तानारीरी महोत्सव : भारतीय शास्त्रीय संगीत समारोह का उत्सव
प्रिय मित्रों,
कल मुझे प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों, पंडित जसराज तथा पंडित राजन और साजन मिश्रा को पंडित ओमकार नाथ ठाकुर सम्मान देने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके अलावा, मुझे किशोरी अमोनकर और बेगम परवीन सुल्ताना को भी तानारीरी सम्मान देने का अवसर मिला। इन महान संगीतकारों का हमारे बीच होना और गुजरात के लोगों की तरफ से उनका सम्मान करना अद्भुत था।
भारतीय संगीत अद्वितीय है और यह दुनिया भर में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है। हमारे ऐतिहासिक ग्रंथ और प्राचीन कार्य भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए समृद्ध स्त्रोत है। हमारे शास्त्रीय गायकों से लेकर विश्व विख्या्त बॉलीवुड के साज़िंदा पूरी दुनिया में पहचाने जाते है।
मुझे दृढ़तापूर्वक विश्वास है कि सांस्कृ्तिक और कलात्मक स्वतंत्रता, एक जीवंत समाज की आधारशिला होती है। कोई भी समाज तब तक उन्निति नहीं कर सकता, जब तक उस समाज के लोग स्वतंत्र होकर रचनात्माक दिमाग से अपनी रचनात्मकता को व्यक्त, नहीं कर सकते हैं।
कला और साहित्य को कभी भी राज्य पर निर्भर नहीं होना चाहिए। सरकार के रूप में, हमारी भूमिका सिर्फ इतनी है कि हम कला और साहित्य् को बढ़ावा दें और उसे लोकप्रिय बनाएं, उसमें कांट-छांट करना या प्रभावित करना हमारा काम नहीं है।
हम एक ऐसे गुजरात की कल्पना करते हैं जो सांस्कृतिक क्षेत्र में सबसे जीवंत हो। शास्त्रीय संगीत से लेकर नृत्य और चित्रकारी से लेकर कला के अन्य रूपों को हम राज्य में लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने का सतत प्रयास कर रहे हैं। इस कौशल के अलावा हमारे गौरवशाली अतीत और भविष्य के बीच महत्वपूर्ण कड़ी बनाएं रखने का प्रयत्न भी हो रहा है।
हमारा ऐसा ही एक प्रयास तानारीरी उत्सव है जो कल यानि 11 नवंबर, 2013 को शुरु हुआ। इस उत्सव में भारतीय और गुजराती, दोनों शास्त्रीय संगीत पद्धतियों का आयोजन होता है। इस उत्सव का आयोजन वडनगर में होता है, जो देश की ऐसी भूमि है जिसकी संगीत के साथ मजबूत कड़ी बनी हुई है।
तानारीरी उत्सव, वडनगर की दो जुड़वा बहनों के सम्मान में आयोजित किया गया है जिनके नाम ताना और रीरी थे। ऐसा कहा जाता है कि जब संगीत के सम्राट तानसेन ने राग दीपक गाया (दीपक राग भगवान अग्नि को समर्पित होता है) तो उनका शरीर, राग के तेज से जलने लगा, और इसे देखकर उन दोनों बहनों - ताना और रीरी ने राग मल्हार (राग मल्हार, मेघ देवता को समर्पित राग है जो पानी बरसाते है) गाया और इस राग के तेज से बारिश हुई और तानसेन के शरीर की आग शांत हुई।
तानारीरी उत्सव का आयोजन कार्तिक मास की नवमी (दीपावली के बाद पहले महीने के नवें दिन) को किया जाता है। इस उत्सव में पूरे भारत से प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों को और गुजरात के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों को बुलाया जाता है। यह उत्सव संगीत प्रेमियों के लिए खास होता है।
आपको यह जानकर खुशी होगी कि इस उत्सोव के आयोजन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्डे रिकॉर्ड में स्थान प्राप्तइ हो चुका है, 2010 में तानारीरी उत्सॉव के दौरान शास्त्रीय गायिका धारी ‘पंचमदा’ ने लगातार 101 घंटे और 23 मिनट तक गाया था। यह वर्ष गुजरात का स्वर्ण जंयती वर्ष भी था। दूसरा रिकॉर्ड भी 2010 में ही बना था, जब तानारीरी उत्सव के दौरान उसी ही गायिका ने 214 राग और 271 बंदिश सुनाई थी।
गुजरात सदैव से ही अपनी रचनात्मकता और हुनर से दुनिया को प्रभावित करने वाले गायकों और कलाकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और इसी कारण गुजरात के स्वर्ण जयंती वर्ष से हम पंडित ओमकार नाथ ठाकुर सम्मान और तानारीरी पुरस्कार देते हैं। पंडित ओमकार नाथ ठाकुर का भारत के संगीत इतिहास में विशेष स्थान है। वह भरूच से थे और उन्होंने अपनी साधना सूरत में की। लोग आज भी उनका गाया हुआ गीत ‘वंदे मातरम्’ गर्व और सम्मान से याद करते हैं। हमें गौरव पुरस्कार के लिए भी लोक संगीत का एक वर्ग जोड़ना चाहिए।
इस प्रयास में मैं आप सभी के समर्थन को चाहता हूं ताकि हम गुजरात को सांस्कृतिक क्षेत्र में और आगे बढ़ा सकें और चमक बिखेर सकें।
आपका,
नरेन्द्र मोदी