महाराणा प्रताप जयंति उत्सव : सूरत में आयोजित हुआ राजस्थान और हरियाणा के परिवारों का विराट महासम्मेलन

लाख कोशिशों के बावजूद क्रांतिवीरों के इतिहास को मिटा नहीं पाओगे : मुख्यमंत्री की केन्द्र के शासकों को चेतावनी

 च्वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने देश की शूरवीरता और स्वतंत्रता संग्राम के शहादत के इतिहास को भुला दियाज्

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को सूरत में आयोजित राजस्थान और हरियाणा समाज के विराट महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र के शासक वोट बैंक की राजनीति की खातिर देश के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी सपुतों के इतिहास को भुलाने की लाख कोशिश करेंगे तो भी वे देश की जनता के ह्रदय में से इन वीर सपुतों की याद को मिटा नहीं पाएंगे। अभूतपूर्व उत्साह और उमंग के माहौल में राजस्थान और हरियाणा के करीब 100 विविध समाजों ने मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से अभिवादन किया।

महाराणा प्रताप के जन्मजयंति उत्सव के मौके पर समस्त राजस्थान और हरियाणा समाज की ओर से इस विराट सम्मेलन का आयोजन किया गया था। श्री मोदी ने जनता जनार्दन का इस भावभीने स्वागत के लिए आभार जताते हुए कहा कि राणा प्रताप का नाम याद करने से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। भारतमाता के इस वीर सपुत का स्मरण करते ही हमारा मस्तक वंदन के लिए झुक जाता है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की केन्द्र सरकार को महाराणा प्रताप की जन्मजयंति पर श्रद्घासुमन व्यक्त करने की फुर्सत नहीं है। महाराणा प्रताप और शिवाजी का नाम लेने से ही वोट बैंक की राजनीति करने वाले झिझकते हैं। वोट बैंक की राजनीति ने देश के महान सपुतों और भारतमाता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने वाले आजादी के मतवालों सहित इतिहास की शौर्य गाथाओं को भुला दिया है। श्री मोदी ने कहा कि 1200 वर्ष के देश के गुलामी काल के हरेक वर्ष में आजादी की मशाल लेकर निकले भारतमाता के वीरों की बलि चढ़ाने का इतिहास शूरवीरता का इतिहास है। जवानों की शहादत का इतिहास है। फिर भी, देश की पीढिय़ों को गत 60 वर्षों से एक ही इतिहास का पाठ पढ़ाया जा रहा है कि देश के लिए एक ही परिवार ने सारे बलिदान दिये हैं। जबकि हकीकत यह है कि इसी परिवार ने देश की सारी मलाई हजम की है। उपस्थित विशाल समाजशक्ति द्वारा महाराणा प्रताप की जय-जयकार को देखते हुए श्री मोदी ने केन्द्र के शासकों को चेतावनी दी कि देश की आजादी के महान सपुतों का नाम इतिहास से मिटाने की लाख कोशिशों के बाद भी वे नाकामयाब साबित होंगे।उन्होंने कहा कि देश की जनता आज भी राष्ट्र भक्तों की वीरता का पाठ पढऩे के लिए सच्चे इतिहास की बाट जोह रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक विचारधारा चाहे जो हो, लेकिन देश की विरासत में त्याग और बलिदान की तपस्या को नकारा नहीं जा सकता। श्री मोदी ने कहा कि भारतीय विरासत में दरार पैदा करने वालों और देश का बंटवारा करने वालों को देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने याद दिलाया कि राजस्थान के मेवाड़ चित्तौड़ के स्थापक बप्पा रावल की माता गुजराती थीं। राणा प्रताप का पराक्रमी अश्व चेतक की मां भी गुजराती थी। महाराणा प्रताप ने विजयनगर-पालना गुजरात के जंगलों में भील आदिवासियों के साथ आजादी की जंग के लिए घास के बिछाने में सोकर यातना भोगी थी। मुगलिया सल्तनत के समक्ष झुकने के बजाय हल्दीघाटी की लड़ाई लड़ी थी। राणा प्रताप ने जिस सपने की पूर्ति के लिए अपना जीवन खपाया था, उसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि राणा प्रताप ने मुगल सल्तनत के खिलाफ गो-रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।

आज भी केन्द्र के शासकों के खिलाफ गो-रक्षा के कानून के लिए लड़ाई लडऩी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि भारत के स्वाभिमान के इतिहास को फिर से गौरव दिलाएं। गुजरात द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन की दो विचारधाराओं- सशस्त्र क्रांति और अहिंसक सत्याग्रह का नेतृत्व किये जाने की भूमिका प्रस्तुत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सशस्त्र क्रांति का नेतृत्व कच्छ के श्यामजी कृष्ण वर्मा ने किया जबकि सत्याग्रह की लड़ाई का नेतृत्व गांधीजी और सरदार साहब ने किया। ये सभी गुजरात के वीर सपुत थे। आजादी का नारा लगाते हुए श्यामजी कृष्ण वर्मा ने जिनेवा में देहत्याग किया। उसके 73 वर्ष बाद तक देश के कांग्रेसी शासकों ने स्व. श्यामजी कृष्ण वर्मा का अस्थि कलश भारत लाने की दरकार नहीं की। हमें यह सौभाग्य मिला कि वर्ष 2003 में जिनेवा जाकर अस्थि कलश को खंभे पर रख कर भारत लाए और कच्छ के मांडवी में क्रांतितीर्थ स्मारक बनाया। अब हमें संकल्प करना है कि हिन्दुस्तान में माता के दूध का बंटवारा न हो, विरासत में दरार पैदा न हो। इस अवसर पर राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य नरोत्तमभाई पटेल, नितिनभाई पटेल, मंगूभाई पटेल, रणजीतभाई गिलीटवाला, महापौर राजेन्द्र देसाई तथा पदाधिकारी और राजस्थान-हरियाणा के विविध समाज के सदस्य भारी संख्या में उपस्थित थे।.

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।