनकी बेटियों को शिक्षा दिलवाने का आह्वान किया, जिसने विकास के इस जन आंदोलन को गति दी। खेल महाकुंभ-2011 के तहत क्रिकेट स्पर्धा में एक रिकार्ड बनाने वाली विकलांग बेटी की बात एक सर्वसमावेशक जनआंदोलन की गवाह थी। ऐसी घटनाएं मुझे युवा प्रतिभाओं के सैलाब को सराहने और वह देश के विकास में अपना श्रेष्ठतम प्रदान कर सकते हैं, ऐसा वातावरण खड़ा करने की प्रेरणा देते हैं।
हमारा लोकतंत्र अब भी युवावस्था में है और सुदृढ़ भी है। आज देश जब ढेरों आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में मुझे विश्वास है कि हम भूतकाल की तरह इस बार भी ज्यादा मजबूत होकर उभरेंगे। स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्मजयंति के मौके पर गुजरात सरकार ने वर्ष 2012 को युवा शक्ति वर्ष के रूप में मनाने की योजना बनाई है। अगर युवा शक्ति को उभरने का अवसर न मिले तो हमारा विकास पूर्ण नहीं कहलाएगा। मुझे विश्वास है कि, च्युवा शक्ति वर्षज् युवा प्रतिभाओं के लिए उभरने का अवसर बनेगा।
2011 का वर्ष हमारे लिए एक स्पष्ट संदेश लेकर आया है कि, जनशक्ति आवश्यक तो है लेकिन देश की कायापलट के लिए पर्याप्त नहीं है। जनशक्ति को अगर सुशासन का सहयोग मिले तो ही सच्चा और दीर्घकालिक विकास किया जा सकता है। जनशक्ति और सुशासन - यह दोनों मिल जाएं तो हर तरह के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। फिर वह भ्रष्टाचार उन्मूलन हो, कुपोषण हो या फिर निरक्षरता से मुक्ति। हमारे लिए और आने वाली पीढिय़ों के लिए एक उन्नत भविष्य निर्माण का सामथ्र्य इसमें है। गुजरात में सुशासन, विकास और सौहार्द जैसे परिबलों ने छह करोड़ गुजरातियों के सामथ्र्य को बुलंद किया है। मुझे आशा है कि भारतीय के रूप में हम इस विकासगाथा का पुनरावर्तन भारत देश के लिए भी करेंगे। 2011 का वर्ष जन समूह के विद्रोह की ताकत साबित करने वाला रहा।
हम कामना करें कि, 2012 का वर्ष च्सबका साथ सबका विकासज् मंत्र के जरिए जन समूह के सहयोग की ताकत को साबित करे। आपको और आपके प्रियजनों को मैं वर्ष 2012 की शुभकामनाएं देता हूं। परम शक्तिमान परमेश्वर के आशीर्वाद से आपका आंगन खुशियों और सफलताओं से छलक उठे, यही कामना है।
- नरेन्द्र मोदी