सरदार सरोवर बांध से भरूच समुद्री तट तक नर्मदा के दोनों किनारों

का अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के रूप में विकास किया जाएगा

गरुड़ेश्वर वियर के निर्माण का वर्कऑर्डर सौंपा

छह स्टडी सर्वे पूर्ण : पर्यावरणलक्षी सातवां सर्वे प्रगति में

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (एसवीपीआरईटी) की बैठक में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के सान्निध्य में सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची 182 मीटर की विशालतम प्रतिमा-स्टेचु ऑफ यूनिटी और राष्ट्रीय स्मारक के प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य आगे बढ़ाने का महत्वाकांक्षी संकल्प जताया गया। इस सन्दर्भ में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एंड कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट के लिए विश्वस्तरीय कंसल्टैंट को कार्य सौंपा जाएगा।

भारत की एकता के शिल्पी सरदार पटेल की स्मृति युगों तक जीवंत रखने और गुजरात की अस्मिता की शान विश्व में प्रस्थापित करने के उद्देश्य से स्टेचु ऑफ यूनिटी का प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रेरक मार्गदर्शन दिया था।

स्टेचु ऑफ यूनिटी और भव्य राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण के साथ ही सरदार सरोवर बांध से भरूच के समुद्री तट तक नर्मदा नदी के दोनों किनारों को कैनाल टूरिज्म के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित करने का प्रेरक सुझाव मुख्यमंत्री ने दिया था। इस संबंध में गरुड़ेश्वर विअर के निर्माण कार्य का वर्क ऑर्डर दिया जा चुका है। इसके अलावा भाडभूत कैनाल सहित भरूच के समुद्र तट तक नर्मदा के दोनों किनारों पर पर्यटन प्रवृत्तियों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकास किया जाएगा।

प्रस्तावित स्टेचु ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए जरूरी छह महत्वपूर्ण स्टडी सर्वे का काम पूरा हो चुका है। इसके तहत टोटल स्टेशन सर्वे, वेरिएशन इन वाटर लेवल एंड हाई फ्लड लेवल सर्वे, विंड एंड वाटर वेलोसिटी सर्वे, सिस्मिक स्टडी सर्वे, जियोलॉजिकल सर्वे और मॉडल स्टडी-मैथेमेटिकल एनालिसिस-पूणे का समावेश होता है। जबकि पर्यावरणलक्षी प्रभाव को लेकर एन्वायर्नमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट स्टडी सर्वे का कार्य फिलवक्त प्रगति पर है।

स्टेचु ऑफ यूनिटी की सरदार पटेल प्रतिमा और राष्ट्रीय स्मारक के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 2500 करोड़ रुपये आंकी गई है, इसमें जनभागीदारी का योगदान भी लिया जाएगा। प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में स्टेचु ऑफ यूनिटी और स्मारक के अलावा ब्रिज, राष्ट्रीय स्मारक से केवडिय़ा तक की पक्की सडक़, मेमोरियल और कन्वेंशन सेंटर, मेमोरियल गार्डन, एम्यूजमेंट पार्क और होटल सहित पर्यटन विकास का महत्वपूर्ण आयोजन किया गया है। इस सन्दर्भ में प्रतिदिन एक लाख पर्यटकों की मुलाकात को ध्यान में रखते हुए वड़ोदरा से केवडिय़ा मेट्रो रेल और सिक्स लेन सडक़ के भविष्य के आयोजन पर भी विचार किया गया।

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने सरदार सरोवर नर्मदा योजना को साकार करने का संकल्प किया था। अनेक उलझनों और विवादों के बावजूद राजनैतिक इच्छाशक्ति तथा न्यायिक संघर्ष के बूते मुख्यमंत्री श्री मोदी ने गत दस वर्षों में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई को 121.92 मीटर के निर्णायक स्तर पर पहुंचाया है। इसके अलावा 1950 मेगावाट के जलविद्युत प्रकल्प को राष्ट्र के चरणों में कार्यान्वित किया है तथा 458 किमी की विश्व की सबसे लंबी मुख्य नहर का निर्माण भी संपन्न किया है।

गुजरात में नर्मदे सर्वदे का मंत्र देने वाले मुख्यमंत्री ने नर्मदा कैनाल आधारित 2200 किमी लंबी पीने के पानी की पाइपलाइन का कार्य द्रुत गति से आगे बढ़ाया है। वर्तमान में नर्मदा कैनाल नेटवर्क के ब्रांच, माइनर और सब माइनर डिस्ट्रीब्यूटरी का काम निर्धारित संशोधित समयानुसार चल रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने दुनिया में अपनी तरह के अनूठे कैनाल आधारित सोलर पावर पैनल का  पायलट प्रोजेक्ट साकार कर देश और दुनिया को नई राह बताई है।

ट्रस्ट की बैठक में राजस्व मंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल, शहरी विकास मंत्री नितिनभाई पटेल, मुख्यमंत्री के सलाहकार बी.एन. नवलावाला, मुख्य सचिव ए.के. जोती, सरदार सरोवर नर्मदा निगम के प्रबंध निदेशक एस.जगदीशन समेत वरिष्ठ सचिव मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।