प्रकाशित करने का निवेदन

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 66वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुजरात की जनता के नाम संदेश

6 करोड़ गुजरातियों को स्वतंत्रता पर्व की शुभकामनाएं...

  • गुजरात के नौजवानों को नवसृजन का सामथ्र्य बताने के अनेक अवसर

  • अकाल के संकट का मुकाबला कर पेश करेंगे मॉडल

  • औद्योगिक विकास से बढ़ा रोजगार साथ ही बढ़ा 37 लाख हेक्टेयर खेती का रकबा

  • शहरों का आधुनिक निर्माण

  •  समूचा दशक शांति का... रक्तरंजित संघर्ष से मुक्त हुई गुजरात की धरती

 

राजनैतिक स्थिरता बनी गुजरात के विकास की सबसेबड़ी ताकत : गुजरात को राजनैतिक अस्थिरता

 

आइए, गुजरात के विकास से महकतेपुष्प को भारतमाता के चरणों में अर्पित कर सुवास फैलाएं

 

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के 66वें स्वतंत्रता दिवस पर्व की गुजरात की जनता को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा है कि राजनैतिक स्थिरता ने ही गुजरात के विकास को सबसे बड़ी ताकत दी है। गुजरात को फिर से राजनैतिक अस्थिरता की ओर धकेलने का मंसूबा पाले तत्वों को असफल बनाना ही हमारी सामूहिक जवाबदारी है।

उन्होंने आह्वान किया कि, च्च्आइए, गुजरात के विकास से महकते पुष्प को भारतमाता के चरणों में अर्पित कर सुवास फैलाएं ज्ज्

स्वतंत्रता पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री का जनता के नाम संदेश अक्षरश: इस प्रकार है:

प्यारे नागरिक-भाइयों और बहनों आजादी पर्व की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं।

देश जब स्वतंत्रता पर्व मना रहा है, ऐसे में आजादी के मतवालों की याद आए यह स्वाभाविक है। सदियों तक, अविरत संघर्ष कर नामी-अनामी अनेक वीरों ने अपनी जिन्दगी खपाकर हमें आजादी दिलाई है। यह अवसर है देश के लिए मर-मिटने वाले उन सभी वीरों को नमन करने का। भारत के तिरंगे की आन-बान और शान के लिए वंदे मातरम् का मंत्र गुंजायमान करते हुए उन्होंने अपना जीवन कुर्बान कर दिया। जवानी जेलों में खपा दी।

हम गुजरातियों के लिए यह गौरव की बात है कि, स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी ऐसे दो महान व्यक्तित्व- महात्मा गांधी और सरदार पटेल गुजरात के ही सपूत थे। हम सभी उनकी भाषा बोलने वाले लोग हैं। हमारे लिए यह स्वाभाविक गौरव की बात है, और इसलिए हमारी जवाबदारी भी अन्य लोगों की तुलना में सविशेष है। यदि गांधी और सरदार को हम अपना कहते हैं तो उनके सपनों को साकार करने की हमारी जवाबदारी और भी बढ़ जाती है। गुजरात ने उस जवाबदारी को निभाने का पर्याप्त प्रयास किया है। स्वराज के लिए उन्होंने अपना जीवन खपा दिया, सुराज्य का स्वप्न उन्होंने भी देखा था। महज एक देश का झंडा उतरे और दूसरे देश का झंडा चढ़े, एक शासक उतरे और दूसरे देश के शासक काबिज हों- ऐसे संकुचित अर्थ के लिए न थी आजादी की जंग। आजादी की जंग थी दरिद्र नारायण का कल्याण करने के लिए, आजादी की जंग थी भारत माता को विश्व कल्याण के उसके कर्तव्य के लिए सक्षम बनाने की, सामथ्र्यवान बनाने की। आज महर्षि अरविंद की जन्मजयंति का भी अवसर है। उस महापुरुष ने जो भविष्यवाणी की थी, स्वामी विवेकानंद ने जो भविष्यवाणी की थी, महर्षि दयानंद सरस्वती ने जो आह्वान किया था, उन सभी की बात के साथ संत, महंत, आचार्य, ऋषि-भगवंतों की भी यही एक बात थी कि, भारत माता जगतगुरू के स्थान पर विराजित हो।

भाइयों-बहनों, गुजरात ने उस दिशा में प्रयास शुरू किया है और इसलिए ही तो गुजरात का मंत्र रहा है- भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। आज देश में 65 फीसदी से भी ज्यादा आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। हम कितने भाग्यशाली हैं कि, उस दौर का हिस्सा हैं जब समूचा हिन्दुस्तान युवाशक्ति से धडक़ रहा है। जिस देश के पास इतनी बड़ी तादाद में युवा हों, वह देश दुनिया को क्या नहीं दे सकता? गुजरात ने एक छोटा-सा प्रयास किया है, स्वामी विवेकानंद की 150वीं जन्मजयंति को युवा वर्ष के रूप में मनाकर। गुजरात की युवाशक्ति को, उसके कौशल्य को, उसके बाहूबल को, उसकी बौद्घिक ताकत को कई अवसरों से नवाजा है। नौजवान को एक बार अवसर मिले तो वह नवसृजन करने को सामथ्र्यवान बने, इसके लिए अभियान छेड़ा है। हाल ही में हमनें एक कार्यक्रम किया, च्च्एमपॉवरज्ज्। गुजरात का गरीब से गरीब नौजवान किस तरह आधुनिक विज्ञान के अनुरूप तैयार हो? इलेक्ट्रॉनिक मैन पॉवर के जरिए और इस इलेक्ट्रॉनिक मैन पॉवर के लिए न्यूनतम राशि पर और ज्यादातर लोगों को तो नि:शुल्क प्रशिक्षण। लडक़ा हो या लडक़ी, सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी), कंप्यूटर, सोशल नेटवर्क इन सारे विषयों को जानें, बदलते दौर के इस विश्व में वह स्वयं को जरा-सा भी कमतर न समझे, पिछड़ा न रह जाए। भले ही वह पांचवी-छठी तक पढ़ा हो, तो भी वह इस ज्ञान को अर्जित कर सकता है, उसके द्वार खोल दिए गए हैं। आईटीआई का जो विद्यार्थी होता है, लोग उसे किस नजर से देखते हैं? उसका सम्मान किस तरह बढ़े, च्च्श्रम मेव जयतेज्ज् कहने वाले इस देश में गुजरात इस तरह आईटीआई के विद्यार्थियों का गौरव करता है। हमने निर्णय किया है कि, सातवीं, आठवीं तक पढ़ा विद्यार्थी यदि दो वर्ष का आईटीआई कोर्स करे तो उसे कक्षा दसवीं के बराबर माना जाए। दसवीं कक्षा तक पढ़ा हो और आईटीआई का दो वर्ष का कोर्स किया हो तो उसे बारहवीं के समकक्ष माना जाए। उसे डिप्लोमा इंजीनियरिंग पढऩा हो या डिग्री इंजीनियरिंग पढऩा हो,उसके लिए द्वार खोल दिए गए हैं। यह सारी जद्दोजहद है गुजरात के नौजवानों को अवसर प्रदान करने की।

भाइयों-बहनों, समग्र देश आज सूखे की मार झेल रहा है। पिछले दस वर्षों में गुजरात पर मानसून की खूब कृपा रही है। ईश्वर ने मेहरबानी की। जहां चाहिए, जितना चाहिए, जब चाहिए उतनी बारिश हुई। इस बार ईश्वर हमें कसौटी पर कस रहा है। कई बार ऐसा लगता है कि, ईश्वर की इच्छा ऐसी है कि, गुजरात के लोग भूल न जाएं कि पानी का मूल्य क्या है? पानी की विपुलता के बीच जी रहे गुजरात को देख कर परमात्मा को भी लगा कि, एक बार जरा कसौटी कर देखें।

ईश्वर की इस कसौटी से भी सरकार और समाज के साथ मिलकर हम पार उतरेंगे। गांव के किसान की, गरीब की चिंता करने से पीछे नहीं हटेंगे। अकाल का सामना करने के मामले में भी गुजरात को मॉडल बनाएंगे। सृजनात्मक उपाय क्या हो सकते हैं, निर्माण की नई शुरुआत अकाल में भी किस तरह की जा सकती है? भूकंप के महाविनाश को भी हम अवसर में पलट सके तो अकाल को भी जलसंचय के साधन विकसित करने में, पानी का मूल्य समझाने में, घास का तिनका बचाने में, मुक पशुओं की संवेदना जगाने के लिए, गरीब किसानों के कल्याण के लिए अपनी सारी शक्ति लगाकर अवसर में तब्दील करेंगे। मुझे गुजरात की सेवावृत्ति पर भरोसा है। दरिद्रनारायण की सेवा में रत, मुक मवेशियों की सेवा में रत गुजरात का नागरिक किसी सूरत में पीछे नहीं हटेगा। गुजरात सरकार ने गत डेढ़ महीने से लगातार समूची शक्ति इसमें केन्द्रित की है। मैं स्वयं हर-एक मामले का निरीक्षण कर रहा हूं और इसे लेकर पूरी तरह से सक्रिय हूं। मेरे लिए मुक पशुओं की सेवा हो या गांव के किसान की सेवा, दोनों मेरी प्राथमिकताएं हैं। अपनी पूरी ताकत इसमें झोंकने वाला हूं। संकट के बादलों के बीच भी आशा का सूरज लेकर प्रकट होने का अवसर गुजरात को मिला है, इस संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे।

गुजरात ने नर्मदा का पानी पहुंचाया है। कई बार ऐसा लगता है कि, यदि भारत सरकार ने नर्मदा बांध पर दरवाजे लगाने की अनुमति दे दी होती तो आज नर्मदा बांध में जितना पानी है, उससे तीन गुना ज्यादा पानी होता। और यदि पानी तीन गुना अधिक होता तो भयानक से भयानक अकाल की स्थिति में भी हमें चिंता करने की जरूरत नहीं होती। बहरहाल, हमारा प्रयत्न अब भी जारी है कि, सरदार सरोवर बांध पर दरवाजा लगाने की मंजूरी मिल जाए। और भारत सरकार गुजरात के किसानों की, गुजरात के गांवों की, गुजरात के मुक पशुओं की भावनाओं को समझेगी और शीघ्र ही हमें इस बांध की ऊंचाई बढ़ाने और दरवाजा लगाने की मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी करेगी तो हम पानी बचा सकेंगे और यदि पानी होगा तो गुजरात के गांव-गांव में तालाबों को छलकाने का काम हम युद्घस्तर पर करेंगे। यदि पानी उपलब्ध होगा तो गुजरात का किसान पसीना बहाएगा और मेहनत भी करेगा।

गुजरात का औद्योगिक विकास हुआ है और औद्योगिक विकास का परिणाम यह है कि गुजरात में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में भारत सरकार ने आंकड़े घोषित किये हैं कि, समग्र देश में कम से कम बेरोजगार लोग यदि हैं तो कहां? निश्चित रूप से गुजरात में। सारे देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, जबकि गुजरात रोजगार बढ़ाते जा रहा है। इन दोनों में स्पष्ट फर्क नजर आता है।

भाइयों-बहनों,

यह बात सत्य है कि, यदि हमने विकास की छलांग नहीं लगाई होती तो यह संभव नहीं होता। ऐसे कई लोग हैं जिन्हें गुजरात का विकास देखना ही नहीं है। जिन्हें देखना ही नहीं उन्हें जगाने के लिए मेहनत करने की जरूरत भी नहीं है। हमें तो और भी बेहतर करते हुए जन सामान्य के कल्याण की दिशा से पीछे नहीं हटना है।

आज खेती के योग्य भूमि में बढ़ोतरी सिर्फ गुजरात में ही हो रही है, यह सारे देश के लिए खुशी की बात है। 2001 से पूर्व गुजरात में खेतीलायक जो जमीन थी उसमें हमने 37 लाख हेक्टेयर का इजाफा किया है। 37 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। वजह, जल वितरण के सफल प्रयास किए गए। देश के कृषि विकास में हमारा खुला योगदान है। इसी भूमिका पर हम आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए भाइयों-बहनों, कृषि विकास की दिशा में, औद्योगिक विकास की दिशा में, शिक्षा के विकास की दिशा में, मानव विकास सूचकांक के विकास की चिंता करनी हो तो उस दिशा में हमने किंचित भी मुंह नहीं मोड़ा है। आज गुजरात के गांवों में भी सखी मंडलों का नेटवर्क स्थापित किया है। गरीब से गरीब बहनें भी आर्थिक प्रवृत्ति कर रही हैं और मुझे विश्वास है कि अकाल के इस दौर में सखी मंडल की बहनें नई ताकत बन कर उभरेंगी। गांव की समस्या के निवारण के लिए सखी मंडल की बहनें अपने हुनर द्वारा, सरकार की मदद से एक नया नेतृत्व प्रदान करेंगी। यह पहला ऐसा अकाल होगा जिसके संकट का मुकाबला माता नर्मदा कर रहीं होंगी। इसी तरह यह पहला ऐसा अकाल होगा कि गुजरात के गांवों की सखी मंडल की बहनें इस संकट से लोहा लेने के लिए नई ताकत बन कर सामने आएंगी।

यह सभी नये आयाम हैं, जो आम आदमी को नया भरोसा दिलाते हैं। गुजरात विरोधी माहौल पैदा करने वाले लोग समझ लें कि आज भारत सरकार को भी यदि किसी उपलब्धि का बखान करना होता है तो उसे भी गुजरात के आंकड़े पहले पेश करने पड़ते हैं। हमें गौरव है कि भारत के विकास में हम योगदान दे रहे हैं। ऐसे किसी मामले में जिसमें दिल्ली की केन्द्र सरकार का मस्तक गर्व से ऊंचा होता है तो उसमें अवश्य ही हमारा योगदान होता है। सभी को इसे ध्यान में लेना पड़ता है। देश चलाना हो तो यही उसकी सही पद्घति है और हम उस मार्ग पर चले हैं।

आज गुजरात में पंचायती राज का 50 वर्ष हम मना रहे हैं, ऐसे में गांवों के विकास का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। गांव के हाथ में रकम खर्च करने का अधिकार किस तरह आए इसके लिए महत्वपूर्ण निर्णय किया है। पहले गांव में पंचायत के पास दो लाख रुपये के कार्य करने का खर्च का अधिकार था। हमने अविलंब दो लाख से पांच लाख रुपये कर दिए। क्योंकि गांव में पंचायत का नेतृत्व करने वाला सरपंच और सरपंच के साथी भी विकास करने को लेकर सक्षम बने हैं। नया करने को तत्पर बने हैं। यदि उनके हाथ में अधिकार हो तो वे कुछ नया कर सकते हैं। अब यदि आगामी 6-8 महीनों के दौरान यह प्रयोग सफल रहता है तो मैं इस दिशा में और आगे बढऩा चाहता हूं, ताकि गांव स्वयं अपने विकास का निर्णय करे। प्रायोगिक तौर पर हमनें यह शुरुआत की है कि गांव के पास ही रुपये का भंडार हो और गांव ही विकास कार्यों के पथ पर आगे बढ़े। गांव में बैठे पंचायत के सभी भाइयों से मैं विनती करता हूं कि वे इस अवसर को न गंवाएं। गत वर्ष स्वर्णिम जयंति वर्ष के मौके पर उत्तम गांवों की प्रतिस्पर्धा आयोजित की और गांवों ने एक के बाद एक नई-नई उपलब्धियां हासिल कर बताई। इस बार पंचायती राज की स्वर्णिम जयंति मनाने का यह अवसर है और हमनें गांव-गांव में इसे मनाने का निर्णय किया है। मेरी ख्वाहिश है कि भूतकाल में तहसील पंचायत और जिला पंचायत के जितने भी सदस्य रहे हैं, जो आज हमारे बीच हैं, उनका गौरव किया जाए। प्रत्येक गांव के सरपंच मिलकर दूसरे का सम्मान करें, सरकार इसके लिए पूरी मदद करेगी। पंचायती राज के 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं, ऐसे में गांव में अविरत विकासयात्रा लेकर जाना है। गांव में विकास के नये आयाम स्थापित करने हैं।

भाइयों-बहनों, हमनें शहरी विकास का एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है। आज गुजरात की 42 फीसदी से भी ज्यादा जनता शहरों में निवास कर रही है। करीब 50 फीसदी जनता शहरों पर निर्भर है, ऐसे में शहरों का विकास भी आधुनिक तरीके से हो, लोगों के कल्याण को केन्द्र में रखकर हो, परिवहन की समस्या घटे इस तरह हो, इस दिशा में हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। गुजरात आधुनिक बने इसके लिए हम प्रयासरत हैं।

कुछ दिनों पूर्व मैं जापान के दौरे पर गया था। जापान सरकार के निमंत्रण से वहां जाना हुआ। बतौर गुजराती हम सभी को गौरव होगा कि, यह पहली ऐसी घटना है कि जापान जैसे समृद्घ देश ने किसी राज्य को निमंत्रण दिया हो। एक गुजराती के रूप में हमारा सिर ऊंचा हो यह स्वाभाविक है। इसमें दलगत राजनीति का सवाल नहीं, सवाल व्यक्ति का भी नहीं, लेकिन बात गुजरात की है। इसलिए गौरव है। सिर्फ चार दिनों का दौरा था। चार दिनों के छोटे दौरे में ही जापान सरकार ने जिस प्रकार सहयोग दिया वह बताता है कि गुजरात को लेकर जापान का आकर्षण कितना बढ़ा है। मेरा विश्वास है कि गुजरात और जापान साथ मिलकर विकास में कार्यक्षमता हो, गुणवत्ता हो, क्वान्टिटी में मास स्केल हो, कौशल्य का उपयोग हो, ऐसे नये-नये मापदंड स्थापित करेंगे। इस सफल यात्रा से भावी विकास के लिए नई आशा का जन्म हुआ है और मुझे यकीन है कि 2013 में जब वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित करेंगे तब गुजरात के आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले, ऐसे नये अवसर के साथ हम जनवरी, 2013 से एक शुभारंभ करेंगे।

भाइयों-बहनों, गुजरात को प्रगति के नये शिखर पर ले जाने में पर्यटन ने भी हाल में हमारी एक नई पहचान खड़ी की है। हमारे यहां गिर के सिंह हैं, सोमनाथ का मंदिर है, द्वारिका का तीर्थक्षेत्र है, महात्मा गांधी जैसी विश्वविभूति का जन्म स्थान है, सरदार साहेब की क्रांतिकारी विचारधारा है, गिरनार जैसा पर्वत आमंत्रित करता है, कच्छ का रण लोगों को अचंभे में डालता है, क्या नहीं है? हमारी नवरात्रि, मेले आदि क्या नहीं? बावजूद इसके देश-दुनिया का ध्यान हमारी ओर नहीं था। गत तीन वर्षों के मुसलसल पुरुषार्थ का नतीजा यह है कि आज पर्यटन के क्षेत्र में हमने अपनी एक पहचान लोगों के समक्ष स्थापित कर दी है। कौतुक खड़ा कर दिया है, आकर्षण पैदा किया है, इस वजह से पूरे देश में पर्यटन का जो विकास है उससे कहीं ज्यादा विकास गुजरात ने अल्पकाल में किया है। पहली बार गिर के सिंह की गर्जना देश और दुनिया ने सुनी है। हमें इस बात की खुशी है।

परन्तु गिर के सिंह मेरे आने के बाद नहीं आए हैं, सोमनाथ का मंदिर मेरे आने के पश्चात नहीं बना है, द्वारिकाधीश तो मेरे आने से पहले से ही विराजित हैं। लेकिन दुनिया को यहां तक लाने का काम नहीं हुआ और इस कारण हमने अकेले कोशिष की है, समूचे विश्व को गुजरात के चरणों में ला धरने की। मुझे विश्वास है, मुझे आपके आशीर्वाद में विश्वास है, हम गुजरात को आगे बढ़ाएंगे। एक दौर था, आए दिन कफ्र्यू, आए दिन दंगे, आए दिन बलवा, जातिवाद के झगड़े और जातिवाद के वे झगड़े कितने भयंकर थे? गुजरात ने ऐसी घटनाएं देखी हैं जब एक-एक कुटुंब के, एक-एक समाज के दस-दस लोगों की लाशें गिरी दी गई हों। लेकिन दस वर्ष हो चुके, यह सब गुजरात की धरती से विदा हो गया। लहू बहने के बजाय आज गुजरात के खेतों में पानी बह रहा है। हरियाले खेत लहलहा रहे हैं। मन के भीतर भी हरियाली हो, ऐसे प्रयास में हम सफल हुए हैं।

भाइयों-बहनों, शांति-एकता, सद्भावना का यह दशक 21वीं सदी की मजबूत बुनियाद बन गया है। यह गुजरात के लिए गौरव की बात है।

मैं गुजरात के नागरिकों को खास तौर पर बधाई देना चाहता हूं। इस प्रगति की नींव का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है, और वह है राजनैतिक स्थिरता। यदि राजनैतिक स्थिरता न होती तो आए दिन नई सरकारों का गठन होता, आए दिन सरकारें गिरतीं, विधायकों की खरीद-बिक्री होती, तो गुजरात की प्रगति न हुई होती। कुर्सी बचाने के लिए शक्तियां जुटी होती। लेकिन आपके स्पष्ट निर्णय की बदौलत, आपके आशीर्वाद की वजह से दस वर्ष हो गए, गुजरात ने एक स्थिर शासन व्यवस्था को देखा है। उसकी नीतियां स्पष्ट हैं, गतिशील हैं। उसका दृष्टिकोण भविष्य के समृद्घ गुजरात की ओर का है और इस वजह से यह राजनैतिक स्थिरता एक बड़ी ताकत बनी है।

इस राजनैतिक स्थिरता को अस्थिरता में धकेलने के लिए हो रहे सभी प्रयासों को, स्वतंत्रता पर्व के मौके पर देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों को याद करते हुए, ऐसे तत्वों को असफल करना हमारी जवाबदारी है।

राजनैतिक स्थिरता के लिए हम सभी की सामूहिक जवाबदारी है, तो ही विकास संभव बनता है। नीति स्पष्ट है, नीयत साफ है। मन में गुजरात के कल्याण की ही आस है। अभी और भी बहुत कुछ करना है। दस वर्ष में तो कई पुराने रीति-रिवाजों से गुजरात को बाहर निकालने में हम सफल हुए हैं। बहुतेरे गड्ढों को समतल करने में सफल हुए हैं। लेकिन अभी तो गुजरात की भव्य इमारत के लिए नये स्वप्न के साथ, नये संकल्प के साथ, नई उमंगों के साथ, नये उत्साह के साथ, नित्य-नूतन प्रयास करते जाना है, यही संकल्प लेकर निकला हूं। आपके आशीर्वाद से, छह करोड़ गुजरातियों पर यकीन है, इसी आधार पर मैं निकला हूं।

आइए, भाइयों-बहनों, 15 अगस्त को आजादी के उन वीरों को याद कर, सुराज्य के उनके सपने को साकार करने के लिए, हम सब खंभे से खंभा मिलाकर, तिरंगा हाथ में लेकर, माँ भारती के कल्याण के लिए गुजरात को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले चलें। गुजरात रूपी यह पुष्प भारत माता के चरणों में नई खूश्बू फैलाए, ऐसा प्रयास करें। इसी आशा के साथ एक बार फिर स्वतंत्रता के इस पावन पर्व पर पूज्य बापू को प्रणाम, श्रद्घेय सरदार पटेल को प्रणाम, श्यामजी कृष्ण वर्मा को प्रणाम, अनेक नामी-अनामी महापुरुषों को प्रणाम और गुजरात के कोटि-कोटि जनों को प्रणाम।

आइए, एक नई शक्ति से, नये संकल्प के साथ आगे बढ़ें। आप सभी को स्वतंत्रता पर्व की अनेकानेक शुभकामनाएं।

वंदे मातरम्... वंदे मातरम्... वंदे मातरम्...

- नरेन्द्र मोदी

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !