"UPA talks of national security, but indulges in political security"

 

युपीए सरकार की आंतरिक सुरक्षा के कामकाज का श्वेतपत्र जारी किया जाए : श्री मोदी

आंतरिक सुरक्षा के बारे में केन्द्र की कांग्रेस शासित युपीए सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं

समुद्री सुरक्षा के लिए देश के मेरीटाइम राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अलग परिषद आयोजित करने की श्री मोदी की मांग

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में आयोजित आंतरिक सुरक्षा की राष्ट्रीय परिषद में युपीए की कांग्रेस शासित केन्द्र सरकार के कामकाज पर आंतरिक सुरक्षा सम्बन्धी श्वेतपत्र जारी करने की मांग की।

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस आंतरिक सुरक्षा की परिषद में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। श्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सम्बन्धी कई महत्वपूर्ण सुझाव देते आए हैं। उस बारे में केन्द्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं उनकी एक्शन टेकन रिपोर्ट राज्यों को दी नहीं जाती है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित होती आ रही महत्वपूर्ण परिषदें सिर्फ वार्षिक औपचारिकता ही बन कर रह गई हैं। श्री मोदी ने नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर, एनसीटीसी की की नयी केन्द्रीय एजेंसी के गठन का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि युपीए सरकार को एनसीटीसी का गठन करने की जरूरत नहीं है। राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उग्र विरोध के बाद सुधारों सहित नया मसौदा एजेंडा में पेश किया गया है, इसका उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एनसीटीसी का गठन करके सेवानिवृत्त अधिकारियों की एजेंसी द्वारा युपीए सरकार राजनैतिक मकसद को पूरा करना चाहती है। मगर, वर्तमान में इंटेलिजेंस ब्युरो के तहत मल्टी एजेंसी सेंटर, एमएसी यह काम ठीक प्रकार से सम्भाल रही है। ऐसे में एनसीटीसी का गठन आई बी के नियंत्रण में नहीं बल्कि सीधे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आधीन लाने की मानसिकता के पीछे आतंकवाद को खत्म करना नहीं वरन् अपना राजनैतिक इरादा पूरा करना है। केन्द्र की युपीए सरकार के शासनकाल में संविधान निर्देशित संघीय ढांचे को कमजोर कर गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों के खिलाफ और अपने राजनितिक विरोधियों को खत्म करने के लिए संवैधानिक संस्थाओं का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है।

इस सन्दर्भ में गुजरात के मुख्यमंत्री ने सरकारिया आयोग और पुंछी समिति की सिफारिशों का अमल करने और राज्यों- राज्यों तथा केन्द्र- राज्यों के बीच के सम्बन्धों विषयक इन्टरएक्टिव काउंसिल का गठन करने का पुन: सुझाव दिया।

श्री मोदी ने अनुरोध किया कि आंतरिक सुरक्षा की यह परिषद समग्र देश को उग्रवाद, माओवाद और आतंकवाद से नहीं घबराने का सन्देश दे। मुख्यमंत्री श्री मोदी ने छत्तीसगढ़ की माओवादी हिंसा में मारे गए लोगों, शहीदों, पुलिसकर्मियों, सुरक्षाबलों के जवानों, पाकिस्तान द्वारा दो भारतीय सैनिकों के सिर काटकर उनकी हत्या के शिकार जवानों और केरला के मृतक मछुआरों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि छतीसगढ़ में माओवादी हिंसा के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष कर रहे मुख्यमंत्री रमनसिंह के साथ पूरा देश कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़ा है। आतंकवाद और उग्रवादी हिंसा के खिलाफ लड़ना समय की मांग है।

मुख्यमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा सम्बंधी राष्ट्रीय परिषद के एजेंडे में शामिल मुद्दों के औचित्य पर सवाल खड़े किए।

उन्होंने केन्द्र की युपीए सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा की गम्भीर चुनौती की उपेक्षा करने की मानसिकता की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि एनएसी और प्लानिंग कमीशन जैसी केन्द्रीय संस्थाओं के सदस्यों में वामपंथी उग्रवादी हिंसा से जुड़ी हुई स्वैच्छिक संस्थाओं के पदाधिकारियों का समावेश करने वाली केन्द्र की युपीए सरकार राष्त्रीय सुरक्षा के प्रति कितनी गम्भीर है, इसका अन्दाज लगाया जा सकता है।

देश में आतंकवादी माओवादी हमलों की जानलेवा घटना बनने के बाद उस पर प्रतिक्रिया देने से ही दायित्व पूरा हो जाता है, यह मानने वाली केन्द्र सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं की चुनौतियों का सामना किस तरह करना चाहती है ? यह सवाल उठाते हुए श्री मोदी ने कहा कि 13 दिसम्बर 2011 को लोकसभा में प्रश्नोत्तरी के दौरान केन्द्र सरकार ने लिखित जवाब में कहा था कि वामपंथी उग्रवादी (लेफ्टविंग एक्स्ट्रिमिस्ट्स) का टार्गेट पूना-मुम्बई-अहमदाबाद का इंडस्ट्रियल गोल्डन कॉरिडॉर और देश के सात आर्थिक प्रगतिशील प्रदेश हैं। यह बात LWE के माओवादी संगठन के दस्तावेजों में कही गई है। इसके बावजूद केन्द्र सरकार जहां भी माओवादी हिंसा की घटना घटित होती है उन राज्यों के शिकार राज्यों के साथ ही परामर्श करती है मगर अब समय आ गया है कि वामपंथी चरमपंथियों की हिंसक गतिविधियां जिन प्रदेशों में है और जहां ऐसी माओवादी हिंसा की सम्भावना है, उन राज्यों को भी विश्वास में लेकर आंतरिक सुरक्षा की व्यूहरचना बनाना अनिवार्य है।

श्री मोदी ने देश के समुद्री तट वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अलग परिषद आयोजित करने की मांग करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा और समुद्र तट के समग्र विकास के बारे में देश के मेरीटाइम स्टेट्स की बैठक आयोजित की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पशुपति से तिरुपति का पूरा उत्तर पूर्वी भारतीय क्षेत्र माओवादी उग्र हिंसा का रक्तरंजित रेड कॉरिडोर बन गया है। युपीए सरकार को इस समस्या को गम्भीरता से लेते हुए कदम उठाने चाहिए।

गुजरात में मरीन पुलिस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के लिए केन्द्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए पहले केन्द्र सरकार ने 25 एकड़ जमीन की मांग की थी जो लगातार बढ़ते हुए आज 250 एकड़ तक जा पहुंची है। गुजरात सरकार ने सौराष्ट्र के पश्चिमी तट पर जमीन सहित सभी अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने की तैयारी बतलाई है मगर केन्द्र सरकार आंतरिक सुरक्षा में समुद्री सुरक्षा के सर्व्ग्राही कदम उठाने को तैयार नहीं है। गुजरात में समुद्री सुरक्षा के लिए मरीन पुलिस कमांडो का गठन किया गया है।

कच्छ की सीमा पर पाकिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्र में दुश्मनों की घुसपैठ रोकने के लिए तार की बाड़ (बॉर्डर फेंसिंग) का निर्माण कार्य बरसों से अधूरा है। इसे पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री श्री मोदी ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन जैसी संस्थाओं को काम सौंपने का सुझाव दिया। उन्होंने राजस्थान- गुजरात के इस सम्पूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सुरक्षाबलों द्वारा सोलर पार्क का निर्माण और संचालन करने का प्रधानमंत्रीको सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे देश को बिजली भी मिलेगी और सीमा की सुरक्षा भी होगी।

पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए केन्द्र की युपीए सरकार ने उसके शासनकाल में एक रुपए का बजट भी नहीं बढ़ाया। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि राज्यों का हिस्सा इसमें बढ़ाकर 25 से 40 प्रतिशत कर दिया गया है। राज्य केन्द्र सरकार से ज्यादा बजट मांगते हैं तो उनको सजा दी जाती है। क्या यह आधुनिक अपराधों की दुनिया के खिलाफ लड़ने की रणनीति है?

मुख्यमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा के माओवादी- आतंकवादी खतरे के साथ ही साइबर क्राइम, नार्कोटेरेरिज्म और टेरर फाइनेंसिंग की समस्याओं के खिलाफ नीति बनाने के खास सुझाव दिए।

इस परिषद में गुजरात के गृह राज्य मंत्री रजनीकांत पटेल, गृह विभाग के वरिष्ठ सचिव जीसी मुर्मु, पुलिस महानिदेशक अमिताभ पाठक, कानून- व्यवस्था के संयुक्त सचिव विजय नेहरा और गुजरात सरकार के रेजीडेंत आयुक्त भरत लाल मौजूद थे।

 

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