प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज नई दिल्ली स्थित इंडिया गेट के पास प्रिंसेस पार्क में बनने वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय के निर्माण को मंजूरी दे दी है। ये स्मारक और संग्रहालय आजादी के बाद देश के लिए बलिदान देने वाले सभी भारतीय सैनिकों की याद में बनाया जा रहा है।
इस परियोजना की अनुमानित लागत करीब 500 करोड़ रुपये होगी और इसके पूरा होने की अनुमानित समयसीमा करीब पांच साल होगी।
आजादी के बाद, 22,500 से अधिक सैनिक देशहित में और देश की संप्रभुत्ता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे चुके हैं। हालांकि, आजादी के 69 सालों बाद भी, शहीदों की याद में अब तक किसी स्मारक का निर्माण नहीं किया गया है। कैबिनेट के वर्तमान निर्णय से, सुरक्षा बलों की सालों से लंबित मांग पूरी हो गई है।
इस प्रस्तावित परियोजना का काम निर्धारित समयसीमा में पूर्ण हो, यह सुनिश्चित करने के लिए निर्णय लिया गया है कि रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली सशक्त संचालन समिति द्वारा इस प्रतिष्ठित परियोजना की निगरानी का काम किया जाएगा। इस काम के दौरान समर्पित परियोजना प्रबंधन टीम इस सशक्त संचालन समिति को सहयोग देगी। निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और संग्रहालय की देखरेख के लिए एक प्रबंधन इकाई का गठन किया जाएगा।
देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के सम्मान के प्रति गहरा आभार व्यक्त करने के लिए यह सरकार युद्ध स्मारक और संग्रहालय की स्थापना करा रही है। यह स्मारक आगंतुकों के मन में राष्ट्रभक्ति की भावना को बढ़ावा देगा और मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुर सैनिकों के प्रति गहरी भावनाएं व्यक्त करने के लिए देशवासियों को अवसर भी प्रदान करेगा।
अब तक अनछुए रह गए अन्तिम आंदोलन, शहीदों के अन्तिम विश्राम गृह जोकि अज्ञात हैं, इतिहास के ऐसे ही कुछ मार्मिक क्षणों को यह संग्रहालय सहेजकर देशवासियों के सामने लाएगा और विभिन्न तरह की परिस्थितियों में सैनिकों की प्रतिबद्धता से भी लोगों को रूबरू कराएगा।
सरकार का मानना है कि राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में अधूरे रह गए कामों का ही एक हिस्सा सैनिकों के समर्पण को जन-जन तक पहुंचाना है। इसलिए सैनिकों के समर्पण की गाथाओं और मार्मिक क्षणों को लोगों तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। सरकार ने अपने स्तर पर बेहद विनम्रता से कहा है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया है और उनके योगदान से भारत माता समृद्ध हुई है। स्मारक की यात्रा हमें इस महान देश के प्रति अत्यंत भक्ति के साथ पुनः समर्पित होने के लिए प्रेरित करेगी।