प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016’ के लिए अपनी मंजूरी दी है।
यह विधेयक केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड एवं राज्य सरोगेसी बोर्डों के गठन और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों में उपयुक्त प्राधिकारियों के जरिये भारत में सरोगेसी का नियमन करेगा। यह कानून सरोगेसी का प्रभावी विनियमन, वाणिज्यिक सरोगेसी की रोकथाम और जरूरतमंद बांझ दंपतियों के लिए नैतिक सरोगेसी की अनुमति सुनिश्चित करेगा।
नैतिक लाभ उठाने की चाहत रखने वाली सभी भारतीय विवाहित बांझ दंपतियों को इससे फायदा मिलेगा। इसके अलावा सरोगेट माता और सरोगेसी से उत्पन्न बच्चों के अधिकार भी सुरक्षित होंगे। यह विधेयक जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत पर लागू होगा।
यह कानून देश में सरोगेसी सेवाओं को विनियमित करेगा जो उसका सबसे बड़ा फायदा होगा। हालांकि मानव भ्रूण और युग्मकों की खरीद-बिक्री सहित वाणिज्यिक सरोगेसी पर निषेध होगा, लेकिन कुछ खास उद्देश्यों के लिए निश्चित शर्तों के साथ जरूरतमंद बांझ दंपतियों के लिए नैतिक सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी। इस प्रकार यह सरोगेसी में अनैतिक गतिविधियों को नियंत्रित करेगा, सरोगेसी के वाणिज्यिकरण पर रोक लगेगी और सरोगेट माताओं एवं सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों के संभावित शोषण पर रोक लगेगा।
मसौदा विधेयक में किसी स्थायी ढांचे के सृजन का प्रस्ताव नहीं है। न ही उसमें किसी नए पद के सृजन का प्रस्ताव है। हालांकि प्रस्तावित कानून एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को कवर करता है जिसे इस तरीके से तैयार किया गया है ताकि प्रभावी विनियमन सुनिश्चित हो सके। केंद्र और राज्य स्तर पर लागू वर्तमान नियामकीय ढांचे की ओर इसका अधिक झुकाव नहीं है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय और राज्य सरोगेसी बोर्डों एवं उपयुक्त अधिकारियों की बैठक के अलावा इसमें कोई वित्तीय जटिलता भी नहीं है। केंद्र और राज्य सरकारों के नियमित बजट के बाद बोर्डों और अधिकारियों की बैठकें होंगी।
पृष्ठभूमिः
भारत विभिन्न देशों की दंपतियों के लिए सरोगेसी केंद्र के तौर पर उभरा है और यहां अनैतिक गतिविधियों, सरोगेट माताओं के शोषण, सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों को त्यागने और मानव भ्रूणों एवं युग्मकों की खरीद-बिक्री में विचैलिये के रैकेट से संबंधित घटनाओं की सूचनाएं मिली हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत में चल रही वाणिज्यिक सरोगेसी की व्यापक निंदा करते हुए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अभियान चलाया जा रहा है जिसमें वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक लगाने और नैतिक परोपकारी सरोगेसी को अनुमति दिए जाने की जरूरतों को उजागर किया गया है। भारत के विधि आयोग की 228वीं रिपोर्ट में भी उपयुक्त कानून बनाकर वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक लगाने और जरूरतमंद भारतीय नागरिकों के लिए नैतिक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति की सिफारिश की गई है।