द्वारका में आयोजित अतिरूद्र यज्ञ और सत्संग कथा में मुख्यमंत्री का प्रेरक चिंतन .
भारत की सांस्कृतिक विरासत ही हमारी प्राणशक्ति : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को द्वारका में आयोजित अतिरूद्र और शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ की सत्संग कथा में कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत ही हमारी प्राणशक्ति है। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति और जीव सृष्टि का संतुलन जीवनशैली में आत्मसात किया है और आधुनिक विज्ञान भी इससे सहमत हद्वारका के पवित्र तीर्थक्षेत्र में विधायक पबुभा विरमभा माणेक परिवार की ओर से आयोजित अतिरूद्र महायज्ञ और शिव महापुराण ज्ञान यज्ञ में आज श्री मोदी बतौर अतिथि विशेष मौजूद थे। शिव पुराण महापोथी की पूजा कर मुख्यमंत्री ने व्यासपीठ को वंदन किया और संतों-महंतों से आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर पबुभा के सभी परिवारजनों ने श्री मोदी का भावभीना सम्मान किया। भक्तजनों की विशाल सत्संग कथा में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जीव सृष्टि का संतुलन निरंतर प्रकृति से बना रहे, ऐसी जीवनशैली विकसित की है। यही जीव और शिव का तादात्म्य है।
उन्होंने कहा कि भगवान के स्त्री स्वरूप की कल्पना भी हमारी संस्कृति में की गई है और हमारी ही विरासत यह कहती है कि ईश्वर के अनेक स्वरूप हैं लेकिन ईश्वर एक ही है। च्जैसा भक्त वैसे भगवानज् की हमारी विशालता कोटि देवता के स्वरूप में है। उत्तम कर्म की बदौलत भी नर से नारायण बना जा सकता है। यह चिन्तन-मनन वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया है।
श्री मोदी ने अभिलाषा जतायी कि अतिरूद्र और महापुराण शिव के ज्ञान यज्ञ के अनुष्ठान से मेघों की कृपा होगी और गुजरात के गांव तथा किसान सुखी-समृद्घ बनेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व में एकमात्र भारत की आध्यात्मिक संस्कृति की विरासत ही ऐसी है कि जहां पर्यावरण के साथ वृक्ष और वृक्ष के साथ भगवान के प्रत्येक स्वरूप का संबंध जुड़ा है। भगवान शिव की पूजा बिल्वपत्र से की जाती है, उसी बिल्वपत्र का संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से है। उन्होंने कहा कि हमारे विकास में उत्तम शिक्षा ही सच्चा मार्ग है। कार्यक्रम के प्रारंभ में द्वारका के विधायक पबुभा माणेक ने स्वागत भाषण दिया।
इस मौके पर विधायक मुळुभाई बेरा, लालजीभाई सोलंकी, मेघजीभाई कणजारिया, जिला पंचायत अध्यक्ष पी बी वसोया, शारदा पीठ के प्रतिनिधि नारायण नंद स्वामी सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे।