• व्यवहार्य प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) से वंचित प्रत्येक पंचायत में उनकी स्‍थापना करना, व्यवहार्य डेयरी सहकारी समितियों से वंचित प्रत्येक पंचायत/गांव में उनकी स्‍थापना करना और प्रत्येक तटीय पंचायत/गांव के साथ-साथ विशाल जलाशयों वाली पंचायत/गांव में मत्स्य सहकारी समितियों की स्‍थापना करना और मौजूदा पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूती प्रदान करना।
    अगले पांच वर्षों में 2 लाख बहुउद्देशीय पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना का प्रारंभिक लक्ष्य।

  • मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के माध्यम से 'संपूर्ण-सरकार' वाले दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए योजना को नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के सहयोग से कार्यान्वित किया जाएगा।

  • पीएसीएस/डेयरी/मत्‍स्‍य सहकारी समितियों की व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाने के लिए आवश्यक अवसंरचना की स्थापना की जाएगी और उन्‍हें आधुनिकीकरण करने में सक्षम बनाएगा।
  • सदस्य किसानों को उनकी उपज का विपणन करने, उनकी आय बढ़ाने, ग्राम स्तर पर ही ऋण सुविधाएं और अन्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए आवश्यक फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज प्रदान किया जाएगा

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूती प्रदान करने और इसकी पहुंच को जमीनी स्तर तक व्‍यापक बनाने को मंजूरी दी है। सहकारिता मंत्रालय ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के सक्षम मार्गदर्शन में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के माध्यम से 'संपूर्ण-सरकार' वाले दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए व्यवहार्य प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) से वंचित प्रत्येक पंचायत में उनकी स्‍थापना करने, व्यवहार्य डेयरी सहकारी समितियों से वंचित प्रत्येक पंचायत/गांव में उनकी स्‍थापना करने और प्रत्येक तटीय पंचायत/गांव के साथ-साथ विशाल जलाशयों वाली पंचायत/गांव में मत्स्य सहकारी समितियों की स्‍थापना करने और मौजूदा पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों को मजबूती प्रदान करने की योजना तैयार की है। प्रारंभ में, अगले पांच वर्षों में 2 लाख पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए नाबार्ड, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) द्वारा कार्य योजना तैयार की जाएगी।

चालू योजना के अंतर्गत समन्वय के लिए निम्नलिखित योजनाओं की पहचान की गई है:

. पशुपालन और डेयरी विभाग:

i. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), और

ii. डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ)

. मत्स्य पालन विभाग:

i. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), और

ii. मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ)

यह योजना देश भर में सदस्य किसानों को उनकी उपज का विपणन करने, उनकी आय बढ़ाने, ग्राम स्‍तर पर ही ऋण सुविधाएं और अन्य सेवाएं प्राप्‍त करने के लिए आवश्यक फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज प्रदान करेगी। पुनर्जीवित नहीं की जा सकने वाली प्राथमिक सहकारी समितियों को बंद करने के लिए चिन्हित किया जाएगा और उनके परिचालन के क्षेत्र में नई प्राथमिक सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी।

इसके अलावा, नई पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव पड़ेगा। यह योजना किसानों को अपने उत्पादों की बेहतर कीमत दिलाने, अपने बाजारों के आकार का विस्तार करने और उन्हें आपूर्ति श्रृंखला में सुचारु रूप से शामिल करने में भी सक्षम बनाएगी।

गृह और सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में कृषि और किसान कल्याण मंत्री और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया है, जिसमें संबंधित सचिव; अध्यक्ष नाबार्ड, एनडीडीबी और एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। इस समिति को योजना के सुचारु कार्यान्वयन के लिए समन्वय करने के लिए चिन्हित योजनाओं के दिशानिर्देशों में उपयुक्त संशोधन सहित आवश्यक कदम उठाने के लिए अधिकारसंपन्‍न बनाया गया हैं। कार्य योजना के केंद्रित और प्रभावी कार्यान्‍वयन को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर भी समितियों का गठन किया गया है।

मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों से परामर्श के बाद पीएसीएस के आदर्श उपनियम तैयार किए गए हैं, ताकि पीएसीएस की व्यवहार्यता बढ़ाने और पंचायत स्तर पर उन्हें जीवंत आर्थिक संस्था बनाने हेतु उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में विविधता लाई जा सके। पीएसीएस के ये आदर्श उपनियम उन्हें 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां करने में सक्षम बनाएंगे, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, खाद्यान्नों, उर्वरकों, बीजों को खरीदने, एलपीजी/सीएनजी/पेट्रोल/डीजल वितरक, अल्पावधि और दीर्घकालिक ऋण, कस्टम हायरिंग सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर, उचित मूल्य की दुकानें, सामुदायिक सिंचाई, बिजनेस कॉरेसपोंडेंस संबंधित गतिविधियां आदि शामिल हैं। ये मॉडल उपनियम 5 जनवरी, 2023 को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे जा चुके है, ताकि पीएसीएस द्वारा संबंधित राज्य सहकारी अधिनियमों के अनुसार उपयुक्त परिवर्तन करने के बाद उन्‍हें स्‍वीकार किया जा सके।

सहकारिता मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है, जहां राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहकारी समितियों के पंजीयक के सहयोग से पंचायत और ग्राम स्तर पर सहकारी समितियों की देशव्यापी मैपिंग की जा रही है। पीएसीएस का व्यापक डेटाबेस जनवरी, 2023 में विकसित किया गया है और प्राथमिक डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों का डेटाबेस फरवरी के अंत तक विकसित कर लिया जाएगा। इसकी बदौलत ऐसी पंचायतों और गांवों की सूची तैयार हो सकेगी, जहां पीएसीएस, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की सेवाएं उपलब्‍ध नहीं हैं। नई सहकारी समितियों के गठन की वास्तविक समय में निगरानी के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस और ऑनलाइन केंद्रीय पोर्टल का उपयोग किया जाएगा।

पीएसीएस/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों को उनके संबंधित जिला और राज्य स्तरीय संघों से जोड़ा जाएगा। ये समितियां 'संपूर्ण-सरकार' वाले दृष्टिकोण का लाभ उठाते हुए दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं, बल्क मिल्क कूलर, दूध प्रसंस्करण इकाइयां, बायोफ्लॉक पान्‍डस का निर्माण, फिश कियोस्क, हैचरीज का विकास, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की नौकाओं को हासिल करने आदि जैसी अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना और आधुनिकीकरण करने में सक्षम होंगी।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) की संख्या लगभग 98,995 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या 13 करोड़ है, देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) संरचना का सबसे निचला स्तर है, जो सदस्य किसानों को अल्पकालिक और मध्यम अवधि के ऋण और बीज, उर्वरक, कीटनाशक वितरण आदि जैसी अन्य इनपुट सेवाएं, प्रदान करती है। इन्हें नाबार्ड द्वारा 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) और 34 राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) के माध्यम से पुन: वित्‍त पोषित किया गया है।

प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 1,99,182 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 1.5 करोड़ हैं, और ये किसानों से दूध की खरीद करने, सदस्‍यों को दूध परीक्षण सुविधाएं, पशु चारा बिक्री, विस्तार सेवाएं आदि प्रदान करने में संलग्‍न हैं।

प्राथमिक मत्स्य सहकारी समितियों की संख्‍या लगभग 25,297 है और इनके सदस्‍यों की संख्‍या लगभग 38 लाख है, और ये समाज के सबसे हाशिए वाले वर्गों में से एक की जरूरतों को पूरा करती हैं, उन्हें विपणन सुविधाएं प्रदान करती हैं, मछली पकड़ने के उपकरण, मछली के बीज और चारे की खरीद में सहायता करती हैं तथा सदस्‍यों को सीमित पैमाने पर ऋण सुविधाएं भी प्रदान करती हैं।

यद्यपि 1.6 लाख पंचायतों में अभी तक पीएसीएस नहीं हैं और लगभग 2 लाख पंचायतों में डेयरी सहकारी समिति नहीं है। देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में इन प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने, जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को व्‍यापक बनाने और वितरण संबंधी समस्‍याओं के समाधान के लिए सभी पंचायतों/गांवों को यथा स्थिति के अनुसार इन समितियों के दायरे में लाने की दिशा में ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है।

 

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.