विकास के निराशाजनक वातावरण के लिए केन्द्र सरकार की वैचारिक दरिद्रता जवाबदार : मुख्यमंत्री
श्री मोदी ने राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन आयोग के गठन की मांग की
प्राकृतिक संसाधनों और युवा कौशल्य को विकास में शामिल
करने के लिए नीति और नेतृत्व का अभाव
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में देश में प्रवर्तमान विकास के अत्यंत निराशाजनक वातावरण के लिए केन्द्र सरकार की वैचारिक दरिद्रता को जवाबदार ठहराया। उन्होंने कहा कि देश के प्राकृतिक संसाधनों और विशाल युवा-शक्ति को विकास में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार में नेतृत्व और नीतियों का अभाव है।
प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित ५७वे राष्ट्रीय विकास परिषद का मुख्य एजेंडा देश की १२वीं पंचवर्षीय योजना का ड्राफ्ट पेपर तैयार करना था। इस सन्दर्भ में श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार विकास दर के लिए नीति आधारित विकास (पॉलिसी ड्रिवन ग्रोथ) के बजाय लकवाग्रस्त नीतियों (पॉलिसी पैरालिसिस) और नीतियों की अनिर्णायकता (पॉलिसी लॉगजाम) का शिकार बन गई है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि देश का विकास स्थगित है और देश में नकारात्मक विकास (नेगेटिव ग्रोथ) की दिशा नजर आ रही है।
श्री मोदी ने १२वीं पंचवर्षीय योजना के निर्धारित ८.२ फीसदी के विकास दर को हासिल करने पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि गत वर्ष प्रधानमंत्री ने इस परिषद में ९ फीसदी की विकास दर हासिल करने की आशा व्यक्त की थी, लेकिन वास्तव में विकास दर ७.९ फीसदी ही रही है। यानी कि १२वीं योजना की पांच वर्षों की समयावधि का एक वर्ष पूरा हो जाने के बावजूद हम लक्ष्य हासिल नहीं कर सके हैं। और अब १२वीं योजना की विकास दर का लक्ष्य ८.२ फीसदी तय किया है, जो बतलाता है कि ७.९ से सिर्फ ०.३ फीसदी ज्यादा अर्थात ८.२ फीसदी है। अगर यही विकास को लेकर हमारा आयोजन है तो यह इस केन्द्र सरकार की वैचारिक दरिद्रता को ही साबित करता है। इस पर भी केन्द्र सरकार स्वीकार करती है कि मौजूदा वर्ष के पहले नौ महीनों में तो महज ५.५ फीसदी ही विकास हो सका है। उन्होंने सवाला उठाया कि यही निराशाजनक स्थित जारी रही तो इसमें केन्द्र की वर्तमान सरकार किस तरह अपना दायित्व निभाएगी।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार के खिलाफ सवाल उठाते हुए कहा कि अत्यंत धीमी विकास दर और अर्थव्यवस्था की असफलता के लिए केन्द्र सरकार वैश्विक अर्थव्यवस्था को जवाबदार ठहराती है और अपनी जवाबदारियों से बच निकलती है, तो फिर राज्य सरकारें किसे दोष दें? क्या राज्यों की आर्थिक स्थिति के लिए केन्द्र का कोई दायित्व ही नहीं है? श्री मोदी ने देश के प्राकृतिक संसाधनों का विकास में अधिकतम उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन आयोग (नेशनल कमीशन फॉर नेचुरल रिसोर्सेज) के गठन का प्रेरक सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि देश के प्राकृतिक संसाधन तो राज्यों की भूमि पर हैं, ऐसे में यह जरूरी बन पड़ा है कि इसके सुचारु उपयोग के लिए केन्द्र एवं राज्य मिलकर हर पांच वर्ष में उचित नीति-निर्धारण करें।
Text of Shri Narendra Modi's speech at meeting of NDC held in New Delhi
ऊर्जा क्षेत्र में केन्द्र की अभावग्रस्त नीतियों एवं उदासीनता पर भी मुख्यमंत्री ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि ‘फ्यूल पॉलिसी’ के अभाव में देश के हजारों मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले पॉवर प्रोजेक्ट पूरी क्षमता से कार्यरत नहीं हो पा रहे हैं। अकेले गुजरात में ही ३००० मेगावाट से अधिक क्षमता के पॉवर स्टेशन अपनी पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भी केन्द्र के पास कोई प्रोग्रेसिव पॉलिसी ही नहीं है। श्री मोदी ने एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर का नेटवर्क खड़ा करने के लिए एनर्जी स्मार्ट ग्रिड स्थापित करने का सुझाव भी दिया।गुजरात के मुख्यमंत्री ने भारत में युवाओं के कौशल्य सामर्थ्य को विकसित करने के अवसर देने में केन्द्र की उपेक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि ६५ फीसदी युवा-शक्ति के लिए स्किल डेवलपमेंट का महत्वाकांक्षी आयोजन करने के बजाय केन्द्र ने आउटसोर्सिंग एजेन्सी के जरिए स्किल डेवलपमेंट सेन्टर की प्लानिंग करने में ही दो वर्ष बीता दिए। जबकि गुजरात ने पिछले दो वर्ष में ३३० कौशल्य वर्द्धन केन्द्र कार्यरत कर दो लाख युवाओं को रोजगार प्रदान किया। अब जाकर केन्द्र सरकार गुजरात मॉडल का उपयोग देश में करने को तैयार हुई है। उन्होंने युवाओं के रोजगार के लिए डिग्री के बजाय कौशल्य विकास पर ध्यान केन्द्रीत करने की जरूरत पर बल दिया। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात ने मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर के विकास के लिए २६ फीसदी की विकास दर को हासिल कर दिखाया है। जबकि देश में १६ फीसदी का योगदान मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर का है। अगर २५ फीसदी ऊपर ले जाने का लक्ष्य हासिल करना हो तो मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर के विकास की सुविचारित व्यूहरचना को आगे बढ़ाना चाहिए। केन्द्र सरकार को इस दिशा में चीन और अमेरिका की चुनौतियों को सामने रखना चाहिए।
कृषि विकास के लिए केन्द्र की वर्तमान सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि फर्टिलाइजर पॉलिसी, इरिगेशन-वाटर मैनेजमेंट, एग्रो इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रो टेक्नोलॉजी, एग्रो वैल्यू एडेड चैन जैसे अनेक क्षेत्रों में केन्द्र की कोई दिशा स्पष्ट नहीं है। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात की नर्मदा योजना, जिसका भू-भाग जल की कमी वाले रेगिस्तानी प्रदेश का है, इसे भारत सरकार की एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम (एआईबीपी) की केन्द्रीय सहायता के लाभ से वंचित रखा जाता है। जबकि अन्य राज्यों को विशेष मामलों में लाभ दिया जाता है। गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा डैम की ऊंचाई सर्वोच्च स्तर पर ले जाने के लिए डैम के दरवाजे लगाने की अनुमति पांच वर्ष से नहीं दी जा रही है जिसके कारण नर्मदा का ७५ फीसदी पानी समुद्र में व्यर्थ बह जाता है।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार के अनिर्णायक अभिगम की आलोचना करते हुए श्री मोदी ने कहा कि एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन किसी एक डिपार्टमेंट का क्षेत्र नहीं है। समग्रतया इसका विकास के परिप्रेक्ष्य में निर्णय लेना चाहिए। केन्द्र सरकार इस दिशा में उसका दायित्व निभाए, ऐसी मांग श्री मोदी ने की।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि गुड गवर्नेंस का गुणवत्तापूर्ण विश्वास पैदा करने के लिए गुजरात में जो सुशासन की नई पहल की है, इससे पब्लिक डिलीवरी सिस्टम में क्वालिटेटिव चेन्ज आए हैं। टेक्नोलॉजी और इनिशियेटिव नई पहल करने में केन्द्र सरकार को राज्यों को प्रोत्साहन देना चाहिए। राज्यों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, राज्य की समस्याओं के निराकरण के लिए केन्द्र सरकार को आगे बढ़कर सकारात्मक अभिगम अपनाना चाहिए। भारत के संविधान में संवैधानिक फेडरल स्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के बजाय राज्यों को कमजोर बनाने के अभिगम को छोड़ने की आवश्यकता पर श्री मोदी ने बल दिया।शहरी विकास के लिए नवीन अभिगम अपनाने की आवश्यकता जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण समस्या नहीं बल्कि विकास का अवसर बने, ऐसा शहरी विकास का प्लानिंग होना चाहिए। इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री ने आगामी दस वर्ष के लिए नये बनने वाले शहरों की पर्सपेक्टि्व अर्बन प्लानिंग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जेएनएनयूआरएम के नये स्वरूप के लिए प्रेरक सुझाव देते हुए शहरी गरीबों, असंगठित सेवा आबादी, समुदायों की सेवा सुविधा और सुख के लिए क्वालिटी ऑफ लाइफ के ढांचागत सुविधा विकास के विजन को अपनाने की रूपरेखा पेश की।श्री मोदी ने उनकी अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित दो वर्किंग ग्रुप कमेटियों की रिपोर्ट का सवाल उठाते हुए पूछा कि उनका क्या हुआ? वेस्ट लैंड डेवलपमेंट और कंज्यूमर्स अफेयर्स की दो कमेटी के अभ्यास की रिपोर्ट, सिफारिशें किस स्थित में हैं, इसकी कोई जानकारी ही नहीं है। क्या इस तरह विकास के लिए सुधार का अभिगम सफल बनेगा?
मुख्यमंत्री ने रंगराजन कमेटी, पुंछी कमीशन और चतुर्वेदी कमेटी की सिफारिशों पर भी केन्द्र सरकार के अभिगम पर सवाल उठाए। इस बैठक में सौरभभाई पटेल, मुख्य सचिव ए.के. जोती, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वरेश सिन्हा, वित्त-खर्च की अग्र सचिव सुश्री अर्पणा सुब्रमनी, वरुण मायरा और रेजिडेंट कमिशनर भरतलाल मौजूद रहे।