कृषि महोत्सव अभियान के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस के
जरिए किसानों से रू-ब-रू हुए मुख्यमंत्री
रासायनिक खाद के आवंटन में गुजरात के किसानों के साथ
केन्द्र के अन्याय का सिलसिला जारी : श्री मोदी
जैविक खाद के उपयोग के लिए गुजरात सरकार की अनोखी पहल
अहमदाबाद, मंगलवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि महोत्सव अभियान के तहत मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किसानों के साथ सांध्य वार्तालाप करते हुए केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों को जरूरत के मुताबिक रासायनिक खाद के आवंटन में घोर अन्याय कर गुजरात की खेती को तबाह करने पर तुली है। इतना ही नहीं, मौजूदा वर्ष में खाद सब्सिडी में प्रति टन 6000 रुपये की कटौती कर महंगाई के इस दौर में किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है। कृषि महोत्सव की सफलता की सबसे बड़ी ताकत खेत-खाद और पानी में होने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने आज खाद के वैज्ञानिक उपयोग की महत्ता पेश की।मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दिनों दुनिया में रासायनिक खाद से पैदा होने वाली खेत उपज से दूर रहने की मानसिकता जोर पकड़ रही है, और अब किसान भी जैविक खेती यानी ऑर्गेनिक खेती की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे बदलते माहौल में जैविक खाद पर ध्यान केन्द्रीत कर जैविक खेती अपनाने का प्रेरक मार्गदर्शन उन्होंने दिया।
उन्होंने कहा कि फसल की वृद्घि और विकास के लिए 17 सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है, लेकिन किसानों को वक्त पर जरूरत के मुताबिक खाद नहीं मिलता। इसके पीछे की वजह स्पष्ट करते हुए श्री मोदी ने कहा कि रासायनिक खाद के आवंटन का सर्वाधिकार केन्द्र सरकार के पास है। केन्द्र ने खाद उत्पादन के लिए एक भी नया कारखाना स्थापित नहीं किया है। दुनिया के कई देशों के पास रासायनिक खाद उत्पादन के लिए जरूरी रॉक फास्फेट है, भारत सरकार को चाहिए कि वह इन देशों से पोटाश मंगवाए, लेकिन केन्द्र के पास ऐसी कोई दीर्घदृष्टि ही नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में खाद की जरूरत को लेकर राज्य सरकार ने खाद सलाहकार समिति का गठन किया है जो प्रत्येक ऋतु में खेती के लिए जरूरी खाद की मांग सामने रखती है, लेकिन केन्द्र सरकार ने कभी भी उचित समय पर पर्याप्त खाद गुजरात को आवंटित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष में 6 लाख टन की जरूरत के मुकाबले सिर्फ 4 लाख टन खाद केन्द्र ने आवंटित किया है। वहीं, इस वर्ष 30,000 टन यूरिया और सवा लाख टन डीएपी खाद कम दिया है। फिलवक्त गुजरात के किसानों को 90,000 से एक लाख टन खाद कम आवंटित किया जाता है। परन्तु गुजरात सरकार ने किसानों के लिए खाद की अनोखी व्यवस्था की है। जिसके अंतर्गत गुजरात की तीन सरकारी कंपनियों ने 30 हजार टन प्रत्येक यूरिया, डीएपी खाद का संग्रह करने के लिए 20 करोड़ रुपये का कोष निर्मित किया है।
5 फीसदी वैट की वजह से गुजरात के किसानों को खाद महंगा पडऩे के झूठ को चुनौती देते हुए श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस शासित आंध्रप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी खाद पर 5 फीसदी वैट कर लिया जाता है।
सब्सिडी को लेकर आक्रोश जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भूतकाल में प्रति टन 19,800 रुपये की सब्सिडी खाद पर दी जाती थी। लेकिन इस वर्ष इसमें प्रति टन 6,000 रुपये की कटौती कर दी गई है। किसान इस कटौती का हिसाब केन्द्र से मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि सॉइल हैल्थ कार्ड की वजह से खाद के उपयोग की वैज्ञानिक समझ किसानों में विकसित हुई है, इसके चलते खाद पर खर्च होने वाले किसानों के करोड़ों रुपये सरकार ने बचाए हैं।
जैविक खाद के प्रयोग के बारे में किसानों को समझाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सॉइल हैल्थ कार्ड की वजह से जमीन और फसल के विशेष गुण को समझते हुए तहसील की जमीन के बेक्टीरिया तैयार कर गुजरात सरकार ने लिक्विड जैविक खाद तैयार किया है। ड्रिप इरिगेशन के साथ लिक्विड जैविक खाद कंपोस्ट खाद के साथ जमीन में उतारकर जमीन और फसल के उपजाऊपन में बढ़ोतरी करता है।
उन्होंने यूरिया खाद की दो थैली के बजाय इस लिक्विड जैविक खाद के उपयोग का लाभ लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ढाई इंच के कैप्सुल से ही एक हेक्टेयर में जैविक खाद का उपयोग जैविक खेती की दिशा को बदल कर रख देगा। श्री मोदी ने वर्मीपोस्ट खाद के लिए प्रोत्साहक सरकारी नीति की भूमिका भी पेश की और प्रगतिशील किसानों की सफलतागाथा के दृष्टांत प्रस्तुत किये।