मुख्यमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सुशासन के 4000 दिन पूर्ण होने का सुयोग

 ग्राम पंचायत के सरपंचों को वार्षिक 10 हजार रुपये कन्टीजंसी खर्च मिलेगा

 मिशन बलम् सुखम् कार्यरत

 कुपोषण मुक्त गुजरात का सुविचारित अभियान

 वार्षिक दो लाख प्रत्येक गांव को पोषण-वर्धन कार्य के लिए अनुदान

 सरपंचों को ग्रांट के चेकों का वितरण

गुजरात को विकास का सातत्यपूर्ण मॉडल राज्य का गौरव दिलवाने वाले मुख्यमंत्री का सरपंचों ने किया अभिवादन

उत्तम ग्राम विकास का भव्य सपना साकार करें : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित सरपंच महासम्मेलन में सरपंचों को गांव के उत्तम विकास का नेतृत्व करने, कुपोषणमुक्त गुजरात बनाने, गांव में कोई गरीब आवास से वंचित न रहे, कोई घर शौचालय से वंचित न रहे, ऐसी सुख-सुविधाओं के लिए अगवानी करने का आह्वान किया।

आज से समग्र गुजरात कुपोषण मुक्त बनाने के दृढ संकल्प के साथ मिशन बलम् सुखम् का आह्वान किया गया। प्रत्येक गांव में माता और बालक के पोषण और स्वास्थ्य के लिए सातत्यपूर्ण कार्य शुरू करने के लिए प्रति गांव वार्षिक दो लाख रुपये का विशेष अनुदान देने की घोषणा के साथ ही प्रतीकात्मक रूप से प्रत्येक जिले के एक सरपंच को दो लाख रुपये की रकम प्रदान की गई।

गुजरात राज्य पंचायती राज की स्वर्णिम जयंती के उपलक्ष्य में राज्य सरकार के तत्वावधान में 13,696 ग्राम पंचायतों के सरपंचों का महासम्मेलन आज गौरवपूर्ण ग्राम विकास की ऐतिहासिक उपलब्धि के स्वरूप में संपन्न हुआ। योगानुयोग मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 7 अक्टूबर, 2001 से प्रारंभ सुशासन के आज 4000 दिन पूरे हुए हैं। इस यशस्वी राजनीतिक स्थिरता के साथ विकास की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए मुख्यमंत्री का सरपंचों द्वारा गर्मजोशी से अभिवादन किया गया। चार जोनवार पंचायत और ग्राम विकास सेमीनारों और प्रदर्शनी का निरीक्षण मुख्यमंत्री ने किया।

देश के प्रधानमंत्री ने कुपोषण को देश की शर्म बताया था और उसके निवारण के लिए चिंता जतायी थी, लेकिन गुजरात ने इस दिशा में पहल करते हुए वैज्ञानिक अभिगम और जनभागीदारी को जोडक़र नियमित परीक्षण की सुविचारित व्यवस्था के साथ मिशन मोड पर कुपोषण के खिलाफ जंग का आंदोलन शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री ने गुजरात स्टेट न्यूट्रीशन मिशन का मिशन बलम् सुखम् शुरू करने की घोषणा आज कर दी। इस मिशन बलम् सुखम् के तहत प्रत्येक गांव में कुपोषित बालकों की संख्या के मुताबिक औसत दो लाख रुपये की रकम 18,000 गांवों को देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री ने की। यह रकम प्रत्येक गांव को अलग से मिलेगी।

गुजरात के गांव-गांव से आए 14,000 सरपंचों का स्वागत करते हुए गांव के विकास में अगवानी के लिए शुभकामनाएं देते हुए श्री मोदी ने कहा कि 50 साल पहले सत्ता के विकेन्द्रीकरण के लिए हमारी ग्राम राज की कल्पना को, सदियों की परंपरागत प्रकृति के अनुरूप लोकतंत्र को मजबूत बनाने, जनभागीदारी उजागर करने में पंचायती राज की महत्वपूर्ण भूमिका शुरू हुई। अनेक उतार-चढ़ाव के बाद गुजरात के पंचायती राज के मॉडल को देश भर में स्वीकृति मिली है।

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक सरपंच को कंटीजन्सी ग्रांट के रूप में स्वविवेक से खर्च के लिए 10 हजार रुपये की रकम देने की घोषणा भी की। श्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि पिछले पचास वर्ष में पंचायतों में जिन्होंने कोई न कोई जिम्मेदारी निभाई थी, ऐसे पंचायत के पूर्व प्रतिनिधियों का सम्मान करने का ऐतिहासिक निर्णय इस सरकार ने लिया जिसमें ज्यादातर एक ही राजनीतिक पार्टी का प्रभुत्व था और वर्तमान शासक दल इतना प्रभावी नहीं था। इसके बावजूद पंचायती राज के 98 हजार पूर्व प्रतिनिधियों का सम्मान इस सरकार ने करके पंचायती राज का गौरव बढ़ाया है। इस सरकार को महात्मा मंदिर के निर्माण में गांव-गांव का योगदान सरपंचों के नेतृत्व में मिला है। यह राज्य और गांव की पंचायत अनन्य भक्तिभाव से गांव की सुख सुविधाओं के लिए चिंतन करे, यह गुजरात में संभव हुआ है।

जिन गांवों में उत्तम कार्य हुए हैं उनको प्रेरणादायी करार देते हुए समरस गांव, तीर्थ गांव, पावन गांव का अनुसरण करने की मुख्यमंत्री ने अपील की। उन्होंने कहा कि तीर्थ गांव के स्तर में पांच वर्ष तक कोई झगड़ा-फसाद न हो, कोर्ट-कचहरी न हो, यह बड़ी घटना है। उन्होंने कहा कि गांव में 24 घंटे बिजली की ज्योतिग्राम योजना से आर्थिक-सामाजिक जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आया है और अनेक औद्योगिक प्रवृत्तियां विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में देश में अंधकार छा गया था, तब एकमात्र गुजरात ही ऐसा राज्य था जो ज्योतिग्राम से जगमगा रहा था, इसकी वाहवाही पूरी दुनिया में हुई। गांव में 24 घंटे बिजली से इंटरनेट ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी और लॉन्ग डिस्टेन्स उत्तम शिक्षा की सुविधा गांव-गांव में मिलने लगी है।

श्री मोदी ने सरपंचों को संकल्प दिया कि किसी गांव में कोई घर ऐसा न हो जहां शौचालय न हो। इस सपने को पूरा करने के लिए 14 हजार ग्राम पंचायतों ने वचन लिया है। दूसरा संकल्प मुख्यमंत्री ने यह दिलाया कि गांव-गांव में कोई लाभार्थी आवास से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्ष में दस लाख मकान बनाए गए थे, लेकिन इन दस वर्षों में 16 लाख मकान बनाए गए हैं। इस एक ही माह में अन्य छह लाख गरीबों को आवास के प्लाट और निर्माण सहायता की प्रथम किस्त के चेक प्रदान कर दिए गए हैं। अब भी गांव-गांव में सरपंच पहल करके कच्चे घर में रहने वालों को पक्का मकान दिलाने के लिए अभियान चलाएं। सरकार ऐसे कच्चे आवासों के स्थान पर पक्का मकान बनाने के लिए वर्ष 2011 की पिछली जनगणना के परिणाम और 2012 के सामाजिक-आर्थिक सेंसेक्स के आंकड़े को पैमाना मानने के लिए तैयार है। कच्चे मकान में रहने वाला गरीबी रेखा से नीचे या ऊपर निर्वाह कर रहा हो लेकिन सभी को पक्का आवास मिले, इसके लिए सरकार का यह कार्य मिशन के रूप में सरपंच शुरू करें, ऐसी अपील श्री मोदी ने की।

ग्राम राज का सपना पूरा करने का सरपंचों से आह्वान करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हर काम को चुनाव के तराजू में तौलने की जरूरत नहीं है। जनता अब अच्छे काम को पहचानती है और उसे ही स्वीकार करती है। किसी भी गांव में तनाव की गर्माहट लाए बगैर विकास के कामों में लग जाएं। 4000 दिनों की राजनीतिक स्थिरता के कारण नीतियों का सातत्य हुआ, प्रशासन प्रजाभिमुख बना है और विकास सभी को नजर आ रहा है।

गुजरात मतलब विकास और विकास मतलब गुजरात के माहौल का यश नरेन्द्र मोदी को नहीं, बल्कि छह करोड़ गुजरातियों, टीम गुजरात, प्रशासनिक तंत्र, कुदरत की मेहरबानी- इन सभी को जाता है। उन्होंने कहा कि दस वर्ष में विकास के गड्ढे भरने का उनको संतोष है और जनवरी, 2013 से गुजरात के भव्य और दिव्य निर्माण का अध्याय शुरू करने का सपना पूरा करने के लिए वह कटिबद्घ हैं।

लोकसभा में विपक्ष की नेता श्रीमती सुषमा स्वराज ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि राज्य के विकास में सरपंचों का योगदान प्रभावी होता है। उन्होंने गुजरात के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान देने का सभी से अनुरोध किया।

राज्य के पंचायत मंत्री नरोत्तमभाई पटेल ने सभी सरपंचों-महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य के 18 हजार गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए इस राज्य सरकार ने पिछले चार वर्ष में 34 हजार करोड़ रुपये का विकास खर्च किया है। राजस्व मंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल और शिक्षा मंत्री रमणलाल वोरा ने भी अपने विचार जनता के समक्ष रखे।

इस मौके पर गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष गणपतभाई वसावा, राज्यसभा सदस्य ओम माथुर, पुरुषोत्तमभाई रुपाला, स्मृति इरानी, मनसुखभाई मांडविया, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बलबीर पूंज मंत्रिमंडल के सदस्यगण, जिला पंचायत प्रमुख, बोर्ड-निगम के चेयरमैन, विधायकगण, आर.सी. फळदु, राज्य के मुख्य सचिव ए.के. जोति, विकास आयुक्त ए.के. राकेश, अतिरिक्त मुख्य सचिव-पंचायत, ग्राम विकास आर.एम.पटेल सहित कई उच्च अधिकारी मौजूद थे।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !