प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविड-19 से निपटने के आर्थिक उपाय के रूप में केन्द्रीय पूल से खाद्यान्न के अतिरिक्त आवंटन के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि को जुलाई से पांच माह और बढ़ाकर नवंबर, 2020 तक करने को मंजूरी दे दी है।

भारत सरकार ने देश में कोविड-19 से उत्‍पन्‍न आर्थिक व्यवधानों के कारण गरीबों को हो रही भारी कठिनाइयों को दूर करने के लिए मार्च 2020 में ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) की घोषणा की। इस पैकेज में अन्य बातों के अलावा ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई)’ का कार्यान्वयन भी शामिल है जिसके जरिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत कवर किए गए लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि गरीब और कमजोर परिवार/लाभार्थी किसी भी वित्तीय परेशानी का सामना किए बिना ही आसानी से खाद्यान्न प्राप्‍त कर सकें। इस कार्यक्रम के तहत आरंभ में तीन माह यानी अप्रैल, मई और जून के लिए मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया था।

हालांकि, गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर मदद की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पीएम-जीकेएवाई योजना की अवधि को अगले 5 महीनों यानी जुलाई-नवंबर 2020 तक के लिए और बढ़ा दिया गया है।

इससे पहले पीएम-जीकेएवाई के तहत इस विभाग ने 30 मार्च 2020 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लगभग 120 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) खाद्यान्न का आवंटन किया था, जिसका वितरण तीन माह (अप्रैल-जून, 2020) के दौरान किया जाना था। तदनुसार, एफसीआई और अन्य राज्य एजेंसियों ने इस विशेष योजना के तहत वितरण के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 120 एलएमटी खाद्यान्न में से 116.5 एलएमटी (97%) से भी अधिक खाद्यान्न की डिलीवरी कर दी है। अब तक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने संयुक्त रूप से अप्रैल-जून, 2020 की अवधि के लिए लगभग 107 एलएमटी (आवंटित खाद्यान्न का 89%) का वितरण किए जाने के बारे में सूचना दी है। अब तक, अप्रैल में लगभग 74.3 करोड़ लाभार्थी कवर किए जा चुके हैं और मई में 74.75 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया है तथा जून 2020 में लगभग 64.72 करोड़ लाभार्थियों ने अपने नियमित एनएफएसए खाद्यान्न के अलावा इन अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न का भी लाभ उठाया है। वितरण अभी जारी है और वितरण कार्य पूरा हो जाने के बाद वितरण के आंकड़े को अपडेट कर दिया जाएगा। यही नहीं, कुछ राज्यों ने विभिन्न लॉजिस्टिक कारणों से दो-तीन माह वाले पीएम-जीकेएवाई खाद्यान्न को एक ही बार में वितरित कर दिया।

नियमित रूप से एनएफएसए वितरण के तहत अप्रैल, मई और जून 2020 के दौरान एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई के लगभग 252 एलएमटी खाद्यान्न को एफसीआई द्वारा अपने मजबूत आपूर्ति नेटवर्क का उपयोग करते हुए पूरे देश में स्थानांतरित किया गया था। दूरदराज और दुर्गम स्थानों पर अन्य तरीकों जैसे कि वायु और जल मार्गों से निरंतर खाद्यान्न भेजा गया, ताकि वहां के लाभार्थियों को समय पर इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। उल्लेखनीय है कि यहां तक कि पूर्ण लॉकडाउन के दौरान भी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अत्‍यंत कुशलतापूर्वक बनाए रखते हुए एफसीआई एवं विभाग ने एनएफएसए और पीएम-जीकेएवाई योजना के तहत लाभार्थियों को खाद्यान्न की निर्बाध डिलीवरी सुनिश्चित की। इसके अलावा, कई राज्यों में बॉयोमैट्रिक प्रमाणीकरण पर अस्थायी रोक रहने के बावजूद संकट की घड़ी में आईटी आधारित पीडीएस सुधारों से लाभ उठाया गया जिनमें कुल 5.4 लाख उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) में से लगभग 4.88 लाख (90.3%) का डिजि‍टल ईपीओएस मशीन नेटवर्क और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का पूर्ण कम्प्यूटरीकरण शामिल हैं।

पिछले वर्ष यानी 2019 के अप्रैल-मई-जून के दौरान इस विभाग ने एनएफएसए के तहत कुल 130.2 एलएमटी खाद्यान्न का आवंटन किया था, जिसमें से लगभग 123 एलएमटी (95% खाद्यान्न) का उठाव राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कर लिया गया था। वहीं, अप्रैल-मई-जून 2020 के तीन माह की समान अवधि के दौरान इस विभाग ने इन्‍हीं लाभार्थियों के लिए कुल लगभग 252 एलएमटी खाद्यान्न आवंटित किया था (एनएफएसए के तहत 132 एलएमटी और पीएम-जीकेएवाई के तहत 120 एलएमटी), जिसमें से 247 एलएमटी से भी अधिक खाद्यान्न का उठाव हो चुका है और पिछले तीन महीनों के दौरान एनएफएसए के लाभार्थियों को अब तक 226 एलएमटी का वितरण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि लोगों को अत्‍यंत आवश्‍यक राहत के रूप में खाद्यान्न की सामान्य मात्रा का लगभग दोगुना वितरित किया गया है।

अब चूंकि ‘पीएम-जीकेएवाई’ की अवधि 5 और महीनों के लिए नवंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है, इसलिए खाद्यान्न की समान मजबूत आपूर्ति और वितरण को आगे भी निरंतर कायम रखा जाएगा। इसके तहत खाद्यान्न की लागत और वितरण पर 76062 करोड़ रुपये का अतिरिक्त अनुमानित व्यय होगा।

 

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