उज्जवल आने वाले कल की ओर प्रयाण
प्रिय मित्रों,
स्वतंत्रता दिवस के इस विशिष्ट पर्व पर आप सभी को मेरी ह्रदयपूर्वक शुभकामनाएं और सलाम। इस ऐतिहासिक दिवस पर पूरे विश्व में बसने वाले भारतीयों को भी मैं शुभकामनाएं देता हूं।
आज ऐसे अनेक लोग होंगे जिनका जन्म १९४७ के बाद हुआ या फिर उस समय वह बहुत ही छोटे थे, जिसकी वजह से स्वतंत्रता की लड़ाई को निकट से देख नहीं पाए होंगे। मैं भी उनमें से एक हूं। परन्तु जब मैंने स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिखलाई गई हिम्मत के बारे में सुना तब मैं गर्व की भावना और कर्तव्यपरायणता के विचारों में खो गया। आज हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता के पीछे शहीद होने वाले लोगों के प्रति हम आदर महसूस करते हैं। परन्तु हमारे पास राष्ट्र के लिए जीने तथा हमारे पूर्वजों के सपनों को साकार करने का एक सुनहरा मौका है।
आज वह तमाम पराक्रमी लोग जिन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए जन्मभूमि के लिए शहीद होने के संकल्प सहित उनके बहुमूल्य जीवन को समर्पित कर दिया, उनके प्रति हम सभी आदर का भाव महसूस करते हैं।जब मैं हाल ही की घटनाओं पर नजर डालता हूं तब मेरे अंतर्मन में गहरे दुःख की भावना को महसूस करता हूं। हमारे बहादुर सैनिक बारंबार शहीद होते हैं, इसके बावजूद पिछले नौ वर्षों से गहरी नींद में सोई हुई हमारी सरकार जागती नहीं है। हमारे सशस्त्र बलों पर हमें गर्व है और इस देश का एक भी नागरिक ऐसा नहीं होगा जो पिछले कुछ महीनों से घट रही घटनाओं को सहन कर सके। इसके बावजूद यह काफी पीड़ादायक है।
निरंतर बढ़ रही महंगाई के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को आराम महसूस नहीं होता। डॉलर की तुलना में रुपये की कीमत ने सभी रिकार्ड तोड़ डाले हैं। क्या यह सब गरीब या नवीन मध्यमवर्ग, जिन्होंने उज्जवल आने वाले कल के लिए ऊंची आशाएं संजोयी हैं, उनके लिए सहायक हो सकता है? क्या हमारे युवाओं को जरूरत के अनुसार रोजगार प्राप्त हुआ है? यह हमारे राष्ट्र के इतिहास का एक बहुत ही तूफानी चरण है और इसकी वजह से गहरा अविश्वास, विषाद और निराशावाद का वातावरण बना है। और ऐसे समय, जो लोग अपने वादों में चांद दिखलाते थे और कुछ दे नहीं सके उनके प्रति हमें काफी जागृत होने की जरूरत है। हमें महसूस हो रही परेशानियों के प्रति मात्र औपचारिक होना इसका निराकरण नहीं है। अब काम करने का समय आ गया है।
पिछले ६५ वर्षों से ऐसे अनेक विभाजन हुए जिनकी वजह से हम आगे बढ़ने में असमर्थ हो गए। अब इस प्रकार के विभाजन और लोगों के लिए, खास तौर पर गरीबतम लोगों के लिए हानिकारक प्रक्रियाओं के खिलाफ खड़े होने का समय आ गया है।
हाल ही में हैदराबाद में आयोजित सार्वजनिक रैली में मैंने कहा था कि, सरकार का एक ही धर्म होता है और वह है इंडिया फर्स्ट, उसका एकमात्र धर्म ग्रंथ होता है और वह है भारत का संविधान। मात्र एक ही भक्ति है जिसे भारत भक्ति के साथ जोड़ा जा सकता है और जनशक्ति एकमात्र ऐसी शक्ति है जिसे समर्पित रहना चाहिए। सरकार का पवित्र धर्म १२५ करोड़ भारतीयों का कल्याण ही होना चाहिए और सबका साथ, सबका विकास ही उसकी एक ही कार्य पद्धति होनी चाहिए।
जब हम महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और सरदार पटेल जैसे महापुरुषों के सपनों को साकार करेंगे तभी यह संभव होगा। १५ अगस्त, १९४७ को प्राप्त स्वराज्य से ही हमारा काम पूरा नहीं हो जाता। इस यात्रा का ज्यादा मुश्किलों भरा भाग अभी बाकी है। और वह है सुराज्य को हासिल करना। चलो, हम सब सुराज्य प्राप्ति के विराट आंदोलन की मशाल को उठाएं और वायब्रेंट तथा उदार लोकतांत्रिक नागरिक के तौर पर सुराज्य प्राप्ति के इस आंदोलन के प्रति सशक्त मार्ग की नागरिक शक्ति बने। इस जिम्मेदारी की शुरुआत मतदाता के तौर पर पंजीकृत होने के साथ होती है। मैं मेरे युवा मित्रों को मतदाता के तौर पर पंजीकरण करवाने और अपने आसपास के दस अन्य लोगों को भी उनके परिवारों, मित्रों और पड़ोसियों सहित तमाम लोगों से मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का आग्रह करता हूं। चलिए, किसी भी यूनिवर्सिटी का एक भी विद्यार्थी मतदाता के तौर पर पंजीकरण बगैर न हो, यह तय करें। वास्तव में इस महान राष्ट्र का नागरिक होने के नाते पंजीकृत मतदाता के तौर पर हमें गर्व महसूस होना चाहिए।
मैं आईएनएस सिंधु रक्षक मंडल के बहादुर नेवी कर्मचारियों की दुःखद मृत्यु पर ह्रदयपूर्वक प्रार्थना करता हूं। उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी सहानुभूति व्यक्त करता हूं। उनकी आत्मा को शांति मिले ऐसी प्रार्थना।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मैं फिर एक बार सभी को ह्रदयपूर्वक शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले वर्षों में देश नई ऊंचाइयां हासिल करे, ऐसी कामना। मैं मेरे स्वतंत्रता दिवस के संदेश के साथ एक वीडियो भी शेयर करता हूं जिसके साथ मतदाता पंजीकरण संबंधी आवश्यकता का एक वीडियो भी उपलब्ध है।
वंदेमातरम, जय हिंद।
नरेन्द्र मोदी