गांधीनगर में संस्कृतोत्सव

आषाढस्य प्रथम दिवसे त्रिदलम 2012 संस्कृत भाषा का सांस्कृतिक समारोह

प्राचीन संस्कृत ज्ञान भंडार और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान का समन्वय करके भारतीय संस्कृति का गौरव करें: श्री मोदी

मुख्यमंत्री द्वारा संस्कृत वेदशास्त्र पारंगत पंडितों- विद्वानों का गौरव पुरस्कार से सम्मान

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नेआज गांधीनगर में संस्कृतोत्सव केशानदारसमारोह में संस्कृत वेदशास्त्र केपारंगत पांच पंडितों को संस्कृतगौरवपुरस्कार से विभुषित करते हुए हमारी महानसंस्कृति केज्ञान भण्डार कीविरासत औरआधुनिकविज्ञान का समंवय करने कीहिमायतकी।

श्री मोदी ने कहा कि संस्कृत सुभाषितों में और संस्कृत ज्ञान भण्डार में सभी मेंसंस्कारसिचन करने कीताकतहै।भाषाचाहे जो हो, भावनात्मक तादातम्य से जोड़ने कीशक्तिसिर्फ संस्कृत में है। इसके लिएराज्यसरकारने नएआयामबनाने केप्रयासकिए हैं।

संस्कृत औरसंस्कृतिकी पुन:प्रतिष्ठा के लिए पंडितों को वन्दन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि संस्कृत कागौरवऔरमहिमागुजरात करता रहा है जो नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करेगा।गुजरातसरकारकीयुवकसेवाऔर सांस्कृतिकप्रवृत्तिकी संस्कृत साहित्यअकादमीऔर संस्कृत भारती केतत्वावधानमें गांधीनगर मेंशानदारसमारोहकाआयोजनहुआ था।इसमेंमुख्यमंत्रीद्वारा2011 केवर्षमें संस्कृत वेदशास्त्र मेंपारंगतपंडितों जयानन्द दयाल जी शुक्ल, भगवतलाल भानुप्रसाद शुक्ल और इन्द्रवदन भानुशंकर भत्त को संस्कृत गौरवपुरस्कारसे विभुषित किया गया। इसकेसाथही संस्कृत साहित्यलेखनकेविद्वानलक्षमेश वल्लभजीजोशी औए युवा संस्कृति विद्वान मिहिर प्रदीपभाई उपाध्याय कोक्रमश:एक लाक और पचास हजार के पुरस्कार सेसम्मानितकिया गया।

अषाढस्यप्रथमदिवसे त्रिदलम- 2012 के संस्कृतभाषासाहित्य के सांस्कृतिक कारयक्रम ने सभी कोप्रभावितकिया।

भारीतादादमेंमौजूदसंसकृतप्रेमी नागरिकों को सम्बोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि 1200वर्षकी गुलामीकालकी मानसिकता केकारणहमारेपासमानवजीवन के लिएउपयोगीअनेकज्ञानभंडार का खजाना उपेक्षित रहा है, यह हमारा दुर्भाग्य है।

हमारेमनीषीपूर्वजों, ऋषि-मुनियों ने तत्कालीनयुगमें वैदिकसंस्कृतिकीजीवनमेंजरूरीअमुल्यविरासतदी है मगर जीवन केअर्थशास्त्रकेसाथउसकानाताजुड़ानहींहै। इसलिए ही संस्कृत को समर्पित शास्त्रज्ञान को जाननेवालों कोपूरागौरवऔरआदरमिले ऐसे माहौल केनिर्माणकीजरूरतपर मुख्यमंत्री नेबलदिया

श्री मोदी ने कहा कि ज्योतिषशास्त्रका संस्कृत काहिस्साआजभी लोकस्वीकृत है मगर हमारे पूर्वजोंद्वारादिए गए प्राचीनज्ञानऔरआधुनिकविज्ञानदोनों का समंवय किया जाना चाहिए। आधुनिक विज्ञान आज भीआकाशशास्त्र, ब्रह्मांड और ग्रहों के लिए संस्कृत लीपि का शास्त्र विज्ञान कीकसौटीपर खरा उतरा है।

आधुनिक कम्प्युटर को सबसेअनुकूलभाषासंस्कृत ही है। हमारे देश में रेडियो-टीवी में संस्कृतसमाचारनहींथे उससेपहलेजर्मनी भाषा में प्रसारित होते थे। हमें अपनी सांस्कृतिकविरासतको महिमावंत- गौरवांवितकरनाचाहिए।

संस्कृत भाषागुलामीकालके बाद भी यथावत रही है जो यह दर्शाता है कि उसके सामर्थ्यसे आजभी दुनिया अभिभूत हो रही है। यह साबित करता है कि की जगतकी अनेकसमस्याओं का निराकरणहमारे संस्कृत ज्ञानशास्त्र से मिल सकता है। मगर आज तो वैदिक गणितका उच्चारण करनेवाले पर लोग साम्प्रदायिकता की शर्म कहकर टूट पड़ते हैं। लेकिन युरोप में वैदिक गणित को विज्ञानने स्वीकृतिदी है। हमारा दुर्भाग्य है कि हम विकृतमानसिकता के कारण

संस्कृतपरम्परासे विमुख हुए और इसकालोपहो रहा है फिर भी देश के शासकों को इसकी परवाहनहींहै।

संस्कृत औरपुरातत्वविज्ञानदोनों का कितनासामर्थ्यहै इसकी भुमिका में श्री मोदी ने कहा कि हमारी यह प्राचीन ज्ञान सम्पदा कितनीगहनहै यह हमारे पूर्वजों ने बताया है। इसविरासत-ज्ञान काअवसरयह संस्कृतोत्सव है।इससेयुवा पीढ़ी में भी हमारीसंस्कृतिके ज्ञान और विरासत को संवर्धित करने के लिए संस्कृत पंडितों का वन्दन करने के लिए संकल्पबद्ध होने काआह्वानकिया।

प्रारम्भ में सांस्कृतिक प्रवृत्तियों केसचिवभाग्येश झा ने संस्कृतभाषाके प्रचार-प्रसारसहितइसकेगौरवको अक्षुण रखने केराज्यसरकारके आयोज की भुमिकापेशकी।कार्यक्रममें सोमनाथयुनिवर्सिटीकेकुलपतिवेंपट्टी कुटुम्बशास्त्री,मंत्रीफकीरभाई वाघेला,शिक्षाराज्य मंत्री जयसिंह चौहाण, संस्कृत भारती के गिरिशभाई ठाकर सहितकईसंस्कृतप्रेमी मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।