प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों की परिषद में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एनसीटीसी को वापस लेने की पूरजोर मांग की 

राज्यों के अधिकार छीनने का यूपीए सरकार का गुप्त एजेंडा : मुख्यमंत्री  

सीमापार से आतंकवाद को लेकर अपनी रणनीति पर श्वेत पत्र जारी करे केन्द्र सरकार मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनसीटीसी) को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की परिषद में एनसीटीसी को वापस लेने की पूरजोर मांग की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को पराजित करने के लिए देश में सख्त कानून की दरकार है और गुजरात भी इससे सहमत है।
लेकिन एनसीटीसी कोई कानून नहीं बल्कि ऐसी व्यवस्था है जिसने संघीय ढांचे पर प्रहार किया है और केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच संबंध में विश्वास की कमी और तनाव पैदा किया है। बैठक में एनसीटीसी के खिलाफ गुजरात के सटीक मुद्दों का विश्लेषण करने से पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से गुजारिश की कि परिषद की चर्चा को अदालती दलीलों के स्वरूप में लिया जाएगा तो आतंकवाद के खिलाफ जंग की हमारी प्रतिबद्घता से न्याय नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि संघ सरकार को चाहिए कि वह खुले मन से एनसीटीसी मामले पर राज्य सरकारों की मांगों को पूरी गंभीरता से ले। परिषद में देश के प्रमुख और बड़े राज्यों की ओर से एनसीटीसी के विरोध की गंभीरता को ध्यान में लेने का अनुरोध करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंक के खिलाफ जंग में संघ और राज्य सरकारों के बीच किसी भी किस्म का तनाव दुनिया में फैले आतंकी संगठनों को इस मामले में भारत की कमजोरी और ढुलमुल रवैये का ही संकेत देगा। मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद का प्रवेश, देश के भीतर उसके षड्यंत्रों को मिल रहा समर्थन और देश को बर्बाद करने की आतंककारियों की तैयारी का पूरा विषय पांच मुख्य आधार स्तंभों पर टिका है। इसमें सीमापार से आतंककारियों की घुसपैठ, शस्त्र-हथियारों की आपूर्ति, हवाला के जरिए गैरकानूनी आर्थिक लेनदेन, संचार व्यवस्था और अपराधियों के विदेशों से प्रत्यार्पण का समावेश होता है। ये पांचों विषय संघ सरकार के कार्यक्षेत्र में आते हैं और राज्य सरकारों की इसमें कोई भूमिका नहीं होती, क्योंकि सीमा सुरक्षा का मामला पूर्णत: केन्द्र के आधीन है। इन पांचों क्षेत्रों में केन्द्र सरकार की ओर से अपनायी गई रणनीति और उसकी सफलता के सन्दर्भ में भारत सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में देश की जनता को विश्वास में लिया जाना चाहिए। श्री मोदी ने एनसीटीसी के तहत आतंकियों की गिरफ्तारी, जांच और जब्ती के अधिकार राज्य पुलिस से छीनकर केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसी (आईबी) को देने के एकतरफा निर्णय के खिलाफ कड़ा एतराज जताया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान संघ सरकार का यह एक गुप्त एजेंडा है और कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना की कहावत के मुताबिक आतंकवाद को खत्म करने के बहाने केन्द्रीय शासक पक्ष के विपरीत राजनीतिक विचारधारा वाले राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ कार्यवाही की मजबूत संभावना है इस सन्दर्भ में दिल्ली के बटला हाउस आतंकवादी मुठभेड़ का दृष्टांत पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में वर्तमान सरकार की स्पेशल आईबी होने के बावजूद आज तक इस मुठभेड़ की वास्तविकता उजागर नहीं हुई है और इस मामले में केन्द्रीय आईबी की असफलता खुलकर सामने आ गई है। वहीं, इसके बरक्स राज्यों की गुप्तचर संस्थाओं ने कई तरह के आतंकी षड्यंत्रों का पर्दाफाश किया है। ऐसे मामलों में राज्य पुलिस और गुप्तचर एजेंसियों ने अपना कौशल्य और सामथ्र्य साबित किया है। ऐसे में राज्यों पर शंका की कोई वजह ही नहीं। बल्कि राज्य सरकारें तो आतंकवाद के खात्मे के लिए नेक इरादे और नीयत के साथ कार्यवाही कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने एनसीटीसी के तहत राज्यों की पुलिस और सरकारों की अवगणना का आरोप लगाया।.
उन्होंने कहा कि गुजरात में हुए बम धमाके में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के एक मंत्री मोहम्मद सूरती और उसके शागिर्द आतंकवादी हनीफ टाइगर के खिलाफ आतंकी अपराध साबित हो चुका। लेकिन हनीफ के लंदन भाग जाने पर उसे वापस लाने के लिए जरूरी प्रत्यार्पण प्रक्रिया के लिए वर्तमान गुजरात सरकार ने मौजूदा केन्द्र सरकार से मदद की गुहार लगाई। लेकिन केन्द्र सरकार ने इस मामले में उदासीनता का परिचय दिया। ऐसे में राज्य पुलिस ने लंदन की अदालत से प्रत्यार्पण का आदेश हासिल किया।
उन्होंने कहा कि, क्या भारत सरकार का यह दायित्व नहीं कि वह ऐसे मामलों में राज्य सरकार की मदद करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीटीसी को लेकर केन्द्र सरकार यह दलील दे रही है कि इस मामले में संसद में चर्चा हो चुकी है। श्री मोदी ने सवाल उठाया कि क्या उस चर्चा में इंटेलिजेंस ब्यूरो की एजेंसी का कोई उल्लेख किया गया था? राज्य को जिसका अमल करना है उस एनसीटीसी के मामले में बिना राज्यों से परामर्श किए यह कहना कि संसद में इस पर चर्चा हो चुकी है, राज्यों की चुनी हुई सरकारों की निरंतर उपेक्षा और उसके पीछे छिपी केन्द्र की शंकास्पद नीयत को जाहिर करता है।
श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद को शून्य सहनशीलता (जीरो टॉलरेंस) की रणनीति के जरिए ही परास्त किया जा सकता है। इस सन्दर्भ में संघ सरकार और राज्य सरकारों के बीच पूर्ण विश्वास और संकलन बना रहना चाहिए, इसकी जिम्मेदारी संघ सरकार की है और इस विषय को प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार के आतंकवाद को परास्त करने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाने की उदासीनता का दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्ष 2004 में सत्ता पर आते ही यूपीए सरकार ने सबसे पहले पोटा कानून रद्द करने का कदम उठाया था और उस वक्त प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि भारत में आतंकवाद विरोधी जो कानून पहले से हैं वे पर्याप्त हैं और किसी नये कानून की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
जबकि आज भी संघ सरकार अपने राजनैतिक इरादों को ध्यान में रख कर नये कानून बनाने का प्रयोग कर रही है। इससे पूर्व एमएसी-एसएमएसी-एनआईए और अब एनसीटीसी जैसे विभिन्न कानून बनाने के पीछे केन्द्र सरकार की दुविधा और दिशा शून्यता ही नजर आती है। इसके चलते भारत पर पैनी नजर रखने वाले आतंकवादियों के पक्ष में संकेत जा रहे हैं। श्री मोदी ने सवाल उठाया कि, क्या इस तरह आतंकवाद को काबू किया जा सकता है? श्री मोदी ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और इंडोनेशिया जैसे दुनिया के अनेक समृद्घ देशों ने आतंकवाद पर लगाम कसने के लिए सख्त कानून बनाये हैं। ऐसे में क्यों नहीं भारत सरकार भी आतंकवाद विरोधी सख्त कानून बनाने को राज्य सरकारों को विश्वास में लेकर अपनी नेक नीयत का परिचय देती है। बैठक में गृह राज्य मंत्री प्रफुलभाई पटेल, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. वरेश सिन्हा, पुलिस महानिदेशक चितरंजन सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव गिरीशचंद्र मुर्मु और दिल्ली स्थित निवासी आयुक्त भरत लाल भी उपस्थित थे।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !