प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कैबिनेट ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति, 2016 के सरलीकरण और उदारीकरण के लिए किए गए संसोधनों को मंजूरी दे दी। सरकार ने 20 जून, 2016 को इसकी घोषणा की थी। एफडीआई नीति में संशोधन करने से इसका सरलीकरण होगा जिससे देश को कारोबार के लिए सुगम बनाया जा सकेगा। इससे देश में एफडीआई का प्रवाह बढ़ेगा और आय एवं रोजगार में बढ़ोतरी होगी। इसका विवरण निम्नलिखित हैः
- भारत में उत्पादित या निर्मित खाद्य उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए व्यापक बदलाव
भारत में उत्पादित या निर्मित खाद्य उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए ई-कॉमर्स के माध्यम से 100 फीसदी एफडीआई का प्रावधान किया गया है।
- रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश
इससे पहले की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व्यवस्था में एक कंपनी में 49 फीसदी निवेश की अनुमति थी। 49 फीसदी से अधिक के निवेश के लिए अगल अलग तरह के मापदंड थे और इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी ताकि ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ टेक्नोलॉजी को अपनाया जा सके। इसके मद्देनजर अन्य बातों के साथ इस क्षेत्र में एफडीआई नीति को लेकर बदलाव लाया गया।
- 49 फीसदी में ज्यादा एफ डी आई के लिए अब सरकार की अनुमति लेनी होगी और मॉर्डन टेक्नोलॉजी को अपनाया जा सकेगा।
- रक्षा क्षेत्र में छोटे हथियारों और शस्त्र अधिनियम 1959 के तहत आने वाले गोलाबारूद के निर्माण के लिए एफडीआई सीमा को भी लागू किया गया है।
- प्रसारण कैरिज सेवाओं में प्रवेश मार्गों की समीक्षा
प्रसारण कैरिज सेवाओं के लिए भी एफडीआई नीति में बदलाव किया गया है। नए बदलाव इस प्रकार हैं
क्षेत्र/गतिविधि |
नए बदलाव और मार्ग |
5.2.7.1.1 (1)टेलीपोर्ट्स(अपलिंकिंग एचयूबी /टेलीपोर्ट्स); (2)डायरेक्ट टू होम (डीटीएच); (3)केबल नेटवर्क्स (मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) इसका संचालन राष्ट्रीय या राज्य या जिला स्तर पर किया जाएगा। साथ ही डिजिटलीकरण के लिए उसे उन्नत बनाया जाएगा ताकि इसका इस्तेमाल आसान बन सके।); (4)मोबाइल टीवी; (5)हेडेंड इन द स्काई ब्रॉडकॉस्टिंग सर्विस (एचआईटीएस) |
100%
स्वचालित |
5.2.7.1.2 केबल नेटवर्क्स ( अन्य एमएसओ और लोकल केबल ऑपरेटर्स के डिजिटलीकरण की दिशा में नेटवर्क के उन्नयन का उपक्रम नहीं है।) |
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ताजा विदेशी निवेश को लेकर 49 फीसदी एफडीआई के अलावा निवेश के लिए संबंद्ध मंत्रालय से एक कंपनी को लाइसेंस/अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। पहले से मौजूद निवेशक को नए निवेशकों को मालिकाना ढांचा या उसका हिस्सा देने के लिए एफआईपीबी से मंजूरी लेनी होगी। |
- फार्मास्युटिकल
इससे पहले फार्मास्युटिकल क्षेत्र में ग्रीनफील्ड फर्मा के लिए 100 फीसदी एफडीआई के लिए एफडीआई नीति में स्वचालित मार्ग का प्रवाधान था जबकि ब्राउनफील्ड फार्मा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ब्राउनफील्ड फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 75 फीसदी एफडीआई के लिए स्वचालित मार्ग की अनुमति दी गई है। अब 74 फीसदी से अधिक विदेशी निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी।
- नागरिक उड्डयन क्षेत्र
- इससे पहले हवाईअड्डा के लिए एफडीआई नीति में ग्रीनफील्ड परियोजना के लिए 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए स्वाचालित मार्ग का प्रावधान था जबकि ब्रॉउनफील्ड परियोजना के लिए 74 फीसडी एफडीआई की अनुमति थी। ब्रॉउनफील्ड परियोजनाओं के लिए 74 फीसदी से ज्यादा एफडीआई को लेकर सरकार से अनुमति लेनी होगी।
- भारी दबाव कम करने, उच्च मानक निर्धारित करने और उनका आधुनिकरण करने के मद्देनजर मौजूदा हवाईअड्डों के लिए स्वचालित मार्ग से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति होगी। यह प्रावधान ब्रॉउनफील्ड परियोजनाओं के लिए किया गया है।
III. पहले की एफडीआई नीति की तरह अनुसूचित एयर ट्रांसपोर्ट सेवा / घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन और क्षेत्रीय वायु परिवहन सेवा में भी 49 फीसदी निवेश की अनुमति थी। इस सीमा को बढ़ाकर अब 100 फीसदी कर दिया गया है। अप्रवासी भारतीयों के लिए स्वचालित मार्ग से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति का प्रावधान पहले की तरह ही बरकरार रहेगा। अनुसूचित एयर ट्रांसपोर्ट सेवा / घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन और क्षेत्रीय वायु परिवहन सेवा में भारतीय कंपनियों में विदेशी एयरलाइंस के 49 फीसदी से अधिक निवेश जारी रखने की अनुमित दी गई है।
- निजी सुरक्षा एजेंसियां
इससे पहले की एफडीआई नीति के तहत निजी सुरक्षा एजेंसियों के लिए 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर सरकार की अनुमति लेनी होती थी। इसके लिए निजी सुरक्षा एजेंसियों को पीएसएआर अधिनियम 2005 के तहत लाइसेंस लेना होता है। इन सब प्रावधानों से अब इन्हें मुक्त कर दिया गया है। इस क्षेत्र में 49 फीसदी एफडीआई की स्वचालित मार्ग से अनुमित होगी। इसके लिए सरकार से किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। लेकिन 49 फीसदी के अलावा 74 फीसदी तक एफडीआई के लिए सरकार से स्वीकृति लेनी होगी।
- कंपनी की शाखा के लिए दफ्तर, संपर्क के लिए कार्यालय या परियोजना कार्यालय
भारत में कंपनी की शाखा के लिए दफ्तर, संपर्क के लिए कार्यालय या परियोजना कार्यालय स्थापित करने के लिए आवेदक को रक्षा, टेलीकॉम, निजी सुरक्षा, सूचना एवं प्रसारण के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अनुमित लेनी होती थी लेकिन अब इसकी जरूरत खत्म कर दी गई है। यह सुविधा तभी मिलेगी जब कंपनी को संबंद्ध मंत्रालयों या विभागों से एफआईपीबी से अनुमित मिली हो।
- पशुपालन
एफडीआई नीति 2016 के अनुसार पशुपालन(इसमें कुत्तों का प्रजनन भी शामिल है), मछली पालन, एक्वाकल्चर और कृषि क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई है। हालांकि इसके लिए आवश्यक नियम व शर्तें लागू रहेंगी।
- सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग
‘स्टेट ऑफ आर्ट’ और ‘कटिंग एज’ के लिहाज से सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग को स्थानीय मानदंडों में तीन साल तक की छूट दी गई है। ऐसी संस्थाओं के लिए कारोबार के शुरुआती तीन वर्षों तक उपर्युक्त नियमों से छूट प्राप्त होगी। शुरुआती तीन साल के बाद निर्धारित नियम इन संस्थाओं पर लागू होंगे।
पृष्टभूमि:
पिछले दो वर्षों में सरकार ने रक्षा, निर्माण विकास, बीमा, पेंशन, प्रसारण, चाय, कॉफी, रबर, इलायची, पाम तेल ट्री और जैतून का तेल के पौधों के वृक्षारोपण, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, विनिर्माण क्षेत्र, सीमित देयता भागीदारी, नागरिक उड्डयन, सूचना कंपनियों, सैटेलाइट की स्थापना / संचालन और एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों के क्षेत्र में एफडीआई नीति बड़े सुधार किए हैं। सरकार की ओर उठाए गए इन कदमों के चलते देश में वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश आया है। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 में यह 36.04 अमेरिकी डॉलर था। किसी विशेष वर्ष के दौरान यह अब तक सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। यह महसूस किया जा रहा है कि एफडीआई नीति के सरलीकरण और उदारीकरण से देश में और अधिक प्रत्यक्ष विदेश निवेश आकर्षित करने की संभावना है।
केंद्रीय सरकार के मुताबिक भारत में रोजगार और रोजगार सृजन के लिए प्रमुख प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से 20 जून 2016 को एफडीआई नीति में बड़े बदलाव किए गए। इस क्षेत्र में यह नवंबर में 2015 की घोषणा पिछले क्रांतिकारी परिवर्तन के बाद दूसरा बड़ा सुधार था। सरकार के इन कदमों से भारत में पूंजी का प्रवाह और बढ़ेगा। एफडीआई नीति में बदलाव का उद्देश्य कारोबार के लिहाज से भारत को विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल बनाना है। सरकार की ओर से किए गए इन परिवर्तनों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दुनिया में भारत सबसे खुली अर्थव्यवस्था बना दिया है।