पिछले दस सालों में भारत के शहरों में इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़े पैमाने पर कायाकल्प हुआ है। रेलवे और हाईवे को आधुनिक बनाने से लेकर वाटरवेज और एविएशन सेक्टर को नया जीवन देने तक, मोदी सरकार ने पूरे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को प्राथमिकता दी है। जिससे देश भर में अभूतपूर्व ग्रोथ और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिला है।
इस परिवर्तन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक भारतीय रेलवे का कायाकल्प रहा है। कभी जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर और अक्षमताओं से जूझ रहे भारतीय रेलवे ने उल्लेखनीय रूप से आधुनिकीकरण किया है। इसमें बढ़ते बजट आवंटन और रणनीतिक निवेशों की भूमिका रही है। 25,000 किलोमीटर से अधिक नई रेल पटरियां बिछाई गई हैं, जो कई विकसित देशों की कुल लंबाई से भी अधिक है। रेलवे का 94% विद्युतीकरण हो चुका है, मानव रहित रेलवे फाटकों को समाप्त कर दिया गया है और सुरक्षा उपायों को बढ़ाया गया है। बायो-टॉयलेट, GPS-आधारित ट्रैकिंग सिस्टम और ऑनलाइन रिजर्वेशन प्लेटफार्मों की शुरुआत ने यात्री अनुभव को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया है, जिससे ट्रेन यात्रा को सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक सुगम बनाया गया है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी पहल और स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस और नमो भारत ट्रेनों के आगमन को रेल परिवहन में स्पीड, इनोवेशन और उत्कृष्टता के एक नए युग के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
इसी तरह, भारत के रोड और नेशनल हाईवेज क्षेत्र में अभूतपूर्व ग्रोथ और डेवलपमेंट देखा गया है। पिछले दशक में 55,000 किलोमीटर से अधिक नेशनल हाईवेज के निर्माण के साथ, इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट है। भारतमाला जैसी परियोजनाएं न केवल कनेक्टिविटी में सुधार कर रही हैं बल्कि कम सेवा वाले क्षेत्रों, आर्थिक केंद्रों और पर्यटन स्थलों की जरूरतों को भी पूरा कर रही हैं। पीएम गति शक्ति योजना और नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन जैसी पहलों के माध्यम से मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देकर, सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की इंटीग्रेटेड प्लानिंग और कार्यान्वयन को बढ़ावा दे रही है, और परियोजनाओं का समय पर पूरा होना सुनिश्चित कर रही है।
सागरमाला जैसी परियोजनाएं कारोबार और परिवहन के लिए भारत की विशाल तटरेखा का लाभ उठा रही हैं, लागत कम कर रही हैं और सतत विकास को बढ़ावा दे रही हैं। अंतर्देशीय जलमार्ग, जो कभी उपेक्षित थे, अब उनकी पूर्ण आर्थिक क्षमता को अनलॉक करने के लिए पुनर्जीवित किए जा रहे हैं। जल परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करके, सरकार न केवल रोजगार के अवसर पैदा कर रही है, बल्कि सड़क और रेल नेटवर्क पर बोझ को कम कर रही है, भीड़ को कम कर रही है और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रही है।
सिविल एविएशन सेक्टर में भी भारी बदलाव आया है, एयरपोर्ट्स और उड़ान मार्गों के विस्तार ने आर्थिक विकास और पहुंच में योगदान दिया है। एक दशक के बाद ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है, जबकि UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी पहलों ने रीजनल कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान की है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सुदूर और कम सेवा वाले क्षेत्रों को भी नेशनल एविएशन नेटवर्क में इंटीग्रेट हो जाएं। नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर के डेवलपमेंट और मैनेजमेंट को और बढ़ा रही है, मौजूदा असेट्स की वैल्यू को अनलॉक कर रही है और इस क्षेत्र में ग्रोथ और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए निजी निवेश को आकर्षित कर रही है।
पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार भारतीय शहरों में शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी चुनौतियों से भी सक्रिय रूप से निपट रही है। स्मार्ट सिटीज मिशन जैसी पहलों के माध्यम से, सरकार देश भर में 100 स्मार्ट शहरों को विकसित करने के लिए टेक्नोलॉजी, डेटा और नागरिक भागीदारी का लाभ उठा रही है। ये स्मार्ट शहर इंफ्रास्ट्रक्चर, परिवहन, वेस्ट मैनेजमेंट और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। इसके अतिरिक्त, स्वच्छ भारत अभियान ने स्वच्छता और वेस्ट मैनेजमेंट को प्राथमिकता देकर शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। लाखों घरेलू और कम्युनिटी टॉयलेट्स का निर्माण किया गया है, जिससे कई शहरों में खुले में शौच का उन्मूलन हुआ है। इसके अलावा, वेस्ट कलेक्शन, वर्गीकरण और निपटान में सुधार के प्रयासों ने शहरी स्वच्छता को बढ़ाने में योगदान दिया है।
मेट्रो नेटवर्क के विस्तार ने भी भारत में शहरी परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला दिया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, मेट्रो रेल सिस्टम वाले शहरों की संख्या 2014 में सिर्फ पांच से बढ़कर आज बीस हो गई है। इस तेजी से विकास ने न केवल प्रमुख शहरी केंद्रों में यातायात की भीड़ को कम किया है, बल्कि लोगों को परिवहन का एक तेज, अधिक विश्वसनीय तरीका भी प्रदान किया है, जिससे ओवरऑल मोबिलिटी और पहुंच में वृद्धि हुई है।
फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के अलावा, मोदी सरकार ने भारत के शहरी कायाकल्प में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्त्व पर भी बल दिया है। डिजिटल गवर्नेंस प्लेटफॉर्म से लेकर ई-गवर्नेंस पहलों तक, टेक्नोलॉजी ने शहरी सेवाओं को सुव्यवस्थित करने, दक्षता में सुधार करने और शहरी प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डिजिटल टेक्नोलॉजी की शक्ति का उपयोग करके, शहर अधिक जुड़े हुए, उत्तरदायी और नागरिक-केंद्रित बन रहे हैं, जो लोगों को सशक्त बनाते हैं और समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं।
इन इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल के केंद्र में एक ऐसे नए भारत के निर्माण की सोच निहित है जो समावेशी, टिकाऊ और लचीला हो। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करके, मोदी सरकार अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाट रही है, लाखों नागरिकों को सशक्त बना रही है और देश भर में सामाजिक-आर्थिक विकास को आगे बढ़ा रही है। यह केवल फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के बारे में नहीं है, बल्कि जीवन को बदलने और सभी के लिए अवसरों को अनलॉक करने के बारे में है
सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को प्राथमिकता देना जारी रखते हुए, एक अधिक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य की नींव रख रही है। प्रत्येक नई परियोजना और पहल के साथ, भारत अपनी पूरी क्षमता को साकार करने तथा जीवंत, समावेशी एवं लचीले इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में एक ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने की दिशा में विशाल कदम उठा रहा है।