एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत की यात्रा दुनिया का ध्यान खींच रही है। डायनेमिक वर्कफोर्स, आंत्रप्रेन्योरशिप की भावना, परिपक्व पूंजी बाजार और तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम द्वारा संचालित, भारत ने न केवल एक लचीला आर्थिक मॉडल बनाया है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी उभरा है। वर्ष 2024 इकोनॉमिक रेजिलिएंस, स्ट्राटैजिक रिफॉर्म्स, सामाजिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धियों के प्रतीक के रूप में खड़ा है।
एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति
भारत की अर्थव्यवस्था को लगातार एक महाशक्ति के रूप में पहचान मिली है। जेफरीज के अनुसार, भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, जो संस्थागत ढांचे को मजबूत करने और बेहतर प्रशासन द्वारा संचालित एक माइलस्टोन है। आज भारत पहले से ही पांचवां सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है, अनुमानों से पता चलता है कि देश 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन तक पहुंच जाएगा।
पुनर्परिभाषित शासन मॉडल: 'प्रगति' पहल
भारत के शासन मॉडल में भी आमूल-चूल बदलाव आया है, जिसने सक्रिय और जवाबदेह प्रशासन के लिए मानक स्थापित किए हैं। प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (PRAGATI) पहल, टेक्नोलॉजी द्वारा समर्थित और पीएम मोदी की सक्रिय भागीदारी ने संघीय और क्षेत्रीय शासन में लंबे समय से चली आ रही कमियों को खत्म कर दिया है।
'पीएम गति शक्ति अनुभूति केंद्र' में पीएम मोदी
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और गेट्स फाउंडेशन के एक अध्ययन में 205 बिलियन डॉलर की 340 रुकी हुई परियोजनाओं को गति देने में प्रगति की सफलता पर प्रकाश डाला गया है। दशकों की देरी के बाद महत्वपूर्ण परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की पहल की क्षमता कुशल प्रशासन और जवाबदेही के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
वैश्विक चुनौतियों के बीच फलता-फूलता
अनिश्चित वैश्विक आर्थिक माहौल के बावजूद, भारत विकास के मामले में अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल रहा है। विश्व बैंक भारत की लचीलापन निर्धारित करता है क्योंकि यह सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है। रणनीतिक मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) ने इस रेजिलिएंस को और बढ़ाया है, जिससे बदलते वैश्विक संदर्भ में नए अवसर पैदा हुए हैं।
एक ऐतिहासिक कदम में भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ एक एफटीए पर हस्ताक्षर किए, जिससे 100 बिलियन डॉलर के निवेश और 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की बाध्यकारी प्रतिबद्धता हासिल हुई। इस ऐतिहासिक समझौते ने भारत को वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में स्थापित किया है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी बढ़ती प्रमुखता को दर्शाता है।
विश्व के लिए एक सर्विस फैक्ट्री
वैश्विक सेवा केंद्र के रूप में भारत का आगे बढ़ना एक और उल्लेखनीय उपलब्धि है। पिछले 18 वर्षों में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) ने वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की वृद्धि को प्रेरित किया है। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट है कि ग्लोबल सर्विस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 2005 में 2% से बढ़कर 2023 में 4.6% हो गई। यह ट्रांसफॉर्मेशन भारत की इनोवेशन रैंकिंग में वृद्धि से पूरित है। 2022 में देश ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) पर 14 स्थानों की छलांग लगाई, जो वैश्विक सेवाओं और टेक्नोलॉजी सेक्टर में इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
गुजरात के साइंस सिटी में रोबोटिक्स गैलरी में पीएम मोदी
डेटा-ड्रिवेन फ्यूचर
भारत, डेटा सेंटर (DC) इंडस्ट्री में भी मानक स्थापित कर रहा है, जो डिजिटल इकोनॉमी का एक महत्वपूर्ण चालक है। सीबीआरई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 950 मेगावाट की डेटा सेंटर क्षमता के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र (चीन को छोड़कर) में सबसे आगे है, जिसके 2026 तक 1,800 मेगावाट से अधिक होने का अनुमान है। इस क्षेत्र ने 2018 और 2023 के बीच 40 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया है, जिसमें मुंबई और चेन्नई का भारत के डीसी स्टॉक का 68% हिस्सा है।
इसके अतिरिक्त, कोच्चि और जयपुर जैसे टियर-2 शहर नए डेटा सेंटर हब के रूप में उभर रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए भारत के संतुलित दृष्टिकोण का उदाहरण है।
मानव विकास और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन
सामाजिक प्रगति के बिना इकोनॉमिक रेजिलिएंस अधूरा है और भारत ने मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट दी है कि भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI) में 6.3% की वृद्धि हुई है, जो 2022 में $6,951 तक पहुंच गई है। जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2021 में 62.7 वर्ष की तुलना में 2022 में 67.7 वर्ष हो गई है।
भारत की डिजिटल क्रांति ने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रेसिडेंट ने रेखांकित किया, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और स्मार्टफोन तक पहुंच के माध्यम से पिछले छह वर्षों में लगभग 800 मिलियन भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया। वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण को प्राथमिकता देकर, भारत ने सतत विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों के साथ पीएम
स्वच्छ भारत मिशन: एक सार्वजनिक स्वास्थ्य क्रांति
स्वच्छ भारत मिशन (SBM) भारत के सामाजिक विकास की आधारशिला रहा है, जिसने सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बदल दिया है। 2014 के बाद से ₹1.4 लाख करोड़ के सार्वजनिक निवेश के साथ 117 मिलियन से अधिक शौचालय बनाए गए हैं।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता गतिविधियों में हिस्सा लेते पीएम
नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिला-स्तरीय टॉयलेट एक्सेस में 10% की वृद्धि, शिशु मृत्यु दर (IMR) में 0.9 अंक की गिरावट के अनुरूप है। स्वच्छता सुविधाओं के बड़े पैमाने पर निर्माण ने सालाना 60,000-70,000 शिशुओं की मृत्यु को रोकने में मदद की है, जो यह दर्शाता है कि कैसे लक्षित सामाजिक कार्यक्रम महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं।
भारत की यात्रा: विकास और वैश्विक भविष्य को आकार देना
एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत का उदय इनोवेशन, रेजिलिएंस और इंक्लूसिव डेवलपमेंट की परिवर्तनकारी यात्रा का प्रतीक है। रणनीतिक सुधारों, तकनीकी प्रगति और सामाजिक प्रगति पर ध्यान केंद्रित करके, राष्ट्र ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान को फिर से परिभाषित किया है।
ग्लोबल सर्विसेज का हब बनने से लेकर डिजिटल क्रांति का नेतृत्व करने तक, भारत दृढ़ संकल्प और दूरदर्शी शासन के प्रतीक के रूप में उभरा है। स्वच्छ भारत और 'प्रगति' जैसी पहल न केवल जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं बल्कि अन्य देशों को भी इसकी सफलता का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करती हैं।
जैसे-जैसे भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने विजन की ओर आगे बढ़ रहा है, आज रखी गई नींव, समृद्धि, समावेशिता और सतत विकास द्वारा चिह्नित भविष्य का वादा है। दुनिया न केवल भारत की प्रगति देख रही है, बल्कि इसे आगे आने वाली वैश्विक चुनौतियों के लिए ने केवल पार्टनर बल्कि उम्मीद के रूप में भी देख रही है।