आंतरिक सुरक्षा को लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राष्ट्रीय परिषद में श्री मोदी ने दिए राष्ट्र की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के पथप्रदर्शक सुझाव
आंतरिक सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे पर उदासीन है केंद्र सरकार : मुख्यमंत्री
सेना और केंद्र सरकार के बीच विवाद-अविश्वास का माहौल दूर किया जाए
राज्यों को विश्वास में लेकर तैयार हो आंतरिक सुरक्षा की रणनीति
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राष्ट्रीय परिषद में आंतरिक सुरक्षा जैसे राष्ट्रीय हित के गंभीर विषय में केन्द्र सरकार के उदासीन रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यों के मुख्यमंत्री सर्वाधिक प्राथमिकता के साथ परिश्रम कर रहे हैं ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार मुख्यमंत्रियों के अनुभवी सुझावों को ध्यान में लेने के बजाय केन्द्र और राज्य के बीच अविश्वास और विवाद को बढ़ाने वाले एकपक्षीय निर्णय ले रही है जो देश को संकट की ओर ले जाएंगे।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी. चिदंबरम और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में 24 राज्यों के मुख्यमंत्रियों की परिषद में श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह आंतरिक सुरक्षा के पूरे मामले को सर्वग्राही परिप्रेक्ष्य में सर्वोच्च एजेंडे के रूप में ले। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्यों को कमजोर कर और आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यों के अधिकारों को छीनने के बाद केन्द्र सरकार राज्यों के पास जिस जवाबदारी की उम्मीद रखती है वह कैसे मूर्तिमंत होगी। इस सन्दर्भ में सटीक दृष्टांत पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल काउंटर टेरेरिजम सेन्टर्स (एनसीटीसी) के मामले में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उग्र विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री ने अलग से चर्चा के लिए सहमति प्रदान की लेकिन रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) अधिनियम और अब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अधिनियम में संशोधन दाखिल कर केन्द्र सरकार राज्यों के अधिकारों और राज्य की पुलिस का मनोबल कमजोर करने की मानसिकता क्यों रखती है? इसी सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने सैन्य दल के अफसरों को लिमिटेड कॉम्पीटिटिव एग्जाम पॉलिसी के नाम पर राज्यों के पुलिस अधिकारी के तौर पर नियुक्त करने के केन्द्र के इरादे को लेकर भी अपना विरोध जताया।
उन्होंने कहा कि देश की सेना में ही अफसरों का बड़ा बैकलॉग है, ऐसे में सरहद की सुरक्षा को जोखिम में डालकर सेना अफसरों को राज्य पुलिस दल में नियुक्त करने के बजाय आर्मी में अफसरों की भर्ती का अभियान क्यों नहीं चलाया जाता? राज्य पुलिस और सेना के बीच तनाव-विवाद की स्थिति क्यों खड़ी की जा रही है? मुख्यमंत्री ने देश की सुरक्षा के मामले में सेना दलों और केन्द्र सरकार के बीच हाल के महीनों में हुए खुले विवाद और अविश्वास की स्थिति को नये संकट के तौर पर रेखांकित करते हुए इस प्रकार के विवादों का अंत लाने के लिए केन्द्र सरकार को प्रोएक्टिव अभिगम अपनाने का सुझाव दिया आंतरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा को परस्पर अविभाज्य तथा संलग्न करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा संबंधी मामलों से भारत सरकार के विदेश और वाणिज्य मंत्रालय के किसी प्रकार के संबंध की अनुभूति ही नहीं होती।
उन्होंने कहा कि देशद्रोही अपराधी भारत छोडक़र विदेश चले जाते हैं और विदेशी धरती पर राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ षड्यंत्र रचते हैं, ऐसे में भारत सरकार के विदेश और वाणिज्य मंत्रालय इन मामलों को लेकर कितने सक्रिय होते हैं? श्री मोदी ने सुझाव दिया कि ऐसे भगौड़े अपराधियों को देश वापस लाकर उनकी सजा के लिए कार्यवाही करने हेतु इन मंत्रालयों की भूमिका सुनिश्चित की जानी चाहिए। आंतरिक सुरक्षा की सर्वग्राही व्यूहरचना के सम्बंध में सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रति वर्ष केन्द्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता और गृह मंत्री की मौजूदगी में आयोजित परिषद में राज्यों के मुख्यमंत्री पूरे दिन अनेक सुझाव देते हैं जिसके बाद गृह मंत्रालय एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) तैयार करता है। जिसे च्की एक्शन नोटज् करार देते हुए सर्कुलेट किया जाता है। लेकिन इस वर्ष ऐसी एक्शन टेकन रिपोर्ट में कहीं किसी मुख्यमंत्री के सुझावों का जिक्र तक नहीं है।
आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर इस हद तक उदासीन केन्द्र सरकार राज्यों को जवाबदारी की सलाह देती है। केन्द्र को आंतरिक सुरक्षा और विकास की सर्वग्राही व्यूहरचना का नया दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव देते हुए श्री मोदी ने कहा कि कच्छ में पाकिस्तान सरहद पर सरक्रीक के कोस्टल सिक्योरिटी क्षेत्र में जमीन के अंदर पेट्रो-एनर्जी हाईड्रोकार्बन का भंडार है। इसके एक्सप्लोरेशन के लिए विशेषज्ञों का टास्कफोर्स बनाकर बीएसएफ की टेक्निकल विंग को उसमें शामिल करने से देश के आर्थिक विकास को नई ताकत मिलेगी साथ ही बॉर्डर और कोस्टल सिक्योरिटी भी मजबूत मिलेगी। इसी तरह गुजरात-राजस्थान सीमावर्ती क्षेत्र में सूर्यशक्ति का उत्तम सोलर रेडिएशन है, ऐसे में बीएसएफ द्वारा सोलर पार्क के निर्माण की व्यूहरचना अपनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कच्छ में बीएसएफ के लिए गढुली-सांतलपुर रोड का निर्माण सुरक्षा के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन केन्द्र का पर्यावरण मंत्रालय उसे महज च्मार्गज् मानते हुए मंजूरी नहीं दे रहा। यह मानसिकता बदलनी चाहिए। खुफिया सेवाओं के मामले में केन्द्र सरकार के दावे को चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, केन्द्र यह दावा करता है कि केन्द्रीय एजेंसियां ही 97 फीसदी इंटेलिजेंस इनपुट राज्यों को देती हैं और राज्यों की इंटेलिजेंस सेवा का योगदान सिर्फ 3 फीसदी है। इस तरह राज्यों को नीचा दिखाने और राज्य पुलिस का मनोबल तोडऩे का केन्द्र का यह रवैया हरगिज उचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने मांग की कि केन्द्र सरकार का यह दावा किन मापदंडों पर आधारित है इसे लेकर श्वेत पत्र जारी किया जाए और ऐसे पैरामीटर्स की विशेषज्ञ पैनल की ओर से समीक्षा भी की जाए। उन्होंने कहा कि वास्तव में देखा जाए तो राज्य पुलिस की कॉन्स्टेब्यूलरी की खुफिया सेवा सर्वोत्तम है।
उन्होंने कहा कि गुजरात लंबे समय से ऑल इंडिया इंटेलिजेंस सर्विस की स्वतंत्र कैडर स्थापित करने की केन्द्र से मांग कर रहा है। इसके साथ ही रिजनल इंटेलिजेंस ट्रेनिंग सेन्टर्स द्वारा इंटेलिजेंस पर्सनल के कौशल्य संवद्र्घन को लेकर भी मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने देश के सभी सुरक्षा बलों में मानव संसाधन विकास के प्रशिक्षण की व्यवस्था के संबंध में भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात पुलिस आज देश में सबसे युवा पुलिस दल है और बड़ी संख्या में टेक्नोसेवी युवा इससे जुड़े हैं। सेना और राज्य पुलिस सहित सुरक्षा कर्मियों के आधुनिक शस्त्रों और गोला-बारूद की कमी से जूझने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सुरक्षा की पूर्व तैयारी के सन्दर्भ में शस्त्र, गोला-बारूद रसद की जरूरत, राज्यों की मांग-आपूर्ति की स्थिति, उपलब्धता, शस्त्रों के आयात आदि के संबंध में भी सर्वग्राही समीक्षा और नीति निर्माण की आवश्यकता है।
श्री मोदी ने सुझाव दिया कि देश के बड़े रेलवे स्टेशनों, अंतरराज्यीय चेकपोस्ट और बस स्टेशनों पर आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से एयरपोर्ट सिक्योरिटी की तर्ज पर हाईटेक सुरक्षा की व्यूहरचना तैयार की जाए। केन्द्रीय बजट में सोने (गोल्ड) को लेकर किए गए प्रावधान के विषय में मुख्यमंत्री ने आशंका जताई कि तीन-चार दशक पूर्व चल रहा सोने की तस्करी का अपराध फिर से सिर न उठाए, ऐसी दरकार की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने तटीय सुरक्षा के लिए 362 करोड़ रुपये की योजना बरसों पहले केन्द्र सरकार के समक्ष रखी थी, लेकिन केन्द्र ने अब तक महज 52 करोड़ ही आवंटित किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यांत्रिक बोटों की मांग बोट खरीद कर पूरी कर दी गई लेकिन उनकी मरम्मत आदि की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वयं मरीन पुलिस ट्रेनिंग इंस्टीट्युट शुरू करने का निर्णय किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात की स्थापना के बाद का पिछला एक दशक पूर्णत: शांति के वातावरण का रहा है, नतीजतन गुजरात सर्वांगीण विकास का मॉडल बनकर उभरा है। इस परिषद में गृह राज्य मंत्री प्रफुलभाई पटेल, अतिरिक्त मुख्य सचिव वरेश सिन्हा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव जी सी मुर्मु, पुलिस महानिदेशक चितरंजन सिंह तथा निवासी आयुक्त भरत लाल भी मौजूद थे।