52वां गुजरात गौरव दिवस .

 मुख्यमंत्री ने किया अहमदाबाद राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन .

 विचार बीज से प्रस्फुटित होगी विचार क्रांति : मुख्यमंत्री.

 ऐसा वातावरण सृजित करना है जहां लक्ष्मी पूजन के साथ सरस्वती पूजन का संस्कार विकसित हो .

 मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात गौरव दिवस के मौके पर अहमदाबाद राष्ट्रीय पुस्तक मेले का शानदार उद्घाटन करते हुए कहा कि हमें ऐसा वातावरण सृजित करना है कि गुजरातियों में लक्ष्मी पूजन के साथ ही सरस्वती पूजन का संस्कार-स्वभाव विकसित हो

उन्होंने कहा कि अध्ययन के जरिए विचार बीज से विचार क्रांति सृजित होती है। वांचे गुजरात और पुस्तक मेले के व्यापक फलक पर गुजरात की संस्कार पहचान विश्व के समक्ष रखने की प्रेरणा भी उन्होंने दी। अहमदाबाद महानगरपालिका और नेशनल बुक ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में साबरमती रिवरफ्रंट पर खड़े किए गए गरिमापूर्ण डोम में आयोजित अहमदाबाद राष्ट्रीय पुस्तक मेला 1 मई से 7 मई तक चलेगा।.

साहित्य, संस्कार और सांस्कृतिक कला के त्रिवेणी संगम समान इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में देश-विदेश और गुजरात की 200 जितनी प्रकाशन संस्थाओं की पुस्तकों का ज्ञान भंडार प्रस्तुत किया गया है। गुजरात की स्थापना के 51 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी दुनिया में गुजरात और गुजराती की वास्तविक पहचान स्थापित नहीं होने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजराती की सच्ची पहचान-संस्कार की पहचान पिछले दस वर्ष में हमने खड़ी की है। उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में ऐेसा गुजरात प्रस्थापित हुआ है कि हमें गुजराती होने पर गर्व की अनुभूति होती है। जिन्हें गुजरात पसंद है उन्हें या फिर जिन्हें पसंद नहीं उन्हें भी गुजरात का उल्लेख तो करना ही पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वांचे गुजरात अभियान ने छह करोड़ गुजरातियों में पुस्तक मेले और पुस्तक अध्ययन की भूख उजागर की है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक मेला एक अवसर है जिसमें हमारे समाज के सरस्वती साधक और साहित्यकारों का गौरव होगा और समाज के साथ उनका तादात्म्य स्थापित होगा।

पुस्तक मेले में लगे सभी स्टॉल्स का 30 मिनट तक निरीक्षण करने के बाद श्री मोदी ने कहा कि प्रत्येक नये मकान की डिजाइन में ग्रंथ मंदिर की रचना का आयोजन होना चाहिए। जिस घर में पुस्तकें होती हैं, पढ़ी जाती हैं, उस परिवार में संस्कार सरिता सतत बहती रहती है। श्री मोदी ने अहमदाबाद महानगरपालिका और नगरजनों को इस अनोखे पुस्तक मेले के आयोजन की राष्ट्रीय स्तर पर नई पहल के लिए अभिनंदन दिया। उन्होंने इस प्रकार के सात दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेले का प्रति वर्ष 1 से 7 मई के दौरान आयोजन करने और हिन्दुस्तान की विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को आमंत्रित कर भारतीय भाषा संस्कार के जरिए राष्ट्रीय एकता की अनुभूति कराने वाले प्रेरक माहौल का निर्माण करने का अनुरोध किया। लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति का स्वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि साहित्य और संस्कार की प्रवृत्ति को व्यापक फलक पर ले जाना है।

सेअध्ययन के जरिए विचार बीज से विचार का अंकुर प्रस्फुटित होता है जो आगे चलकर विचार क्रांति का सृजन करता है। मुख्यमंत्री ने विश्व भर में बसे गुजरातियों को शुभकामना देते हुए कहा कि गुजराती अस्मिता की भावना को व्यापक स्तर पर विकसित करते हुए सर्वसमावेशक सर्वपोषक विकास की अभिलाषा के साथ गुजरात को पठन-पाठन की उपासना द्वारा वैश्विक ख्याति दिलाने के लिए सभी प्रतिबद्घ बनें। इस अवसर पर श्री मोदी ने राज्य के सूचना विभाग की ओर से प्रकाशित आर्किटेक्चरल हेरीटेज ऑफ गुजरात पुस्तिका का विमोचन भी किया।

अहमदाबाद के महापौर आसित वोरा ने स्वागत भाषण में अहमदाबाद में पहली बार आयोजित हो रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले का विचारबीज मुख्यमंत्री श्री मोदी के वांचे गुजरात अभियान से रोपित होने का उल्लेख करते हुए मेले के आयोजन की रूपरेखा दी। नेशनल बुक ट्रस्ट के एम ए सिकंदर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा, रणजीतभाई गिलीटवाला, सांसद डॉ. किरीट सोलंकी, विधायक, पर्यटन निगम के अध्यक्ष कमलेश पटेल, मनपा की विभिन्न समितियों के पदाधिकारी, नगरसेवक, प्रबुद्घ साहित्यकार, लेखक तथा पुस्तकप्रेमी बड़ी संख्या में मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रानी वेलु नचियार को उनकी जयंती पर स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की
January 03, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीरांगना रानी वेलु नचियार को आज उनकी जयंती पर स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ वीरतापूर्ण लड़ाई लड़ी और अपनी अदम्य वीरता एवं रणनीतिक प्रतिभा का परिचय दिया।

एक्स पर अपनी एक पोस्ट में श्री मोदी ने लिखा:

"साहसी रानी वेलु नचियार को उनकी जयंती पर स्मरण करता हूं! उन्होंने असाधारण वीरता और रणनीतिक प्रतिभा का परिचय देते हुए औपनिवेशिक शासन के खिलाफ वीरतापूर्ण लड़ाई लड़ी। उन्होंने पीढ़ियों को उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया। महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की भी व्यापक रूप से सराहना की जाती है।"