18वीं लोकसभा सफलतापूर्वक देश के नागरिकों के सपनों को पूर्ण करेगी: पीएम मोदी

June 26th, 11:30 am

पीएम मोदी ने 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने पर श्री ओम बिरला को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने अमृतकाल के महत्वपूर्ण कालखंड में श्री बिरला को दूसरी बार मिले इस अहम दायित्व को रेखांकित किया और भरोसा जताया कि उनकी अध्यक्षता में 18वीं लोकसभा सफलतापूर्वक भारतवासियों के सपनों को पूरा करेगी।

पीएम मोदी ने श्री ओम बिरला के अध्यक्ष चुने जाने के बाद लोकसभा को संबोधित किया

June 26th, 11:26 am

पीएम मोदी ने 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने पर श्री ओम बिरला को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने अमृतकाल के महत्वपूर्ण कालखंड में श्री बिरला को दूसरी बार मिले इस अहम दायित्व को रेखांकित किया और भरोसा जताया कि उनकी अध्यक्षता में 18वीं लोकसभा सफलतापूर्वक भारतवासियों के सपनों को पूरा करेगी।

MSME सेक्टर को सशक्त करने का मतलब पूरे समाज को सशक्त करना है : पीएम मोदी

June 30th, 10:31 am

पीएम मोदी ने 'उद्यमी भारत' कार्यक्रम में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने MSME सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले 8 साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी की है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया, हमारे लिए MSME का मतलब है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन।

प्रधानमंत्री ने 'उद्यमी भारत' कार्यक्रम में भाग लिया

June 30th, 10:30 am

पीएम मोदी ने 'उद्यमी भारत' कार्यक्रम में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने MSME सेक्टर को मजबूती देने के लिए पिछले 8 साल में हमारी सरकार ने बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी की है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया, हमारे लिए MSME का मतलब है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन।

देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है: प्रधानमंत्री मोदी

August 13th, 11:28 am

प्रधानमंत्री मोदी 'ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट' प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। पीएम मोदी ने कहा कि आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बमैं सभी टैक्सपेयर्स को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं और इन्‍कम टैक्स विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। साथियों, बीते 6 वर्षों में हमारा फोकस रहा है, Banking the Unbanked Securing the Unsecured और, Funding the Unfunded. आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है। Honoring the Honest- ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है। साथियों, आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, Minimum Government, Maximum Governance के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। साथियों, आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को Process और Power Centric अप्रोच से बाहर निकालकर उसको People Centric और Public Friendly बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं। आज हर किसी को ये एहसास हुआ है कि शॉर्ट-कट्स ठीक नहीं है, गलत तौर-तरीके अपनाना सही नहीं है।वो दौर अब पीछे चला गया है। अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें। सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके चार बड़े कारण हैं। पहला, पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस। जब पॉलिसी स्पष्ट होती है तो Grey Areas Minimum हो जाते हैं और इस कारण व्यापार में, बिजनेस में डिस्क्रीशन की गुंजाशन कम हो जाती है। दूसरा- सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास। तीसरा, सरकारी सिस्टम में ह्यूमेन इंटरफेस को सीमित करके टेक्नॉलॉजी का बड़े स्तर पर उपयोग। आज सरकारी खरीद हो, सरकारी टेंडर हो या सरकारी सेवाओं की डिलिवरी, सब जगह Technological Interface सर्विस दे रहे हैं। और चौथा, हमारी जो सरकारी मशीनरी है, जो ब्यूरोक्रेसी है, उसमें efficiency, Integrity और Sensitivity के गुणों को Reward किया जा रहा है, पुरस्कृत किया जा रहा है। साथियों, एक दौर था जब हमारे यहां Reforms की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले ले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें Reform कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है। हमारे लिए Reform का मतलब है, Reform नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, Holistic हो और एक Reform, दूसरे Reform का आधार बने, नए Reform का मार्ग बनाए। और ऐसा भी नहीं है कि एक बार Reform करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है। बीते कुछ वर्षो में देश में डेढ़ हजार ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है। Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत आज से कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था। आज भारत की रैंकिंग 63 है। रैंकिंग में इतने बड़े बदलाव के पीछे अनेकों Reforms हैं, अनेकों नियमों-कानूनों में बड़े परिवर्तन हैं। Reforms के प्रति भारत की इसी प्रतिबद्धता को देखकर, विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के इस संकट के समय भी भारत में रिकॉर्ड FDI का आना, इसी का उदाहरण है। साथियों, भारत के टैक्स सिस्टम में Fundamental और Structural Reforms की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे Evolve हुआ। आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन Largely सिस्टम का Character वही रहा। परिणाम ये हुआ कि जो टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण का एक मज़बूत पिलर है, जो देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए योगदान दे रहा है, उसको कठघरे में खड़ा किया जाने लगा। इन्‍कम टैक्स का नोटिस फरमान की तरह बन गया। देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुज़रना पड़ा। कहां तो टैक्स देने वालों की संख्या में गर्व के साथ विस्तार होना चाहिए था और कहां गठजोड़ की, सांठगांठ की व्यवस्था बन गई। इस विसंगति के बीच ब्लैक और व्हाइट का उद्योग भी फलता-फूलता गया। इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार-कारोबार करने वालों को, रोज़गार देने वालों को और देश की युवा शक्ति की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित करने के बजाय कुचलने का काम किया। साथियों, जहां Complexity होती है, वहां Compliance भी मुश्किल होता है। कम से कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हो तो टैक्सपेयर भी खुश रहता है और देश भी। बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है। अब जैसे, दर्जनों taxes की जगह GST आ गया। रिटर्न से लेकर रिफंड की व्यवस्था को पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया। जो नया स्लैब सिस्टम आया है, उससे बेवजह के कागज़ों और दस्तावेज़ों को जुटाने की मजबूरी से मुक्ति मिल गई है। यही नहीं, पहले 10 लाख रुपए से ऊपर के विवादों को लेकर सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती थी। अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है। विवाद से विश्वास जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं। इसी का नतीजा है कि बहुत कम समय में ही करीब 3 लाख मामलों को सुलझाया जा चुका है। साथियों,ढ़ता है।

प्रधानमंत्री मोदी 'ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट' प्लेटफॉर्म की शुरुआत की

August 13th, 10:27 am

प्रधानमंत्री मोदी 'ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट' प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। पीएम मोदी ने कहा कि आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बमैं सभी टैक्सपेयर्स को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं और इन्‍कम टैक्स विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। साथियों, बीते 6 वर्षों में हमारा फोकस रहा है, Banking the Unbanked Securing the Unsecured और, Funding the Unfunded. आज एक तरह से एक नई यात्रा शुरू हो रही है। Honoring the Honest- ईमानदार का सम्मान। देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है। साथियों, आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, Minimum Government, Maximum Governance के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं। ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। साथियों, आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को Process और Power Centric अप्रोच से बाहर निकालकर उसको People Centric और Public Friendly बनाने पर बल दिया जा रहा है। ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं। आज हर किसी को ये एहसास हुआ है कि शॉर्ट-कट्स ठीक नहीं है, गलत तौर-तरीके अपनाना सही नहीं है।वो दौर अब पीछे चला गया है। अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें। सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके चार बड़े कारण हैं। पहला, पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस। जब पॉलिसी स्पष्ट होती है तो Grey Areas Minimum हो जाते हैं और इस कारण व्यापार में, बिजनेस में डिस्क्रीशन की गुंजाशन कम हो जाती है। दूसरा- सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास। तीसरा, सरकारी सिस्टम में ह्यूमेन इंटरफेस को सीमित करके टेक्नॉलॉजी का बड़े स्तर पर उपयोग। आज सरकारी खरीद हो, सरकारी टेंडर हो या सरकारी सेवाओं की डिलिवरी, सब जगह Technological Interface सर्विस दे रहे हैं। और चौथा, हमारी जो सरकारी मशीनरी है, जो ब्यूरोक्रेसी है, उसमें efficiency, Integrity और Sensitivity के गुणों को Reward किया जा रहा है, पुरस्कृत किया जा रहा है। साथियों, एक दौर था जब हमारे यहां Reforms की बहुत बातें होती थीं। कभी मजबूरी में कुछ फैसले ले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें Reform कह दिया जाता था। इस कारण इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे। अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है। हमारे लिए Reform का मतलब है, Reform नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो, Holistic हो और एक Reform, दूसरे Reform का आधार बने, नए Reform का मार्ग बनाए। और ऐसा भी नहीं है कि एक बार Reform करके रुक गए। ये निरंतर, सतत चलने वाली प्रक्रिया है। बीते कुछ वर्षो में देश में डेढ़ हजार ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है। Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत आज से कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था। आज भारत की रैंकिंग 63 है। रैंकिंग में इतने बड़े बदलाव के पीछे अनेकों Reforms हैं, अनेकों नियमों-कानूनों में बड़े परिवर्तन हैं। Reforms के प्रति भारत की इसी प्रतिबद्धता को देखकर, विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर लगातार बढ़ रहा है। कोरोना के इस संकट के समय भी भारत में रिकॉर्ड FDI का आना, इसी का उदाहरण है। साथियों, भारत के टैक्स सिस्टम में Fundamental और Structural Reforms की ज़रूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे Evolve हुआ। आज़ादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन Largely सिस्टम का Character वही रहा। परिणाम ये हुआ कि जो टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण का एक मज़बूत पिलर है, जो देश को गरीबी से बाहर निकालने के लिए योगदान दे रहा है, उसको कठघरे में खड़ा किया जाने लगा। इन्‍कम टैक्स का नोटिस फरमान की तरह बन गया। देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठीभर लोगों की पहचान के लिए बहुत से लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुज़रना पड़ा। कहां तो टैक्स देने वालों की संख्या में गर्व के साथ विस्तार होना चाहिए था और कहां गठजोड़ की, सांठगांठ की व्यवस्था बन गई। इस विसंगति के बीच ब्लैक और व्हाइट का उद्योग भी फलता-फूलता गया। इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार-कारोबार करने वालों को, रोज़गार देने वालों को और देश की युवा शक्ति की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित करने के बजाय कुचलने का काम किया। साथियों, जहां Complexity होती है, वहां Compliance भी मुश्किल होता है। कम से कम कानून हो, जो कानून हो वो बहुत स्पष्ट हो तो टैक्सपेयर भी खुश रहता है और देश भी। बीते कुछ समय से यही काम किया जा रहा है। अब जैसे, दर्जनों taxes की जगह GST आ गया। रिटर्न से लेकर रिफंड की व्यवस्था को पूरी तरह से ऑनलाइन किया गया। जो नया स्लैब सिस्टम आया है, उससे बेवजह के कागज़ों और दस्तावेज़ों को जुटाने की मजबूरी से मुक्ति मिल गई है। यही नहीं, पहले 10 लाख रुपए से ऊपर के विवादों को लेकर सरकार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाती थी। अब हाईकोर्ट में 1 करोड़ रुपए तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपए तक के केस की सीमा तय की गई है। विवाद से विश्वास जैसी योजना से कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं। इसी का नतीजा है कि बहुत कम समय में ही करीब 3 लाख मामलों को सुलझाया जा चुका है। साथियों,ढ़ता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 13 अगस्त 2020 को ‘पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान’ के लिए प्‍लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे

August 12th, 11:00 am

प्रधानमंत्री मोदी 'ट्रांसपैरेंट टैक्सेशन: ऑनरिंग द ऑनेस्ट' प्लेटफॉर्म की शुरुआत करेंगे। सीबीडीटी ने हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष करों में कई बड़े कर सुधार किए हैं। पिछले साल कॉरपोरेट टैक्स की दरों को 30% से घटाकर 22% कर दिया गया था और नई विनिर्माण इकाइयों के लिए दरों को घटाकर 15% कर दिया गया था। लाभांश वितरण कर को भी समाप्त कर दिया गया। पीएम मोदी द्वारा प्लेटफार्म का शुभारंभ प्रत्यक्ष कर सुधारों की यात्रा को आगे बढ़ाएगा।

केंद्रीय बजट 2020-21: 'विवाद से विश्वास' - अब कोई विवाद नहीं बल्कि विश्वास

February 01st, 04:47 pm

उकेंद्रीय बजट ने 'विवाद से विश्वास' योजना (अब कोई विवाद नहीं बल्कि विश्वास) का प्रस्ताव दिया है जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर भुगतान में मुकदमों को कम करना है। इस योजना के तहत एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करना होगा और उसे 31 मार्च 2020 तक जमा करने पर ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने राजस्‍व ज्ञान संगम पर कर प्रशासकों को सम्‍बोधित किया

June 16th, 01:48 pm



प्रधानमंत्री मोदी कर प्रशासकों के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे

June 12th, 03:16 pm