भारत-आसियान भागीदारी 25 साल पुरानी हो सकती है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंध दो सदियों से भी ज्यादा पुराने हैं: प्रधानमंत्री मोदी
आसियान क्षेत्र में भारत का मुक्त व्यापार समझौता सबसे पुराना और सबसे महत्वाकांक्षी: पीएम मोदी
आसियान देशों में 60 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनके मूल में विविधता और गतिशीलता है, यह एक असाधारण मानवीय बंधन को दर्शाता है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति’ के शीर्षक से प्रकाशित अपने लेख में आसियान-भारत साझेदारी के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा किया है। यह लेख आसियान के सदस्य देशों के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के संपादकीय पन्‍ने पर प्रकाशित हुआ है। इस लेख का पूर्ण पाठ निम्‍नलिखित है।

 ‘आसियान-भारत: साझा मूल्य, समान नियति’

द्वारा: श्री नरेन्द्र मोदी

 

आज 1.25 अरब भारतीयों को देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में 10 प्रतिष्ठित अतिथियों यथा आसियान राष्ट्रों के राजनेताओं की मेजबानी करने का गौरव प्राप्‍त होगा।

गुरुवार को मुझे आसियान-भारत साझेदारी के 25 वर्षों का जश्‍न मनाने के अवसर पर आयोजित स्मारक शिखर सम्मेलन के लिए आसियान के राजनेताओं की मेजबानी करने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ था। हमारे साथ उनकी उपस्थिति आसियान राष्‍ट्रों की ओर से अभूतपूर्व सद्भाव को परिलक्षित करती है। इस सद्भाव पर सौम्‍य प्रतिक्रियास्‍वरूप सर्दियों के इस मौसम में भारत ने आज प्रात: गर्मजोशी भरी मित्रता का परिचय देते हुए उनका सम्‍मानपूर्वक स्‍वागत किया है।

यह कोई सामान्य आयोजन नहीं है। यह उस उल्लेखनीय यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर है जिसने भारत और आसियान को अपने 1.9 अरब देशवासियों यानी दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी के लिए अत्‍यंत अहम वादों से भरी आपसी साझेदारी के एक सूत्र में बांध दिया है।

भारत-आसियान साझेदारी भले ही सिर्फ 25 साल पुरानी हो, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के रिश्‍ते दो सहस्राब्दियों से भी अधिक पुराने हैं। शांति एवं मित्रता, धर्म व संस्कृति, कला एवं वाणिज्य, भाषा और साहित्य के क्षेत्रों में अत्‍यंत प्रगाढ़ हो चुके ये चिरस्थायी रिश्‍ते अब भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया की शानदार विविधता के हर पहलू में मौजूद हैं जिससे हमारे लोगों के बीच सहूलियत और अपनेपन का एक अनूठा आवरण बन गया है।

दो दशक से भी अधिक समय पहले भारत ने व्‍यापक बदलावों के साथ दुनिया के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे और विगत सदियों के दौरान विकसित सहज रुझान से प्रेरित होकर वह स्‍वाभाविक रूप से पूरब की ओर उन्‍मुख हो गया। इस प्रकार पूरब के साथ भारत के एकीकरण की एक नई यात्रा शुरू हुई। भारत की दृष्टि से हमारे ज्‍यादातर प्रमुख साझेदार और बाजार यथा आसियान एवं पूर्वी एशिया से लेकर उत्तरी अमेरिका तक दरअसल पूरब की ओर ही अवस्थित हैं। यही नहीं, भूमि एवं समुद्री मार्गों से जुड़े हमारे पड़ोसी यथा दक्षिण-पूर्व एशिया और आसियान हमारी ‘लुक ईस्ट’ नीति एवं पिछले तीन वर्षों से हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत ऊंची कारोबारी छलांग लगाने में अत्‍यंत मददगार साबित होते रहे हैं।

आसियान और भारत इसके साथ ही संवाद करने वाले साझेदारों के बजाय अब रणनीतिक साझेदार बन गए हैं। हम 30 व्‍यवस्‍थाओं के जरिए व्यापक आधार वाली आपसी साझेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं। आसियान के प्रत्येक सदस्‍य देश के साथ हमारी राजनयिक, आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी बढ़ रही है। हम अपने समुद्रों को सुरक्षित और निरापद रखने के लिए मिलकर काम करते हैं। हमारा व्यापार और निवेश प्रवाह कई गुना बढ़ गया है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और भारत आसियान का सातवां सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत द्वारा विदेश में किए जाने वाले निवेश का 20 प्रतिशत से भी अधिक हिस्‍सा आसियान के ही खाते में जाता है। सिंगापुर की अगुवाई में आसियान भारत का प्रमुख निवेश स्रोत है। इस क्षेत्र में भारत द्वारा किए गए मुक्त व्यापार समझौते अपनी तरह के सबसे पुराने समझौते हैं और किसी भी अन्‍य क्षेत्र की तुलना में सबसे महत्वाकांक्षी हैं।

हवाई संपर्कों का अत्‍यंत तेजी से विस्तार हुआ है और हम नई अत्यावश्यकता एवं प्राथमिकता के साथ महाद्वीपीय दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी दूर तक राजमार्गों का विस्तार कर रहे हैं। बढ़ती कनेक्टिविटी के परिणामस्‍वरूप आपसी सान्निध्य और ज्‍यादा बढ़ गया है। यही नहीं, इसके परिणामस्‍वरूप दक्षिण-पूर्व एशिया में पर्यटन के सबसे तेजी से बढ़ते स्रोतों में अब भारत भी शामिल हो गया है। इस क्षेत्र में रहने वाले 6 मिलियन से भी अधिक प्रवासी भारतीय, जो विविधता में निहित और गतिशीलता से ओत-प्रोत हैं, हमारे लोगों के बीच आपसी मानवीय जुड़ाव बढ़ाने की दृष्टि से अद्भुत हैं।   

प्रधानमंत्री ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान के प्रत्‍येक देश के बारे में अपने विचार इस प्रकार साझा किये हैं।

थाईलैंड

थाईलैंड आसियान देशों में से एक महत्‍वपूर्ण व्‍यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाले महत्‍वपूर्ण देशों में से एक है। भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले दशक में बढ़कर दुगने से अधिक हो गया है। दोनों देशों के संबंध कई क्षेत्रों में विस्‍तृत रूप से फैले हुए हैं। हम दक्षिण और दक्षिण-पूर्व को जोड़ने वाले महत्‍वपूर्ण क्षेत्रीय साझेदार हैं। हम आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलन और बिमस्‍टेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी के देशों के संगठन) में घनिष्‍ठ सहयोगी तो हैं ही, मीकांग-गंगा सहयोग, एशिया सहयोग वार्ता और हिन्‍द महासागर के तटवर्ती देशों के संगठन में भी साझेदार हैं। 2016 में थाईलैंड के प्रधानमंत्री की भारत की राजकीय यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में दीर्घकालीन असर पड़ा।    

थाईलैंड के महान और जनप्रिय नरेश भूमिबोल अदुल्‍यदेज के देहांत पर पूरा भारत थाईलैंड के अपने भाई-बहनों के साथ शोकमग्‍न हो गया था। अपने थाई मित्रों के साथ भारत के लोगों ने भी नये नरेश महामहिम महा वाजिरालोंगकोर्न बोदी‍न्द्रदेबायावारांगकुन के खुशहाल और शांतिपूर्ण शासन के लिए प्रार्थना की।

वियतनाम

भारत के वियतनाम के साथ परम्‍परागत रूप से घनिष्‍ठ और सद्भावपूर्ण संबंधों की जड़ें विदेशी शासन से मुक्ति के लिए एक जैसे संघर्ष और राष्‍ट्रीय स्‍वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हैं। महात्‍मा गांधी और राष्‍ट्रपति हो चि मिन्‍ह जैसे महान नेताओं ने उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों को ऐतिहासिक नेतृत्‍व प्रदान किया। 2007 में वियतनाम के प्रधानमंत्री एंगुयेन तान डुंग की भारत यात्रा के दौरान हमने सामरिक साझेदारी समझौते पर दस्‍तखत किये। 2016 में मेरी वियतनाम यात्रा से इस सामरिक साझेदारी ने समग्र सामरिक साझेदारी का रूप ले लिया।

वियतनाम के साथ भारत के संबंध बढ़ते हुए आर्थिक और वाणिज्यिक संपर्कों को रेखांकित करते हैं। भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार दस वर्षों में करीब 10 गुना बढ़ गया है। रक्षा सहयोग भारत और वियतनाम के बीच सामरिक साझेदारी के महत्‍वपूर्ण आधार स्‍तंभ के रूप में उभर कर सामने आया है। विज्ञान और टेक्‍नोलाजी दोनों देशों के बीच सहयोग का एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है।

म्‍यांमार

भारत और म्‍यांमार के बीच 1600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी साझा जमीनी और समुद्री सीमा है। हमारे बीच मित्रता की जड़ें धार्मिक और सांस्‍कृतिक परम्‍पराओं में निहित हैं और हमारी साझा बौद्ध बिरासत हमें उतने ही घनिष्‍ठ रूप से बांधे हुए है जितना पुराना हमारा ऐतिहासिक अतीत है। भला इस मित्रता को श्‍वेडगोन पगोडा की लगमगाती मीनार से अधिक भव्‍य तरीके से कौन उजागर कर सकता है। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की मदद से बेगान के आनंद मंदिर का जीर्णोद्धार भी मित्रता की इस साझी बिरासत का द्योतक है।

औपनिवेशिक युग में हमारे नेताओं के बीच राजनीतिक संबंध बने थे और उन्‍होंने आजादी की साझा लड़ाई में बड़ी उम्‍मीदों और एकता का प्रदर्शन किया। गांधीजी ने कई बार यांगून का दौरा किया था। बालगंगाधर तिलक को तो कई साल के लिए यांगून भेजकर देश निकाला दे दिया गया था। भारत की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान ने म्‍यांमार में बहुत से लोगों को उद्वेलित कर दिया था।    

पिछले दशक में हमारा व्‍यापार दुगने से भी ज्‍यादा बढ़ गया है। हमारे निवेश संबंध भी काफी सुदृढ़ हुए हैं। म्‍यांमार के साथ भारत के संबंधों में विकास संबंधी सहयोग की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। फिलहाल भारत की ओर से सहायता राशि 1.73 अरब डालर से अधिक है। भारत का पारदर्शी विकास सहयोग म्‍यांमार की राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार है जिसका आसियान से जुड़ने के मास्‍टर प्‍लान यानी वृहद योजना के साथ पूरा तालमेल है।   

सिंगापुर

सिंगापुर, इस क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों की विरासत के झरोखे, वर्तमान की प्रगति और भविष्‍य की संभावनाओं तरह है। सिंगापुर भारत और आसियान के बीच एक पुल की तरह है।

आज यह पूर्व के साथ हमारे प्रवेश का मुख्‍य मार्ग है, यह हमारा प्रमुख आर्थिक साझेदार है और महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी भी है जिसकी झलक कई क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों में हमारी सदस्‍यता से परिलक्षित होती है। सिंगापुर और भारत सामरिक सहयोगी भी हैं।

हमारे राजनीतिक संबंध सद्भाव, सौहार्द और भरोसे पर टिके हुए हैं। हमारे रक्षा संबंध दोनों के सुदृढ़तम रक्षा संबंधों में से हैं। 

हमारी आर्थिक साझेदारी में दोनों देशों की प्राथमिकताओं का प्रत्येक क्षेत्र शामिल है। सिंगापुर भारत का प्रमुख गंतव्‍य और निवेश स्रोत है।

हजारों भारतीय कंपनियां सिंगापुर में पंजीकृत हैं।

16 भारतीय शहरों से सिंगापुर के लिए सप्‍ताह में 240 सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। सिंगापुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्‍या की दृष्टि से भारतीय पर्यटक समूह तीसरे स्‍थान पर है।

सिंगापुर की विविधतापूर्ण संस्‍कृति भारत के लिए प्रेरणास्‍पद है। प्रतिभा का सम्‍मान करने की भावना की वजह से वहां भारतीयों की उपस्थिति बड़ी जीवंत और गतिशील है और ये लोग दोनों राष्‍ट्रों की घनिष्‍ठता बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं।      

फिलीपींस

करीब दो महीने पहले अपनी फिलीपींस यात्रा करने पर मुझे बड़ा संतोष हुआ था। आसियान-भारत, ईएएस और इनसे संबंधित शिखर सम्‍मेलनों में भाग लेने के अलावा मुझे राष्‍ट्रपति दुतेर्ते से मुलाकात का सुअवसर मिला और हमने अपने घनिष्‍ठ और समस्‍यामुक्‍त संबंधों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की। दोनों देश सेवा के क्षेत्र में मजबूत हैं और हम सबसे ऊंची विकासदर वाले दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल हैं। व्‍यापार और कारोबार की हमारी क्षमताओं की वजह से हमारे सामने अनेक संभावनाएं हैं।

मैं समावेशी विकास लाने और भ्रष्‍टाचार से संघर्ष के बारे में राष्‍ट्रपति दुते‍र्ते की वचनबद्धता की सराहना करता हूं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें दोनों देश मिल कर कार्य कर सकते हैं। हमें यूनीवर्सल आईडी कार्ड, वित्‍तीय समावेशन, बैंकिंग को सबकी पहुंच के दायरे में लाने, प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण और नकदी विहीन लेन-देन को बढ़ावा देने के बारे में अपने अनुभवों को फिलीपींस के साथ साझा करने में बड़ी प्रसन्‍नता हो रही है। सभी को वाजिब दामों पर दवाएं उपलबध कराना फिलीपींस सरकार की प्राथमिकता का एक अन्‍य विषय है और हम इसमें योगदान करने को तैयार हैं। मुंबई से मरावी तक आतंकवाद ने किसी को नहीं बख्‍शा है। इस साझा चुनौती से निबटने में हम फिलीपींस के साथ सहयोग बढ़ा रहे हैं। 

मलेशिया

भारत और मलेशिया के बीच समसामयिक संबंध काफी विस्‍तृत हैं और कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं। मलेशिया और भारत सामरिक साझेदार हैं और कई बहुपक्षीय तथा क्षेत्रीय मंचों में भी सहयोगी हैं। 2017 में मलेशिया के प्रधानमंत्री की भारत की राजकीय यात्रा हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर डाला है।

आसियान में मलेशिया भारत के तीसरे सबसे बड़े व्‍यापारिक साझेदार के रूप में उभर कर सामने आया है और भारत में निवेश करने वाला आसियान देशों में से महत्‍वपूर्ण निवेशक है। पिछले दस वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार दुगने से ज्‍यादा बढ़ गया है। 2011 से भारत और मलेशिया के बीच विस्‍तृत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौता है। यह समझौता इस अर्थ में अनोखा है कि इसने सामान के व्‍यापार के क्षेत्र में आसियान से कही अधिक वचनबद्धाओं वाला प्रस्‍ताव किया और सेवाओं के विनिमय में डब्‍ल्‍यूटीओ से भी अधिक के प्रस्‍ताव किये। दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान को रोकने के संशोधित समझौते पर मई 2012 में दस्‍तखत किये गये और सीमा शुल्‍क के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2013 में समझौता हुआ जिसने हमारे व्‍यापार और निवेश सहयोग को और भी सुविधाजनक बना दिया है।      

 

ब्रूनेई

भारत और ब्रूनेई के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार पिछले दशक में दुगने से ज्यादा हो गया है। भारत और ब्रूनेई संयुक्‍त राष्‍ट्र, गुट निरपेक्ष आंदोलन (नाम), राष्‍ट्रमंडल, एआरएफ आदि संगठनों के साझा सदस्‍य हैं। विकासशील देशों के रूप में मजबूत पारम्‍परिक और सांस्‍कृतिक संबंधों के साथ प्रमुख अंतर्राष्‍ट्रीय विषयों पर ब्रूनेई और भारत के विचारों में काफी हद तक समानता है। 2008 में ब्रूनेई के सुल्‍तान की भारत यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक मील का पत्‍थर साबित हुई। भारत के उपराष्‍ट्रपति ने फरवरी 2016 में ब्रूनेई का दौरा किया।   

 

लाओ पीडीआर

भारत और लाओ पीडीआर के बीच संबंध व्यापक रूप से कई क्षेत्रों में फैले हुये हैं। भारत लाओ पीडीआर के विद्युत वितरण एवं कृषि क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। आज, भारत और लाओ पीडीआर अनेक बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग करते हैं।

यद्यपि भारत और लाओ पीडीआर के बीच व्यापार संभावनाओं से कम है लेकिन भारत ने लाओ पीडीआर से भारत में निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये लाओ पीडीआर को ड्यूटी फ्री टैरिफ प्रेफरेंस स्कीम की सुविधा प्रदान की हुई है। हमारे पास सेवा क्षेत्र में अपार संभावनायें जो कि लाओ पीडीआर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में काम आती हैं। आसियान-भारत सेवा और निवेश समझौते का लागू होना सेवा क्षेत्र में हमारे व्यापार को बढ़ाने में मदद करेगा।

इंडोनेशिया

हिंद महासागर में केवल 90 समुद्री मील की दूरी पर स्थित भारत और इंडोनेशिया दो सहस्त्राब्दियों से सभ्यता आधारित एक संबंध की निरंतरता को साझा करते हैं।

चाहे यह ओडिशा में वार्षिक बालीजात्रा का उत्सव हो या रामायण और महाभारत की कहानियां जो कि पूरे इंडोनेशियाई भूक्षेत्र में दिखती हैं, यह अनोखे सांस्कृतिक तंतु एशिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के लोगों को एक विशेष मैत्रीपूर्ण रिश्ते में बांधते हैं।

'विविधता में एकता' या भिन्नेका तुंगल इका दोनों ही देशों में मान्य साझा सामाजिक मूल्यों के ढांचे का एक महत्वपूर्ण पक्ष है, वैसे ही लोकतंत्र के साझा मूल्य और कानून का शासन भी है।

आज, रणनीतिक सहयोगियों के रूप में, हमारा सहयोग राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा एवं सुरक्षा, सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंधों जैसे सभी क्षेत्रों में फैला हुआ है। आसियान में इंडोनेशिया हमारा लगातार सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी बना हुआ है। भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले 10 वर्षों में 2.5 गुना बढ़ा है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति जोको विडोडो की भारत की राजकीय यात्रा का द्विपक्षीय संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा है।

कंबोडिया

भारत और कंबोडिया के बीच परंपरागत और मैत्रीपूर्ण संबंध सभ्यताओं पर आधारित हैं जो गहराई से जुड़े हुए हैं। अंगकोर वाट मंदिर का भव्य ढांचा हमारे प्राचीन ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक शानदार गवाह और भव्य प्रतीक है। 1986-1993 के मुश्किल समय में अंग्कोर वाट मंदिर का पुनरुद्धार और पुनर्स्थापन कार्य करने में भारत गौरवान्वित हुआ। ता-प्रोह्म मंदिर में चल रहे पुनरुद्धार के काम में भारत एक मूल्यवान सहयोगी बना हुआ है।

खमेर रूज की सत्ता समाप्त होने के बाद भारत पहला ऐसा देश था जिसने 1981 में नई सरकार को मान्यता दी थी। पेरिस शांति समझौता एवं 1991 में इसको पूर्ण किये जाने में भी भारत शामिल था। नियमित तौर पर होने वाले उच्च-स्तरीय दौरों की वजह से मित्रता के यह परंपरागत संबंध और सुदृढ़ हुए है। हमने अपने सहयोग का विविध क्षेत्रों जैसे संस्थागत क्षमता विकास, मानव संसाधन विकास, विकासात्मक एवं सामाजिक परियोजनायें, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सैन्य सहयोग, पर्यटन और लोगों के बीच संबंधों जैसे क्षेत्रों में विस्तार किया है।

आसियान के संबंध में और अन्य वैश्विक मंचों पर कंबोडिया भारत का एक महत्वपूर्ण सहयोगी और साझीदार है। भारत कंबोडिया के आर्थिक विकास में एक साझीदार बनने के लिये प्रतिबद्ध है और परंपरागत संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में उन्मुख है।

यही नहीं, भारत एवं आसियान और भी बहुत कुछ कर रहे हैं। आसियान के नेतृत्व वाली अन्य संस्थाओं जैसे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, एडीएमएम (आसियान रक्षा मंत्री एवं अन्य की बैठक) तथा एआरएफ (आसियान क्षेत्रीय मंच) में हमारी साझेदारी इस क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को बढ़ावा दे रही है। भारत व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक भागीदारी समझौते का एक उत्सुक भागीदार है जो कि सभी 16 भागीदारों के लिये एक व्यापक, संतुलित और निष्पक्ष समझौते की अपेक्षा करता है।

भागीदारी में शक्ति एवं स्थायित्व केवल संख्याबल से ही नहीं आता है बल्कि संबंधों की गहराई से भी आता है। भारत एवं आसियान देशों के संबंध किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा एवं दावेदारी से मुक्त हैं। हमारे पास भविष्य के लिये एक साझा दृष्टिकोण है जो कि समावेषण एवं एकीकरण, सभी राष्ट्रों की सार्वभौमिक समानता तथा व्यापार और पारस्परिक संबंधों के लिये स्वतंत्र एवं खुले मार्गों के समर्थन के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित है। यह इनके आकार पर आधारित न हो। आसियान-भारत साझेदारी लगातार प्रगति करेगी। युवा जनसंख्या, गतिशीलता एवं मांग के मामले में हसिल बढ़त के साथ-साथ तेजी से परिपक्व होतीं अर्थव्यवस्थायें  - भारत एवं आसियान - एक मजबूत आर्थिक साझेदारी का सृजन करेंगी। संपर्क के साधन बढ़ेंगे और व्यापार का विस्तार होगा। एक ऐसे समय में जब भारत में एक सहयोगात्मक एवं प्रतिस्पर्धात्मक संघीय प्रणाली है, हमारे राज्य भी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ एक फलदायी सहयोग संबंधों का विकास कर रहे हैं।

भारत का उत्तर-पूर्व एक पुनरुत्थान के पथ पर है। दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संपर्क इसकी प्रगति को और गति प्रदान करेगा। इस तरह से एक जुड़ा हुआ उत्तर-पूर्व हमारे सपनों के आसियान भारत संबंधों के लिये एक सेतु का काम करेगा।

एक प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने चार वार्षिक आसियान-भारत शिखर सम्मेलनों एवं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है। इसने क्षेत्र को स्वरूप देने के दृष्टिकोण में आसियान की एकता, इसकी केंद्रीय भूमिका और नेतृत्व के संबंध में मेरे विश्वास को और मजबूत किया है।

यह उपलब्धियों से भरा वर्ष है। पिछले वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे हुये। आसियान ने 50 वर्षों का स्वर्णकाल पूरा किया। हममें से प्रत्येक अपने भविष्य की ओर आशा भरी नजरों से और साथ ही हमारी साझेदारी की ओर विश्वासपूर्वक देख सकता है।

70 वर्ष की आयु में भारत अपनी युवा जनसंख्या की वजह से चेतना, उद्यमशीलता एवं ऊर्जा बिखेर रहा है। विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने की वजह से भारत वैश्विक अवसरों का नया स्थल और विश्व अर्थव्यवस्था में स्थिरता का आधार बन गया है। प्रत्येक दिन बीतने के साथ भारत में व्यापार करना और आसान एवं सुगम बन रहा है। मुझे आशा है कि एक पड़ोसी और मित्र के नाते आसियान देश एक नये भारत के बदलाव का एक अभिन्न हिस्सा बनेंगे।

हम आसियान की खुद की प्रगति की सराहना करते हैं। आसियान ऐसे समय में अस्तित्‍व में आया था जब दक्षिण एशिया एक क्रूर युद्ध का अखाड़ा तथा अनिश्चित भविष्य वाले देशों का क्षेत्र बना हुआ था, ऐस समय में आसियान ने 10 देशों को एक समान उद्देश्य और साझा भविष्य के लिये संगठित किया। हममें ऊंची महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने और अपने समय की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है चाहें वे चुनौतियां आधारभूत ढांचे और शहरीकरण की हों या टिकाऊ कृषि की या एक स्वस्थ धरती की हों। हम डिजिटल तकनीक, आविष्कार और संपर्क के साधनों की शक्ति का प्रयोग करके जीवन को एक अभूतपूर्व गति से और विशाल स्तर पर बदल सकते हैं।

भविष्य की उम्मीद को शांति की एक ठोस चट्टान की जरूरत होती है। यह युग बदलावों, अस्थिरता और ऐसे परिवर्तनों का है जो कि इतिहास में दुर्लभ है। आसियान और भारत के पास अपने समय की अनिश्चितता और विप्लव से निकल कर अपने क्षेत्र एवं विश्व के लिये एक स्थिर और शांतिपूर्ण भविष्य के निर्माण के लिये एक स्थिर मार्ग तैयार करने के अपार अवसर भी हैं लेकिन वास्तव में विशाल जिम्मेदारियां भी हैं।

भारतीयों ने पूरब की तरफ हमेशा एक पोषण करने वाले सूर्योदय और प्रकाश के अवसरों के लिये देखा है। अब, पहले की ही तरह, पूरब या हिंद-प्रशान्त क्षेत्र भारत के भविष्य और हमारी साझा नियति के लिये अपरिहार्य है। आसियान-भारत साझेदारी इन दोनों के लिये ही एक निर्णायक भूमिका अदा करेगी। इस बीच, दिल्ली में आसियान और भारत दोनों ने ही अपने भविष्य की यात्रा के लिये अपने संकल्प को दोहराया है।

आसियान के समाचार-पत्रों के संपादकीय पन्‍ने पर प्रकाशित प्रधानमंत्री के लेख को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है....

https://www.bangkokpost.com/opinion/opinion/1402226/asean-india-shared-values-and-a-common-destiny

 

https://vietnamnews.vn/opinion/421836/asean-india-shared-values-common-destiny.html#31stC7owkGF6dvfw.97

 

https://www.businesstimes.com.sg/opinion/asean-india-shared-values-common-destiny

 

https://www.globalnewlightofmyanmar.com/asean-india-shared-values-common-destiny/

 

https://www.thejakartapost.com/news/2018/01/26/69th-republic-day-india-asean-india-shared-values-common-destiny.html

 

https://www.mizzima.com/news-opinion/asean-india-shared-values-common-destiny

 

https://www.straitstimes.com/opinion/shared-values-common-destiny

 

https://news.mb.com.ph/2018/01/26/asean-india-shared-values-common-destiny/

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।