प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आधारभूत ढांचे में सार्वजनिक निजी सहभागिता की योजना की व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण (वीजीएफ) को जारी रखने और इसके पुनर्गठन को मंजूरी दी है। इसकी समय अवधि 2024-25 तक है और इसकी कुल लागत 8100 करोड़ रुपये है।
इस संशोधित योजना में सामाजिक आधारभूत ढांचे में निजी क्षेत्र की सहभागिता को मुख्यधारा में लाने के लिए दो उप-योजनाओं की शुरुआत की गई है।
ए. उप-योजना-1
यह योजना सामाजिक क्षेत्रों जैसे अपशिष्ट जल शोधन, जलापूर्ति, ठोस कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करेगी। इस तरह की परियोजनाओं में पूंजी लागत को पूर्ण रूप से पूरा करने के लिए बैंक संबंधी सामर्थ्य और कम राजस्व जैसे विषयों का सामना करना पड़ता है और इस श्रेणी के तहत पात्र परियोजनाओं की कम-से-कम 100 प्रतिशत संचालन लागत पुन: प्राप्त होनी चाहिए। इसमें केन्द्र सरकार वीजीएफ के तहत कुल परियोजना लागत का अधिकतम 30 प्रतिशत उपलब्ध कराएगी और राज्य सरकार/प्रायोजक केन्द्रीय मंत्रालय/वैधानिक निकाय कुल परियोजना लागत की अतिरिक्त 30 प्रतिशत सहायता उपलब्ध करा सकती है।
बी. उप-योजना-2
यह उप-योजना निरूपण/सामाजिक क्षेत्रों की प्रायोगिक परियोजनाओं को सहायता देगी और ये परियोजनाएं स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों से हो सकती है जहां कम-से-कम 50 प्रतिशत संचालन लागत पुन: प्राप्ति है। इन परियोजनाओं में केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर पहले पांच वर्षों में पूंजी लागत का 80 प्रतिशत और संचालन एवं रख-रखाव (ओ एंड एम) लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराएंगी। केन्द्र सरकार इस परियोजना में कुल परियोजना लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा पहले पांच वर्षों में वाणिज्यिक क्रियाकलापों के लिए परियोजना की अधिकतम 25 प्रतिशत संचालन लागत को भी उपलब्ध करा सकती है।
इस योजना की शुरुआत से 64 परियोजनाओं को अंतिम मंजूरी का दर्जा दिया जा चुका है और इनकी कुल परियोजना लागत, 34,228 करोड़ रुपये तथा वीजीएफ 5,639 करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक 4,375 करोड़ रुपये की वीजीएफ राशि को वितरित किया जा चुका है।
लाभ :
इस परियोजना का मकसद सामाजिक और आर्थिक आधारभूत ढांचे में सार्वजनिक निजी सहभागिता को बढ़ावा देना है ताकि परिसम्पत्तियों का बेहतर सृजन हो और इनके उपयुक्त संचालन एवं रख-रखाव को सुनिश्चित किया जा सके और आर्थिक एवं सामाजिक रूप से जरूरी परियोजनाओं को वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिकता में लाया जा सके। इस परियोजना से देश के लोगों को काफी फायदा होगा क्योंकि यह देश में आधारभूत ढांचे के विकास में मदद करेगी।
क्रियान्वयन रणनीति:
नई योजना मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के एक माह की अवधि में लागू हो जाएगी और नई वीजीएफ योजना में प्रस्तावित संशोधनों को इसके दिशा-निर्देशों में उपयुक्त रूप से शामिल किया जाएगा। नई वीजीएफ योजना को बढ़ावा देने और सहायता दी जाने वाली परियोजनाओं की निगरानी के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।
प्रभाव:
प्रस्तावित वीजीएफ योजना को नए रूप में लागू करने से सार्वजनिक निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक परियोजनाओं को आकर्षित किया जा सकेगा और सामाजिक क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, अपशिष्ट जल, ठोस कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति आदि) के लिए निजी निवेश में सहायता मिलेगी। नए अस्पतालों और स्कूलों के बनने से रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
शामिल व्यय:
इस नई योजना को वित्त मंत्रालय की बजट सहायता से वित्त पोषित किया जाएगा। नई वीजीएफ योजना के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में कुल अनुमानित परिव्यय इस प्रकार है:
वित्त वर्ष |
आर्थिक आधारभूत ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी सहभागिता को वित्तीय समर्थन देने की योजना (करोड़ रुपये) |
सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी आधारभूत अवसंरचना को वित्तीय समर्थन देने की योजना (करोड़ रुपये) |
2020-21 |
1,000 |
400 |
2021-22 |
1,100 |
400 |
2022-23 |
1,200 |
400 |
2023-24 |
1,300 |
400 |
2024-25 |
1,400 |
500 |
कुल |
6,000 |
2,100 |
पृष्ठभूमि:
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने वर्ष 2006 में ‘आधारभूत ढांचे (व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण योजना) में सार्वजनिक निजी क्षेत्र की सहभागिता को वित्तीय समर्थन देने के लिए इस योजना’ की शुरुआत उन परियोजनाओं के लिए की थी जो आर्थिक रूप से न्यायोचित है लेकिन वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक नहीं है। इसका मुख्य कारण विशाल पूंजी लागत आवश्यकताएं, इनकी काफी लंबी अवधि और वाणिज्यिक स्तर तक इस्तेमाल किए जाने वाले शुल्क में बढ़ोतरी नहीं होने की अक्षमता शामिल है। मौजूदा योजना में कुल परियोजना की 40 प्रतिशत वीजीएफ हिस्सेदारी केन्द्र सरकार और परियोजना की शुरुआत की स्थिति में (20 प्रतिशत+20 प्रतिशत) पूंजी अनुदान के रूप में प्रायोजक प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराई जाती है।