प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल समिति ने आज 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है, जिसमें केंद्र का 1940 करोड़ रुपये का हिस्सा शामिल है।

इस मिशन की परिकल्पना डिजिटल कृषि पहलों का समर्थन करने वाली एक व्यापक योजना के रूप में की गई है, जैसे कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण करना, डिजिटल आम फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) को लागू करना और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा अन्य आईटी पहलों को अपनाना।

हाल के वर्षों में भारत की डिजिटल क्रांति ने डिजिटल पहचान, सुरक्षित भुगतान और लेनदेन का निर्माण करके गवर्नेंस और सेवा वितरण को बदलकर रख दिया है। इसने वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा और खुदरा क्षेत्र में एक समृद्ध डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है, जिसने भारत को नागरिक-केंद्रित डिजिटल समाधानों के अग्रणी के रूप में स्थापित किया है। कृषि क्षेत्र में इसी तरह के बदलाव के लिए सरकार ने केंद्रीय बजट 2023-24 में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण की घोषणा की। इसके अलावा, बजट 2024-25 में कृषि क्षेत्र के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) पहल में और वृद्धि की घोषणा की गई है। कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) का उद्देश्य किसानों के बारे में प्रमाणित जनसांख्यिकीय विवरण, भूमिगत जोत और बोई गई फसलों सहित एक व्यापक और उपयोगी डेटा प्रदान करना है। इसमें राज्य सरकार की नीति के अनुसार किसान और किरायेदार किसान शामिल होंगे। ये पशुधन, मछली पालन, मृदा स्वास्थ्य, अन्य कृषि कार्यों, पारिवारिक विवरणों, योजनाओं और प्राप्त लाभों पर किसानों के डेटा का उपयोग करने के लिए राज्य सरकारों और भारत सरकार के मंत्रालयों के संबंधित डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना से भी जुड़ेगा। इससे कृषि क्षेत्र में नवीन किसान-केंद्रित डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा। विकसित भारत@2047 के विजन के अनुरूप कृषि के लिए डीपीआई, डिजिटल कृषि मिशन की बुनियाद है।

इस मिशन के तहत बनाए जाने वाले तीन डीपीआई हैं - एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली और मृदा प्रोफाइल मैपिंग। ये डीपीआई किसान-केंद्रित डिजिटल सेवाओं को सक्षम करने के अलावा कृषि क्षेत्र के लिए समयबद्ध और विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

एग्रीस्टैक एक किसान-केंद्रित डीपीआई है जो किसानों को कुशल, आसान, तेज़ सेवाएं और योजनाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएगा। इसे केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न एजेंसियों के बीच एक सहयोगी परियोजना के रूप में एक संघीय ढांचे में बनाया जा रहा है। इसमें कृषि क्षेत्र की तीन मूलभूत रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं। ये हैं - किसान रजिस्ट्री, भू-संदर्भित गांवों के नक्शे और बोई गई फसल की रजिस्ट्री। इन्हें राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाया और सहेजा जाता है।

एग्रीस्टैक के अंतर्गत किसानों को आधार के जैसी ही एक डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी जो एक भरोसेमंद 'किसान की पहचान' होगी। ये ‘किसान आईडी’ राज्य के भूमि अभिलेखों, पशुधन स्वामित्व, बोई गई फसलों, जनसांख्यिकीय विवरण, पारिवारिक विवरण, योजनाओं और प्राप्त लाभों आदि से गतिशील ढंग से जुड़ी होगी। किसानों द्वारा बोई गई फसलों को मोबाइल आधारित जमीनी सर्वेक्षण यानी प्रत्येक मौसम में आयोजित किए जाने वाले डिजिटल फसल सर्वेक्षण के जरिए दर्ज किया जाएगा। कृषि के लिए डीपीआई बनाने और उसे लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। अब तक 19 राज्यों ने भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। एग्रीस्टैक को लागू करने के लिए बुनियादी आईटी अवसंरचना विकसित की गई है और प्रायोगिक आधार पर इसका परीक्षण पहले ही किया जा चुका है, जैसा कि नीचे दिया गया है:

किसान पहचान-पत्र बनाने के लिए इन छह राज्यों के एक-एक जिले में पायलट प्रोजेक्ट चलाए गए हैं: उत्तर प्रदेश (फर्रुखाबाद), गुजरात (गांधीनगर), महाराष्ट्र (बीड), हरियाणा (यमुना नगर), पंजाब (फतेहगढ़ साहिब) और तमिलनाडु (विरुद्धनगर)। 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य है। इनमें वित्त वर्ष 2024-25 में छह करोड़ किसानों, वित्त वर्ष 2025-26 में तीन करोड़ किसानों और वित्त वर्ष 2026-27 में दो करोड़ किसानों के पहचान पत्र बनाना शामिल है। बोई गई फसल की रजिस्ट्री बनाने के लिए 2023-24 में 11 राज्यों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण का एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया। इसके अलावा, दो साल में पूरे देश में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 400 जिले और वित्त वर्ष 2025-26 में सभी जिले शामिल किए जाएंगे।

कृषि निर्णय सहायता प्रणाली फसलों, मिट्टी, मौसम, जल संसाधनों आदि पर रिमोट सेंसिंग आधारित जानकारी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक भू-स्थानिक प्रणाली बनाएगी।

इस मिशन के अंतर्गत, देश की लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के 1:10,000 के पैमाने पर विस्तृत मृदा प्रोफाइल मानचित्र तैयार किए जाने की परिकल्पना की गई है। लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर की विस्तृत मृदा प्रोफाइल सूची पहले ही पूरी हो चुकी है।

डिजिटल आम फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए फसल-कटाई प्रयोगों के आधार पर उपज का अनुमान देगा। ये पहल कृषि उत्पादन का सटीक अनुमान लगाने में बहुत उपयोगी साबित होगी।

कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार पैदा करने में इस मिशन का उत्प्रेरक प्रभाव होगा। इसके अलावा, मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण, रिमोट सेंसिंग के लिए ज़मीनी आंकड़ों का संग्रह आदि से लगभग 2.5 लाख स्थानीय प्रशिक्षित युवाओं और कृषि सखियों को रोज़गार के अवसर मिलने की उम्मीद है।

मिशन के विभिन्न घटकों को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित किया जाएगा और इसके अंतिम लाभार्थी किसान होंगे। किसानों, कृषि भूमि और फसलों पर विश्वसनीय डेटा का लाभ उठाकर और डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके, इस मिशन का उद्देश्य किसानों और कृषि क्षेत्र के हितधारकों के लिए सेवा वितरण तंत्र को ज्यादा कुशल और पारदर्शी बनाना है। इसके कुछ उदाहरण हैं:

i. विभिन्न लाभ और सेवाएं पाने के लिए किसान स्वयं को डिजिटल तौर पर पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम होगा। बोझिल कागजी कार्रवाई से छुटकारा पायेगा। विभिन्न कार्यालयों या सेवा प्रदाताओं के पास शारीरिक रूप से जाने की बहुत ही कम या कोई जरूरत न होगी। इसके कुछ उदाहरणों का जिक्र करें तो इसमें सरकारी योजनाओं और फसल ऋणों का लाभ उठाना, कृषि-इनपुट आपूर्तिकर्ताओं और कृषि उपज के खरीदारों से जुड़ना, रियल टाइम में व्यक्तिगत सलाह प्राप्त करना आदि शामिल हैं।

ii. ये भरोसेमंद डेटा सरकारी एजेंसियों को योजनाओं और सेवाओं को ज्यादा कुशल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा, जैसे कि कागज रहित एमएसपी-आधारित खरीद, फसल बीमा, और क्रेडिट कार्ड से जुड़े फसल ऋण, और उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए सिस्टम विकसित करना आदि। इसके अलावा, ‘डिजिटल रूप से प्राप्त फसल-बुवाई क्षेत्र के डेटा’, ‘डिजिटल आम फसल अनुमान सर्वेक्षण-आधारित उपज’ और रिमोट-सेंसिंग डेटा के साथ, सटीक फसल उत्पादन अनुमान लगाने में मदद करेंगे। ये फसल विविधीकरण को सुगम बनाने और फसल और मौसम के अनुसार सिंचाई की जरूरतों का मूल्यांकन करने में भी मदद करेगा।

iii. कृषि-डीएसएस पर उपलब्ध जानकारी फसल बुवाई के पैटर्न की पहचान करने, सूखा/बाढ़ की निगरानी और किसानों द्वारा फसल बीमा दावों के निपटान के लिए प्रौद्योगिकी/मॉडल-आधारित उपज मूल्यांकन के लिए फसल मानचित्र निर्माण का समर्थन करेगी।

iv. इस मिशन के तहत कृषि के लिए विकसित डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, कृषि इकोसिस्टम में हितधारकों को कृषि इनपुट और कटाई के बाद की प्रक्रियाओं के लिए कुशल मूल्य शृंखला स्थापित करने में सक्षम बनाएगी। साथ ही फसल नियोजन, फसल स्वास्थ्य, कीट और रोग प्रबंधन और सिंचाई आवश्यकताओं से संबंधित किसानों को अनुकूलित सलाहकार सेवाओं के लिए समाधान विकसित करने में भी मदद करेगी। इससे सुनिश्चित होगा कि हमारे किसानों को सर्वोत्तम संभव और समयबद्द मार्गदर्शन और सेवाएं प्राप्त होंगी।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।