सरदार पटेल देश के प्रधानमंत्री बने होते तो गुजरात की तरह ही
हिन्दुस्तान के किसान और कृषि भी समृद्ध बने होते : श्री मोदी
गुजरात ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए सफल व्युहरचना बनाई
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात में जारी कृषि महोत्सव अभियान के तहत अहमदाबाद सहित 6 जिलों के मध्य गुजरात जोन के कृषि महोत्सव में कहा कि गुजरात सरकार ने खेती की समग्र अर्थव्यवस्था का नये रूप से निर्माण करने का अभियान चलाया है। केन्द्र की सरकार कृषि क्षेत्र की घोर उपेक्षा कर रही रही है जबकि गुजरात ने एक दशक में कृषिक्रांति कर दिखाई है। उन्होंने कहा कि अब जमीन बढ़ने वाली नहीं है। जमीन के छोटे टुकड़े में भी आधुनिक खेती से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।आणन्द जिले के पेटलाद में आयोजित इस कृषि महोत्सव में अहमदाबाद, आणन्द, खेड़ा, वडोदरा, पंचमहाल और दाहोद जिले से भारी संख्या में और पशुपालक परिवार महिला शक्ति के साथ पहुंचे। श्री मोदी ने यहां कृषि के ऋषि सरदार पटेल कृषि पुरस्कार से विजेता प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया और लाभार्थी किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभों का वितरण किया।
भूतकाल में हिन्दुस्तान की किसी भी सरकार ने कृषि का ऐसा अभियान नहीं चलाया होगा, इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कृषि क्रांति के इस पर्व में इतनी बड़ी तपस्या का यह सरकारी अभियान आठ वर्ष से चल रहा है और इसमें सरकारी कर्मचारियों के साथ ही कृषि विश्वविद्यालय, कृषि वैज्ञानिक, पशु स्वास्थ्य सेवा के डॉक्टरों, कर्मचारियों की टीम एक माह से जंगलों में घूम रही है। गुजरात के गांवों, कृषकों और पशुपालकों को समृद्ध करने के लिए यह तप किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन की जो योजनाएं अमल में लाई गई हैं उसकी सामाजिक-आर्थिक सफलता का मूल्यांकन थर्ड पार्टी से करवाया जाता है और इसी वजह से कृषि क्रांति के सबूत जमीन पर दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में एकमात्र नर्मदा जैसी बारहमासी नदी है और किसान आकाशिय पानी के इंतजार में दुखी रहते थे, ऐसी स्थिति थी। दस वर्ष पूर्व गुजरात होनेवाले राहत कार्य ही खेती की विफलता के गवाह थे। केन्द्र सरकार के पास कई बारहमासी नदियां है फिर भी कृषि विकास की दर तीन प्रतिशत पर अटकी है। लेकिन गुजरात में कृषि विकास की दर 11 प्रतिशत पर पहुंची है। यह कृषि महोत्सव का कमाल है। देश में गुजरात ने इतनी बड़ी कृषि क्रांति का नेतृत्व लिया मगर केन्द्र सरकार और यहां के उनके साथी झूठ फैलाते हैं। श्री मोदी ने सवाल उठाया कि अगर खेती की जमीन चली गई तो यह कृषि क्रांति क्या आकाश में से सफल हुई ?
श्री मोदी ने कहा कि हिन्दुस्तान की कृषि की यह दुर्दशा और किसानों की दयनीय हालत नहीं हुई होती अगर सरदार साहब प्रधानमंत्री बने होते। दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आहवान मानकर किसानों ने गेहुं से अन्न के भंडार भर दिए थे। इस किसान की ताकत को केन्द्र सरकार ने कभी प्रोत्साहित नहीं किया बल्कि इनकी उपेक्षा ही की है।
केन्द्र सरकार की संवेदनहीनता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दक्षिण अफ्रिका के एंगोला में 40 गुजरातियों सहित देश के बहुत सारे नागरिक यातनाएं भोग रहे हैं, उनके परिजन यहां पर परेशान हैं। हमने प्रधानमंत्री कार्यालय के दरवाजे भी खटखटाए मगर 24 घंटे में कुछ भी नहीं किया गया। श्री मोदी ने केन्द्र सरकार पर देश की जनता को किस्मत के सहारे छोड़ देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि मूक पशुओं की सेवा का काम आठ साल से यह सरकार कर रही है और 25000 जितने पशु स्वास्थ्य मेलों के माध्यम से उनका उपचार किया है।
सहकारी डेयरी उद्योग में इस सरकार ने क्रांति की है। भूतकाल में कच्छ- काठियावाड में डेरियां बन्द करने के फरमान जारी हुए थे मगर इस सरकार ने इन डेरियों के ताले खोलकर दूध उद्योग को सजीवन किया है। राज्य के किसानों ने फलों, दूध, सब्जी, के निर्यात में दुनिया में डंका बजाया है। गुजरात का किसान शुगरफ्री आलू का उत्पादन कर रहा है। आणन्द-खेड़ा ने कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का उत्तम मॉडल विकसित किया है, इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि नियमित खेती, पशुपालन और वृक्ष की खेती के तीन आधारों पर खड़ा करने की व्युहरचना अपनाई गई है।
कृषि उत्पादों में मूल्यवर्धित खेती को प्राथमिकता देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि कपास की खेती में फाइन एफ फार्मूले से फार्म-फेब्रिक-फॉरेन-फैशन की दिशा दिखाई है। तम्बाकू की बीज में से तेल निकालकर स्वास्थ्य की औषधि बन सकती है, ऐसे अनेक परिवर्तन गुजरात की खेती में हो रहे हैं।
कार्यक्रम में कृषि मंत्री दिलीप संघाणी, कानून राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जाड़ेजा, पर्यटन राज्य मंत्री जितेन्द्र सुखड़िया, संसदिय सचिव सुन्दर सिंह चौहाण ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कृषि महोत्सव के इस मौके पर जिला प्रभारी और स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास, शिक्षा मंत्री रमणभाई वोरा, गृह राज्य मंत्री प्रफुल्ल भाई पटेल, पूर्व कृषि मंत्री और योजना उपाध्यक्ष भुपेन्द्र चूड़ास्मा, विधानसभा के मुख्य सचेतक पंकज भाई देसाई, उप मुख्य सचेतक अम्बालाल रोहित, विधायक ज्योत्सनाबेन पटेल, शिरिष भाई पटेल, देवुसिंह चौहण, पूर्व सांसद दीपक भाई पटेल, पूर्व मंत्री बिमल भाई शाह, महाराष्ट्र से आए राजेन्द्र फडके, जिला पंचायत प्रमुख जशुभा सोलंकी, अन्य महानुभाव और भारी संख्या में किसान मौजूद थे।