प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 तक, पांच वर्ष की अवधि के लिए केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 520 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की मंजूरी दी और केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस विस्तारित अवधि के दौरान आवंटन को गरीबी अनुपात से जोड़े बिना मांग जनित आधार पर दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) का वित्त पोषण सुनिश्चित करने की भी मंजूरी दी।
इससे इन केन्द्र शासित प्रदेशों की जरूरत के आधार पर इस मिशन के तहत पर्याप्त धन सुनिश्चित होगा और यह एक समयबद्ध तरीके से केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सभी केन्द्र प्रायोजित लाभार्थी-उन्मुख योजनाओं को सार्वभौमिक बनाने के भारत सरकार के उद्देश्य के भी अनुरूप है।
यह ग्रामीण परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और महिलाओं के सशक्तिकरण तथा केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बदली हुई परिस्थितियों के लिए इस मिशन की क्षमता की ओर संकेत करने वाले आकलन के परिणामों पर आधारित है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए विविध आजीविकाओं के संवर्धन द्वारा ग्रामीण गरीबी का उन्मूलन करना है। ग्रामीण गरीबी दूर करने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम का जून 2011 में शुभारंभ गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में प्रतिमान बदलाव का सूचक है। डीएवाई-एनआरएलएम सभी ग्रामीण गरीब परिवारों, अनुमानित लगभग 10 करोड़ परिवारों तक पहुंचने और सार्वभौमिक सामाजिक जागरूकता के माध्यम से उनकी आजीविका पर प्रभाव डालने के साथ-साथ उनके अपने संस्थानों और बैंकों से वित्तीय संसाधनों की पहुंच के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से एक महिला सदस्य को स्वयं सहायता समूह में शामिल करना, उनके प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण और उनकी लघु आजीविका योजनाओं में सहायता प्रदान करना चाहती है।
इस मिशन में स्वयं सहायता की भावना में समुदाय पशेवरों के माध्यम से समुदाय संस्थानों के साथ कार्य करना शामिल है। यह डीएवाई-एनआरएलएम का विशिष्ट प्रस्ताव है और इस प्रकार यह पिछले गरीबी उन्मूल कार्यक्रमों से अलग है। इस कार्यक्रम की अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर समर्पित कार्यान्वयन सहायता इकाइयों के साथ एक विशेष उद्देश्य वाहन (स्वायत्तशासी राज्य समितियों) द्वारा एक मिशन मोड में लागू किया गया है। इसमें प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार को लगातार और दीर्घकाल तक सहायता उपलब्ध कराने के क्रम में पेशेवर मानव संसाधनों का उपयोग किया गया है।
पृष्ठभूमि:
डीएवाई-एनआरएलएम को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर राज्य आजीविका मिशन (जेकेएसआरएलएम) द्वारा ‘उम्मीद’ कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया था। डीएवाई-एनआरएलएम के तहत मौजूदा निधि आवंटन प्रक्रिया राज्यों में गरीबी आवंटन पर आधारित है। डीएवाई-एनआरएलएम के तहत जम्मू–कश्मीर का हिस्सा कुल वार्षिक आवंटन का 1 प्रतिशत से भी कम था। इस मिशन के तहत वित्त वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक पांच वर्षों की निश्चित समय-सीमा में जम्मू-कश्मीर को पर्याप्त वित्त पोषण सहायता सुनिश्चित करने और राज्य में गरीब ग्रामीण आबादी (जो कुल ग्रामीण आबादी की लगभग दो-तिहाई है) को पर्याप्त कवरेज देने के लिए भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए डीएवाई-एनआरएलएम के तहत विशेष पैकेज को मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल ने गरीबी अनुपात से जोड़े बिना विशेष पैकेज के कार्यान्वयन के लिए जरूरत आधार पर डीएवाई-एनआरएलएम के तहत निधियों के आवंटन को भी मंजूरी दी है। मूल रूप से पांच वर्ष की अवधि के लिए इस प्रस्ताव के लिए वित्तीय परिव्यय 755.32 करोड़ रुपये (केन्द्र का हिस्सा 679.78 करोड़ रुपये) था।
विभिन्न कारणों और राज्य की अशांत स्थिति के कारण विशेष पैकेज मई 2013 में मंजूर किया गया था जिसे बाद में एक साल बढ़ाकर 2018-19 तक कर दिया गया था लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका। जम्मू-कश्मीर में इस कार्यक्रम की उपलब्धियों का एक विस्तृत तीसरे पक्ष का आकलन तथा इस विशेष पैकेज का कार्यान्वयन करने के लिए राज्य मिशन की तैयारी की समीक्षा ग्रामीण प्रबंधन संस्थान (आईआरएमए) आनंद, गुजरात द्वारा वर्ष 2019 में आयोजित की गई। इस आकलन में पूर्ववर्ती राज्य में डीएवाई-एनआरएलएम के कार्यान्वयन के अनेक अच्छे परिणाम सामने आए। इनमें आय स्तरों में बढ़ोतरी, परिसम्पत्ति आधार में सुधार, महिलाओं के लिए नए/विविध आजीविका अवसरों का सृजन, अधिक बचत, उत्पादक उद्देश्यों के लिए अधिक निवेश, ऋण के उत्पादक उपयोग शामिल हैं। इसके अलावा, इसका समुदाय स्तर के मुद्दों को हल करने में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और लाभकारी चयन सामाजिक सद्भाव और आपसी सहायता में पारदर्शिता बढ़ी है। समुदाय संसाधन व्यक्तियों का एक बड़ा कॉडर और स्वयं सहायता समूह सदस्यों और अधिकारियों के रूप में सामाजिक पूंजी का भी सृजन हुआ है।