"CM stresses for a paradigm shift in Finance Commission’s approach for allocating central funds to the states"
"State government shares effective suggestions in a meet with 14th Finance Commission of India"

चौदहवें केन्द्रीय वित्त आयोग के साथ बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गुजरात सरकार की प्रभावी प्रस्तुति

विकासोन्मुख और वित्तीय अनुशासन वाले राज्यों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के दौरे पर आए चौदहवें केन्द्रीय वित्त आयोग के समक्ष आज गांधीनगर में राज्य सरकार के साथ हुई बैठक में कहा कि केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा राज्यों को केन्द्रीय कोष का आवंटन करने वाले नियमों में आमूलचूल परिवर्तन करना चाहिए। श्री मोदी ने केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा राज्यों को कोष आवंटन की पारंपरिक पद्धति में गुणात्मक परिवर्तन के लिए तर्कपूर्ण और विकास को प्रोत्साहन आधारित, वित्तीय अनुशासन वाले विकासोन्मुख राज्यों के लिए फार्मुला किस प्रकार का होना चाहिए इसकी दिशासूचक भूमिका पेश की।

केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. वाय.वी. रेड्डी की अध्यक्षता में गुजरात सरकार के साथ हुई इस बैठक में वित्त आयोग के सदस्य अभिजित सेन, डॉ. सुदीप्तो मुंडले, डॉ. एम. गोविंदाराव और सुश्री सुषमानाथ तथा भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव ए.एम. झा आयोग के सदस्य, सचिव आदि ने भाग लिया।

श्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि देश के विकास में गुजरात काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और यहां पर जल व्यवस्थापन को उच्च प्राथमिकता दी गई है। अगर गुजरात ने जल व्यवस्थापन क्षेत्र में सफलता हासिल न की होती तो राष्ट्र पर बोझ बन गया होता।

सरदार सरोवर योजना पर ही राज्य सरकार वार्षिक ५००० करोड़ रुपये का भारी-भरकम खर्च करती है। नर्मदा का पानी विकास में उपयोग में लेने की प्राथमिकता के साथ गुजरात आगे बढ़ रहा है। इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने एक्सलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम, एआईबीपी के तहत गुजरात के डीपीपी और डीपीएपी क्षेत्रों को समाविष्ट कर ९० प्रतिशत ग्रांट नर्मदा योजना के लिए आवंटन करने पर बल दिया।

उन्होंने वित्त आयोग को प्रेरक सुझाव देते हुए कहा कि गुजरात ने अपनी अर्थव्यवस्था के संतुलन के लिए कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का समान हिस्सा शामिल किया है। कृषि विकास और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में समुचित ढांचागत सुविधा विकास के लिए केन्द्रीय प्रोत्साहनों की भूमिका पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो राज्य सब्सिडी बचाएं, उसके लिए नवीनतम प्रयोग अपनाएं उन्हें खास प्रकार के केन्द्रीय प्रोत्साहन मिलने चाहिएं। गुजरात सरकार ने गैस ग्रीड पाइपलाइन अपने खर्चे से डालकर केन्द्र की करोड़ों रुपये की सब्सिडी बचाई है।

राज्यों को एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी के लिए प्रोत्साहित किए जाने की हिमायत करते हुए उन्होंने कहा कि जो राज्य निर्यात को मजबूत बनाएं उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने रोजगार वृद्धि के लिए खास प्रयोग करने वाले राज्यों को प्रोत्साहन देने के सुझाव दिए। उन्होंने इस सच्चाई पर खास बल दिया कि केन्द्रीय वित्त आयोग को आउटपुट नहीं बल्कि आउटकम का पैरामीटर्स तैयार करना चाहिए। नक्सलवाद प्रोन जोन-नक्सलवाद की संभावना वाले प्रदेशों में इस समस्या को रोकने के मामले में देश की समस्या विकास के साथ जुड़ी हुई है। इस विषय पर पैरामीटर्स तैयार करने की आवश्यकता उन्होंने समझाई।

श्री मोदी ने कहा कि लोकायुक्त लोकल सेल्फ गवर्नमेंट में लाने की शर्त के साथ मेचिंग ग्रांट के फार्मुले से गुजरात के साथ अकारण अन्याय हो रहा है। क्योंकि लोकायुक्त का बिल विधानसभा में तीन बार पारित होकर भेजा गया है फिर भी इसे मंजूरी नहीं मिल रही और ८०० करोड़ की ग्रांट गुजरात को नहीं मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी जी के १५०वें वर्ष २०१९ में होने वाले महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय सफाई और सेनिटेशन अभियान प्रेरित करने का वित्त आयोग को सुझाव दिया।

केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. रेड्डी ने गुजरात सरकार के देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले प्रोएक्टिव योगदान के अभिगम और प्रेजेन्टेशन की जमकर सराहना की। उन्होंने श्री मोदी के सुझावों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्यों के सशक्तिकरण तथा विकास के चिंतन का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र का वित्त आयोग इस मामले में सकारात्मक रहेगा।

केन्द्रीय वित्त आयोग कोष आवंटन में मात्र वृद्धि का पारंपरिक अभिगम अपनाते हैं। इसमें आमूलचूल बदलाव की जरूरत पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश के राज्यों के बीच केन्द्रीय कोष आवंटन का फार्मुला अभी भी पारंपरिक पद्धति वाला रहा है।

उन्होंने कहा कि वित्त आयोग के वर्तमान अभिगम की वजह से कमजोर वित्तीय अनुशासन वाले राज्यों को ज्यादा लाभ होता है जबकि वित्तीय अनुशासन और उच्च विकास दर की ओर बढ़ रहे राज्यों को विकास के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता। इस अभिगम को बदलकर ज्यादा वित्तीय दायित्व तथा देश की जीडीपी में ज्यादा योगदान देने वाले राज्यों को उचित आवंटन होना चाहिए, जिससे अंतरढांचागत आवश्यकता की पूर्ति बेहतर रूप से हो सके और विकास को गति मिले।

इस बैठक में गुजरात सरकार के वित्त विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रेजेन्टेशन में राज्यों को केन्द्र सरकार के कोष में से ज्यादा हिस्सा मिले इसके लिए वर्टिकल अभिगम (ऊपर से नीचे) अपनाने और इसके लिए राज्यों को आवंटन के फार्मुले की भूमिका पेश की गई। गुजरात सरकार ने यह हिमायत की कि वित्त आयोग को केन्द्र पुरस्कृत योजनाओं के लिए कम धन का आवंटन करना चाहिए जबकि राज्यों के लिए ज्यादा धन का आवंटन करना चाहिए। केन्द्र सरकार को अपने कर की कुल आय का ३२ प्रतिशत आवंटन करने के बजाय राज्यों को कम से कम ५० प्रतिशत जितना आवंटन करना चाहिए, यह सुझाव राज्य सरकार ने दिया।

गुजरात सरकार ने कहा कि केन्द्रीय पुरस्कृत योजनाओं का धन राज्यों को आवंटित करने में किसी यथार्थ मापदंड का उपयोग नहीं किया जाता जिसके कारण कई राज्यों के साथ अन्याय होने की संभावना रहती है। इस बारे में उदाहरण देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात का क्रम प्रमाण में नीचे होने के बावजूद सर्वशिक्षा अभियान योजना के तहत गुजरात को पिछले पांच वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति सिर्फ २४५ रुपये का आवंटन किया गया। जबकि हरियाणा को प्रति व्यक्ति ३५६ रुपये का आवंटन हुआ। इसी प्रकार सर्वशिक्षा अभियान का राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति ३८६ रुपये है।

राज्यों के बीच धन का आवंटन इस प्रकार होना चाहिए इसका फार्मुला सुझाते हुए गुजरात सरकार ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर २५ प्रतिशत, स्थानांतरण प्रमाण के आधार पर ५ प्रतिशत, क्षेत्र के आधार पर १० प्रतिशत, फिजिकल कैपेसिटी डिस्टेंस के आधार पर ३५ प्रतिशत, देश की अर्थव्यवस्था में राज्यों के योगदान के आधार पर ५ प्रतिशत और राज्य के वित्तीय अनुशासन के आधार पर २० प्रतिशत आवंटन होना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा वित्त आयोग द्वारा दी जाने वाली ग्रांट इन एड के भंडार के लिए गुजरात के कई महत्वपूर्ण एरिया स्पेसिफिक सेक्टर्स को निर्देशित किया गया है जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, शहरी ढांचागत सुविधा, जमीन का क्षार नियंत्रण और कौशल विकास जैसे क्षेत्र शामिल हैं। मानव विकास सूचकांक में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए, पेयजल और अंतरढांचागत सुविधा विकास जैसे क्षेत्रों में राज्य को भारी धन की जरूरत होती है, इसकी भूमिका भी गुजरात सरकार ने पेश की।

इस बैठक में वित्त मंत्री नितिनभाई पटेल, ऊर्जा मंत्री सौरभभाई पटेल, मुख्य सचिव डॉ. वरेश सिन्हा और राज्य के तमाम विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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