अप्रैल से जून 2024 तक सात चरणों में होने वाले आगामी 2024 के आम चुनावों में 140 करोड़ की आबादी के बीच लगभग 97 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं की व्यापक भागीदारी देखने की उम्मीद है। ये चुनाव भारत की आबादी के विशाल आकार को देखते हुए दुनिया की सबसे बड़ी चुनावी कवायद होगी, जिसमें मतदाता यूरोपीय संघ की कुल आबादी से अधिक हैं। करीब 1.5 लाख मतदान केंद्रों पर करीब 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल किया जाएगा जिन पर करीब 1.5 करोड़ मतदान अधिकारी और सुरक्षा कर्मी तैनात होंगे।

भारत द्वारा मतदान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना एक स्वाभाविक विकल्प है क्योंकि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल ने मतदान प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, मैनुअल तरीकों की तुलना में एफिशिएंसी और सटीकता में सुधार हुआ है। भारत ने पिछले 25 वर्षों में संसदीय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का उपयोग किया है। पीएम मोदी ने बार-बार दोहराया है कि सटीकता के साथ-साथ दक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग आवश्यक है। पिछले दशक में प्रत्येक संसदीय चुनाव के साथ बढ़ता मतदान संसदीय प्रथाओं में जनता के बढ़ते विश्वास और लोकतंत्र के त्योहार में भाग लेने की उत्सुकता का प्रमाण है। मतदान प्रतिशत 2014 के 66.4% से बढ़कर 2019 में 67.4% हो गया है।

निस्संदेह, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को अपनाने से चुनावों में जनता का विश्वास बढ़ा है। पारंपरिक कागजी मतपत्रों के सुरक्षा रिकॉर्ड पर EVM की तुलना में तर्कसंगत रूप से भरोसा नहीं किया जा सकता है, जहां हेरफेर के लिए कहीं अधिक गुंजाइश बनी रहती है। जब विश्वसनीयता की बात आती है, तो पेपर बैलेट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की तुलना में भी कम भरोसेमंद होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में लोकसभा चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVO) के स्थान पर पेपर बैलेट लाने की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट के मुताबिक कोई भी सिस्टम बेदाग नहीं है। सितंबर 2022 में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की बेंच से EVM पर प्रतिबंध लगाने और पारंपरिक बैलेट पेपर वोटिंग पर वापस जाने के लिए कहा गया था। याचिका खारिज कर दी गई।

फिर भी, EVM के संचालन पर संदेह करने वाली कुछ आवाजें आई हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आज तक कोई भी व्यक्ति समय-समय पर किसी भी भ्रम को साबित करने में सक्षम नहीं रहा है, जब भारत के चुनाव आयोग द्वारा चुनौती दी गई थी, एक स्वायत्त निकाय जो भारत में अपनी विश्वसनीयता और स्वतंत्रता के लिए जाना जाता है। यह समय में कमी, संसाधन की बचत और मानवीय त्रुटि को कम करने के संबंध में EVM उपयोगिता का दृढ़ रुख बनाए रखता है। निश्चित रूप से, EVM में किसी भी प्रकार की खराबी या टूट-फूट का मतलब यह नहीं है कि उन्हें धांधली या छेड़छाड़ के लिए खुला छोड़ दिया गया है। बल्कि, इसे एक साधारण मशीन के सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि बदले की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए बलि का बकरा बनाया जाना चाहिए।

EVM ऑडिट योग्य हैं, और पारदर्शी, सटीक और सुरक्षित मतदान सुनिश्चित करते हैं, मानवीय त्रुटि को कम करते हैं। EVM ने व्यापक कागज की छपाई, संसाधनों के संरक्षण और लाखों पेड़ों को बचाने की आवश्यकता को काफी कम कर दिया है। EVM में दो यूनिट होती हैं: बैलेट यूनिट (BU) और कंट्रोल यूनिट (CU)। BU का उपयोग मतदाताओं द्वारा अपना वोट डालने के लिए किया जाता है, और CUका उपयोग मतदान अधिकारियों द्वारा मतदान प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। दो यूनिट एक केबल द्वारा जुड़ी हुई हैं, और बैटरी द्वारा संचालित हैं। EVM अलग-थलग, स्टैंडअलोन मशीनें हैं और इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क या कनेक्टिविटी (वायरलेस या वायर्ड) से नहीं जुड़ी होती हैं जिससे बाहरी हस्तक्षेप या हैकिंग को रोका जा सके। EVM में किसी अन्य उपकरण से जोड़ने के लिए कोई बाहरी हार्डवेयर पोर्ट भी नहीं होता है। इसलिए, कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है और रिमोट डिवाइसेज द्वारा हैकिंग की कोई संभावना नहीं है। EVM में एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है, जो एन्क्रिप्टेड होता है और केवल BU से डेटा स्वीकार कर सकता है। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम भी एक सिक्योरिटी सील द्वारा प्रोटेक्टेड है, और सील को तोड़े बिना इसमें किसी किस्म का बदलाव या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को प्रत्येक चुनाव से पहले और बाद में एक इंडिपेंडेंट टेक्निकल कमेटी द्वारा वेरिफाइड और सर्टिफाइड भी किया जाता है। इसके अलावा, पिछले दशक में, यह अक्सर देखा जाता है कि अपनी हार के लिए बहाने की तलाश में एक हारा हुआ विपक्ष अपने निराशाजनक चुनाव नतीजों के लिए जवाबदेही से बचने के लिए EVM पर जमकर ठीकरा फोड़ता है।

देश की चुनावी प्रक्रिया का आधुनिकीकरण हुआ है। उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि EVM की प्रथम स्तर की जांच, randomization, कमीशनिंग, मॉक पोल, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज और काउंटिंग से लेकर हर कदम पर शामिल होते हैं। मतदान के बाद पोलिंग एजेंट की मौजूदगी में EVM को सील कर दिया जाता है, सील पर उनके हस्ताक्षर किए जाते हैं। उम्मीदवार और उनके एजेंट मशीनों के साथ कलेक्शन सेंटर्स तक जा सकते हैं और मतगणना के दिन तक मतदान वाले EVM रखने वाले स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी कर सकते हैं। स्ट्रॉन्ग रूम उम्मीदवारों, रिटर्निंग अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में खोले जाते हैं। निरंतर सीसीटीवी कवरेज प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

EVM को सुरक्षित रूप से स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है जिसमें डबल लॉक, सशस्त्र सुरक्षा, सीसीटीवी निगरानी और चुनाव के दौरान बहुत सारे सुरक्षा कर्मचारी होते हैं। हेरफेर अथवा अनधिकृत पहुंच से बचने के लिए, चुनावों से पहले, चुनाव के दौरान और बाद में EVM की हैंडलिंग और स्टोरेज के लिए कड़ी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। ट्रांसपोर्ट वाहनों में निरंतर पुलिस सुपरविजन, जीपीएस ट्रैकिंग और वीडियो के माध्यम से निगरानी के साथ किया जाता है। मतदाता EVM से प्राप्त एक छोटी कागजी रसीद का उपयोग अपने वोट को सुरक्षित रूप से दर्ज करने से पहले पुष्टि करने के लिए कर सकते हैं जो वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPAT) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM ) से प्राप्त करते हैं। EVM की निर्भरता की गारंटी इलेक्ट्रॉनिक और VVPAT काउंटिंग के बीच statistical correlation द्वारा दी जाती है। एक बार वोट डाले जाने के बाद उसे बदला या हेरफेर नहीं किया जा सकता है; एक से अधिक बार मतदान करने के प्रयासों को सिस्टम द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, जो प्रत्येक वोट को साउंड सिग्नल के साथ वेरिफाई करता है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में, 2024 एक महत्वपूर्ण वर्ष होने वाला है, जो अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में आश्चर्यजनक प्रदर्शन से समर्थित है जिसने समावेशी विकास और प्रगति को बढ़ावा दिया है। जनता हायर जीडीपी ग्रोथ, उल्लेखनीय इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रगति, मल्टीनेशनल लूनर अभियानों, सांस्कृतिक सुधारों के लिए बढ़ती आकांक्षा, ग्रामीण विकास और इनोवेटिव गवर्नेंस पद्धतियों की साक्षी बनी है, जहां विकास को अंतिम छोर तक पहुंचाने में सफलता मिली है। वंदे भारत गाड़ियों की कुल संख्या 50 को पार कर चुकी है, जो 250 से अधिक जिलों तक पहुंच चुकी है। 27 वंदे भारत ट्रेनें विपक्ष शासित राज्यों से चल रही हैं। ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स की संख्या 2014 में 74 से बढ़कर फरवरी 2024 तक 149 हो गई। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 8 एयरपोर्ट्स शुरू किए गए हैं, जबकि पिछले दशक में विपक्ष शासित राज्यों में 27 एयरपोर्ट्स चालू किए गए हैं। 2014 तक भारत में वित्तीय समावेशन की स्थिति बहुत खराब थी, क्योंकि भारत में सिर्फ 50% वित्तीय समावेशन था। लेकिन पिछले 10 वर्षों में, यह बढ़कर 80% हो गया है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत ने केवल 6 वर्षों में वित्तीय समावेशन लक्ष्य हासिल किए हैं, अन्यथा कम से कम 47 साल लग जाते।

पीएम मुद्रा, पीएम स्वनिधि और स्टैंड-अप इंडिया लोन के माध्यम से गारंटी मुक्त लोन उपलब्ध कराए जाते हैं। पीएम मुद्रा ने उद्यमियों के लिए 10 लाख रुपये की गारंटी फ्री फंडिंग सक्षम की है। पीएम मुद्रा योजना के तहत दिए गए लोन की संख्या तमिलनाडु में सबसे अधिक है, इसके बाद पश्चिम बंगाल और कर्नाटक का स्थान है। स्वच्छ भारत अभियान, जिसने पूरे भारत में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के माध्यम से गरिमा, सुरक्षा प्रदान की और सुधार किया। यह भारत के इतिहास में निर्णायक क्षण है, जहां भारत के ग्रामीण और शहरी हिस्सों में महिलाओं ने सुरक्षा प्रदान करने में मदद की है। स्कूलों में बालिकाओं की उपस्थिति और नामांकन में वृद्धि से STEM में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है।

पीएम-गरीब कल्याण अन्न योजना ने पूरे भारत में 80 करोड़ से ज्यादा परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न तक पहुंच सुनिश्चित की है। यह दुनिया की सबसे बड़ी कल्याणकारी योजनाओं में से एक है जिसने बहुआयामी गरीबी से 24.82 करोड़ लोगों का उत्थान सुनिश्चित करने में मदद की है। भारत ने पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में बहुआयामी गरीबी में 2013-14 में 29.17% से 2022-23 में 11.28% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है। विपक्ष शासित राज्यों में भी 28 करोड़ से अधिक लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा पाए हैं।

मोदी सरकार 13 वें और 14 वें वित्त आयोगों के बीच 10 प्रतिशत अंकों की वृद्धि को देखते हुए, साझा करने योग्य केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने से भी नहीं कतरा रही है। विभिन्न वित्त आयोगों के तहत राज्यों को विभाज्य केंद्रीय करों की शुद्ध प्राप्तियां:
○ 12वां वित्त आयोग: 30.5% (2005-2010)
○ 13वां वित्त आयोग: 32% (2010-11 से 2014-15)
○ 14वां वित्त आयोग: 42% (2015-16 से 2019-20)
○ 15वां वित्त आयोग: 41% (जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण के कारण 1% की कमी) (2020-21 से 2025-26)

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने देश को बड़े घोटालों, आतंकी हमलों से छुटकारा दिलाने और गरीब तथा मध्यम वर्ग के जीवन स्तर में सुधार करने के साथ-साथ दस साल के बेदाग शासन का प्रदर्शन किया है, जो एक असाधारण उपलब्धि है तथा EVM के दुरुपयोग की भ्रांति को खारिज करती है। इस बीच, चुनाव आयोग भी EVM की विश्वसनीयता प्रदर्शित करने के लिए स्वतंत्र रूप से चुनावी कवायद की पवित्रता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!