हमारी सरकार 'DevINE' इरादे से काम कर रही है : मेघालय में पीएम मोदी
December 18th, 04:22 pm
पीएम मोदी ने मेघालय के शिलांग में 2450 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने कहा, विकास सिर्फ बजट, टेंडर, शिलान्यास, उद्घाटन तक सीमित नहीं है। ये तो साल 2014 से पहले भी होते थे। फीते कटते थे, नेता मालाएं पहनते थे, नारे लगते थे। तो फिर आज बदला क्या है? बदलाव इरादे में आया है, बदलाव संकल्पों में आया है, बदलाव प्राथमिकताओं में आया है, बदलाव कार्य-संस्कृति में आया है, बदलाव प्रक्रिया और परिणाम में आया है।प्रधानमंत्री ने मेघालय के शिलांग में 2450 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण किया
December 18th, 11:15 am
पीएम मोदी ने मेघालय के शिलांग में 2450 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने कहा, विकास सिर्फ बजट, टेंडर, शिलान्यास, उद्घाटन तक सीमित नहीं है। ये तो साल 2014 से पहले भी होते थे। फीते कटते थे, नेता मालाएं पहनते थे, नारे लगते थे। तो फिर आज बदला क्या है? बदलाव इरादे में आया है, बदलाव संकल्पों में आया है, बदलाव प्राथमिकताओं में आया है, बदलाव कार्य-संस्कृति में आया है, बदलाव प्रक्रिया और परिणाम में आया है।राज्या सभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मूल पाठ
February 08th, 08:30 pm
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत अवसरों का देश है और दुनिया की नजर हमारे देश पर है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, तो हमें इसे प्रेरणा का उत्सव बनाने की कोशिश करनी चाहिए और 2047 के भारत के लिए अपनी दृष्टि की प्रतिज्ञाओं के लिए खुद को फिर से समर्पित करना चाहिए, जब यह आजादी के 100 वर्ष मनाए।राज्यसभा में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब
February 08th, 11:27 am
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत अवसरों का देश है और दुनिया की नजर हमारे देश पर है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, तो हमें इसे प्रेरणा का उत्सव बनाने की कोशिश करनी चाहिए और 2047 के भारत के लिए अपनी दृष्टि की प्रतिज्ञाओं के लिए खुद को फिर से समर्पित करना चाहिए, जब यह आजादी के 100 वर्ष मनाए।