स्वामी विवेकानंद के निर्वाण दिवस पर उन्हें भावभीनी श्रद्घांजलि - चलिए, स्वामीजी के आदर्शों को जीवन में चरितार्थ करें

 

प्रिय मित्रों, 

आज से 110 वर्ष पूर्व आज ही के दिन यानी 4 जुलाई, 1902 को भारत के महान सपूत स्वामी विवेकानंद ने हमसे विदाई ली थी। स्वामीजी के इस निर्वाण दिवस पर उनके शब्द हमारे ह्रदय में गूंज रहे हैं, मेरा भौतिक शरीर भले ही चला जाए, लेकिन मैं तो आने वाले 1500 वर्षों तक कार्य करता रहूंगा।  39 वर्ष और 5 महीने के अल्प जीवनकाल में ही अपने कार्य और संदेश से उन्होंने सचमुच ही पूरी दुनिया को जीत लिया था। 

स्वामीजी का संदेश इतना प्रभावी था कि हमारे देश के निर्माण में जिनका योगदान है, ऐसे तमाम आंदोलनों में उसका असर पड़ा था और आने वाले दौर में भी उनके संदेश का प्रभाव यकीनन पड़ता रहेगा। आजादी की जंग के दौरान सशस्त्र सेनानियों से लेकर अहिंसक आंदोलनकारियों तक, सभी पर स्वामीजी के विचारों का गहरा प्रभाव था। लोगों की विचारधारा चाहे भिन्न हो या मंजिल तक पहुंचने के उनके रास्ते क्यों न अलग-अलग हों, लेकिन उन सभी के लिए स्वामी विवेकानंद के विचार प्रेरणा के स्त्रोत बने रहे। 

महात्मा गांधी ने लिखा है कि, मैने स्वामी विवेकानंद के लेखों का गहरा अध्ययन किया है, और उनके विचारों को पढऩे के बाद देश के प्रति मेरा प्रेम हजार गुना बढ़ गया है। 

वहीं, दूसरी ओर सुभाषचंद्र बोस कहते हैं, विवेकानंद के बारे में लिखते हुए मुझे अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती है। स्वामीजी एक महान त्यागी और असीम प्रेम के झरने के समान थे, वे अथाह ज्ञान के मालिक और संवेदना से सराबोर व्यक्ति थे... मैं उनके विषय में घंटों तक लिखुं फिर भी मेरे शब्द इस महान व्यक्ति का वर्णन करने में सफल नहीं होंगे। 

श्री अरविंद के शब्दों में, हम अब भी उनके प्रचंड प्रभाव का अनुभव कर रहे हैं। हमें पक्के तौर पर ख्याल नहीं कि कब और किस तरह, लेकिन कोई सिंह के समान, भव्य, आंतरिक सूझबूझ से भरपूर और क्रांतिकारी जैसा कुछ भारत की आत्मा में प्रवेश कर चुका है और हमें कहना होगा, देखिए, विवेकानंद अब भी उनकी (भारत) माता और उसके पुत्रों में जीवंत हैं। 

हमारे देश की और विशेषकर गरीबों और वंचितों की उन्नति के लिए काम करने वाले सभी लोगों के लिए वे सच्चे अर्थ में प्रेरणामूर्ति थे। रामकृष्ण मिशन के स्थापक होने के बावजूद वे राष्ट्र निर्माण में संलग्न अन्य सभी संस्थाओं के लिए प्रेरक बने रहे। 

आज स्वामीजी अपने आदर्शों से और इन आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने को कटिबद्घ लोगों के निश्चयबद्घ प्रयासों से अमर बन चुके हैं। 

मद्रास के विक्टोरिया हॉल में एक प्रसिद्घ वार्तालाप “My Plan of Campaign” (मेरी आगामी योजनाएं) के दौरान स्वामीजी ने कहा था कि, मेरे बच्चों, मैं अपनी सारी योजनाएं आपसे साझा करने के लिए आया हूं। यदि आप सुनने को तैयार हैं, तो मैं आप के साथ काम करने को तैयार हूं। लेकिन यदि आप मुझे सुनेंगे नहीं, या फिर मुझे यहां से बाहर धकेल देंगे, तो मैं बार-बार तुम्हारे बीच आता रहूंगा।  स्वामीजी के आदर्शों को अपने दैनंदिन जीवन में उतारना ही उन्हें अर्पित श्रेष्ठ श्रद्घांजलि होगी। स्वामीजी मेरे लिए हमेशा ही प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं, और जीवन का हर दिन उनके आदर्शों के मुताबिक जीने का मेरा प्रयास रहा है। 

स्वामीजी का एक चर्चित विधान है, भारत को इस दुनिया को जीतना है और उससे कम कुछ भी मुझे मंजूर नहीं।  स्वामीजी का स्वप्न था हमारे देश को सामथ्र्यवान बनाना और अब यह हमारी जिम्मेवारी है कि हम उनके स्वप्न को हकीकत में तब्दील करें। 

भारत को लेकर स्वामीजी के स्वप्न को वास्तविकता के धरातल पर उतारने के लिए जरूरी पुरुषार्थ के जरिए ही हम उनके आदर्शों को सच्चे अर्थों में जीवन में उतार सकेंगे। 

उन्होंने एक समर्थ व समृद्घ, समरस भारत  और जगदगुरु भारत  की कल्पना की थी। 

आज एक बार फिर देश के भीतर मौजूद नकारात्मक मानसिकता वाले परिबलों और सरहद पार के शत्रुओं की ओर से हमारे देश की शांति और सौहार्द की कसौटी हो रही है। इस कसौटी काल में स्वामीजी का शिकागो में दिया गया विख्यात वक्तव्य याद करना चाहिए, जिसमें उन्होंने अन्याय और असहिष्णुता का प्रतिकार करने की जरूरत पर बल दिया था। 



...सांप्रदायिक वृत्तियों
,

अन्याय और उसी से पैदा होने वाली भयंकर धर्मांधता ने समय-समय पर इस दुनिया को हिंसा और मानवसंहार से भर दिया है
,

संस्कृतियों को नष्ट किया है और इस दुनिया के देशों को निराशा के गर्त में धकेल दिया है। यदि ये भयानक और शैतानी विषय हमारे बीच नहीं होते
,

तो यह दुनिया आज जितनी है उससे कहीं आगे होती... आज की यह धर्मसभा धर्मांधता के खात्मे का ऐलान है
,

तलवार या कलम के जरिए लड़े जाने वाले तमाम युद्घों का और एक ही अंतिम लक्ष्य को हासिल करने के लिए तत्पर विविध संप्रदायों के बीच वैमनस्य के अंत का ऐलान है।
 

स्वामीजी देश के युवाओं को अत्यधिक महत्व देते थे। युवा अपने जीवन का निर्माण करें, अपनी महत्वाकांक्षाएं पूर्ण करें और साथ ही देश की बुनियाद को मजबूत करें, इसके लिए उन्हें जरूरी हुनर-कौशल्य से मुस्तैद बनाने पर उन्होंने जोर दिया था। 

उन्होंने कहा था कि, आज की इस आधुनिक युवापीढ़ी से मुझे आशा है, मेरे कार्यकर्ता इसी पीढ़ी से आएंगे। वे सिंह की मानिंद दुनिया की समस्याओं का निराकरण करेंगे। 

आज के दिन हम स्वामी विवेकानंदको भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित करते हैं।

 

आपका

नरेन्द्र मोदी

 

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डिजिटल इंडिया का एक दशक
July 01, 2025

दस साल पहले, हमने बहुत दृढ़ विश्वास के साथ अज्ञात क्षेत्र में एक साहसिक यात्रा शुरू की।

जबकि दशकों तक भारतीयों की; टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर संदेह किया जाता रहा, हमने इस अप्रोच को बदल दिया और भारतीयों की, टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर भरोसा किया।

जबकि दशकों तक यह सोचा जाता रहा कि टेक्नोलॉजी के उपयोग से संपन्न और वंचित के बीच की खाई और गहरी हो जाएगी, हमने इस मानसिकता को बदल दिया और संपन्न एवं वंचित के बीच की खाई को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया।

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जब इरादा सही हो, तो इनोवेशन, कम सशक्त लोगों को सशक्त बनाता है। जब अप्रोच, समावेशी होता है, तो टेक्नोलॉजी; हाशिये पर रहने वालों के जीवन में बदलाव लाती है।

इस विश्वास ने डिजिटल इंडिया की नींव रखी: पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने, समावेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और सभी के लिए अवसर प्रदान करने का मिशन।

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2014 में, इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी और सरकारी सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच दुर्लभ थी। कई लोगों को संदेह था कि क्या भारत जैसा विशाल और विविधतापूर्ण देश वास्तव में डिजिटल हो सकता है।

आज, उस सवाल का जवाब न केवल डेटा और डैशबोर्ड में है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन में भी है। हम कैसे गवर्न करते हैं, कैसे सीखते हैं, लेन-देन करते हैं और कैसे निर्माण करते हैं, डिजिटल इंडिया हर जगह है।

डिजिटल खाई को पाटना

2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से ज़्यादा हो गई है। 42 लाख किलोमीटर से ज़्यादा ऑप्टिकल फाइबर केबल, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 11 गुना ज़्यादा है, अब सबसे दूरदराज के गांवों को भी जोड़ती है।

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भारत में 5G की शुरुआत दुनिया में सबसे तेज़ गति से हुई है, जहाँ सिर्फ़ दो साल में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों और गलवान, सियाचिन और लद्दाख सहित अग्रिम सैन्य चौकियों तक पहुँच गया है।

इंडिया स्टैक, जो हमारी डिजिटल रीढ़ है, ने UPI जैसे प्लेटफ़ॉर्म को सक्षम किया है, जो अब सालाना 100+ बिलियन लेनदेन को संभालता है। सभी वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन में से लगभग आधे भारत में होते हैं।

Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से, ₹44 लाख करोड़ से अधिक सीधे नागरिकों को ट्रांसफर किए गए हैं, जिससे बिचौलियों को हटाया गया है और ₹3.48 लाख करोड़ की लीकेज की बचत हुई है।

SVAMITVA जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों की मैपिंग की है, जिससे भूमि से संबंधित अनिश्चितता के वर्षों का अंत हुआ है।

सभी के लिए अवसर का लोकतंत्रीकरण

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था MSMEs और छोटे उद्यमियों को पहले से कहीं ज़्यादा सशक्त बना रही है।

ONDC (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) एक क्रांतिकारी प्लेटफ़ॉर्म है जो खरीदारों और विक्रेताओं के विशाल बाज़ार के साथ सहज कनेक्शन प्रदान करके अवसरों की एक नई खिड़की खोलता है।

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GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस) आम आदमी को सरकार के सभी अंगों को सामान और सेवाएँ बेचने में सक्षम बनाता है। यह न केवल आम आदमी को एक विशाल बाज़ार के साथ सशक्त बनाता है बल्कि सरकार के लिए पैसे भी बचाता है।

कल्पना कीजिए: आप मुद्रा लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के ज़रिए आपकी क्रेडिट योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है। आपको अपना लोन मिल जाता है और आप अपना उद्यम शुरू कर देते हैं। आप GeM पर रजिस्टर होते हैं, स्कूलों और अस्पतालों को सप्लाई करते हैं और फिर ONDC के ज़रिए आगे बढ़ते हैं।

ONDC ने हाल ही में 200 मिलियन ट्रांज़ेक्शन को पार कर लिया है, जिसमें से आखिरी 100 मिलियन ट्रांज़ेक्शन सिर्फ़ छह महीनों में हुए हैं। बनारसी बुनकरों से लेकर नागालैंड के बांस कारीगरों तक, विक्रेता अब बिना किसी बिचौलिए या डिजिटल एकाधिकार के, पूरे देश में ग्राहकों तक पहुँच रहे हैं।

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GeM ने 50 दिनों में ₹1 लाख करोड़ GMV को भी पार कर लिया है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले MSME सहित 22 लाख विक्रेताओं ने ₹46,000 करोड़ के ऑर्डर पूरे किए हैं।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत की ग्लोबल ऑफरिंग

आधार, कोविन, डिजीलॉकर और फास्टैग से लेकर पीएम-वाणी और वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन तक भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का अब वैश्विक स्तर पर अध्ययन और अपनाया जा रहा है।

कोविन ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सक्षम बनाया, 220 करोड़ QR-verifiable प्रमाणपत्र जारी किए। 54 करोड़ यूजर्स के साथ डिजीलॉकर 775 करोड़ से अधिक दस्तावेजों को सुरक्षित और निर्बाध रूप से होस्ट करता है।

हमारे G20 प्रेसीडेंसी के माध्यम से, भारत ने ग्लोबल DPI रिपॉजिटरी और $25 मिलियन का सोशल इम्पैक्ट फंड लॉन्च किया, जिससे अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को समावेशी डिजिटल इकोसिस्टम अपनाने में मदद मिली।

स्टार्टअप पावर और आत्मनिर्भर भारत का संगम

भारत अब दुनिया के शीर्ष 3 स्टार्टअप इकोसिस्टम में शुमार है, जहाँ 1.8 लाख से ज़्यादा स्टार्टअप हैं। लेकिन यह सिर्फ़ स्टार्टअप मूवमेंट से कहीं ज़्यादा है, यह एक तकनीकी पुनर्जागरण है।

जब बात युवाओं में एआई स्किल पैठ और एआई talent concentration की आती है तो भारत बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

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1.2 बिलियन डॉलर के India AI Mission के माध्यम से, भारत ने 34,000 जीपीयू तक वैश्विक स्तर पर बेजोड़ कीमतों पर 1 डॉलर/जीपीयू प्रति घंटे से भी कम कीमत पर पहुंच को सक्षम किया है, जिससे भारत न केवल सबसे किफायती इंटरनेट अर्थव्यवस्था बन गया है, बल्कि सबसे किफायती कंप्यूट डेस्टिनेशन भी बन गया है।

भारत ने humanity-first AI का समर्थन किया है। एआई पर New Delhi Declaration जिम्मेदारी के साथ इनोवेशन को बढ़ावा देती है। हम पूरे देश में AI Centres of Excellence स्थापित कर रहे हैं।

आगे की राह

अगला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा। हम डिजिटल गवर्नेंस से ग्लोबल डिजिटल नेतृत्व की ओर, India-first से India-for-the-world की ओर बढ़ रहे हैं।

डिजिटल इंडिया, केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है, यह लोगों का आंदोलन बन गया है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण और भारत को दुनिया के लिए एक विश्वसनीय इनोवेशन भागीदार बनाने के लिए अहम है।

सभी इनोवेटर्स, उद्यमियों और सपने देखने वालों के लिए: दुनिया, अगली डिजिटल सफलता के लिए भारत की ओर देख रही है।

आइए, हम वह बनाएं, जो सशक्त करे।

आइए, हम वह हल करें, जो वास्तव में मायने रखता है।

आइए, हम ऐसी तकनीक से नेतृत्व करें जो जोड़ती है, सबको साथ लाती है और सबका उत्थान करती है।