रायगढ़- महाराष्ट्र में गुजरात के मुख्यमंत्री
छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि और सिंहासन के दर्शन किए
रायगढ़ के ऐतिहासिक किले में घूमकर निरीक्षण किया
किले के शिखर पर शिवा प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित विशाल सभा में नरेन्द्र मोदी का प्रेरक चिंतन
छ्त्रपति शिवाजी महाराज सुशासन के प्रणेता बने
उनके दिव्य भारत भव्य भारत का संकल्प साकार करें
आजादी के बाद शासकों ने भारत के इतिहास को सच्चे परिपेक्ष्य में समाज तक पहुंचने ही नहीं दिया: श्री मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के ऐतिहासिक किले रायगढ़ में छ्त्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के दर्शन कर सिंहासन पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद शिखर पर आयोजित विशाल सभा में श्री मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने मात्र भारत के स्वाधीनता संग्राम की ही प्रेरणा नहीं दी थी बल्कि सुशासन के प्रणेता के तौर पर के तौर पर राज्य प्रशासन का उत्तम मॉडल भी दिया था। मुख्यमंत्री ने शिवाजी महाराज के “दिव्य भारत- भव्य भारत” के सपने को साकार करने का संकल्प करने का आह्वान किया।
शिवा प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित आज के रायगढ़ समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित श्री मोदी ने ऐतिहासिक रायगढ़ किले की पुरातत्व महिमा और छ्त्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी कीए भूमि का पैदल चलकर निरीक्षण किया। साथ ही, शिवाजी के समाधि स्थल पर ध्यानस्थ बैठकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
छत्रपति शिवाजी महाराज की ऐतिहासिक परम्परा की महिमा रायगढ़ की भूमि पर हो रही है, इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी भारत का सच्चा इतिहास हम तक पहुंचने नहीं दिया गया। अंग्रेजों ने तो भारत के इतिहास को षड्यंत्रों से विकृत किया ही था मगर आजादी के बाद भी हमारे शासकों ने इतिहास को सच्चे परिपेक्ष्य में भावी पीढ़ी तक पहुंचने ही नहीं दिया है।
हिन्दुस्तान में छ्त्रपति शिवाजी का व्यक्तित्व घुड़सवार और हाथ में तलवार लिए हुए है। जो योद्धा के तौर पर आक्रांता के खिलाफ युद्ध में शिवाजी को प्रस्तुत करने तक सीमित रहा है, इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि शिवाजी महाराज तो विराट व्यक्तित्व के धनी थे।
महात्मा गांधीजी या रामचन्द्र जी, श्रीकृष्ण जैसे सभी के व्यक्तित्व के साथ अन्याय हुआ है उसी तरह शिवाजी महाराज की उज्जवल परम्परा के साथ भी अन्याय हुआ है।
शिवाजी महाराज के जीवन के अनेक पहलुओं को भावी पीढ़ी तक ले जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने छोटे व्यक्तियों, नागरिकों को शामिल कर देशभक्ति और स्वराज आन्दोलन में संवेदना से जुड़ी भारत व्की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी थी। यह राजपाट या सत्ता हासिल करने की लड़ाई नहीं थी बल्कि भारतमाता को आजाद करके आजाद राष्ट्र के निर्माण की मजबूत नींव 350 वर्ष पूर्व रखी थी।
उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज को सूरत की लूट के नाम पर विकृत दर्शाया जा रहा है। 6 जनवरी को शिवाजी महाराज का सूरत आने का कारण औरंगजेब द्वारा शाइस्ताखान से लूटा हुआ खजाना वापस लेना था। इसके बावजूद “शिवाजी ने सूरत लूटा” ऐसा विकृत इतिहास कहना उनके साथ अन्याय के समान है।
रायगढ़ किले की भूमि से शिवाजी ने “दिव्य भारत- भव्य भारत” का सपना देखा था जो आज भी संकल्प होना चाहिए। दिव्य भारत बने, भव्य भारत बने, भारत में कोई दुखी ना हो, किसान आत्महत्या के लिए मजबूर ना हो, युवा बेरोजगार ना हो ऐसे भारत का निर्माण हमारा संकलप होना चाहिए।
हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि विभिन्न समयकाल में देश के कोने-कोने में प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने विभिन्न भाषाओं में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरणामूर्ति के रूप में शिवाजी महाराज को आलेखित किया है। शिवाजी महाराज ने भारत की समुद्री जलराशि की महिमा समझते हुए नौसेना का गठन किया था और उनकी दीर्घदृष्टि का परिचय करवाया था। सुशासन के लिए उनकी प्रशासनिक संस्कृति सिर्फ भारत को आजाद करवाना ही नहीं थी, वरन् प्रत्येक व्यक्ति दुख- दरिद्रता से मुक्त हो और भारत स्वाभिमानी राष्ट्र के लिए कर्तव्यनिष्ठ बने ऐसा उनका राज्य प्रशासन का मॉडल था। जो आज भारत को कुशासन से मुक्त कर सुशासन द्वारा सुराज्य की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखता है।
इस अवसर पर श्री भिडे गुरुजी, राव साहेब देसाई, अध्यक्ष शिवा प्रतिष्ठान, मोहनबुवा रामदासी, महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख देवेन्द्र फडनवीस, विपक्ष के नेता विनोद तावड़े, सांसद अनंत गीते, विधायक और आमंत्रित महानुभाव उपस्थित थे।