"Shri Narendra Modi addresses a workshop on ‘Vanbandhu Kalyan and Developing Talukas: Marching Ahead”"
"A holistic approach and comprehensive efforts at bettering the way-of-life for the tribal population of Gujarat is required"
"Shri Modi asked the audience to direct their efforts and focus upon practical solutions towards improving the tribal segment"
"Shri Modi said that a detailed brainstorming on how to develop Talukas is the need of the hour "

आदिवासी कल्याण और विकासशील तहसीलों के चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री का प्रेरक मार्गदर्शन आदिवासी पूर्वीपट्टे में ४००० करोड़ का जलप्रबंधन प्रोजेक्ट प्राथमिकता के स्तर पर शुरू किया

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में आदिवासी कल्याण और विकासशील तहसीलों के चिंतन शिविर का उद्घाटन करते हुए कहा कि अंबाजी से लेकर उमरगाम तक के समग्र आदिवासी पूर्वीपट्टे में पर्यटन विरासत के विकास का इतना सामर्थ्य है कि वह राज्य की आर्थिक प्रगति में नई शक्ति प्रदान कर सकता है। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना शुरू करने का उन्होंने प्रेरक आह्वान किया।

गुजरात सरकार के आदिजाति कल्याण विभाग के उपक्रम से गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में गुरुवार को वनबंधु कल्याण एवं विकासशील तहसीलों की अविरत विकास यात्रा को लेकर कार्यशिविर आयोजित की गई थी। राज्य के ९० लाख आदिवासी समुदाय के लिए अंबाजी से लेकर उमरगाम तक के क्षेत्र में विकास की अविरत यात्रा के स्वरूप में वनबंधु कल्याण योजना और कौलगी समिति निर्देशित विकासशील तहसीलों की पिछड़ालक्षी समस्याओं के निराकरण के लिए मिशन मोड कार्ययोजना को लेकर इस चिंतन शिविर में चार सर्वग्राही चर्चा सत्रों का आयोजन किया गया।

Shri Narendra Modi addresses a workshop on ‘Vanbandhu Kalyan and Developing Talukas: Marching Ahead”

अंबाजी से लेकर उमरगाम तक का समग्र आदिवासी पूर्वीपट्टा विकास यात्रा में सक्षम योगदान प्रदान करने का सामर्थ्य रखता है, इसकी रूपरेखा पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगल, पर्वत, समुद्रीतट, आध्यात्मिक विरासत और वनसृष्टि की अद्भुत धरोहर के पर्यटन विकास का सामर्थ्य इतना विशाल है कि वह राज्य की आर्थिक प्रगति में नई शक्ति प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि पावागढ़, शबरीमाता, उनाई, सापुतारा, देवमोगरा, जांबुघोड़ा, रतनमहल, केवड़िया, मानगढ़, पालचितरिया, शामळाजी, खेडब्रह्मा और अंबाजी जैसी विरासतों से गुजरात के पर्यटन क्षेत्र को समृद्ध बनाया जा सकता है।

श्री मोदी ने ऐसी व्यूहरचना तैयार करने का सुझाव दिया कि पूर्वीपट्टे के समग्र वनवासी क्षेत्र में इको-टूरिज्म आर्थिक प्रवृत्तियों से गतिशील बने। आदिवासी क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की संपदा को देखते हुए ऑर्गेनिक फॉर्मिंग का क्षेत्र विकसित किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने जलप्रबंधन को प्राथमिकता बताते हुए कहा कि, पहाड़ों का पानी और जवानी पहाड़ी क्षेत्र के काम नहीं आता, इस पारंपरिक कहावत को बदलने के लिए समग्र आदिवासी पट्टे के लिए ४००० करोड़ रुपये की जलापूर्ति परियोजना मंजूर की गई है। समग्र आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी किसानों के आर्थिक जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने की ताकत देने के वास्ते पानी की यह परियोजना तय समय पर पूरी करनी है।

आदिवासी क्षेत्र में विकासयात्रा को लेकर कई मिसालें पेश करते हुए उन्होंने कहा कि, आदिवासी युवाओं के लिए तीरंदाजी जैसे पारंपरिक खेल का कौशल और सुरक्षा सेवाओं में भर्ती का सामर्थ्य, आदिवासी किसानों में फल-फूल की पारंपरिक खेती का मूल्यवर्द्धित कृषि मार्केट में रूपांतरण, आदिवासी महिलाओं का उत्पादकीय कार्यों में सखी मंडलों के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण, इको-टूरिज्म और जल प्रबंधन सहित अब वनबंधु कल्याण का ४०,००० करोड़ रुपये का संवर्द्धित पैकेज आदिवासी क्षेत्र में विकास की नई ताकत साबित होगा।

Shri Narendra Modi addresses a workshop on ‘Vanbandhu Kalyan and Developing Talukas: Marching Ahead”

विकास की हमारी परिकल्पना और प्रयोजना गुजरात के सर्वग्राही और संतुलित विकास को अपने दायरे में शामिल कर लेती है, इसकी भूमिका में प्रस्तुत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि विकास के लिए तहसील को केन्द्रीय इकाई के रूप में निर्दिष्ट किया है ताकि प्रत्येक तहसील अपने विकास की अनोखी विशेषता के साथ पहचान खड़ी कर सके।

राज्य की वे तहसीलें जो कई मापदंडों के नजरिए से विकसित तहसीलों से पीछे रह गई हैं, उसके लिए कौलगी समिति के अभ्यास द्वारा जिन मापदंडों के साथ विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष आयोजन किया है, उस पर परिणामलक्षी अमल करने का श्री मोदी ने जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों को जंगल की जमीन के अधिकारपत्र देने में गुजरात ने अनोखी पहल की है, ऐसे में इन किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए प्रशासन प्रो-एक्टिव बने। आदिवासी युवाओं को मेडिकल कॉलेज की प्रवेश-परीक्षा में सक्षम बनाने की कोचिंग क्लास हर आदिवासी तहसीलों में शुरू करने की योजना चलाने और भारत सरकार द्वारा २०११ में बंद किए गए वाडी प्रोजेक्ट को पुनः संवर्द्धित स्तर पर राज्य सरकार द्वारा मॉडल स्वरूप में विकसित करने की बात भी उन्होंने कही।

Shri Narendra Modi addresses a workshop on ‘Vanbandhu Kalyan and Developing Talukas: Marching Ahead”

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक तहसील के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए तहसीलस्तरीय कार्यशिविर आयोजित करने का प्रेरक सुझाव भी दिया।

आदिजाति कल्याण मंत्री गणपत सिंह वसावा ने भरोसा जताया कि चिंतन शिविर का यह उपक्रम वनबंधु कल्याण योजना के द्वितीय चरण के उद्देश्यों और कल्याणकारी आशयों को पूरा करने में एक परिणामकारी कदम साबित होगा।

श्री वसावा ने मुख्यमंत्री की ‘सबका साथ-सबका विकास’ संकल्पना को साकार करने के लिए वनबंधु कल्याण पैकेज के अमलीकरण अधिकारियों से अपील की कि वे सामूहिक चिंतन-मनन कर आदिवासी परिवारों को अन्य विकसितों की कतार में लाने का प्रतिबद्ध आयोजन करें। योजना मंत्री सौरभभाई पटेल ने पिछड़ी तहसीलों के पैरामीटर्स से ऊपर उठकर इन तहसीलों सहित समग्र आदिवासी पट्टे के वनबंधुओं के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार के व्यापक आयोजन की रूपरेखा दी।

इस एक दिवसीय शिविर में वित्त मंत्री नितिनभाई पटेल, राज्य मंत्री जशवंतसिंह भाभोर, रामकृष्ण मिशन-रांची के स्वामी श्री शशांकानंद जी, मुख्य सचिव डॉ. वरेश सिन्हा, वन एवं पर्यावरण विभाग अतिरिक्त मुख्य सचिव एच.के. दास तथा आदिजाति विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद अग्रवाल सहित वरिष्ठ सचिव, वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जिला कलक्टर, जिला विकास अधिकारी और योजना के प्रशासनिक व अमलीकरण अधिकारी मौजूद थे।

समग्र दिन के दौरान विविध चर्चा-अभ्यास सत्रों में विकासशील तहसीलों और वनबंधु कल्याण योजना के विषय में परामर्श-चिंतन मनन किया गया। प्रारंभ में प्रधान सचिव अरविंद अग्रवाल ने सभी का स्वागत करते हुए शिविर के उद्देश्यों की जानकारी दी।

Shri Narendra Modi addresses a workshop on ‘Vanbandhu Kalyan and Developing Talukas: Marching Ahead”

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