स्वास्थ्य, हर व्यक्ति के लिए बुनियादी महत्व रखता है। यह किसी भी राष्ट्रीय विकास रणनीति का भी मूल केंद्र है, जो उच्च विकास और सतत विकास का लक्ष्य रखती है। इसका कारण यह है कि सच्चा विकास केवल एक स्वस्थ आबादी से ही मिलता है, जो अधिकतम उत्पादकता के साथ कार्य करती है। इसलिए, प्रधानमंत्री मोदी का "सभी के लिए स्वास्थ्य" का मंत्र उनके भारत के समग्र कल्याण को समझने और उसके प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एक ऐसा भारत बनाने की अपनी खोज में, जो एक मजबूत वर्तमान और एक समृद्ध भविष्य से लैस हो, पीएम मोदी ने 2018 में अपनी दूरदर्शी योजना ‘आयुष्मान भारत’ की शुरुआत की। निश्चित रूप से, एक गेम-चेंजर, यह महत्वाकांक्षी पहल सिर्फ एक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम से कहीं अधिक है। यह पिछले कुछ वर्षों में भारत के स्वास्थ्य सेवा को देखने और उससे निपटने के तरीके में बदलाव का कारण बनता है। क्षेत्रीय और खंडित दृष्टिकोण से दूर ‘आयुष्मान भारत’ व्यापक, आवश्यकता-आधारित मार्ग के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की परिकल्पना करता है। यह प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तरों पर एक समग्र स्वास्थ्य सेवा वातावरण बनाने के लिए अग्रणी हस्तक्षेपों को प्रस्तुत करता है।

निश्चित रूप से, यह करोड़ों भारतीयों के लिए सुलभ और सस्ती चिकित्सा देखभाल लाने का एक सार्थक प्रयास है, जो वास्तव में पीएम मोदी के गरीब कल्याण के वादे को दर्शाता है।

आयुष्मान भारत उन पहलों का एक समूह है जो न केवल अधिक लोगों को सार्वजनिक स्वास्थ्य कवर के तहत लाता है बल्कि मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाते हुए चिकित्सा प्रक्रियाओं की सामर्थ्य में भी सुधार करता है। यह चार गतिशील स्तंभों; प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, हेल्थ और वेलनेस केंद्र, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, और प्रधानमंत्री - आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन पर खड़ा है।

पीएम-जन आरोग्य योजना के साथ शुरुआत करते हुए, यह अब तक किसी भी सरकार द्वारा वित्त पोषित दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। 12 करोड़ कमजोर परिवारों के लगभग 55 करोड़ व्यक्तियों को कवर करते हुए, यह योजना प्रति परिवार/प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का निश्चित स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है, जो द्वितीयक और तृतीयक देखभाल वाले अस्पताल में भर्ती होने के लिए है। आम आदमी को अच्छे अस्पतालों और मानक उपचारों तक पहुंच प्रदान करने के अलावा, पीएम-जन आरोग्य योजना एक सेफ्टी-नेट के रूप में कार्य करती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि चिकित्सा आपात स्थिति में गरीब परिवार कर्ज के चक्र में न फंसे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी को लाभ मिले, इस योजना के तहत 26,000 से अधिक अस्पतालों (जिनमें से 11,000+ निजी अस्पताल हैं) को जोड़ा गया है। योजना के माध्यम से अब तक कुल 6.2 करोड़ से अधिक निःशुल्क अस्पताल में भर्ती हो चुकी हैं, जिनका खर्च लगभग ₹79,000 करोड़ से अधिक है। इससे गरीबों के लिए जेब से होने वाले खर्च में भारी बचत हुई है, जो कि ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक है। अगर यह योजना नहीं होती, तो इलाज का खर्च लगभग दोगुना हो जाता।

इसके अलावा, 2018 के बाद से एक माइलस्टोन के तौर पर 30 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। इनमें से 16 करोड़ से अधिक कार्ड केवल पिछले दो वित्तीय वर्षों में बनाए गए थे। इस दर से हर मिनट लगभग 181 आयुष्मान कार्ड बनाए जाते हैं।

पीएम-जन आरोग्य, आज समानता, अधिकार और सशक्तिकरण के लिए खड़ा है। गरीबों के लिए स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी के रूप में कार्य करते हुए, इस योजना ने यह सुनिश्चित किया है कि ये सेवाएं सभी तक पहुंचें, इसके वितरण में क्षेत्रीय और आय समानता के साथ-साथ लैंगिक समानता भी शामिल है। इसका उदाहरण महिलाओं के लिए बनाए गए लगभग 14.6 करोड़ आयुष्मान कार्डों से मिलता है - जो जारी किए गए सभी आयुष्मान कार्डों का 49% हैं। इसके अलावा सभी उपचारों में से 48% का लाभ महिला लाभार्थियों द्वारा उठाया गया है।

आयुष्मान भारत योजना का दूसरा गतिशील स्तंभ; जमीनी स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण और निवारक स्वास्थ्य देखभाल-हेल्थ और वेलनेस केंद्रों की ओर बदलाव में सहायता करने पर सरकार का व्यापक ध्यान है, जिन्हें अब आरोग्य मंदिर के रूप में जाना जाता है।

मोदी सरकार ने पूरे देश में 1.6 लाख से अधिक हेल्थ और वेलनेस केंद्र स्थापित किए हैं। इन " आरोग्य मंदिरों" का उद्देश्य व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं को वंचित वर्गों के दरवाजे तक पहुंचाना है। मौजूदा उप-स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उन्नत करके; निवारक, प्रोत्साहन, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। ये सेवाएं सभी के लिए निःशुल्क, सुलभ और समुदाय के नज़दीक उपलब्ध हैं। बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ गैर-संक्रामक रोगों पर भी ध्यान दिया जाता है। साथ ही, आवश्यक दवाइयां और नैदानिक सेवाएं भी निःशुल्क उपलब्ध हैं।

पूरे भारत में इन केंद्रों की स्थापना के प्रति पीएम मोदी का दृष्टिकोण न केवल स्वास्थ्य बल्कि कल्याण पर उनके जोर में निहित है, जो लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल वितरण तक उनकी पहुंच में सुधार करते हुए स्वस्थ व्यवहार चुनने के लिए प्रेरित करता है।

तीसरा स्तंभ है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन। यह मिशन पीएम मोदी के डिजिटल रूप से सशक्त, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के व्यापक जोर का ही एक निरंतर प्रयास है। इसके प्रमुख घटकों में नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA), स्वास्थ्य प्रोफेशनल रजिस्ट्री (HPR), स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (HFR), और ABHA एप्लीकेशन शामिल हैं।

अब तक, हमने 2.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल के साथ 49 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए हैं। मिशन के तहत 2.25 लाख से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं ने भी पंजीकरण कराया है।

व्यक्तियों को जानकारी और जागरूकता से सशक्त बनाकर, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन पूरे देश में स्वास्थ्य डेटा का निर्बाध प्रवाह शुरू करता है। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर निगरानी और मूल्यांकन में मदद मिलेगी बल्कि साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में भी मदद मिलेगी।

आयुष्मान भारत के अंतर्गत चौथा स्तंभ; प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) है। COVID-19 महामारी के बाद लॉन्च किए गए, PM-ABHIM का उद्देश्य भविष्य में किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से बेहतर ढंग से निपटने के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और संस्थानों की क्षमताओं को बढ़ाना है। 2025-26 तक ₹64,180 करोड़ आवंटित करते हुए, यह मिशन ग्रामीण और शहरी ढांचे में निगरानी तंत्र और सेक्टोरल रिसर्च के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा के इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण अंतराल को पाट रहा है। गौरतलब है, यह 2000 के दशक की शुरुआत के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ी अखिल भारतीय पहल है।

जैसा कि नाम से पता चलता है, आयुष्मान भारत, भारत के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की कल्पना करता है। गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर अपने समर्पित फोकस के साथ, यह योजना, यह सुनिश्चित करती है कि पहुंच अब कोई मुद्दा नहीं है, खासकर ग्रामीण इलाकों में, और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अब केवल अमीरों का विशेषाधिकार नहीं है।

आयुष्मान भारत की सफलता बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है। लाखों लाभार्थियों ने खर्च की चिंता से मुक्त होकर जटिल और महंगी प्रक्रियाओं सहित चिकित्सा उपचार का लाभ उठाया है। इसके अलावा, इस योजना ने मध्यम वर्ग और युवाओं के लिए नए रास्ते खोले हैं क्योंकि टियर-2 और टियर-3 शहरों में नई चिकित्सा सुविधाओं से रोजगार के अवसर खुलते हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि आयुष्मान भारत इस बात का एक सशक्त उदाहरण है कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने दूरदर्शी नीतियों और उनके दृढ़ कार्यान्वयन के माध्यम से एक ठहरे हुए क्षेत्र को बदल दिया है। किसी को पीछे न छोड़ते हुए, यह पहल भारत की स्वास्थ्य सेवा की एक नई कहानी लिखती है, जो सकारात्मकता और भरोसे से भरपूर है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।