प्रिय मित्रों,

मुझे यकीन है कि आप त्यौहारों के इस मौसम का लुत्फ उठा रहे होंगे और दिवाली का बेसब्री से इंतजार कर रहे होंगे।

३१ अक्टूबर को समूचा भारत सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाएगा।

इस वर्ष सरदार पटेल की जन्म जयंती का अवसर और भी विशेष रहेगा, वजह यह कि, हम स्टेचू ऑफ यूनिटी का शिलान्यास करने जा रहे हैं। १८२ मीटर की ऊंचाई के साथ स्टेचू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी, जो भारत के लौह पुरुष को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि मानी जाएगी। सरदार सरोवर बांध के निकट स्थित साधु बेट (टापू) पर स्टेचू ऑफ यूनिटी आकार लेगी।

CM pays tributes to Sardar Patel on his birth anniversary

हम अत्याधुनिक तकनीक व सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के अंतर्गत स्टेचू ऑफ यूनिटी का निर्माण करेंगे। स्टेचू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए कुछ महीने पूर्व मैंने देश भर के अपने किसान भाइयों-बहनों से खेती में उपयोग किए जाने वाले उनके लोहे के औजार का योगदान देने की अपील की थी। सरदार पटेल सिर्फ लौह पुरुष ही नहीं बल्कि किसान पुत्र भी थे। एक बार फिर से मैं सभी लोगों से इस निर्माण परियोजना में सहयोग देने की अपील करता हूं।

सरदार पटेल आधुनिक भारत के निर्माता हैं। अनेक तरह के अवरोधों को पार कर उन्होंने अखंड भारत का निर्माण किया था। यदि आज हम अपनी एकता का जश्न मना रहे हैं तो यह सरदार पटेल और उनके अधिकारियों की टीम के प्रयासों की बदौलत संभव हुआ है। दूसरी वास्तविकता यह भी है कि देश में ऐसे कई तत्व मौजूद हैं, जिनमें इस एकता को लेकर भय व्याप्त है। इन तत्वों ने लोगों में भय फैलाने और उन्हें भ्रमित करने के लिए बंदूक और बम का भी इस्तेमाल किया है। भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे महापुरुषों ने इस देश में जन्म लिया है। चलिए, हम ऐसे तत्वों को मजबूत संदेश दें कि हिंसा का उनका मार्ग कारगर साबित नहीं होगा। उन्हें हिंसा का मार्ग छोड़ना चाहिए और समाज की मुख्य धारा में शामिल होकर अपने राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करना चाहिए, ताकि सरदार पटेल जैसे महापुरुष के ख्वाब को पूरा किया जा सके।

त्यौहारों के इस मौसम में मैं आपसे एक और निवेदन करना चाहता हूं। टैक्स्ट मैसेज, वॉट्सअप, सोशल मीडिया, ट्विट्स और ई-मेल के इस युग में क्या आप को याद है कि आखिरी बार आपने चिट्ठी कब लिखी थी।

चलिए हम अपने हाथों से पत्र लिखकर अपने मित्रों और परिजनों को दिवाली की अनोखी भेंट दें। मतदाता पंजीयन संबंधी जानकारी और उसकी महत्ता दर्शाने वाला पत्र अपने हाथों से लिखकर उन्हें सरप्राइज दें। यदि उन्होंने बतौर मतदाता अपना नामांकन दर्ज नहीं कराया है तो उन्हें नामांकन कराने के लिए प्रोत्साहित करें साथ ही परिवारजनों एवं मित्रों के बीच भी इस संदेश को फैलाने के लिए प्रोत्साहित करें। यह एक ऐसा मामला है जिसमें हमारे अनिवासी भारतीय मित्र (एनआरआई मित्र) भी उल्लेखनीय रूप से मददगार साबित हो सकते हैं। वर्तमान समय में हमारा देश अतिगंभीर स्थिति में खड़ा है और लोकतंत्र के भाग्यविधाता समान मतदाता ही देश को इस गंभीर स्थिति से उबार सकते हैं।

मुझे यह देखकर खुशी महसूस होती है कि www.India272.com आपके द्वारा लिखे गए पत्रों को अपलोड करने का अवसर प्रदान करता है। मैं इस बात की सिफारिश बड़ी दृढ़ता से कर रहा हूं कि आप पत्र लिखें और उसे इंडिया२७२ पर शेयर करें। इसके लिए मैं यहां पर लिंक रख रहा हूं।

https://volunteer.india272.com/letter

मैं स्टेचू ऑफ यूनिटी का वीडियो और अहमदाबाद में सरदार पटेल मेमोरियल के उद्घाटन समारोह में दिया अपना वक्तव्य साझा कर रहा हूं। आप के सहयोग और आशीर्वाद के साथ हम सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण करेंगे।

Narendra Modi

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भारत के रतन का जाना...
November 09, 2024

आज श्री रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। रतन टाटा जी के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है...एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।

आज भी शहरों, कस्बों से लेकर गांवों तक, लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। हम सबका ये दुख साझा है। चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई प्रोफेशनल हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग...समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं। और ये दुख हम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महसूस कर रहे हैं।

युवाओं के लिए, श्री रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा ना किया जा सके, कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके। रतन टाटा जी ने सबको सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ, दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।

 रतन टाटा जी, भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे। वो विश्वसनीयता, उत्कृष्टता औऱ बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।

दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना, दूसरों के सपने पूरा करने में सहयोग करना, ये श्री रतन टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में, वो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने गए। उन्होंने युवा आंत्रप्रेन्योर की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा, साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचाना।

भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।

रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट...बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।

रतन टाटा जी की महानता बोर्डरूम या सहयोगियों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। सभी जीव-जंतुओं के प्रति उनके मन में करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था और वे पशुओं के कल्याण पर केन्द्रित हर प्रयास को बढ़ावा देते थे। वो अक्सर अपने डॉग्स की तस्वीरें साझा करते थे, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। मुझे याद है, जब रतन टाटा जी को लोग आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ रहे थे...तो उनका डॉग ‘गोवा’ भी वहां नम आंखों के साथ पहुंचा था।

रतन टाटा जी का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।

रतन टाटा जी ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि – भारत रुकेगा नहीं...भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।

व्यक्तिगत तौर पर, मुझे पिछले कुछ दशकों में उन्हें बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। हमने गुजरात में साथ मिलकर काम किया। वहां उनकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं भी शामिल थीं, जिसे लेकर वे बेहद भावुक थे।

जब मैं केन्द्र सरकार में आया, तो हमारी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और वो हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे। स्वच्छ भारत मिशन के प्रति श्री रतन टाटा का उत्साह विशेष रूप से मेरे दिल को छू गया था। वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अभी भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था। मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहां हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे।

मैं रतन टाटा जी को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूं - वह अक्सर मुझे विभिन्न मुद्दों पर लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई सन्देश भेजना हो।

अभी कुछ सप्ताह पहले, मैं स्पेन सरकार के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सान्चेज के साथ वडोदरा में था और हमने संयुक्त रूप से एक विमान फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सी-295 विमान भारत में बनाए जाएंगे। श्री रतन टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था। उस समय मुझे श्री रतन टाटा की बहुत कमी महसूस हुई।

आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। जहां व्यापार, अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए। रतन टाटा जी आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।